भारतवर्ष की आजादी के दिन केतु का लगन मे होना और राहु का सप्तम मे बैठ कर सूर्य चन्द्र बुध शुक्र शनि से सहायता प्राप्त करना और उस सहायता को केतु से दूसरे और राहु से अष्टम मंगल को देना वह भी किसी अच्छे कारण के लिये नही केवल विध्वंशक कार्यों के लिये,इस युति मे स्वतंत्रता को प्राप्त करने का अर्थ क्या रहा ? हमारे भारत में बडे बडे मनीषियों और विद्वानो की राय से भारत की स्वतंत्रता का समय निश्चित किया गया था.कर्क का चन्द्रमा शनि के साथ फ़्रीज हो रहा था,कर्क का सूर्य शनि के साथ मिलकर केवल भवन निर्माण और जंगली सम्पदा को फ़्रीज करने मे लगा था,कर्क का शुक्र शनि के साथ मिलकर देश मे केवल सीमेन्ट और पत्थरो का निर्माण करने का ही मानस दे रहा था,कर्क का बुध शनि के साथ मिलकर देश मे केवल भवन और जमीन जायदाद का व्यवसाय करने की युति दे रहा था कर्क का शनि धर्म कर्म और नीति मर्यादा को त्याग कर केवल स्वार्थ की नीति को प्रदान कर रहा था कर्क का चन्दमा शनि के साथ मिलकर जनता को वक्त पर बोलने की शक्ति से दूर रखकर मौन धारण करने के लिये कह रहा था,इसके साथ ही सूर्य चन्द्र बुध शुक्र के बारहवे भाव मे बैठा मंगल हर काम में उत्तेजना को दे रहा था,इन ग्रहों के अन्दर जिसकी लाठी उसकी भैंस प्राप्त करने का प्रभाव दे रहा था किसी भी काम को करने के लिये चन्द्रमा रूपी जनता को पंचम राहु का भरोसा लेना जरूरी था वह राहु भी एक ऐसे स्थान पर जहां केवल शमशानी राख बिखरी पडी हो,यानी जिससे सहायता लेने के लिये जनता चाहे वही शमशानी राख भोला भंडारी बनाकर जनता को एक किनारे पर खडा कर दे वही चन्द्रमा राहु अनैतिक कार्य करने के लिये और किसी भी तरह से जल्दी से धन कमाने के चक्कर मे आपस मे ही स्वार्थ सिद्धि को अपनी युति दे यह कहां तक ठीक था ? यही नही चन्द्रमा रूपी जनता शनि के चक्कर मे फ़्रीज हो रही है राहु अपनी सिद्धि को प्राप्त करने के लिये हठधर्मी होता जा रहा हो,राहु के स्वार्थ का जनता को पता भी चले,वह मानवीय मिट्टी को सम्पूर्ण देश मे बिखेरने के लिये अपनी गति दे रहा हो,शनि चन्द्र राहु की युति जब यह प्रभाव देती है कि शनि मरे और ठंडे चन्द्रमा भावना के द्वारा राहु बने हुये कब्रिस्तान की लगातार बढोत्तरी देता रहा और यह भारत जो देव भूमि के नाम से जाना जाता था वहां कब्रिस्तान पर बैठ कर सूर्य बनकर राज्य करे ? वही शुक्र जो लक्ष्मी का रूप है शनि के साथ काला पत्थर होकर लोगो की मिल्कियत बनता जा रहा है ? वही बुध जो कानून का रूप है शनि के साथ मिलकर केतु के प्रभाव से इतना मंद हो गया है कि चीटी की चाल तो भी बहुत तेज है लेकिन कानून की चाल इतनी धीमी होने के बाद भी जनता को न्याय नही मिल पाता है धन की राशि मे बैठा केतु वकील की हैसियत से मंगल की तर्क वितर्क के सहारे सूर्य से राज्य की फ़ीस चन्द्रमा से भावनाओ की फ़ीस शुक्र से न्याय स्थान की फ़ीस शनि से कार्य को करने के लिये अगली तारीख की फ़ीस ही लेता रहे और कानून का पता ही नही चले कि कानून चल भी रहा है कि नही ? इस केतु ने जो पहिनावा पहिना है वह भी केतु से धारीदार पेंट शनि से काला कोट चन्द्रमा से सफ़ेद टाई शुक्र से ऐशो आराम का रहने का स्थान सूर्य से रहने वाले स्थान पर डिग्री सहित नेमप्लेट बुध से बातों के छल्ले,और जब राय ली जाये तो राहु से झूठ का सहारा और जीतने वाले काम मे भी हारने का डर पैदा कर देना,पूर्वजो के केश आगे की औलादो को भुगतने पडे ?
