नवग्रह की सत्ता को प्रणाम करता हूँ और उनसे हमेशा यही प्रार्थना करता हूँ कि वे प्राणीमात्र को हमेशा दया की द्रिष्टि से देखते रहे और उनके जीवन को उच्चता के मार्ग पर अग्रसर करते रहे।
सबसे पहले उस चन्द्रमा रूपी माता को प्रणाम करता हूँ जो अपने दिल मे दया की हिलोरे लेकर जीव जगत को उत्पन्न करती है और उसे अपने स्वभाव के अनुसार नाम देती है।
जगत नियन्ता जीव की आत्मा के स्वामी सूर्य जो अपनी ऊष्मा और अपनी रोशनी से जगत को शक्ति प्रदान करते है तथा पिता और पुत्र के रूप मे अपनी गरिमा को कायम रखते है को शत शत प्रणाम करता हूँ।
खून मे शक्ति देकर जीवन को निरोगी बनाने मे और बल को देने के बाद कार्य क्षमता को बढाने के बाद जीवन की तरक्की के मार्ग को प्रसस्त करने वाले मंगल देवता को शत शत नमन करता हूँ जिन्होने अपने अपार बल से संसार को बल दिया है और प्राणी मात्र के अन्दर खून के रूप मे बहकर उसे जीवन दिया है।
बोली भाषा और आपसी मिलने जुलने के कारणो को प्रदान करने वाले भगवान बुद्ध को प्रणाम करता हूँ जो सूर्य यानी समाज बल नाम बल परिवार बल पिता और पुत्र के आपसी सहयोग को कायम रखने के लिये अपनी शक्ति से सम्पर्क मे रखते है पहिचान करवाने के लिये अपनी योग्यता को प्राणीमात्र मे देते है।
आने जाने वाली सांसो के कारक तथा जीव को जिन्दा अवस्था को देने वाले भगवान बहस्पति को कोटि नमन है जो प्रत्येक जीव को प्राण वायु देकर अपनी जीवन शक्ति को प्रदान करते है,इनके द्वारा आपसी रिस्तो को कायम रखना तथा एक दूसरे के प्रति धर्म और जीवन की उन्नति के प्रति सोच को देना दया और एकात्मक जोडने के लिये हमेशा अपनी शक्ति को प्रदान करते रहते है,देखने से दिखाई नही देते लेकिन हर जीवित प्राणी मे अपनी अवस्था को समझाने वाले है।
भौतिक अवस्था मे जो भी वस्तु दिखाई देती है वह जिन्दा है या मृत है जड है या चेतन है सभी के अन्दर सुन्दरता का आभास देने वाले प्राणी मात्र के अन्दर जीव के विकास के कारण भगवान शुक्र को शत शत नमन है जो अपने अनुसार जीव को भौतिकता के लोभ मे संसार के अन्दर बदलाव को प्रदान कर रहे है,भौतिकता मे अधिकता देने के कारण प्राणी मात्र के अन्दर लोभ की भावना को देकर एकोऽहम की धारणा उत्पन्न कर रहे है जो स्वार्थ के कारक है और अपनी स्वार्थ की भावना से पूर्ण होने पर अपना मार्ग प्राणी को अलग से चलने के लिये बाध्य करते है उन शुक्र देव को कोटि कोटि प्रणाम है।
सभी रंगो को अपने अन्दर समाकर काले रूप मे दिखाई देने वाले जीवमात्र को निवास के लिये घर पेट भरने के लिये कार्य तथा शरीर और भौतिक कारणो की सुरक्षा के लिये चाक चौबन्द श्री शनि देव को मेरा कोटि कोटि प्रणाम है जो भैरो के रूप मे सहायता भी करते है और लोगो को उतना ही काम करने को देते है जितने काम को करने के लिये उनका जन्म हुआ है।
जीत को हार मे बदलने वाले तथा अपमान को मान मे बदलने वाले अक्समात ही कायापलट करने वाले श्री राहु देव को मेरा बारम्बार का प्रणाम है।
दूसरो को भरा पूरा करवाने वाले अपने स्थान को खाली रखने वाले तथा दुनिया के सभी कारणो का केन्द्र बिन्दु बनकर आशंकाओ की परिधि को लगातार बढाकर जीव की गति को एक से अनेक बनाने के लिये जीव को जीव की सहायता के लिये बल प्रदान करने वाले भगवान केतु देव को बारम्बार प्रणाम है।
