कानून दो प्रकार के होते है एक तो प्रकृति का कानून जिसे प्रकृति खुद बनाती बिगाडती है दूसरा इंसानी कानून जो इंसान खुद के बचाव और रक्षा के लिये बनाता है। प्रकृति का कानून सर्वोपरि है। प्रकृति को जो दंड देना है या बचाव करना वह स्वयं अपना निर्णय लेती है। अंत गति सो मति कहावत के अनुसार जीव उन कार्यों के लिये अपनी बुद्धि को बनाता चला जाता है जो उसे अंत समय मे खुद के अनुसार प्राप्त हों। कानून के अनुसार भी जीव को तीन तरह की सजाये दी जाती है पहली सजा मानसिक होती है जो व्यक्ति खुद के अन्दर ही अन्दर रहकर सोचता रहता है और वह अपने शरीर मन और दैनिक जीवन को बरबाद करता रहता है दूसरी सजा शारीरिक होती है जो प्रकृति के अनुसार गल्ती करने पर मिलती है और उस गल्ती की एवज मे अपंग हो जाना पागल हो जाना भ्रम मे आकर अपने सभी व्यक्तिगत कारको का त्याग कर देना और तीसरी सजा होती है जो हर किसी को नही मिलती है वह शारीरिक मानसिक और कार्य रूप से बन्धन मे डाल देना,इसे आज की भाषा मे जेल होना भी कहा जाता है। बन्धन योग के लिये एक बात और भी कही जाती है कि व्यक्ति अगर खुद को एक स्थान मे पैक कर लेता है या कोई सामाजिक पारिवारिक कारण सामने होता है वह अपनी इज्जत मान मर्यादा या लोगो की नजरो से बचाव के लिये अपना खुद का रास्ता एकान्त मे चुनता है तो वह भी स्वबन्धन योग की सीमा मे आजाता है। उपरोक्त कुंडली देश के एक जाने माने कलाकार और राजनीतिज्ञ की है महत्वपूर्ण व्यक्ति होने के कारण कहा जाये तो गुरु जो बारहवे भाव मे बैठ कर एक प्रकार से "खुदा महरबान तो गधा पहलवान" वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। गुरु शनि के प्रति अपनी शक्ति प्रदान करने बाद बुद्धि को प्रखर बना रहा है और वाणी के स्थान मे शनि के वक्री होने के कारण तथा वाणी के कारक बुध का भाग्य मे वक्री होने के कारण उल्टा बोलना भी एक प्रकार से इस व्यक्ति को आगे से आगे रास्ता देने के लिये माना जाता है। लगनेश राज्य भाव मे है और इनके साथ शुक्र होने के कारण एक तो राज्य की सीमा मे प्रवेश करवाते है और दूसरे एक्टिंग के क्षेत्र मे अपनी प्रसिद्धि देते है। शनि वक्री के साथ नवम पंचम का योग होने के कारण जो भी काम होते है वह बुद्धि से जुडे होते है,लेकिन एक बात और भी देखी जाती है कि चन्द्रमा जो सलाहकार के रूप मे सप्तम मे है और भाग्य का मालिक भी है कभी कभी इस व्यक्ति के साथ छल करने का काम करता है आप समझ गये होगे कि इस व्यक्ति के साथ दो बार विवाह के प्रति छल हुआ और इसी प्रकार से यह व्यक्ति भावुकता के वश मे होकर खुद को उतना आगे नही कर पाया जितना इसे किया जाना था। केतु जो इस व्यक्ति को मनोरंजन और राज्य के प्रति सर्वोच्च ऊंचाइयों मे ले जाता है वह जब पिछले समय मे सूर्य और वक्री बुध के साथ था तो देश के गणमान्य व्यक्तियों मे नाम दिया लेकिन शुक्र मंगल के साथ होने पर तथा जन्म के केतु और गोचर के केतु के बीच मे षडाष्टक योग होने के कारण और इसके द्वारा आगे प्राप्त पद के लिये अन्दरूनी दुश्मनी होने के कारण कानूनी जाल मे फ़ंसाने का क्रम भी इसी मंगल ने किया। कहा जाता है कि मंगल दो प्रकार का होता है एक नेक मंगल जो मकर राशि मे हो और खुद के निर्णय को लेने मे समर्थ हो हर काम को नेक तरीके से करता जाये और दूसरा होता है बद मंगल जिन्होने लाल किताब का अध्ययन किया है उन्हे वास्तविक रूप से पता होगा कि मंगल का बद होना तभी मुनासिब होता है जब वह शुक्र के साथ हो बुध के साथ हो या शनि राहु केतु की सीमा मे अपना दखल दे रहा हो। यह मंगल शुक्र के साथ होने से बद मंगल की श्रेणी मे आजाता है और इस मंगल के लिये उच्च भाव मे होने के बाद भी अपनी शुक्र की नीति से तकनीकी मनोरंजन के साथ साथ तकनीकी राजनीति का कारण भी पैदा कर देता है।
