कहावत है कि तीसरे भाव का स्वामी मंगल होता है तो आदमी गाने की बजाय बजाने वाला होता है.कुम्भ राशि की कुंडली मे अक्सर इस बात को अधिक देखा जाता है,इस राशि वाले अगर लाल रंग का डंडा ले लें तो वे वे बात कम करेंगे और डंडे को अधिक प्रयोग करेंगे। पुलिस वाले या रक्षा सेवा वाले लोग हथियार को लेकर चलने पर या डंडे को लेकर चलने पर मुंह से कम बात करते है डंडे का या हथियार का अधिक प्रयोग करते है। अगर किसी प्रकार से बुध और केतु का साथ लगना या लगनेश के साथ हो जाये तो वे संगीत पैदा करने वाले कारको का स्तेमाल करने लगते है। जैसे बुध केतु है तो बांसुरी बजाना,शनि बुध केतु है तो गिटार बजाना,शुक्र भी साथ हो गया तो बजाना भी नाचना भी लेकिन गाना इनके वश की बात नही। इसी स्थान पर अगर लगन लगनेश के साथ राहु है तो व्यक्ति हथियार से काम लेना शुरु कर देगा,मंगल अगर राशि या ग्रह के प्रभाव से बद हो गया है तो आतंकवादी का काम करना शुरु कर देगा गुरु के साथ है तो वह बजाय मारने के जिन्दा करने के लिये काम करने लगेगा इन कारणो मे बहुत गूढ रूप से देखा जाये तो कुम्भ राशि वाले दिमागी इलाज करना अधिक जानते है। अक्सर देखा जाता है जो लोग मस्तिष्क रोग को ठीक करना जानते है उनमे अधिकतर लोग कुम्भ लगन के लोग ही होते है।
कुम्भ लगन का मालिक शनि होता है और कुम्भ लगन के कार्य भाव मे वृश्चिक राशि होती है उनके द्वारा बहुत ही गुप्त काम करने का कारण बनता है अक्सर देखा जाता है शनि अगर कार्य भाव मे है तो व्यक्ति का झुकाव अधिकतर मृत्यु के बाद की सम्पत्ति को सम्भालने का होता है इसी प्रकार से अगर छठे भाव का कारक चन्द्रमा अगर साथ मे है तो व्यक्ति उधारी मे गये धन को वसूलने का काम भी करता है। और उसे गुप्त रूप से उधारी के धन को वसूलने की भी अच्छी जानकारी होती है। अगर इस भाव मे शनि बुध के साथ है तो जातक को उम्र की तीसरी अवस्था मे अपने पैदा होने वाले स्थान के दक्षिण मे जाकर निवास बनाने के लिये अपना प्रायोजन बनाना पडता है बुध साथ है तो सन्तान के पास और शुक्र पास मे है तो पत्नी के पास केतु साथ है तो मामा या नाना के साथ राहु साथ है तो भटकाव के साथ सूर्य साथ है तो राजनीति या पिता के साथ आदि कारण देखने को मिल जाते है। चन्द्रमा अगर चौथे भाव मे है तो व्यक्ति किसी भी कारण मे धन को अधिक मान्यता देता है अपने रहने वाले स्थान से ही धन को कमाने की युक्ति को प्रयोग मे लाता है राहु साथ है तो वह शराब और एल्कोहल या दवाइयों को प्रयोग करने वाला बन जाता है अगर गुरु ने साथ नही दिया तो वह धन और अपनी औकात बनाने के लिये कोई भी गलत काम कर सकता है।
अक्सर यह भी देखा जाता है कि ग्यारहवे भाव मे अगर सूर्य की उपस्थिति होती है तो जातक के बडे भाई की औकात बहुत ही उच्च की होती है वह अपने को मित्रता के भाव को रखने तक दुखी नही हो पाता है जैसे ही उसके अन्दर राहु की भ्रम वाली पोजीशन सामने आती है वह मित्रता के भाव को शत्रुता मे बदल लेता है और अपने बडे भाई के साथ साथ अपने पिता और पत्नी परिवार से भी बिगाड खाता बना लेता है.
कुम्भ लगन के दसवे भाव मे शनि होने के समय मे जातक न तो जीवन साथी से सुखी रह सकता है और न ही किये जाने वाले कार्यों से उसे तर्क करने की आदत हो जाती है किसी भी विषय पर वह तर्क करने मे माहिर होता है तर्क भी कोई हल्की फ़ुल्की नही होती है वे सभी कारण उस तर्क मे शामिल होते है जो सत्यता की कसौटी पर घरे उतरते है।
पानी वाले काम खेती वाले काम जनता से जुडे काम सुलझाने मे अक्सर कुम्भ लगन वाले जातक बहुत माहिर होते है,इसके अलावा बैंकिंग बचत ब्रोकर वाले काम लोन लेने और देने वाले काम भी उन्हे खूब भाते है। नौकरी के मामले मे चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार ही कार्य देखे जाते है जैसे चन्द्रमा अगर राहु के साथ है तो जातक को संगीत सिखाने का विद्यालय खोलने मे कोई दिक्कत नही होती है उसी प्रकार से अगर वह इस व्यवसाय से दूर रहकर अगर पानी के शुद्धिकरण का काम चांदी का काम भी करता है तो उसे रोजाना के जीवन मे अधिक उतार चढाव नही देखने पडते है.
