Saturday, March 3, 2012

चलते फ़िरते ग्रह

कई बार दिमाग मे धारणा आती है कि ज्योतिषी अपने द्वारा जब देखो तब ग्रहों के बारे बताते रहते है जब देखो तब सूर्य खराब है चन्द्रमा खराब है मंगल खराब है आदि बातो से दिमाग को बहलाने की कोशिश करते है सूर्य तो सभी के लिये उदय होता है चन्द्रमा भी सभी के जैसा ही दिखाई देता है फ़िर यह ग्रह केवल एक आदमी को ही क्यों परेशान करते है.वास्तव मे एक साधारण आदमी की इससे अधिक सोच हो भी क्या सकती है। कई बार तो लोग झल्लाकर कह ही उठते है कि आखिर मे भदौरिया जी यह शनि हमे ही क्यों परेशान कर रहा है ऐसा कोई रास्ता नही है कि इस शनि को हमसे दूर कर दिया जाये जिससे हम बिना शनि के कम से कम आराम से तो रह सकते है। लोगों की बात सुनकर काफ़ी गुस्सा भी आता है और हंसी भी आती है कि पहले तो शनि को दूर किया ही नही जा सकता है और शनि अगर साथ मे नही है तो आदमी अपने हाथ पैर हिलाना भी भूल जायेगा,उसे शेर मारे या नही मारे उसे चीटियां ही चुन जायेंगी। सही बात है बिना समझे ग्रह को हर कोई नही समझ सकता है।

आकाश मे ग्रह दिखाई देते है,वह पिण्ड ग्रह माने जाते है सूर्य दिखाई देता है भले ही वह कम या अधिक दिखाई देता हो लेकिन दिखाई जरूर देता है इसलिये सूर्य को सूर्य कहा जाता है,काली अन्धेरी रात मे चन्द्रमा का दर्शन जरूर होता है भले ही वह पन्द्रह दिन बढता हुआ दिखाई दे और पन्द्रह दिन घटता हुआ दिखाई दे,इसी प्रकार से मंगल बुध शुक्र शनि गुरु अदि ग्रह है जो बहुत ही दूर होने के कारण कभी छोटे और कभी कुछ बडे दिखाई देते है। इन ग्रहो की शक्तियां हमे उसी प्रकार से मिलती है जैसे सूर्य से प्रकाश भी मिलता है और ऊर्जा भी मिलती है चन्द्रमा से पानी पर असर मिलता है यानी चन्द्रमा के कारण ही धरती पर पानी का होना पाया जाता है,मंगल है दूर जरूर लेकिन उसकी लाल रश्मिया हमे धरती पर लाल रंग के रूप मे मिलती है बुध सूर्य के पास है इसलिये यह हमे धरती पर हरीतिमा का आभास देता है सूर्य के रहने तक हरा और सूर्य के छुपने के बाद बुध का रूप काले रंग मे दिखाई देने लगता है जैसे दिन मे कोई भी हरा भरा पेड हरा दिखाई देता है लेकिन रात होते ही वह हरा रंग काला दिखाई देने लगता है। गुरु की पीली आभा हमे मिलती है और गुरु के द्वारा ही हमे पीला रंग मिलता है,गुरु की पीली रश्मिया ही वायु को इधर उधर घुमाने के लिये और गुरु के उनन्चास उपग्रह हवा के उनचास रूप देने के लिये माने जाते है,शुक्र का रूप मे हमे प्रकृति की कलाकारी के रूप  मे मिलता है बुध के आसपास रहने से सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को वह सुन्दरता के रूप मे प्रकट करता है इसलिये शुक्र हमे बल देने वाले कारको मे अपनी शक्ति को बिखेरता हुआ मिलता है शनि हमारे से बहुत दूर है लेकिन सूर्य और शनि की सीमा बन्धी हुयी है जिधर शनि होता है उसके विपरीत शनि की स्थिति होती है यानी जब सूर्य छुप जाता है तो शनि की सीमा अन्धेरे और ठंडी प्रकृति देने के लिये सामने होता है। इन सबकी शक्ति को लाने के लिये राहु और इनकी शक्ति को प्रयोग करने के लिये केतु का कार्य होता है। यह बात तो हुयी आसमानी शक्तियों के बारे में लेकिन वही शक्तिया हर व्यक्ति के अन्दर भी उपस्थित है।

बच्चे के लिये पिता सूर्य है माता चन्द्रमा है मंगल भाई है बुध बहिन बुआ बेटी है गुरु खुद जीव है शुक्र जीवन साथी है पुरुष के लिये स्त्री और स्त्री के लिये पुरुष मे है शनि बुजुर्ग लोग भी है राहु ससुराल है केतु साले भानजे भतीजे लडके आदि है। यह ग्रह चलते फ़िरते है। यही ग्रह शरीर के अन्दर है सूर्य से पहिचान हड्डियों का ढांचा नाम पहिचान आंखो की द्रिष्टि है तो चन्द्रमा से शरीर मे पानी की मात्रा और मन है जो हमेशा पानी और चन्द्र्मा की तरह से चलायमान है,मंगल शरीर मे खून मे शामिल है जितना अच्छा मंगल होता है उतनी ही अच्छी शक्ति मिलती है अच्छी जाति और अच्छी कुल की बात भी मंगल से देखी जाती है इसी प्रकार से बुध जो शरीर मे बोलने के लिये वाणी के रूप मे सुनने के लिये कानो के रूप मे समझने के लिये बुद्धि के रूप मे और सूंघने के लिये नाक के रूप मे भी शामिल है गुरु वायु के रूप मे जिन्दा रखने के लिये समझने के लिये रिस्तो के रूप मे और जीवित रहने के लिये प्राण वायु के द्वारा कार्य करने के लिये है शुक्र का रूप शरीर मे जननेन्द्रिय के रूप मे है शरीर की पहिचान को सुन्दर या बदशूरत बनाने के लिये है,शनि शरीर मे खाल और बालो के रूप मे है जिससे शरीर की सर्दी गर्मी बरसात मे रक्षा होती है बाहरी वातावरण के अनुसार शनि ही रक्षा करने वाला होता है। राहु आकस्मिक बचाव करने वाला है जिसे विचार की श्रंखला मे बदलाव करने वाला किसी एक या अधिक क्षेत्रो मे जाने की धुन सवार करने के लिये और केतु शरीर मे जोडों के रूप मे हाथ पैर शरीर के अंगो को प्रयोग करने के लिये अपनी शक्ति को देने वाला है।

