कुंडली से जन्म लगन चन्द्र लगन सूर्य लगन घटी लगन दशमांश आदि से कार्य के बारे मे खोजबीन ज्योतिष से की जाती है। किसी कारणवश अगर जन्म समय मे कोई अन्तर होता है तो किसी प्रकार से भी कार्य के प्रति धारणा नही बन पाती है और परिणाम मे ज्योतिष को भी बदनाम होना पडता है और काम भी नही होता है। ज्योतिष मे नाम को प्रकृति रखती है जरूरी नही है कि नाम चन्द्र राशि से ही रखा जाये,कभी कभी घर वाले और कभी कभी बाहर वाले भी नाम रख देते है और नाम प्रचलित होकर चलने लगता है कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि नाम को खुद के द्वारा भी रखा जाता है। नाम मे जितने अक्षर होते है उन अक्षर और मात्रा के अनुसार व्यक्ति के बारे मे सोचा जा सकता है इसके लिये किसी प्रकार की जन्म तारीख समय आदि की जरूरत नही पडती है। नाम का पहला अक्षर व्यक्ति की मानसिकता के बारे मे अपनी भावना को व्यक्त करता है और नाम का दूसरा तीसरा चौथा पांचवा अक्षर व्यक्ति के कार्य के बारे मे अपनी भावना को प्रस्तुत करते है तथा नाम का आखिरी अक्षर व्यक्ति के आखिरी समय की गति की भावना को प्रस्तुत करता है।
नाम का पहला अक्षर
नाम का पहला अक्षर व्यक्ति की भावना को प्रस्तुत करता है व्यक्ति का स्वभाव भी भावना से जुडा होता है। व्यक्ति की शिक्षा का प्रभाव भी नाम के पहले अक्षर से जुडा होता है व्यक्ति के बारे मे परिवार के सदस्यों की गिनती के बारे मे परिवार के प्रति व्यक्ति की सोच आदि भी नाम के पहले अक्षर से जुडे होते है।
नाम का दूसरा अक्षर
नाम का दूसरा अक्षर व्यक्ति के कार्य व्यक्ति की शिक्षा के प्रति सोची गयी धारणा तथा शिक्षा की पूर्णता और कार्य के प्रति सोच रखना कार्य को करना आदि नाम के दूसरे अक्षर से देखी जा सकती है। व्यक्ति का व्यवहार भी नाम के दूसरे अक्षर से समझा जा सकता है नाम के दूसरे अक्षर से व्यक्ति के पिता दादा आदि के कार्य और उनके सामाजिक रहन सहन को भी देखा जा सकता है। व्यक्ति जीवन मे सच्चाई से चलने वाला है या फ़रेब आदि से जीवन को बिताने वाला है यह भी नाम के दूसरे अक्षर से देखा जा सकता है।
नाम का तीसरा या अन्तिम अक्षर
जब व्यक्ति जीवन की जद्दोजहद से गुजरता है तो वह अपने लिये अन्तिम समय के लिये गति को प्राप्त करने के लिये अपने कार्य व्यवहार आदि को करता है। नाम का आखिरी अक्षर हमेशा व्यक्ति की अन्तिम गति को बताता है यही नही व्यक्ति के आगे की सन्तति को भी नाम का तीसरा अक्षर प्रस्तुत करता है। नाम का पहला और आखिरी अक्षर वंश वृक्ष के प्रति भी प्रस्तुत करता है अर्थात व्यक्ति अपने जीवन मे दूसरो के लिये पैदा हुआ है या अपने द्वारा पैदा की गयी संतति के लिये अपने कामो को करेगा। व्यक्ति का मरने के बाद नाम होगा या बदनाम होगा आदि भी नाम के पहले और आखिरी अक्षर से समझा जा सकता है इसी प्रकार से व्यक्ति के जीवन साथी के बारे मे भी नाम के पहले और दूसरे अक्षर को मिलाकर समझा जा सकता है।
नाम की मात्रायें