सबसे पहले उस चन्द्रमा रूपी माता को प्रणाम करता हूँ जो अपने दिल मे दया की हिलोरे लेकर जीव जगत को उत्पन्न करती है और उसे अपने स्वभाव के अनुसार नाम देती है।
जगत नियन्ता जीव की आत्मा के स्वामी सूर्य जो अपनी ऊष्मा और अपनी रोशनी से जगत को शक्ति प्रदान करते है तथा पिता और पुत्र के रूप मे अपनी गरिमा को कायम रखते है को शत शत प्रणाम करता हूँ।
खून मे शक्ति देकर जीवन को निरोगी बनाने मे और बल को देने के बाद कार्य क्षमता को बढाने के बाद जीवन की तरक्की के मार्ग को प्रसस्त करने वाले मंगल देवता को शत शत नमन करता हूँ जिन्होने अपने अपार बल से संसार को बल दिया है और प्राणी मात्र के अन्दर खून के रूप मे बहकर उसे जीवन दिया है।
बोली भाषा और आपसी मिलने जुलने के कारणो को प्रदान करने वाले भगवान बुद्ध को प्रणाम करता हूँ जो सूर्य यानी समाज बल नाम बल परिवार बल पिता और पुत्र के आपसी सहयोग को कायम रखने के लिये अपनी शक्ति से सम्पर्क मे रखते है पहिचान करवाने के लिये अपनी योग्यता को प्राणीमात्र मे देते है।
आने जाने वाली सांसो के कारक तथा जीव को जिन्दा अवस्था को देने वाले भगवान बहस्पति को कोटि नमन है जो प्रत्येक जीव को प्राण वायु देकर अपनी जीवन शक्ति को प्रदान करते है,इनके द्वारा आपसी रिस्तो को कायम रखना तथा एक दूसरे के प्रति धर्म और जीवन की उन्नति के प्रति सोच को देना दया और एकात्मक जोडने के लिये हमेशा अपनी शक्ति को प्रदान करते रहते है,देखने से दिखाई नही देते लेकिन हर जीवित प्राणी मे अपनी अवस्था को समझाने वाले है।
भौतिक अवस्था मे जो भी वस्तु दिखाई देती है वह जिन्दा है या मृत है जड है या चेतन है सभी के अन्दर सुन्दरता का आभास देने वाले प्राणी मात्र के अन्दर जीव के विकास के कारण भगवान शुक्र को शत शत नमन है जो अपने अनुसार जीव को भौतिकता के लोभ मे संसार के अन्दर बदलाव को प्रदान कर रहे है,भौतिकता मे अधिकता देने के कारण प्राणी मात्र के अन्दर लोभ की भावना को देकर एकोऽहम की धारणा उत्पन्न कर रहे है जो स्वार्थ के कारक है और अपनी स्वार्थ की भावना से पूर्ण होने पर अपना मार्ग प्राणी को अलग से चलने के लिये बाध्य करते है उन शुक्र देव को कोटि कोटि प्रणाम है।
सभी रंगो को अपने अन्दर समाकर काले रूप मे दिखाई देने वाले जीवमात्र को निवास के लिये घर पेट भरने के लिये कार्य तथा शरीर और भौतिक कारणो की सुरक्षा के लिये चाक चौबन्द श्री शनि देव को मेरा कोटि कोटि प्रणाम है जो भैरो के रूप मे सहायता भी करते है और लोगो को उतना ही काम करने को देते है जितने काम को करने के लिये उनका जन्म हुआ है।
जीत को हार मे बदलने वाले तथा अपमान को मान मे बदलने वाले अक्समात ही कायापलट करने वाले श्री राहु देव को मेरा बारम्बार का प्रणाम है।
दूसरो को भरा पूरा करवाने वाले अपने स्थान को खाली रखने वाले तथा दुनिया के सभी कारणो का केन्द्र बिन्दु बनकर आशंकाओ की परिधि को लगातार बढाकर जीव की गति को एक से अनेक बनाने के लिये जीव को जीव की सहायता के लिये बल प्रदान करने वाले भगवान केतु देव को बारम्बार प्रणाम है।