मिथुन राशि का मंगल डाक्टर बन गया,अपने से बारहवे भाव के केतु से जो धन की राशि मे बैठा है दोहरी डिग्री ले ली,उस डिग्री के सहारे गुरु यानी जीव जो भारत की कुंडली मे छठे स्थान पर बैठा है बीमार आदमी के रूप मे है को भी व्यापार की तराजू मे तौल कर कीमत वसूलने का कारक बन रहा है,वह सूर्य से सरकारी ताकत चन्द्रमा से सम्बन्धी की जो बीमार आदमी को अस्पताल मे ले जाये की मानसिक भावना को परखने के बाद शुक्र कितना धनी है या निर्धन है बुध डाक्टरी कानून जो राहु की छत्रछाया मे बना है,वह दवाइयां जो वास्तविक रूप से दो नम्बर मे बनी है को मरीज को देकर राहु यानी इन्फ़ेक्सन में भेज कर मामूली बुखार को डेंगू की उपाधि देकर जितना हो सकता है उतना धन लेकर मरीज मर जाये तो कोई बात नही है शव को भी कीमत लेकर देने के लिये अपना असर प्रदान कर रहा है।
मिथुन राशि का मंगल धन के भाव मे होने से वित्त विभाग को सम्भालने वाला बना है। उसके पास भी केतु का बल है उच्च डिग्री भले ही किसी देशी विदेशी विश्वविद्यालय से धन की कीमत पर प्राप्त की गयी हो किसी प्रकार की केतु की पहिचान से ग्रस्त हो,सूर्य से सरकारी बल लेकर शुक्र से आलीशान आफ़िस बनाकर शनि से कर्मचारी जो केवल भावना से काम करते हो यानी किये जाने वाले काम में भावुकता भर दी जाये काम के अन्दर राजनीति भर दी जाये कि अगला कितना करता है वह कितना अच्छा है काम को समय पर करता है उसे कितनी कम सैलरी दी जा रही है फ़िर भी अच्छा काम करता है,दस बीस रुपये का मैडल बनवा कर सूर्य यानी अहम की छाप लगाकर मंगल यानी भोजन और पार्टी का आयोजन करने के बाद भावना का बल देकर कम कीमत देकर काम करने वाले से काम को करवाने की कला से निपुण होकर लूट रहा है। यह ही नही यह मंगल अपने से दूसरे भाव मे शनि के होने से तथा शनि के कर्क राशि मे होने से जो भी धन को कमाया जा रहा है वह धन कर्क यानी उत्तर दिशा और शनि यानी देश जो बर्फ़ीले क्षेत्र के है मे इस मंगल के द्वारा दिया जा रहा है वह धन जाकर वहीं पर फ़्रीज हो सकता है लेकिन चन्द्र्मा जो शनि के साथ बैठा है वह मंगल की कानूनी नीति से कन्ट्रोल मे तो रखा जा रहा है जनता पर लाखो कानून लाद दिये गये है और उन्हे कन्ट्रोल करने के लिये सुरक्षा बलो की भारी भरकम फ़ौज भी है को केवल जनता को कन्ट्रोल करने के लिये ही प्रयोग मे लिया जाता है,लेकिन जनता को जो चन्द्रमा के रूप मे है सहायता नही दी जा सकती है !