मात्रा शब्द ही तीन दैविक शक्तियों के प्रति अपनी धारणा को प्रस्तुत करता है। मात्रय से मात्रा शब्द की उत्पत्ति होती है। लक्ष्मी काली और सरस्वती की शक्तियों से पूर्ण ही मात्राओं की शक्ति को वैदिक काल से प्रस्तुत किया गया है। उदाहरण के लिये आ की मात्रा व्यक्ति के थल भाग की शक्ति के लिये अपनी स्थिति को प्रस्तुत करता है ई की मात्रा थल या जल के पाताली प्रभाव को प्रस्तुत करने वाला होता है,ओ की मात्रा आसमानी शक्ति की स्थिति को प्रस्तुत करता है। जल और थल भाग की सतही भाग की देवी लक्ष्मी को माना गया है थल या जल के पाताल के प्रभाव को समझने के लिये काली देवी की शक्ति को प्रस्तुत किया गया है आसमानी शक्ति के लिये सरस्वती की मान्यता को प्रस्तुत किया गया है। अलावा मात्राओ को इन्ही तीन मात्राओं आ ई और ओ के साथ मिश्रण से मिलाकर प्रस्तुत किया जाता है।
उदाहरण
संसार की किसी भी भाषा से बनाये गये नाम अपने अपने अनुसार व्यक्ति की जिन्दगी को बताने मे सहायक होते है। लेकिन धारणा को हिन्दी के अक्षरो और मात्राओं के अनुसार ही समझा जा सकता है। इसके साथ ही जलवायु स्थान देश काल की गति को भी नाम के अनुसार ही समझा जा सकता है। कुछ नामो के उदाहरण इस प्रकार से प्रस्तुत है :-
राम
राम शब्द दो अक्षरो से जुडा है,अक्षर र मानवीय शरीर से जुडा है तुला राशि का अक्षर है और शरीर मे स्त्री और पुरुष दोनो के अंगो की स्थिति को बताने के लिये विवाह और जीवन को साथ साथ चलाने वाले जीवन साथी के कारण ही जीवन को बढाने और घटाने के लिये इस अक्षर का प्रयोग किया जाता है आ की मात्रा लगने के कारण थल और जल की शक्ति को सतही रूप मे प्रकट करने के लिये माना जा सकता है। आखिरी अक्षर म सिंह राशि का है और राज्य विद्या सम्मान सन्तान बुद्ध परिवार के प्रति आपनी धारणा को रखने के लिये माना जा सकता है। राम शब्द की मिश्रित रूप पुरुष सिंह के रूप मे भी जाना जा सकता है। इसी बात को समझकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम और लक्षमण के लिये दोहा लिखा था - "पुरुष सिंह दोउ वीर",अर्थात शेर के समान अपनी शक्ति को रखने वाले दोनो पुरुष रूपी अक्षर रा और म है । जिन लोगो ने राम के जीवन को पढा है उन्हे पता है कि राजकुल मे ही राम का जन्म हुआ था शरीर शक्ति के कारणो मे उनकी शक्ति अपार थी बडे बडे काम उन्होने शरीर शक्ति को प्रयोग करने के बाद ही किये थे,तुला और मेष के मिश्रण से अक्षर रा का रूप योधा के रूप मे र अक्षर का रूप किसी भी काम के अन्दर बेलेन्स करने के लिये तथा अक्षर र के प्रभाव से तुला राशि का रूप लेकर सीता जी से विवाह और विवाह के बाद सीता हरण तथा रावण वध आदि बाते समझी जा सकती है।
रावण
रा अक्षर राम की तरह ही वीरता को प्रस्तुत करता है लेकिन अक्षर व भौतिकता और धन सम्पत्ति तथा वैभव के प्रति अपनी धारणा को व्यक्ति करता है,व अक्षर वृष राशि का है जो केवल धन सम्पत्ति खुद के द्वारा निर्माण किये गये कुटुम्ब परिवार की पहिचान खाने पीने के कारण बोली जाने वाली भाषा और चेहरे की पहिचान के लिये जानी जाती है उसी प्रकार से अक्षर ण वृश्चिक राशि का है जो पराशक्तियों जमीनी कारणो पंचमकारात्मक प्रयोग जासूसी चिकित्सा शरीर