जातिका के पति का जन्म दिनांक दो सितम्बर इक्यासी समय शाम के छ: बजे स्थान वाराणसी के पास,कुण्डली कुम्भ लगन की है लगनेश शनि अष्टम में है शनि ही व्ययेश है,शनि के साथ ही अष्टम में धनेश सुखेश पंचमेश नवमेश लाभेश गुरु शुक्र बुध भी है.यह पति की कुंडली है,अक्सर देखा जाता है कि जो भी ग्रह अष्टम मे जाता है अपनी औकात को जमीनी रखता है यानी वह या तो अन्दर ही अन्दर पनपता है या अन्दर ही अन्दर ही पनपने के बाद अपने को अन्दर ही समाप्त कर लेता है,उपाधि एक जमीनी कीडे चीटे जैसी मानी जाती है जो अपने भोजन को भी जमीन के नीचे से ही प्राप्त करता है अपने रहने के स्थान को भी जमीन के नीचे ही बनाता है अपनी विद्या भी जमीन के नीचे जैसे कामो के लिये प्राप्त करता है और उसे लाभ भी जमीनी कामो के द्वारा ही होता है वह अपने को जमीन के नीचे ही समाप्त कर लेता है जब कभी गोचर के ग्रहों के कारण ऊपर उभर कर आता है तो लोग कुछ समय के लिये उसे देखते है लेकिन कुछ समय बात वह लापता हो जाता है.जो जो ग्रह लगनेश के साथ होते है वह उसके पास नही रह पाते है,कारण बाहरी ग्रहों जैसे तृतीयेश और कार्येश मंगल छठे भाव मे है राहु उनका साथ दे रहा है कर्क राशि के होने के कारण उन्हे नीच का भी कहा जाता है,हिम्मत और कार्य वही होते है जो नीचे की श्रेणी से जुडे होते है,छठे भाव का मालिक चन्द्रमा जब नवे भाव मे चला जाता है तो कर्जा दुश्मनी बीमारी नौकरी करना और अपने को अपने ही ख्यालो मे रखना आदि सभी न्याय और धर्म के भाव मे चले जाते है और चन्द्रमा जो पूर्वजो के स्थान मे है के द्वारा यह भी मिलता है इस प्रकार के व्यक्ति के समाज मे यही होता है और इन्ही के कारण इनका परिवार आगे चलेगा तो केवल कर्जा दुश्मनी बीमारी और इसी प्रकार के कारणो से जुड कर ही चलेगा। सप्तमेश सूर्य सप्तम मे ही है,सूर्य के छठे भाव में होने से सूर्य का साथ राहु मंगल की शक्ति को लेकर दे रहा है,राहु की शक्ति से जो नीच के मंगल की शक्ति से पूर्ण है,जीवन साथी के लिये केवल चिन्ता ही देने का मालिक है,और जीवन साथी की यही चिन्ता का कारण या तो उसे अस्पताल ले जाने के लिये या किसी प्रकार के हादसे को जन्म देकर अपने जीवन की गति को समाप्त कर लेने से मानी जा सकती है। अगर जीवन साथी को आगे बढना है तो उसके लिये शनि जो फ़्रीज करने का कारण बनता है वह जीवन साथी के शुक्र यानी रूप और धन सम्पत्ति को भी फ़्रीज कर रहा है,बुध जो कानून और कमन्यूकेशन का कारण है को फ़्रीज कर रहा है,गुरु जो सम्बन्धो का भी मालिक है और आने