यह मंगल जो देश के अन्दर सुरक्षा करने के लिये अपनी छाप को लेकर बैठा है,सुरक्षा बल के व्यक्ति के लिये भी देखा जाता है,भर्ती होते ही तीन जिम्मेदारी एक साथ दी जाती है,पहली मंगल से बारहवे केतु का आर्डर फ़ोलो करना,दूसरा केतु केवल धन की राशि मे होने से जो भी आर्डर देगा वह किसी न किसी प्रकार के धन से सम्बन्धित होगा,वह धन सेवा की गुप्त शर्तों को मंगल से छठे राहु की है वह घूस के रूप मे भी हो सकता है,या किसी प्रकार के गुप्त कार्य जो छठे गुरु के कानूनी शिकंजे में फ़ंसने के बाद प्राप्त किया जाता है,समय पर पहुंचा देना,अगर नही पहुंचाया तो यही धन की राशि मे बैठा केतु किसी न किसी प्रकार के गुप्त कानून से जो राहु की सहायता से प्राप्त किया जायेगा और नौकरी से दूर भी कर सकता है सस्पेंड भी कर सकता है,तीसरा कानून यह केतु अपनी खुद की पोजीसन से प्राप्त करेगा यानी जो भी केतु के द्वारा प्राप्त की शक्ति जैसे सूर्य से सरकारी शक्ति शुक्र से वाहन और वर्दी की शक्ति चन्द्रमा से जन शक्ति बुध से कानून की शक्ति शनि से देखना नही केवल साबूत की शक्ति और राहु का सहारा लेकर शनि जब शक्ति मे आजाये तो किसी भी धुरंधर को जेल की कोठरी मे आराम करने की शक्ति स्वतंत्रता को प्राप्त करने के समय इस केतु को दी गयी थी,वह किसी भी मामले मे मंगल का बल लेकर अपनी शक्ति को प्रयोग मे ला सकता है। गुरु जो बेचारा जनता के रूप मे है जो जनता धर्म को मानती है जो जनता मर्यादा मे चलकर अपने रिस्तो को मानती है जो जनता सच्चाई पर चलकर अपने जीवन को निकालने के लिये प्रयास करती है जो जनता खुद की मेहनत से कमा कर खाना जानती है,को यह केतु इतना मजबूर कर देता है कि वही जनता गलत कार्यों मे चली जाती है वह कर्जाई बन जाती है वह कर या मर की शक्ति से आवेशित होकर कानून के चक्कर मे फ़ंस जाती है वह जो भी काम करती है उस काम के बारे मे बहुत से कानून बने होने के बाद वह किसी न किसी कानून मे फ़ंसाकर इस केतु के द्वारा जिल्लत भरी जिन्दगी जीने के लिये मजबूर हो जाती है,इस मंगल के रक्षक के रूप मे केवल वर्दी का रूप दिखाने से और मिथुन का मंगल जो बोलता नही बजाता है,के द्वारा लाठी और हथियार जो इस मंगल को दिये गये है,सूर्य से सरकारी मोहर बुध से गोल शनि से काली या नीली शुक्र से भौतिक रूप से बोल कर सुनाकर प्रदान की जाती है इस मंगल से जो पहिचान सुरक्षा के लिये दी गयी है वह सूर्य से खाकी बुध से हरी शुक्र से सजी हुयी और चौकस शनि से भारी भरकम जूतो के साथ उस ड्रेस का सहारा लेकर यह मंगल जनता के अन्दर केवल धन का दंगल तो कर सकता है लेकिन बल का दंगल करने के समय मे किसी भी आफ़त मे फ़ंसने के समय मे केतु का सहारा लेकर भाग जाने मे ही भलाई को समझने वाला है।