के बल का गुप्त रूप से प्रयोग करने वाली कला बोली जाने वाली भाषा मे तीखी भाषा का प्रयोग करना गुप्त रूप से मृत्यु सम्बन्धी कारण प्रस्तुत करना शमशानी शक्तियों का सहारा लेना धरती के दक्षिण पश्चिम दिशा मे निवास करना आदि बातो को माना जा सकता है। रावण के जीवन के प्रति रामायण आदि ग्रंथो मे केवल अपने परिवार आदि के लिये ही जीवन को गुजारना स्त्री सम्बन्धो को सामने लाकर अपनी मौत को बुलावा देना और गुप्त शक्तियों का बुद्धि के प्रभाव से राम के द्वारा समाप्त कर देना आदि बाते देखी जा सकती है।
नाम का पहला अक्षर
नाम का पहला अक्षर व्यक्ति की भावना को प्रस्तुत करता है व्यक्ति का स्वभाव भी भावना से जुडा होता है। व्यक्ति की शिक्षा का प्रभाव भी नाम के पहले अक्षर से जुडा होता है व्यक्ति के बारे मे परिवार के सदस्यों की गिनती के बारे मे परिवार के प्रति व्यक्ति की सोच आदि भी नाम के पहले अक्षर से जुडे होते है।
नाम का दूसरा अक्षर
नाम का दूसरा अक्षर व्यक्ति के कार्य व्यक्ति की शिक्षा के प्रति सोची गयी धारणा तथा शिक्षा की पूर्णता और कार्य के प्रति सोच रखना कार्य को करना आदि नाम के दूसरे अक्षर से देखी जा सकती है। व्यक्ति का व्यवहार भी नाम के दूसरे अक्षर से समझा जा सकता है नाम के दूसरे अक्षर से व्यक्ति के पिता दादा आदि के कार्य और उनके सामाजिक रहन सहन को भी देखा जा सकता है। व्यक्ति जीवन मे सच्चाई से चलने वाला है या फ़रेब आदि से जीवन को बिताने वाला है यह भी नाम के दूसरे अक्षर से देखा जा सकता है।
नाम का तीसरा या अन्तिम अक्षर
जब व्यक्ति जीवन की जद्दोजहद से गुजरता है तो वह अपने लिये अन्तिम समय के लिये गति को प्राप्त करने के लिये अपने कार्य व्यवहार आदि को करता है। नाम का आखिरी अक्षर हमेशा व्यक्ति की अन्तिम गति को बताता है यही नही व्यक्ति के आगे की सन्तति को भी नाम का तीसरा अक्षर प्रस्तुत करता है। नाम का पहला और आखिरी अक्षर वंश वृक्ष के प्रति भी प्रस्तुत करता है अर्थात व्यक्ति अपने जीवन मे दूसरो के लिये पैदा हुआ है या अपने द्वारा पैदा की गयी संतति के लिये अपने कामो को करेगा। व्यक्ति का मरने के बाद नाम होगा या बदनाम होगा आदि भी नाम के पहले और आखिरी अक्षर से समझा जा सकता है इसी प्रकार से व्यक्ति के जीवन साथी के बारे मे भी नाम के पहले और दूसरे अक्षर को मिलाकर समझा जा सकता है।
नाम की मात्रायें
मात्रा शब्द ही तीन दैविक शक्तियों के प्रति अपनी धारणा को प्रस्तुत करता है। मात्रय से मात्रा शब्द की उत्पत्ति होती है। लक्ष्मी काली और सरस्वती की शक्तियों से पूर्ण ही मात्राओं की शक्ति को वैदिक काल से प्रस्तुत किया गया है। उदाहरण के लिये आ की मात्रा व्यक्ति के थल भाग की शक्ति के लिये अपनी स्थिति को प्रस्तुत करता है ई की मात्रा थल या जल के पाताली प्रभाव को प्रस्तुत करने वाला होता है,ओ की मात्रा आसमानी शक्ति की स्थिति को प्रस्तुत करता है। जल और थल भाग की सतही भाग की देवी लक्ष्मी को माना गया है थल या जल के पाताल के प्रभाव को समझने के लिये काली देवी की शक्ति को प्रस्तुत किया गया है आसमानी शक्ति के लिये सरस्वती की मान्यता को प्रस्तुत किया गया है। अलावा मात्राओ को इन्ही तीन मात्राओं आ ई और ओ के साथ मिश्रण से मिलाकर प्रस्तुत किया जाता है।