वाली सन्तति का भी कारक को फ़्रीज कर रहा है। गुरु के शनि के साथ होने से सम्बन्ध होने के बाद एक साथ फ़्रीज हो गये है,न तो जीवन साथी अपने लिये सम्बन्धो को तोड कर दूसरा ही सम्बन्ध स्थापित कर सकता है और न ही पति पत्नी जैसे सम्बन्धो को स्थापित कर सकता है। राहु मंगल जो छठे भाव मे है से राहु मंगल की शक्ति को लेकर इस शनि को पिघलाने की कोशिश मे है लेकिन सम्बन्ध पिघलाने के लिये नीची हरकतो को करना उत्तेजना मे आकर गाली गलौज करना आदि कारण भी मिलते है।
जातिका जन्म दिनांक 28 अगस्त 1983 समय रात को 08:20 स्थान वाराणसी के पास का है। जातिका की कुंडली मीन लगन की है,लगनेश गुरु नवे भाव मे केतु के साथ है।पंचमेश चन्द्रमा दूसरे भाव मे है राहु तीसरे भाव मे है पंचम भाव मे मंगल नीच का है और मंगल चन्द्र का परिवर्तन योग भी है। तीसरे और अष्टम भाव का मालिक शुक्र छठे भाव मे वक्री है,शुक्र नीच का है लेकिन वक्री होने के कारण उच्च का हो गया है। छठे भाव के मालिक सूर्य छठे भाव मे ही है,बुध जो सुख और सप्तम का मालिक है सप्तम मे ही विराजमान है,उच्च का शनि अष्टम भाव मे है,जो लाभ और व्यय दोनो भावों का मालिक है,तुला राशि का होने के कारण उच्च का भी है। यह शनि भी पति के शनि के बराबर का प्रभाव पैदा करता है और इस शनि से काम लेने के लिये पंचम का मंगल जातिका के शनि को नीच हरकत से कन्ट्रोल करने के लिये भी माना जाता है और परिवर्तन योग के कारण चन्द्रमा मंगल के साथ मिलकर जातिका के लिये खतरनाक भी बन सकते है। पति भाव का बुध जीवन के राज खोल देने के लिये माना जाता है,कारण बुध जब भी सप्तम मे कन्या राशि का होता है तो पति या पत्नी के लिये धोखा देने वाले कारणो को पैदा करता है,आजीवन गोल मोल बाते करने के बाद जीवन को निकालने का क्रम जारी रहता है,बुध से बारहवे भाव मे सूर्य और वक्री शुक्र के होने से पति भाव की सोच अलावा स्त्रियों मे होती है और वह रुचि केवल धन और शाही शान शौकत तक ही सीमित होती है।
जातिका की कुंडली के अनुसार दूसरे भाव का चन्द्रमा दूसरी शादी के लिये अपना बल दे रहा है.
जातिका की कुंडली के अनुसार तुला का शनि दूसरी शादी करने का बल दे रहा है.
जातिका की कुंडली मे गुरु जो केतु के साथ विद्यमान है जातिका के अन्दरूनी सम्बन्धो के मामले मे अपनी गणना को बता रहा है,यही कारण जातिका को ऊपरी रूप मे चन्द्रमा अन्दरूनी सम्बन्धो को परखने के बाद अपने को बचा रहा है.
जातिका के पति की कुंडली के अनुसार सप्तम का सूर्य दूसरी शादी के लिये अपना बल दे रहा है.