यही मिथुन राशि मीडिया है,इस मीडिया मे बैठा मंगल मीडिया कर्मी है। केतु मीडिया से बारहवे भाव का है,यह केतु आसमानी संचार का कारक है,जो वृष राशि के देशो से सम्बन्ध रखता है वह सम्बन्ध चाहे अमेरिका से हो या ब्रिटेन से हो केवल दोनो देशो की शक्ति ही इस मीडिया को सम्भालने की शक्ति रखती है,भारतीय व्यक्ति के आगे तो यह मीडिया केवल संवाददाता बनाने तक ही सीमित है बाकी का काम कमाई आदि तो सभी केतु के संचालन से चाहे सैटेलाइट के रूप मे हो चाहे वह सम्पर्क करने के रूप मे हो चाहे वह सोसल रूप से दिखावा करने के रूप मे हो अपनी शक्ति को प्रदान करने के बाद सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की कला मे निपुणता को हासिल किये है। यह मीडिया काम करने वाले की केवल तीन जरूरतो को पूरा करता है वह जरूरते केवल सूर्य से सरकारी लोगो के साथ भोजन करने से शुक्र से कैमरा और वाहन के साथ यात्रा करने में बुध से बोलने के लिये सूर्य वाला अहम साथ रखने और कानूनी घेरे के अन्दर ही बोलने अपनी पहिचान बताने के लिये अपनी कम्पनी का कार्ड साथ रखने शनि से गंदे स्थानो मे और नीच लोगो के बारे मे खोजबीन करने के द्वारा जो भी रास्ता चलते जरूरते पूरी हो जाये,यानी आलीशान शाही निवास सूर्य से मिलता है शुक्र से सजी सजायी स्त्रियां और मोहक द्रश्य देखने को मिलते है,बोलने के अन्दर कलाकारी पैदा करने के लिये शुक्र और बुध का साथ लेकर सजी सजायी कामुकता को प्रदान करती हुयी पच्चीस साल तक की स्त्रियां अपनी सहायता देती है,बुध से अंग्रेजी शुक्र से हाव भाव केतु से हाथ पैरों का प्रदर्शन राहु से केवल पहिचान बनाना और लोगो के अन्दर एक प्रकार का ऐसा भाव भरना कि लोग उस मीडिया वाले चैनल समाचार पत्र या आकाशवाणी को समय समय पर सुनते रहने के लिये मजबूर हो जायें,इस मीडिया मे भी बुध शुक्र का अपना असर और भी शामिल हो गया है वह बुध से विज्ञापन और शुक्र से अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिये उत्पादन का प्रसार प्रचार,यही कमाई है मीडिया है इस मीडिया की नजर मे जनता के अन्दर जाकर चन्द्रमा की भावनाओं को प्रसारित करना वह भावनाये जो किसी के लिये जीवन दे सकती है और कितनो का जीवन ले भी सकती है उनकी कोई कीमत नही होती है मीडिया का काम केवल धन के लिये प्रसारण करना ही होता है। मीडिया कर्मी जो केतु के इशारे से नाच रहा होता है उसे पता है कि उसकी औकात अधिक दिन के लिये नही है और वह अपनी थोडी सी जिन्दगी को कुछ समय बडी शान से जीना चाहता है इसी चाहत मे वह भूल जाता है कि वह जिस देश का रहने वाला है जिस देश की माटी ने उसे पाला पोशा और जीने के लिये जीवन दिया है उसी देश की सभ्यता को मर्यादा को भावनाओ को वह तोड मोड कर जाति के नाम से लोगो के द्वारा किये जाने वाले रोजाना के कामो के नाम से जहां से धन प्राप्त होना हो वहां के बारे मे बहुत ही उत्तम रूप से प्रचार प्रसार करने से सच को भी झूठ और झूठ को भी सच साबित करने के लिये अपने प्रयासो को कर रहा होता है।
यही मंगल भारतीय बैंक भी है यह धन के भाव के केतु के इशारे पर चलती है। केवल दो ही विदेशी बैंक हमारे देश के बैंक को चलाने की हिम्मत रखते है एक विश्व बैंक और दूसरा स्विस बैंक तीसरी बैक कभी सामने नही आयी और न ही आयेगी। जनता के लिये धन ही सबसे बडा हथियार काम का है,जनता राहु के कनफ़्यूजन से यह भूल जाती है कि उसके पास और भी बल है,वह धन को प्राप्त करने के लिये विभिन्न तरीके अपनाती है जैसे सूर्य की सहायता से राजनीति मे जाना,शुक्र की सहायता से वाहनो के काम करना,बुध की सहायता से जमीनो के टुकडे काट कर उन्हे