Monday, April 15, 2013

कैसे देखते है,ग्रह एक दूसरे को ?

लगन आदि स्थानो के बारे मे पहले ही लिख चुका हूँ भावानुसार जन्म के ग्रह एक दूसरे को किस प्रकार से देखते है और उनके आपसी सम्बन्ध किस प्रकार का प्रभाव जीवन मे देते है इसके बाद गोचर के ग्रह भी जन्म के ग्रह को और जन्म के ग्रह गोचर के ग्रह को कैसा प्रभाव देते है इस बात को समझाने के लिये प्रस्तुत कुंडली की विवेचना कर रहा हूँ आप लोगों ने जिस प्रकार से मेरी बेवसाइट को प्रयोग किया है और हमारे ब्लाग पसन्द किये है उसके लिये आप लोगों का आभारी हूँ,पाठको की हिम्मत देने वाली बाते केवल तभी मालुम चलती है जब पाठक अपने अच्छे और बुरे दोनो प्रकार के कारण प्रस्तुत करते है,अन्यथा मै भी हाड मांस से बना एक साधारण मनुष्य ही हूँ।
सहायता करना अच्छी बात है सहायता से पता चल जाता है कि दुनिया मे इंसानियत जिन्दा है और लोगो के अन्दर मानवीय व्यवहार करने का प्रयास जारी है.कई बार कार्य क्षेत्र के लोग घर की सहायता करने मे और घर के अन्दर चलने वाले शक या भ्रम वाले कारण दूर करने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग सहायता के रूप मे करते है। सहायता वही कर सकता है जो केतु ग्रह से युक्त होता है केतु दुनियावी कुत्ते के रूप मे माना जाता है जिसे लालकिताब मे भी बहुत ही रोचक स्थिति से नवाजा गया है। कहते है बहिन के घर भाई,ससुराल  मे जंवाई और मामा के घर भानजा,यह इंसानी रूप मे केवल आदेश से काम करने वाले होते है और यह अपने दिमाग का प्रयोग नही कर सकते है। जितना कहा जाये उतना करने पर ही इनकी औकात होती है और अगर अपने दिमाग से काम करना इन्हे बता दिया जाये तो केवल उन्ही कामो को कर सकते है जो पहले से इन्हे बताया गया है। दुनियावी समझ इनके अन्दर नही होती है। केतु को केन्द्र भी कहा जाता है,राहु फ़ैलाव देता है तो केतु उसका केन्द्र होता है। इस कुंडली मे केतु की स्थिति दसवे भाव मे है तो कार्य क्षेत्र जो जीवन के प्रति किया जाता है वह इस केतु के जिम्मे डाला गया है,यह केतु कुम्भ राशि मे होने के कारण और कुम्भ राशि का स्वामी कहने को तो शनि लेकिन वास्तविकता मे यूरेनस के होने से संचार कमन्यूकेशन सन्देशे पहुंचाने वाला और इधर की बात उधर करने वाला आदि कार्य करने के लिये अपनी योग्यता को प्रदान कर व्यक्ति से इसी प्रकार के काम भी करवाता है और दोस्त बडे भाई और बडे भाई बहिन मामा का लडका आदि के रूप मे पारिवारिक स्थिति को भी सम्भालने का काम करता है। यह स्थिति केवल पहले से सीखे गये या बताये गये कामो पर ही निर्भर करता है केतु का यह रूप अक्सर सरकारी कामो के लिये फ़ाइलो के अम्बार को देखने वाला भी हो सकता है राहु की परिधि चौथे भाव मे होने से सरकारी रूप से जनता के लिये किये जाने वाले कामो के लिये भी माना जा सकता है,सरकारी रूप से जनता के लिये प्राथमिक शिक्षा के लिये लिये किये जाने वाले कामो से भी माना जाता है और साले भांजे मामा आदि के लिये दूध का व्यवसाय या पानी आदि के क्षेत्र मे काम करना भी माना जाता है वैसे दसवे भाव का कुम्भ राशि का केतु सरकारी शिक्षा मे मास्टरी करने का मतलब भी देता है। इस केतु पर अष्टम शनि और गुरु की नजर होने से यह केतु न्याय सम्बन्धी बचत और बीमा वाले धन के प्रति कानूनी रूप से धन आदि को सम्भालने और कानूनी रूप से लोगो के प्रति कमन्यूकेशन के प्रति इन्टरनेट बेवसाइट आदि के प्रति नजर रखने और बनाने बिगाडने का काम भी कर सकता है जो लोग धर्म और न्याय के प्रति