शनि बुध और केतु के दसवे भाव मे होने से जातक ब्रोकर वाले काम अच्छे से कर सकता है लेकिन पत्नी के नाम से संगीत आदि का क्षेत्र चुनना काफ़ी सहायक बन जाता है.
कुम्भ लगन का मालिक शनि होता है और कुम्भ लगन के कार्य भाव मे वृश्चिक राशि होती है उनके द्वारा बहुत ही गुप्त काम करने का कारण बनता है अक्सर देखा जाता है शनि अगर कार्य भाव मे है तो व्यक्ति का झुकाव अधिकतर मृत्यु के बाद की सम्पत्ति को सम्भालने का होता है इसी प्रकार से अगर छठे भाव का कारक चन्द्रमा अगर साथ मे है तो व्यक्ति उधारी मे गये धन को वसूलने का काम भी करता है। और उसे गुप्त रूप से उधारी के धन को वसूलने की भी अच्छी जानकारी होती है। अगर इस भाव मे शनि बुध के साथ है तो जातक को उम्र की तीसरी अवस्था मे अपने पैदा होने वाले स्थान के दक्षिण मे जाकर निवास बनाने के लिये अपना प्रायोजन बनाना पडता है बुध साथ है तो सन्तान के पास और शुक्र पास मे है तो पत्नी के पास केतु साथ है तो मामा या नाना के साथ राहु साथ है तो भटकाव के साथ सूर्य साथ है तो राजनीति या पिता के साथ आदि कारण देखने को मिल जाते है। चन्द्रमा अगर चौथे भाव मे है तो व्यक्ति किसी भी कारण मे धन को अधिक मान्यता देता है अपने रहने वाले स्थान से ही धन को कमाने की युक्ति को प्रयोग मे लाता है राहु साथ है तो वह शराब और एल्कोहल या दवाइयों को प्रयोग करने वाला बन जाता है अगर गुरु ने साथ नही दिया तो वह धन और अपनी औकात बनाने के लिये कोई भी गलत काम कर सकता है।
अक्सर यह भी देखा जाता है कि ग्यारहवे भाव मे अगर सूर्य की उपस्थिति होती है तो जातक के बडे भाई की औकात बहुत ही उच्च की होती है वह अपने को मित्रता के भाव को रखने तक दुखी नही हो पाता है जैसे ही उसके अन्दर राहु की भ्रम वाली पोजीशन सामने आती है वह मित्रता के भाव को शत्रुता मे बदल लेता है और अपने बडे भाई के साथ साथ अपने पिता और पत्नी परिवार से भी बिगाड खाता बना लेता है.
कुम्भ लगन के दसवे भाव मे शनि होने के समय मे जातक न तो जीवन साथी से सुखी रह सकता है और न ही किये जाने वाले कार्यों से उसे तर्क करने की आदत हो जाती है किसी भी विषय पर वह तर्क करने मे माहिर होता है तर्क भी कोई हल्की फ़ुल्की नही होती है वे सभी कारण उस तर्क मे शामिल होते है जो सत्यता की कसौटी पर घरे उतरते है।
पानी वाले काम खेती वाले काम जनता से जुडे काम सुलझाने मे अक्सर कुम्भ लगन वाले जातक बहुत माहिर होते है,इसके अलावा बैंकिंग बचत ब्रोकर वाले काम लोन लेने और देने वाले काम भी उन्हे खूब भाते है। नौकरी के मामले मे चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार ही कार्य देखे जाते है जैसे चन्द्रमा अगर राहु के साथ है तो जातक को संगीत सिखाने का विद्यालय खोलने मे कोई दिक्कत नही होती है उसी प्रकार से अगर वह इस व्यवसाय से दूर रहकर अगर पानी के शुद्धिकरण का काम चांदी का काम भी करता है तो उसे रोजाना के जीवन मे अधिक उतार चढाव नही देखने पडते है.
शनि बुध और केतु के दसवे भाव मे होने से जातक ब्रोकर वाले काम अच्छे से कर सकता है लेकिन पत्नी के नाम से संगीत आदि का क्षेत्र चुनना काफ़ी सहायक बन जाता है.
No comments:
Post a Comment