रिहायसी प्लाट बनाकर बेचना,भवन निर्माण करना और फ़िर ऊंची कीमतो मे बेचना, राहु की सहायता से सीमेंट पेट्रोल दवाई जमीन के नीचे से निकलने वाले अयस्क जैसे सेमीकन्डक्टर बनाके के खनिज आदि की सहायता लेना,उनके व्यापार मे अधिक से अधिक मन लगाना, जल्दी से धन कमाने के साधनो के लिये शेयर आदि का काम करना मरती हुयी पूंजी को फ़िर से जिन्दा करना,दिखावा अच्छे काम करना और उस अच्छे काम के पीछे कितने ही गलत काम करने के बाद अधिक से अधिक धन कमाना लेकिन यह राहु भी कम नही पडता है जैसे ही व्यक्ति उन्नति की तरफ़ जाता है यह राहु भूत की तरह से उसके पीछे लग जाता है वह तरह तरह की बीमारी पैदा कर देता है शरीर मे अधिक कामुकता और यौन सम्बन्धो से एड्स जैसी बीमारिया पैदा कर देता है,फ़िर यह जनता अस्पतालो के चक्कर मे डाक्टरो के चक्कर मे गलत कमाये हुये धन को सही करने के लिये बीमा कम्पनियो के चक्कर में धन की तकनीक को जानकर किस कानून से कहां बचा जा सकता है की जानकारी देकर धन का केतु यानी सी ए जैसी पोस्ट वाले लोगो का सहारा लेकर अथवा कर्जा चुकाने के लिये तरह तरह के उपाय करने से अपने को बचाने का प्रयत्न करती है। इन दोनो बैंको ने अपनी शक्ति का सहारा लेकर चन्द्रमा को बन्धक बना लिया है यह चन्द्रमा खेती करने वाले किसान के रूप मे बन्धक है,नौकरी करने वाला अपनी नौकरी को बन्धक बनाकर बन्धक बना हुआ है,व्यापार करने वाला अपने व्यवसाय स्थान को बन्धक बनाकर बन्धक बना हुआ है,और कुछ नही तो धन की प्रतिस्पर्धा मे आगे निकलने के होड में शिक्षित और बुद्धिमान दिमाग भी अधिक कमाने के चक्कर मे बन्धक बना हुआ है। आज आदमी की कीमत कुछ भी नही जिसे देखो वह धन की निगाह से तौला जाता है,एक दर्द से कराह रहा है अगर उसके पास धन है तो कितने ही आकर सहायता मे खडे हो जायेंगे और धन नही है तो वह अपना दर्द अपने आप ही झेल कर मर जायेगा लेकिन कोई पास नही आयेगा।
इस प्रकार की स्वतंत्रता का प्रभाव यानी इकत्तीस राज्य एक हजार छ: सौ भाषाओं तथा छ: हजार जातियों के साथ छ: धर्म छ: ही ऐसे समुदाय जो देश के लिये अपनी सेवायें दे रहे है,इस देश मे जहां उन्तीस त्यौहार मनाये जाते है के लिये कितना सफ़ल है इस बाद को समझने के लिये ऊपर की बातो को ध्यान मे रखना जरूरी है।
इस भारत को सुधारने का एक ही तरीका है जो इस प्रकार की स्वतंत्रता को कायम रख सकता है.
(इस लेख मे कोई त्रुटि हो गयी हो तो बुद्धिमान लोग ह्रदय मे नही रखकर क्षमा करेंगे)मिथुन राशि का मंगल डाक्टर बन गया,अपने से बारहवे भाव के केतु से जो धन की राशि मे बैठा है दोहरी डिग्री ले ली,उस डिग्री के सहारे गुरु यानी जीव जो भारत की कुंडली मे छठे स्थान पर बैठा है बीमार आदमी के रूप मे है को भी व्यापार की तराजू मे तौल कर कीमत वसूलने का कारक बन रहा है,वह सूर्य से सरकारी ताकत चन्द्रमा से सम्बन्धी की जो बीमार आदमी को अस्पताल मे ले जाये की मानसिक भावना को परखने के बाद शुक्र कितना धनी है या निर्धन है बुध डाक्टरी कानून जो राहु की छत्रछाया मे बना है,वह दवाइयां जो वास्तविक रूप से दो नम्बर मे बनी है को मरीज को देकर राहु यानी इन्फ़ेक्सन में भेज कर मामूली बुखार को डेंगू की उपाधि देकर जितना हो सकता है उतना धन लेकर मरीज मर जाये तो कोई बात नही है शव को भी कीमत लेकर देने के लिये अपना असर प्रदान कर रहा है।