गुप्त काम करते है आने जाने विदेश आदि से अपना सम्बन्ध रखने के बाद न्याय के विपरीत काम करते है सरकारी रूप से टेक्स आदि के प्रति चोरी और कानूनी रूप से छल करने की कोशिश करते है यह केतु उनकी पहिचान भी करने मे सहायता करता है और जनता के प्रति फ़ैले भ्रम को भी दूर करने की कोशिश करता है। वैसे गुरु केतु के आपसी सामजस्य को समझने के बाद एक बात और भी देखी जाती है कि केतु इस भाव मे रहकर व्यक्ति को तैराक भी बना देता है और खेल कूद मे नाम भी देने के लिये अपनी शक्ति को प्रदान करता है,इसके अलावा मनोरंजन के क्षेत्र मे भी अपना नाम करता है। जैसे एक हीरो कई फ़िल्म बनाकर अपना नाम कर जाता है वैसे इस क्षेत्र का केतु नाटक करने और नाटकीय काम करने मे भी उस्ताद माना जाता है। कई बार देखा होगा कि कोई व्यक्ति गाली देने मे उस्ताद होता है तो किसी किसी को केवल ठोकने पीटने मे ही मजा आता है मिथुन का मंगल अक्सर बजाय बोलने के ठोकने का काम अधिक करता है उसे बोलना कम आता है केवल उसे ठोकने से मतलब होता है वह ठोकना चाहे बोलने की भाषा मे हो वह भावुकता को समझकर उस भावुकता की भाषा को इस प्रकार से प्रकट करता है जैसे कि वह बजाय बोलने के गिन गिन कर मार रहा हो। यह बात जब भावुकता से जुडती है तो चन्द्र मंगल की युति को मिथुन राशि मे होना देखा जाता है इसके बाद एक बात और भी देखी जाती है कि मिथुन का मंगल माता की छोटी बहिन के पति की बहिन तब बन जाता है जब इस मंगल का साथ देने के लिये चन्द्रमा भी मिथुन राशि मे होता है। लेकिन मिथुन राशि अगर कुंडली मे दूसरे भाव मे होती है तो व्यक्ति ठंडी और गरम दोनो प्रकार की मिली जुली बात को करता है वह एक स्थान पर कतई टिकने वाला नही होता है। वह एक दम तो नकारात्मक बोलना शुरु कर देगा और एक दम सकारात्मक होकर गरम होकर बोलना शुरु कर देगा। यह बात पराक्रम के लिये भी सोची जा सकती है। धन की राशि मे मंगल और चन्द्र के मिथुन राशि मे होने के कारण शुक्र का प्रभाव अधिक होने से व्यक्ति के अन्दर उन स्त्रियों से पारिवारिक सम्बन्ध भी बन जाते है जो कम से कम अपने घर परिवार और रिस्तो से कटु अनुभवों को सहती रहती है। यह केतु उन स्त्रियों के साथ मित्रता का व्यवहार करता है और जब इस केतु को किसी प्रकार की रक्षा वाली स्थिति का मुकाबला करना होता है तो बुजुर्ग स्त्रियां जो खरे स्वभाव की होती है वे इस केतु की सहायता के लिये सामने आजाती है। कुम्भ राशि मे केतु के रहने से केतु जमीन से जुडा रहता है लेकिन मीन राशि मे केतु के जाते ही वह आसमान मे उडने के लिये या जमीन से सम्बन्धो का समाप्त होना भी माना जाता है जैसे कम्पयूटर की वायरिंग अगर जमीन तक सीमित है तो वह कुम्भ राशि तक अपना प्रभाव तारो से रखेगी और वह अगर मीन राशि मे चली जाती है तो कम्पयूटर का संचार क्षेत्र डाटा कार्ड और ब्लूटूथ जैसे कारको से केतु के प्रति अपना रूप बदल देगा। इस केतु का रूप अगर सही मायने मे देखा जायेगा तो नगद धन की प्राप्ति के लिये और लोगो की सेवा वाले कामो से ही सम्बन्ध रख सकता है यह किसी प्रकार के व्यवसाय मे केवल सफ़ल तभी हो सकता है जब यह राहु की परिधि को कार्य वाले केतु के केन्द्र से जोड कर रखता है।
राहु केतु का एक नियम और होता है कि इनकी चाल उल्टी होने के कारण यह अपने से बारहवे भाव से लेकर अपने से दूसरे भाव को प्रदान करते है,अगर केतु नवे भाव मे है तो वह आठवे भाव के सभी साधनो को चाहे वह मौत से सम्बन्धित हो या जासूसी से सम्बन्धित हो या दलाली के हो या फ़िर कानूनी रूप से गुप्त भेदो को अपमान मौत जान जोखिम विदेशी कारणो से सम्बन्धित हो सभी का रूप लेकर कार्य भाव को प्रदान कर देगा।