उदाहरण
संसार की किसी भी भाषा से बनाये गये नाम अपने अपने अनुसार व्यक्ति की जिन्दगी को बताने मे सहायक होते है। लेकिन धारणा को हिन्दी के अक्षरो और मात्राओं के अनुसार ही समझा जा सकता है। इसके साथ ही जलवायु स्थान देश काल की गति को भी नाम के अनुसार ही समझा जा सकता है। कुछ नामो के उदाहरण इस प्रकार से प्रस्तुत है :-
राम
राम शब्द दो अक्षरो से जुडा है,अक्षर र मानवीय शरीर से जुडा है तुला राशि का अक्षर है और शरीर मे स्त्री और पुरुष दोनो के अंगो की स्थिति को बताने के लिये विवाह और जीवन को साथ साथ चलाने वाले जीवन साथी के कारण ही जीवन को बढाने और घटाने के लिये इस अक्षर का प्रयोग किया जाता है आ की मात्रा लगने के कारण थल और जल की शक्ति को सतही रूप मे प्रकट करने के लिये माना जा सकता है। आखिरी अक्षर म सिंह राशि का है और राज्य विद्या सम्मान सन्तान बुद्ध परिवार के प्रति आपनी धारणा को रखने के लिये माना जा सकता है। राम शब्द की मिश्रित रूप पुरुष सिंह के रूप मे भी जाना जा सकता है। इसी बात को समझकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम और लक्षमण के लिये दोहा लिखा था - "पुरुष सिंह दोउ वीर",अर्थात शेर के समान अपनी शक्ति को रखने वाले दोनो पुरुष रूपी अक्षर रा और म है । जिन लोगो ने राम के जीवन को पढा है उन्हे पता है कि राजकुल मे ही राम का जन्म हुआ था शरीर शक्ति के कारणो मे उनकी शक्ति अपार थी बडे बडे काम उन्होने शरीर शक्ति को प्रयोग करने के बाद ही किये थे,तुला और मेष के मिश्रण से अक्षर रा का रूप योधा के रूप मे र अक्षर का रूप किसी भी काम के अन्दर बेलेन्स करने के लिये तथा अक्षर र के प्रभाव से तुला राशि का रूप लेकर सीता जी से विवाह और विवाह के बाद सीता हरण तथा रावण वध आदि बाते समझी जा सकती है।
रावण
रा अक्षर राम की तरह ही वीरता को प्रस्तुत करता है लेकिन अक्षर व भौतिकता और धन सम्पत्ति तथा वैभव के प्रति अपनी धारणा को व्यक्ति करता है,व अक्षर वृष राशि का है जो केवल धन सम्पत्ति खुद के द्वारा निर्माण किये गये कुटुम्ब परिवार की पहिचान खाने पीने के कारण बोली जाने वाली भाषा और चेहरे की पहिचान के लिये जानी जाती है उसी प्रकार से अक्षर ण वृश्चिक राशि का है जो पराशक्तियों जमीनी कारणो पंचमकारात्मक प्रयोग जासूसी चिकित्सा शरीर के बल का गुप्त रूप से प्रयोग करने वाली कला बोली जाने वाली भाषा मे तीखी भाषा का प्रयोग करना गुप्त रूप से मृत्यु सम्बन्धी कारण प्रस्तुत करना शमशानी शक्तियों का सहारा लेना धरती के दक्षिण पश्चिम दिशा मे निवास करना आदि बातो को माना जा सकता है। रावण के जीवन के प्रति रामायण आदि ग्रंथो मे केवल अपने परिवार आदि के लिये ही जीवन को गुजारना स्त्री सम्बन्धो को सामने लाकर अपनी मौत को बुलावा देना और गुप्त शक्तियों का बुद्धि के प्रभाव से राम के द्वारा समाप्त कर देना आदि बाते देखी जा सकती है।