मिथुन राशि का मंगल धन के भाव मे होने से वित्त विभाग को सम्भालने वाला बना है। उसके पास भी केतु का बल है उच्च डिग्री भले ही किसी देशी विदेशी विश्वविद्यालय से धन की कीमत पर प्राप्त की गयी हो किसी प्रकार की केतु की पहिचान से ग्रस्त हो,सूर्य से सरकारी बल लेकर शुक्र से आलीशान आफ़िस बनाकर शनि से कर्मचारी जो केवल भावना से काम करते हो यानी किये जाने वाले काम में भावुकता भर दी जाये काम के अन्दर राजनीति भर दी जाये कि अगला कितना करता है वह कितना अच्छा है काम को समय पर करता है उसे कितनी कम सैलरी दी जा रही है फ़िर भी अच्छा काम करता है,दस बीस रुपये का मैडल बनवा कर सूर्य यानी अहम की छाप लगाकर मंगल यानी भोजन और पार्टी का आयोजन करने के बाद भावना का बल देकर कम कीमत देकर काम करने वाले से काम को करवाने की कला से निपुण होकर लूट रहा है। यह ही नही यह मंगल अपने से दूसरे भाव मे शनि के होने से तथा शनि के कर्क राशि मे होने से जो भी धन को कमाया जा रहा है वह धन कर्क यानी उत्तर दिशा और शनि यानी देश जो बर्फ़ीले क्षेत्र के है मे इस मंगल के द्वारा दिया जा रहा है वह धन जाकर वहीं पर फ़्रीज हो सकता है लेकिन चन्द्र्मा जो शनि के साथ बैठा है वह मंगल की कानूनी नीति से कन्ट्रोल मे तो रखा जा रहा है जनता पर लाखो कानून लाद दिये गये है और उन्हे कन्ट्रोल करने के लिये सुरक्षा बलो की भारी भरकम फ़ौज भी है को केवल जनता को कन्ट्रोल करने के लिये ही प्रयोग मे लिया जाता है,लेकिन जनता को जो चन्द्रमा के रूप मे है सहायता नही दी जा सकती है !
यह मंगल जो देश के अन्दर सुरक्षा करने के लिये अपनी छाप को लेकर बैठा है,सुरक्षा बल के व्यक्ति के लिये भी देखा जाता है,भर्ती होते ही तीन जिम्मेदारी एक साथ दी जाती है,पहली मंगल से बारहवे केतु का आर्डर फ़ोलो करना,दूसरा केतु केवल धन की राशि मे होने से जो भी आर्डर देगा वह किसी न किसी प्रकार के धन से सम्बन्धित होगा,वह धन सेवा की गुप्त शर्तों को मंगल से छठे राहु की है वह घूस के रूप मे भी हो सकता है,या किसी प्रकार के गुप्त कार्य जो छठे गुरु के कानूनी शिकंजे में फ़ंसने के बाद प्राप्त किया जाता है,समय पर पहुंचा देना,अगर नही पहुंचाया तो यही धन की राशि मे बैठा केतु किसी न किसी प्रकार के गुप्त कानून से जो राहु की सहायता से प्राप्त किया जायेगा और नौकरी से दूर भी कर सकता है सस्पेंड भी कर सकता है,तीसरा कानून यह केतु अपनी खुद की पोजीसन से प्राप्त करेगा यानी जो भी केतु के द्वारा प्राप्त की शक्ति जैसे सूर्य से सरकारी शक्ति शुक्र से वाहन और वर्दी की शक्ति चन्द्रमा से जन शक्ति बुध से कानून की शक्ति शनि से देखना नही केवल साबूत की शक्ति और राहु का सहारा लेकर शनि जब शक्ति मे आजाये तो किसी भी धुरंधर को जेल की कोठरी मे आराम करने की शक्ति स्वतंत्रता को प्राप्त करने के समय इस केतु को दी गयी थी,वह किसी भी मामले मे मंगल का बल लेकर अपनी शक्ति को प्रयोग मे ला सकता है। गुरु जो बेचारा जनता के रूप मे है जो जनता धर्म को मानती है जो जनता