इसी नियम के अनुसार एक बात अलावा ग्रह अपने से दूसरे भाव से लेकर बारहवे भाव को प्रदान करते है जैसे इस कुंडली मे विराजमान सप्तम का शुक्र जातक की पत्नी भाव मे है और यह शुक्र अष्टम गुरु यानी बीमा बचत विदेश ताऊ खानदान गुप्त भेद जो न्याय ज्योतिष आदि से सम्बन्धित होते है उन्हे प्राप्त करने के बाद छठे भाव के सूर्य यानी पत्नी की आंखो की बीमारिया पैरो की हड्डियों की बीमारिया नौकरी आदि के लिये दी जाने वाली रिस्वत कानूनी सहायता के द्वारा सरकारी क्षेत्र से प्राप्त धन आदि को प्रदान करने का काम करेगा.यह बात रत्नो से भी जुडी हो सकती है प्राचीन धर्म स्थानो से भी जुडी हो सकती है खुद के द्वारा न्याय आदि के कामो मे दलाली करने से भी जुडी हो सकती है। यह शुक्र जब भी कोई ग्रह इस कुंडली के बारहवे भाव मे गोचर करेगा तो उसके बारे मे कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि निकालने की क्रिया को करने लगेगा जैसे ही कोई शुक्र के अष्टम मे गोचर करेगा उसके अपमान मौत गुप्त भेद आदि निकालने का काम करने लगेगा जिसे आज की भाषा मे तकनीक भी कहा जाता है इंजीनियरिंग भी कहा जाता है। जब भी कोई ग्रह इस शुक्र के चौथे भाव मे जायेगा तो वह मानसिक रूप से अपने प्रभाव को प्रस्तुत करने लगेगा और कमन्यूकेशन और अन्य साधनो से लोगो की खुद के व्यवसाय के रूप मे सहायता करने लगेगा.
इस प्रकार की बातो से समझा जा सकता है कि ग्रह कैसे एक दूसरे के प्रति अपनी भावना को भी रखते है और अपनी भावना को प्रसारित करने के लिये कैसे कैसे नियम सामने रखते है.

Sunday, April 7, 2013

कानूनी चक्कर और बचाव

कानून दो प्रकार के होते है एक तो प्रकृति का कानून जिसे प्रकृति खुद बनाती बिगाडती है दूसरा इंसानी कानून जो इंसान खुद के बचाव और रक्षा के लिये बनाता है। प्रकृति का कानून सर्वोपरि है। प्रकृति को जो दंड देना है या बचाव करना वह स्वयं अपना निर्णय लेती है। अंत गति सो मति कहावत के अनुसार जीव उन कार्यों के लिये अपनी बुद्धि को बनाता चला जाता है जो उसे अंत समय मे खुद के अनुसार प्राप्त हों। कानून के अनुसार भी जीव को तीन तरह की सजाये दी जाती है पहली सजा मानसिक होती है जो व्यक्ति खुद के अन्दर ही अन्दर रहकर सोचता रहता है और वह अपने शरीर मन और दैनिक जीवन को बरबाद करता रहता है दूसरी सजा शारीरिक होती है जो प्रकृति के अनुसार गल्ती करने पर मिलती है और उस गल्ती की एवज मे अपंग हो जाना पागल हो जाना भ्रम मे आकर अपने सभी व्यक्तिगत कारको का त्याग कर देना और तीसरी सजा होती है जो हर किसी को नही मिलती है वह शारीरिक मानसिक और कार्य रूप से बन्धन मे डाल देना,इसे आज की भाषा मे जेल होना भी कहा जाता है। बन्धन योग के लिये एक बात और भी कही जाती है कि व्यक्ति अगर खुद को एक स्थान मे पैक कर लेता है या कोई सामाजिक पारिवारिक कारण सामने होता है वह अपनी इज्जत मान मर्यादा या लोगो की नजरो से बचाव के लिये अपना खुद का रास्ता एकान्त मे चुनता है तो वह भी स्वबन्धन योग की सीमा मे आजाता है। उपरोक्त कुंडली देश के एक जाने माने कलाकार और राजनीतिज्ञ की है महत्वपूर्ण व्यक्ति होने के कारण कहा जाये तो गुरु जो बारहवे भाव मे बैठ कर एक प्रकार से "खुदा महरबान तो गधा पहलवान" वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। गुरु शनि के प्रति अपनी शक्ति प्रदान करने