शरीर परिवार के अलावा कुछ ग्रह ऐसे भी है जो केवल आभास देते है कुछ हर स्थान पर मजबूत होते है,जैसे तरबूज के अन्दर जो डंठल होता है वह बुध है तरबूज की बनावट सूर्य है,तरबूज के अन्दर पानी चन्द्रमा है तरबूज का गूदा शुक्र है तरबूज के बीज केतु है तरबूज का शरीर के लिये फ़ायदा या नुकसान देने का कारक राहु है तरबूज का छिलका शनि है। इसी प्रकार से किसी भी कारक मे ग्रहो का होना जरूरी है।

जिस घर मे हम रहते है उस घर की सामने की बनावट ऊंचाई नाम नम्बर आदि सूर्य है,घर के अन्दर पानी का स्थान चन्द्रमा है,घर के अन्दर मंगल रसोई है रोशनी का कारक भी सूर्य है,गुरु हवा आने के रास्तो से है,बुध घर के अन्दर संचार के साधनो से है शुक्र घर की सजावट है शनि घर की दिवालो मे लगे ईंट पत्थर सीमेट प्लास्टर और बाहरी दिवालो के रूप मे है राहु घर मे संडास और सीढिया है केतु घर के अन्दर खिडकी और झरोखों के रूप मे है।

जिस आफ़िस मे हम काम करत है उस आफ़िस का नाम सूर्य है उस आफ़िस के अन्दर काम करने वाले लोग चन्द्रमा है उस आफ़िस की कम्पटीशन मे शक्ति मंगल है आफ़िस के अन्दर टेलीफ़ोन इंटरनेट कम्पयूटर आदि बुध है आफ़िस का मालिक गुरु है आफ़िस की साज सज्जा शुक्र है आफ़िस की रक्षा करने वाले चौकीदार चपरासी आदि शनि है,साफ़ सफ़ाई करने वाले राहु आफ़िस मे कार्य करने के साधन केतु के रूप मे है,वह चाहे टूर  से काम कर रहे हो या बाहर की डाक लाने ले जाने का काम कर रहे हो।

पूजा पाठ मे भी ग्रह अपने अपने अनुसार विराजमान है,देवी देवता की बनावट सूर्य है देवी देवता के लिये सोची जाने वाली क्रिया शैली चन्द्रमा है हवन यज्ञ आदि दीपक अगरबत्ती की आग मंगल है बोली जाने वाली मंत्रो की भाषा प्रार्थना मानसिक प्रार्थना आदि बुध है,धारणा बनाना गुरु है मूर्ति आदि की बनावट पूजा की सजावट शुक्र है पूजा के अन्दर रक्षा करने वाले गेट कमरा अलमारी आदि शनि है फ़ोटो बिजली की सजावट फ़ूलो की सजावट आदि राहु हैऔर इसी राहु को देवता का आक्स्मिक दर्शन या दिया जाने वाला प्रभाव राहु है जितने भी कारक पूजा पाठ आदि के लिये प्रयोग मे लाये जाते है वह केतु के रूप में है।

हिन्दू देवी देवताओं मे सूर्य विष्णु है चन्द्रमा अर्धनारीश्वर शिव है बुध दुर्गा है गुरु ब्रह्मा है और बारह भावो के अनुसार इन्द्र के रूप मे पूजे जाते है शुक्र लक्ष्मी है और एक सौ आठ रूप मे यानी हर भाव मे बारह बारह प्रकार की सोच से अपनी कृपा को देने वाली है शनि भैरों के रूप मे भी है भौमिया के रूप मे भी है और शनि ही काले रंग के देवताओं के रूप मे है राहु सरस्वती भी है बोले जाने वाले जाप किये जाने वाले मंत्र है केतु गणेश भी है तो देवी देवताओं के वाहन के रूप मे भी देखे जाते है।

जातियों में सूर्य राजपूत है चन्द्रमा किसान है मंगल सैनिक है बुध व्यापारी है गुरु धर्म पुजारी है हिन्दू है शुक्र कलाकार है जो सजावट प्रिय है,शनि नौकरी करने वाली जातिया है राहु मुस्लिम भी है और खुशी मे खुशी की भावना देने वाले दुख मे दुख की भावना देने वालेहै यह डर के रूप मे भी है तो उत्साह के रूप मे भी है केतु जाति से सिक्ख भी है तो जाति हर ग्रह के साथ मिलकर अनेक प्रकार की सहायक जातियों के रूप मे भी देखी जाती है।


1 comment:

  1. guruji alag alag sthano par graho ke karkatva ka varnan, bahut hi gyanprad aur labhprad vivechan aapko bar bar sadhuwad!

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