मर्यादा मे चलकर अपने रिस्तो को मानती है जो जनता सच्चाई पर चलकर अपने जीवन को निकालने के लिये प्रयास करती है जो जनता खुद की मेहनत से कमा कर खाना जानती है,को यह केतु इतना मजबूर कर देता है कि वही जनता गलत कार्यों मे चली जाती है वह कर्जाई बन जाती है वह कर या मर की शक्ति से आवेशित होकर कानून के चक्कर मे फ़ंस जाती है वह जो भी काम करती है उस काम के बारे मे बहुत से कानून बने होने के बाद वह किसी न किसी कानून मे फ़ंसाकर इस केतु के द्वारा जिल्लत भरी जिन्दगी जीने के लिये मजबूर हो जाती है,इस मंगल के रक्षक के रूप मे केवल वर्दी का रूप दिखाने से और मिथुन का मंगल जो बोलता नही बजाता है,के द्वारा लाठी और हथियार जो इस मंगल को दिये गये है,सूर्य से सरकारी मोहर बुध से गोल शनि से काली या नीली शुक्र से भौतिक रूप से बोल कर सुनाकर प्रदान की जाती है इस मंगल से जो पहिचान सुरक्षा के लिये दी गयी है वह सूर्य से खाकी बुध से हरी शुक्र से सजी हुयी और चौकस शनि से भारी भरकम जूतो के साथ उस ड्रेस का सहारा लेकर यह मंगल जनता के अन्दर केवल धन का दंगल तो कर सकता है लेकिन बल का दंगल करने के समय मे किसी भी आफ़त मे फ़ंसने के समय मे केतु का सहारा लेकर भाग जाने मे ही भलाई को समझने वाला है।
यही मिथुन राशि मीडिया है,इस मीडिया मे बैठा मंगल मीडिया कर्मी है। केतु मीडिया से बारहवे भाव का है,यह केतु आसमानी संचार का कारक है,जो वृष राशि के देशो से सम्बन्ध रखता है वह सम्बन्ध चाहे अमेरिका से हो या ब्रिटेन से हो केवल दोनो देशो की शक्ति ही इस मीडिया को सम्भालने की शक्ति रखती है,भारतीय व्यक्ति के आगे तो यह मीडिया केवल संवाददाता बनाने तक ही सीमित है बाकी का काम कमाई आदि तो सभी केतु के संचालन से चाहे सैटेलाइट के रूप मे हो चाहे वह सम्पर्क करने के रूप मे हो चाहे वह सोसल रूप से दिखावा करने के रूप मे हो अपनी शक्ति को प्रदान करने के बाद सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की कला मे निपुणता को हासिल किये है। यह मीडिया काम करने वाले की केवल तीन जरूरतो को पूरा करता है वह जरूरते केवल सूर्य से सरकारी लोगो के साथ भोजन करने से शुक्र से कैमरा और वाहन के साथ यात्रा करने में बुध से बोलने के लिये सूर्य वाला अहम साथ रखने और कानूनी घेरे के अन्दर ही बोलने अपनी पहिचान बताने के लिये अपनी कम्पनी का कार्ड साथ रखने शनि से गंदे स्थानो मे और नीच लोगो के बारे मे खोजबीन करने के द्वारा जो भी रास्ता चलते जरूरते पूरी हो जाये,यानी आलीशान शाही निवास सूर्य से मिलता है शुक्र से सजी सजायी स्त्रियां और मोहक द्रश्य देखने को मिलते है,बोलने के अन्दर कलाकारी पैदा करने के लिये शुक्र और बुध का साथ लेकर सजी सजायी कामुकता को प्रदान करती हुयी पच्चीस साल तक की स्त्रियां अपनी सहायता देती है,बुध से अंग्रेजी शुक्र से हाव भाव केतु से हाथ पैरों का प्रदर्शन राहु से केवल पहिचान बनाना और लोगो के अन्दर एक प्रकार का ऐसा भाव भरना कि लोग उस मीडिया वाले चैनल समाचार पत्र या आकाशवाणी को समय समय पर सुनते रहने के लिये मजबूर हो जायें,इस मीडिया मे भी बुध शुक्र का अपना असर और भी शामिल हो गया है वह बुध से