बाद बुद्धि को प्रखर बना रहा है और वाणी के स्थान मे शनि के वक्री होने के कारण तथा वाणी के कारक बुध का भाग्य मे वक्री होने के कारण उल्टा बोलना भी एक प्रकार से इस व्यक्ति को आगे से आगे रास्ता देने के लिये माना जाता है। लगनेश राज्य भाव मे है और इनके साथ शुक्र होने के कारण एक तो राज्य की सीमा मे प्रवेश करवाते है और दूसरे एक्टिंग के क्षेत्र मे अपनी प्रसिद्धि देते है। शनि वक्री के साथ नवम पंचम का योग होने के कारण जो भी काम होते है वह बुद्धि से जुडे होते है,लेकिन एक बात और भी देखी जाती है कि चन्द्रमा जो सलाहकार के रूप मे सप्तम मे है और भाग्य का मालिक भी है कभी कभी इस व्यक्ति के साथ छल करने का काम करता है आप समझ गये होगे कि इस व्यक्ति के साथ दो बार विवाह के प्रति छल हुआ और इसी प्रकार से यह व्यक्ति भावुकता के वश मे होकर खुद को उतना आगे नही कर पाया जितना इसे किया जाना था। केतु जो इस व्यक्ति को मनोरंजन और राज्य के प्रति सर्वोच्च ऊंचाइयों मे ले जाता है वह जब पिछले समय मे सूर्य और वक्री बुध के साथ था तो देश के गणमान्य व्यक्तियों मे नाम दिया लेकिन शुक्र मंगल के साथ होने पर तथा जन्म के केतु और गोचर के केतु के बीच मे षडाष्टक योग होने के कारण और इसके द्वारा आगे प्राप्त पद के लिये अन्दरूनी दुश्मनी होने के कारण कानूनी जाल मे फ़ंसाने का क्रम भी इसी मंगल ने किया। कहा जाता है कि मंगल दो प्रकार का होता है एक नेक मंगल जो मकर राशि मे हो और खुद के निर्णय को लेने मे समर्थ हो हर काम को नेक तरीके से करता जाये और दूसरा होता है बद मंगल जिन्होने लाल किताब का अध्ययन किया है उन्हे वास्तविक रूप से पता होगा कि मंगल का बद होना तभी मुनासिब होता है जब वह शुक्र के साथ हो बुध के साथ हो या शनि राहु केतु की सीमा मे अपना दखल दे रहा हो। यह मंगल शुक्र के साथ होने से बद मंगल की श्रेणी मे आजाता है और इस मंगल के लिये उच्च भाव मे होने के बाद भी अपनी शुक्र की नीति से तकनीकी मनोरंजन के साथ साथ तकनीकी राजनीति का कारण भी पैदा कर देता है।
राहु इस मंगल के आगे होने के कारण चल कर आफ़त पालने के लिये भी माना जाता है,लेकिन कन्या राशि का होने के कारण और पंचम केतु के साथ साथ वक्री शनि से देखे जाने के कारण अचानक सहायता मे भी आजाता है और जो घटना या कारण इसके लिये एक प्रकार से समाप्त करने का कारण पैदा करती है वही घटना या कारण अक्समात बचाव करने के बाद प्रसिद्धि देने के लिये भी बन जाता है। इस राहु को मंगल और शुक्र की युति प्राप्त होने के कारण या राहु से बारहवे भाव मे मंगल शुक्र होने के कारण राहु खुद को समाप्त करने के बाद प्रसिद्धि देता है। यह बात आप लोगो को याद होगी जब इनकी पहली पत्नी को ब्रेन ट्यूमर हुआ था और इसके बाद राहु जो जीवन साथी के रूप मे सामने आया था वह खुद को समाप्त करने के बाद इन्हे प्रसिद्धि देता चला गया। राहु अपने कनफ़्यूजन को जरूर देता है चाहे वह खुद के प्रति हो या दूसरो के प्रति हो.
यही राहु बारहवे केतु से विरोधाभास करने के बाद कभी कभी खुद को लम्बी अडचल मे भी डाल देता है,उल्टा बोलने के कारण और खुद के प्रति अधिक आत्मीय विश्वास होने के कारण यह व्यक्ति अपनी साख को कायम रखने के लिये प्रसिद्ध है,और कोई भी जेल या बन्धन इस व्यक्ति को छ: महिने से अधिक नही रख सकता है उसका कारण है कि यह राहु शुक्र मंगल से लेकर बारहवे गुरु को सहायता प्रदान कर रहा है जब बारहवा गुरु सहायता मे हो तो सहायता राहु के द्वारा ही प्राप्त हो जाती है।