बहुत ही सुन्दर फ़िल्मी गाना है- "दुश्मन न करे दोस्त ने वह काम किया है" इस गाना को वही लोग अधिक गाया करते है जो पैदा होने के समय वक्री शुक्र को त्रिकोण मे लेकर पैदा हुये होते है। जातक ने जो प्रश्न लिखा है वह किस प्रकार दिल को आहत करता है आप पढ सकते है - "pandit ji kuchh upay bataiye mujhe let night nid nhi ati befaltu ki
chating...ldkiyo se bat krte rhna ye sb life bn gyi jisse mai thak
gya hu...
mai pre medical test ki taiyari kr rha hu lekin pdai me mn nhi lgta
meri one year se ek girl friend thi jisne abhi kuchh dino phle mujhe chhor diya
mai bhut dipreson me hu mera exam a gya lekin mai pd nhi pata hu,,,
kuchh upayr batiye,,, sare dost dusmn se ho gye jo din bhar cal krte
rhte the ab ek sms ni krte,,,pata nhi kya ho gya meri life ko
mai apni girl friend se bhut pyar krta hu lekin wo b sath chhor di...
life me kuchh dikh nhi rha
pa pdhi bachi,, na pyar bacha na aor kuchh.... kuchh upay bataye jisse
mera mn pdne me lg se.............. kya mai m.b.b.s kr paunga???? kya
guru ji meri girl friend mujhe waps mi skegi............. pizzzz guru
ji jaldi rispons dijiyega,,,,,,,,, " इस प्रश्न को पढने के बाद एक विचार जरूर दिमाग मे आता है कि क्या इसी तरह से होनहार बच्चे अपने जीवन के पथ से दूर होकर अपने को अन्धेरे मे ले जाते है और उनके इस अन्धेरे मे जाने का कारण होता है उनका प्रेमी,जो स्वार्थी भावना से जातक को इतना अपनत्व दे देता है कि वह अपने सभी कर्तव्यों को भूल कर उनके ही आगोश मे फ़ंसा रहता है जैसे ही फ़रेबी प्रेमी देखते है कि उनका काम हो गया और वह व्यक्ति अब आगे नही बढ पायेगा उसे छोड कर दूर चले जाते है। यह कोई कहानी नही है हकीकत के बयान है एक दर्द भरे व्यक्ति के जिसने अपने को दोस्तो के लिये ही कुर्बान कर दिया,यह कुर्बानी और किसी ने नही करवायी बल्कि वक्री शुक्र ने अपनी शक्ति को राहु के द्वारा और बढा कर पहले व्यक्ति को अपनी छाया मे लिया और एक दिन बिना कुछ कहे वह अलग हो गयी। एक तो जवानी की दहलीज ऊपर से अक्समात का झटका,कैसे इस व्यक्ति ने सहन कर पाया होगा यह बात तो इस जातक के द्वारा ही जानी जाती है।
कुन्ड्ली मे राहु लगन मे है और चन्द्रमा भी लगन मे ही है इस प्रकार से चन्द्रमा को राहु ने अपनी छाया मे लिया हुआ है,राहु ने अपनी छाया मे चन्द्रमा के अलावा भी नवे भाव मे विराजमान ग्रहों में गुरु सूर्य मंगल वक्री शुक्र और वक्री बुध को भी अपनी छाया मे लिया है यानी जो भी राहु चाहेगा वही यह ग्रह काम करेंगे। धनु का राहु नीच का कहा गया है इस राहु ने जब गुरु से अपना सम्बन्ध बनाया है तो जातक को असीमित ज्ञान प्राप्त करने की उत्कंठा है,जातक जो भी सम्बन्ध बनायेगा वह सम्बन्ध वृहद रूप से बनाने की कोशिश करेगा और वह चाहेगा कि उसके जो सम्बन्ध है वह जग जाहिर हो लोग उसके सम्बन्धो के बारे मे वाह वाह ही कहे उसे सम्बन्धो के नाम से गाली नही दें। लेकिन जातक यह भी चाहेगा कि जो भी सम्बन्ध बने वह उन सम्बन्धो को अपने अनुसार ही चलाये उसे अलावा लोगो की राय और शिक्षा की जरूरत नही है,वह हमेशा अपने समबन्धो को अपने अनुसार ही बनाकर चले। गुरु और राहु का आपसी सम्बन्ध जातक के जीवन के लिये बहुत ही खतरनाक माना जाता है कारण गुरु अगर हवा का रूप है तो राहु इन्फ़ेक्सन भी कहा जाता है जीने के लिये ली जाने वाली हवा मे अगर इन्फ़ेक्सन है तो वह जातक को सांस वाली बीमारियां दे देती है,वह बीमारिया फ़ेफ़डो को खराब करने के लिये भी मानी जाती है। इस राहु के सम्बन्ध के कारण जातक का पिता जो गुरु के रूप मे है अपनी औकात को बहुत आगे तक बढा लेता है और जातक का पिता कानूनी कारणो से चलकर कालेज शिक्षा विदेशी सम्बन्ध राजकीय सरंक्षण आदि के लिये इसलिये भी माना जाता है क्योंकि गुरु जो पिता का रूप भी नवे भाव मे जाकर बन जाता है उसी पिता को नवे सूर्य का बल भी प्राप्त है और वह अपने बल को कालेज शिक्षा के समय से ही प्राप्त करना शुरु कर देता है। इस प्रकार से गुरु और राहु का संयोग नवे भाव मे पारिवारिक रूप से भी अपनी युति से बल देने वाला माना जाता है और राहु जो धनु राशि का है एक बडे कुनबे के रूप मे भी माना जा सकता है,इस कुनबे के अन्दर राहु गुरु यानी जातक के पिता को सर्वोच्च स्थान भी देता है तो सूर्य को बल देकर राजनीति का संरक्षण भी देता है,सरकारी संपत्ति को संभालने का कार्य खेल कूद मनोरंजन आदि के साधन लोगो के लिये बनाने और उन्हे प्रदर्शित करने का कारण भी जातक का पिता पैदा करता है अपने अनुसार ही कानून को बनाकर कानून पर चलने के लिये परिवार या इसी क्षेत्र के लोगो के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है आदि बाते भी देखने को मिलती है। यही राहु गुरु और मंगल के साथ इकट्ठा सहयोग लेकर जातक के पिता को कानूनी रूप से बल मिलने और पुलिस रक्षा सेवा या तकनीकी रूप से प्रयोग किये जाने वाले कानूनी कारणो के लिये भी माना जा सकता है। वही गुरु जब मंगल से मिलता है सूर्य का बल प्राप्त करता है,गुरु का आकार लगनेश होने के कारण घर मे तीन की औकात तो देती है लेकिन दो का पता नही होता है कि वह अपनी औकात को किस प्रकार से जीवन मे चला सकते है चलाने से पहले ही अपने अपने अनुसार आगे निकल जाते है।
राहु अपनी युति तभी अधिक देता है जब वह लगन पंचम नवम मे होता है,साथ ही गोचर से भी अपना वही फ़ल प्रदान करता जाता है,जिस स्थान पर वह जन्म के समय मे होता है।