जातिका के पति की कुंडली में राहु की शक्ति से पूर्ण मंगल चन्द्रमा पर अपने प्रभाव को दे रहा है चन्द्रमा का तुला राशि का होना और न्याय शिक्षा आदि के क्षेत्र मे होने से दूसरे सम्बन्ध को बनाने के लिये अपने बल को दे रहा है।
पति पत्नी दोनो की कुंडली मे नीच का मंगल ही जिम्मेदार माना जा सकता है,यह मंगल राहु की युति लेकर खूनी होली भी खेल सकता है,पति और उसकी माता जातिका को चन्द्र मंगल के परिवर्तन योग के कारण जलाकर भी मार सकती है,जातिका के साथ कोई हादसा जो वाहन से भी हो सकता है का कारण भी बन सकता है जातिका को अस्पताली कारणो से ह्रदय आघात या लो ब्लड प्रेसर के कारण दिक्कत भी आ सकती है।
इस ग्रह युति का उपाय है मंगल शनि को ठीक करने से है
जातिका जन्म दिनांक 28 अगस्त 1983 समय रात को 08:20 स्थान वाराणसी के पास का है। जातिका की कुंडली मीन लगन की है,लगनेश गुरु नवे भाव मे केतु के साथ है।पंचमेश चन्द्रमा दूसरे भाव मे है राहु तीसरे भाव मे है पंचम भाव मे मंगल नीच का है और मंगल चन्द्र का परिवर्तन योग भी है। तीसरे और अष्टम भाव का मालिक शुक्र छठे भाव मे वक्री है,शुक्र नीच का है लेकिन वक्री होने के कारण उच्च का हो गया है। छठे भाव के मालिक सूर्य छठे भाव मे ही है,बुध जो सुख और सप्तम का मालिक है सप्तम मे ही विराजमान है,उच्च का शनि अष्टम भाव मे है,जो लाभ और व्यय दोनो भावों का मालिक है,तुला राशि का होने के कारण उच्च का भी है। यह शनि भी पति के शनि के बराबर का प्रभाव पैदा करता है और इस शनि से काम लेने के लिये पंचम का मंगल जातिका के शनि को नीच हरकत से कन्ट्रोल करने के लिये भी माना जाता है और परिवर्तन योग के कारण चन्द्रमा मंगल के साथ मिलकर जातिका के लिये खतरनाक भी बन सकते है। पति भाव का बुध जीवन के राज खोल देने के लिये माना जाता है,कारण बुध जब भी सप्तम मे कन्या राशि का होता है तो पति या पत्नी के लिये धोखा देने वाले कारणो को पैदा करता है,आजीवन गोल मोल बाते करने के बाद जीवन को निकालने का क्रम जारी रहता है,बुध से बारहवे भाव मे सूर्य और वक्री शुक्र के होने से पति भाव की सोच अलावा स्त्रियों मे होती है और वह रुचि केवल धन और शाही शान शौकत तक ही सीमित होती है।
जातिका की कुंडली के अनुसार दूसरे भाव का चन्द्रमा दूसरी शादी के लिये अपना बल दे रहा है.
जातिका की कुंडली के अनुसार तुला का शनि दूसरी शादी करने का बल दे रहा है.
जातिका की कुंडली मे गुरु जो केतु के साथ विद्यमान है जातिका के अन्दरूनी सम्बन्धो के मामले मे अपनी गणना को बता रहा है,यही कारण जातिका को ऊपरी रूप मे चन्द्रमा अन्दरूनी सम्बन्धो को परखने के बाद अपने को बचा रहा है.
जातिका के पति की कुंडली के अनुसार सप्तम का सूर्य दूसरी शादी के लिये अपना बल दे रहा है.
जातिका के पति की कुंडली में राहु की शक्ति से पूर्ण मंगल चन्द्रमा पर अपने प्रभाव को दे रहा है चन्द्रमा का तुला राशि का होना और न्याय शिक्षा आदि के क्षेत्र मे होने से दूसरे सम्बन्ध को बनाने के लिये अपने बल को दे रहा है।
पति पत्नी दोनो की कुंडली मे नीच का मंगल ही जिम्मेदार माना जा सकता है,यह मंगल राहु की युति लेकर खूनी होली भी खेल सकता है,पति और उसकी माता जातिका को चन्द्र मंगल के परिवर्तन योग के कारण जलाकर भी मार सकती है,जातिका के साथ कोई हादसा जो वाहन से भी हो सकता है का कारण भी बन सकता है जातिका को अस्पताली कारणो से ह्रदय आघात या लो ब्लड प्रेसर के कारण दिक्कत भी आ सकती है।
इस ग्रह युति का उपाय है मंगल शनि को ठीक करने से है