पिछली पोस्ट मे मैने आपको भावानुसार मिलने वाले धोखों से अवगत करवाया था आगे आपके सामने ग्रह के अनुसार धोखा देने वाली बातो को लिख रहा हूँ,जीवन मे सबसे अधिक अखरने वाला धोखा शुक्र और गुरु का धोखा देना होता है,बाकी के धोखे तो झेल भी लिये जाते है और धीरे से समय को निकालकर उन धोखो की पूर्ति भी कर ली जाती है,अथवा उन धोखो से अपने को शिक्षा मिलती है जिससे आगे फ़िर धोखा खाने का समय नही आता है। ग्रह धोखा देता भी है ग्रह को धोखा दिया भी जाता है,इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी होता है,जब लगनेश की युति राहु के साथ होती है तो जातक अपने अनुसार सभी ग्रहो को धोखा देता जाता है लेकिन जब सप्तमेश की युति राहु से होती है तो सभी धोखा देने मे ही लगे रहते है,चाहे वह अपने हो या पराये सभी के दिमाग मे लगा रहता है कि सामने वाले को कैसे बनाया जाये और अपना काम सिद्ध करने के बाद रास्ता नाप लिया जाये। सूर्य धोखा देने के मामले मे अपने अपने भाव से धोखा देने के लिये माना जाता है.
सूर्य:- पहले भाव मे सूर्य अपने अहम के कारण नशे मे रखता है और लोग अहम का फ़ायदा उठाकर अपने कामो को निकालते रहते है,सूर्य जब धन भाव मे होता है तो वह आंख के नीचे से वस्तु को गायब करने के लिये माना जाता है और जातक को इस कारण से द्रिष्टि भ्रम की बात भी की जाती है अक्सर जादूगर और सम्मोहन वाले इसी सूर्य का फ़ायदा उठाते देखे गये है। तीसरे भाव का सूर्य अपने को अपने मे ही बडप्पन की नजर से देखा जाता है और राजकीय कार्य राजनीति मे अपनी निपुणता को प्रदर्शित करने के कारको मे भी देखा गया है कि सम्पूर्ण जीवन को इसी धोखे मे निकाल दिया जाता है कि एक दिन सबसे बडा राजनीतिज्ञ बनकर सामने आना है पर यह केवल भ्रम ही माना जाता है लोग नेता जी कहकर पुकारते रहते है और जातक नेताजी की अहम भावना मे अपने को लेकर चलता रहता है लोगो की सेवा करने मे अपने को लगाये रहता है घर पर लोग इन्तजार करते रहते है पत्नी या पति अपने आप ही परेशान रहता है न खाने का न पीने का और न सोने का समय होता है केवल अपने अहम को दिखाने के लिये कि वह अपनी जानकारी से सभी के काम निकालना जानता है उसने उसके काम को करवा दिया था उसने उसके काम को करवाने के लिये उसे इतना फ़ायदा दिला दिया था लेकिन खुद की जेब मे घर से निकलने के बाद शायद वापस आने के लिये भी बस का किराया भी नही होता है लोग ऐसे व्यक्ति को आजीवन अपने अहम से बाहर नही आने देते है चाहे वह ग्रह की बदलाव वाली पोजीसन हो या ग्रह की दशा ही क्यों न आजाये लेकिन सूर्य का इस भाव का धोखा इसलिये समाप्त नही होता है क्योंकि सूर्य का न कभी वक्री होता है न कभी अपने प्रभाव को खत्म करता है,वह केवल रात के लिये समय से जाता है और सुबह होते ही समय से उदय हो जाता है। चौथे भाव का सूर्य जब धोखे के कारणो मे फ़ंस जाता है तो जातक को राजकीय सम्पत्ति के मामले मे कई प्रकार के धोखे दिये जाते है यहां तक कि माता के द्वारा भी धोखा दिया जाता है यानी पालन पोषण भी पिता के द्वारा किया जाता है जब घर सम्भालने वाली बात आती है तो उन्ही कामो को सामने लाया जाता है जो दिखावे तो बहुत करने वाले होते है और उनके अन्दर की सत्यता से जब गुजरा जाये तो बहुत ही परेशानी देने वाली बात को भी जाना जाता है,इस प्रकार के लोगो की पहिचान होती है कि उनके घरो मे अजीब अजीब सी पेडों की कलाकृतिया जानवरो के सिर आदि ड्राईग रूम सजाये गये होते है। पंचम का सूर्य सन्तान के मामले मे जब धोखा देने मे उतर आता है तो खुद की संतान ही धोखा देने के लिये मानी जाती है यह क्षेत्र राजनीति और शिक्षा से जुडा होने के कारण अक्सर खुद की शिक्षा ही धोखा दे जाती है कि पूरी मेहनत सरकारी क्षेत्र की नौकरी को करने के लिये की और अन्त मे किसी कारण से बीमार पड गये या तो कम्पटीशन की तैयारी नही हुयी या जिस परीक्षा को दिया था वह किसी और के हिस्से मे चली गयी। छठे भाव का सूर्य ननिहाल के लिये सातवे भाव का सूर्य जीवन साथी के अहम से आठवे भाव का सूर्य खुद की मानसिक स्थिति से नवे भाव का सूर्य जाति विरादरी समाज और विदेशी परिवेश से दसवे भाव का सूर्य पीछे के धोखो से ग्यारहवे भाव का सूर्य बडे भाई और मित्रो से बारहवे भाव का सूर्य सरकारी रूप से चलने वाली बडी संस्थाओ से और यात्रा वाले कारणो में बन्धन आदि मिलने से मानी जाती है.