राहु इस मंगल के आगे होने के कारण चल कर आफ़त पालने के लिये भी माना जाता है,लेकिन कन्या राशि का होने के कारण और पंचम केतु के साथ साथ वक्री शनि से देखे जाने के कारण अचानक सहायता मे भी आजाता है और जो घटना या कारण इसके लिये एक प्रकार से समाप्त करने का कारण पैदा करती है वही घटना या कारण अक्समात बचाव करने के बाद प्रसिद्धि देने के लिये भी बन जाता है। इस राहु को मंगल और शुक्र की युति प्राप्त होने के कारण या राहु से बारहवे भाव मे मंगल शुक्र होने के कारण राहु खुद को समाप्त करने के बाद प्रसिद्धि देता है। यह बात आप लोगो को याद होगी जब इनकी पहली पत्नी को ब्रेन ट्यूमर हुआ था और इसके बाद राहु जो जीवन साथी के रूप मे सामने आया था वह खुद को समाप्त करने के बाद इन्हे प्रसिद्धि देता चला गया। राहु अपने कनफ़्यूजन को जरूर देता है चाहे वह खुद के प्रति हो या दूसरो के प्रति हो.
यही राहु बारहवे केतु से विरोधाभास करने के बाद कभी कभी खुद को लम्बी अडचल मे भी डाल देता है,उल्टा बोलने के कारण और खुद के प्रति अधिक आत्मीय विश्वास होने के कारण यह व्यक्ति अपनी साख को कायम रखने के लिये प्रसिद्ध है,और कोई भी जेल या बन्धन इस व्यक्ति को छ: महिने से अधिक नही रख सकता है उसका कारण है कि यह राहु शुक्र मंगल से लेकर बारहवे गुरु को सहायता प्रदान कर रहा है जब बारहवा गुरु सहायता मे हो तो सहायता राहु के द्वारा ही प्राप्त हो जाती है।
राहु इस मंगल के आगे होने के कारण चल कर आफ़त पालने के लिये भी माना जाता है,लेकिन कन्या राशि का होने के कारण और पंचम केतु के साथ साथ वक्री शनि से देखे जाने के कारण अचानक सहायता मे भी आजाता है और जो घटना या कारण इसके लिये एक प्रकार से समाप्त करने का कारण पैदा करती है वही घटना या कारण अक्समात बचाव करने के बाद प्रसिद्धि देने के लिये भी बन जाता है। इस राहु को मंगल और शुक्र की युति प्राप्त होने के कारण या राहु से बारहवे भाव मे मंगल शुक्र होने के कारण राहु खुद को समाप्त करने के बाद प्रसिद्धि देता है। यह बात आप लोगो को याद होगी जब इनकी पहली पत्नी को ब्रेन ट्यूमर हुआ था और इसके बाद राहु जो जीवन साथी के रूप मे सामने आया था वह खुद को समाप्त करने के बाद इन्हे प्रसिद्धि देता चला गया। राहु अपने कनफ़्यूजन को जरूर देता है चाहे वह खुद के प्रति हो या दूसरो के प्रति हो.
यही राहु बारहवे केतु से विरोधाभास करने के बाद कभी कभी खुद को लम्बी अडचल मे भी डाल देता है,उल्टा बोलने के कारण और खुद के प्रति अधिक आत्मीय विश्वास होने के कारण यह व्यक्ति अपनी साख को कायम रखने के लिये प्रसिद्ध है,और कोई भी जेल या बन्धन इस व्यक्ति को छ: महिने से अधिक नही रख सकता है उसका कारण है कि यह राहु शुक्र मंगल से लेकर बारहवे गुरु को सहायता प्रदान कर रहा है जब बारहवा गुरु सहायता मे हो तो सहायता राहु के द्वारा ही प्राप्त हो जाती है।
गुरुजी प्रणाम,
ReplyDeleteनववर्ष और नवरात्रि की शुभकामनायें स्वीकार करे!
राकेश तुम्हे भी नवरात्रा और नव संवत्सर की शुभकामनाये तथा आशीर्वाद.
Deleteनववर्ष और नवरात्रि की शुभकामनायें स्वीकार करे!
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