सूर्य:- पहले भाव मे सूर्य अपने अहम के कारण नशे मे रखता है और लोग अहम का फ़ायदा उठाकर अपने कामो को निकालते रहते है,सूर्य जब धन भाव मे होता है तो वह आंख के नीचे से वस्तु को गायब करने के लिये माना जाता है और जातक को इस कारण से द्रिष्टि भ्रम की बात भी की जाती है अक्सर जादूगर और सम्मोहन वाले इसी सूर्य का फ़ायदा उठाते देखे गये है। तीसरे भाव का सूर्य अपने को अपने मे ही बडप्पन की नजर से देखा जाता है और राजकीय कार्य राजनीति मे अपनी निपुणता को प्रदर्शित करने के कारको मे भी देखा गया है कि सम्पूर्ण जीवन को इसी धोखे मे निकाल दिया जाता है कि एक दिन सबसे बडा राजनीतिज्ञ बनकर सामने आना है पर यह केवल भ्रम ही माना जाता है लोग नेता जी कहकर पुकारते रहते है और जातक नेताजी की अहम भावना मे अपने को लेकर चलता रहता है लोगो की सेवा करने मे अपने को लगाये रहता है घर पर लोग इन्तजार करते रहते है पत्नी या पति अपने आप ही परेशान रहता है न खाने का न पीने का और न सोने का समय होता है केवल अपने अहम को दिखाने के लिये कि वह अपनी जानकारी से सभी के काम निकालना जानता है उसने उसके काम को करवा दिया था उसने उसके काम को करवाने के लिये उसे इतना फ़ायदा दिला दिया था लेकिन खुद की जेब मे घर से निकलने के बाद शायद वापस आने के लिये भी बस का किराया भी नही होता है लोग ऐसे व्यक्ति को आजीवन अपने अहम से बाहर नही आने देते है चाहे वह ग्रह की बदलाव वाली पोजीसन हो या ग्रह की दशा ही क्यों न आजाये लेकिन सूर्य का इस भाव का धोखा इसलिये समाप्त नही होता है क्योंकि सूर्य का न कभी वक्री होता है न कभी अपने प्रभाव को खत्म करता है,वह केवल रात के लिये समय से जाता है और सुबह होते ही समय से उदय हो जाता है। चौथे भाव का सूर्य जब धोखे के कारणो मे फ़ंस जाता है तो जातक को राजकीय सम्पत्ति के मामले मे कई प्रकार के धोखे दिये जाते है यहां तक कि माता के द्वारा भी धोखा दिया जाता है यानी पालन पोषण भी पिता के द्वारा किया जाता है जब घर सम्भालने वाली बात आती है तो उन्ही कामो को सामने लाया जाता है जो दिखावे तो बहुत करने वाले होते है और उनके अन्दर की सत्यता से जब गुजरा जाये तो बहुत ही परेशानी देने वाली बात को भी जाना जाता है,इस प्रकार के लोगो की पहिचान होती है कि उनके घरो मे अजीब अजीब सी पेडों की कलाकृतिया जानवरो के सिर आदि ड्राईग रूम सजाये गये होते है। पंचम का सूर्य सन्तान के मामले मे जब धोखा देने मे उतर आता है तो खुद की संतान ही धोखा देने के लिये मानी जाती है यह क्षेत्र राजनीति और शिक्षा से जुडा होने के कारण अक्सर खुद की शिक्षा ही धोखा दे जाती है कि पूरी मेहनत सरकारी क्षेत्र की नौकरी को करने के लिये की और अन्त मे किसी कारण से बीमार पड गये या तो कम्पटीशन की तैयारी नही हुयी या जिस परीक्षा को दिया था वह किसी और के हिस्से मे चली गयी। छठे भाव का सूर्य ननिहाल के लिये सातवे भाव का सूर्य जीवन साथी के अहम से आठवे भाव का सूर्य खुद की मानसिक स्थिति से नवे भाव का सूर्य जाति विरादरी समाज और विदेशी परिवेश से दसवे भाव का सूर्य पीछे के धोखो से ग्यारहवे भाव का सूर्य बडे भाई और मित्रो से बारहवे भाव का सूर्य सरकारी रूप से चलने वाली बडी संस्थाओ से और यात्रा वाले कारणो में बन्धन आदि मिलने से मानी जाती है.