विज्ञापन और शुक्र से अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिये उत्पादन का प्रसार प्रचार,यही कमाई है मीडिया है इस मीडिया की नजर मे जनता के अन्दर जाकर चन्द्रमा की भावनाओं को प्रसारित करना वह भावनाये जो किसी के लिये जीवन दे सकती है और कितनो का जीवन ले भी सकती है उनकी कोई कीमत नही होती है मीडिया का काम केवल धन के लिये प्रसारण करना ही होता है। मीडिया कर्मी जो केतु के इशारे से नाच रहा होता है उसे पता है कि उसकी औकात अधिक दिन के लिये नही है और वह अपनी थोडी सी जिन्दगी को कुछ समय बडी शान से जीना चाहता है इसी चाहत मे वह भूल जाता है कि वह जिस देश का रहने वाला है जिस देश की माटी ने उसे पाला पोशा और जीने के लिये जीवन दिया है उसी देश की सभ्यता को मर्यादा को भावनाओ को वह तोड मोड कर जाति के नाम से लोगो के द्वारा किये जाने वाले रोजाना के कामो के नाम से जहां से धन प्राप्त होना हो वहां के बारे मे बहुत ही उत्तम रूप से प्रचार प्रसार करने से सच को भी झूठ और झूठ को भी सच साबित करने के लिये अपने प्रयासो को कर रहा होता है।
यही मंगल भारतीय बैंक भी है यह धन के भाव के केतु के इशारे पर चलती है। केवल दो ही विदेशी बैंक हमारे देश के बैंक को चलाने की हिम्मत रखते है एक विश्व बैंक और दूसरा स्विस बैंक तीसरी बैक कभी सामने नही आयी और न ही आयेगी। जनता के लिये धन ही सबसे बडा हथियार काम का है,जनता राहु के कनफ़्यूजन से यह भूल जाती है कि उसके पास और भी बल है,वह धन को प्राप्त करने के लिये विभिन्न तरीके अपनाती है जैसे सूर्य की सहायता से राजनीति मे जाना,शुक्र की सहायता से वाहनो के काम करना,बुध की सहायता से जमीनो के टुकडे काट कर उन्हे रिहायसी प्लाट बनाकर बेचना,भवन निर्माण करना और फ़िर ऊंची कीमतो मे बेचना, राहु की सहायता से सीमेंट पेट्रोल दवाई जमीन के नीचे से निकलने वाले अयस्क जैसे सेमीकन्डक्टर बनाके के खनिज आदि की सहायता लेना,उनके व्यापार मे अधिक से अधिक मन लगाना, जल्दी से धन कमाने के साधनो के लिये शेयर आदि का काम करना मरती हुयी पूंजी को फ़िर से जिन्दा करना,दिखावा अच्छे काम करना और उस अच्छे काम के पीछे कितने ही गलत काम करने के बाद अधिक से अधिक धन कमाना लेकिन यह राहु भी कम नही पडता है जैसे ही व्यक्ति उन्नति की तरफ़ जाता है यह राहु भूत की तरह से उसके पीछे लग जाता है वह तरह तरह की बीमारी पैदा कर देता है शरीर मे अधिक कामुकता और यौन सम्बन्धो से एड्स जैसी बीमारिया पैदा कर देता है,फ़िर यह जनता अस्पतालो के चक्कर मे डाक्टरो के चक्कर मे गलत कमाये हुये धन को सही करने के लिये बीमा कम्पनियो के चक्कर में धन की तकनीक को जानकर किस कानून से कहां बचा जा सकता है की जानकारी देकर धन का केतु यानी सी ए जैसी पोस्ट वाले लोगो का सहारा लेकर अथवा कर्जा चुकाने के लिये तरह तरह के उपाय करने से अपने को बचाने का प्रयत्न करती है। इन दोनो बैंको ने अपनी शक्ति का सहारा लेकर चन्द्रमा को बन्धक बना लिया है यह चन्द्रमा खेती करने वाले किसान के रूप मे बन्धक है,नौकरी करने वाला अपनी नौकरी को बन्धक बनाकर बन्धक बना हुआ है,व्यापार करने वाला अपने व्यवसाय स्थान को बन्धक बनाकर बन्धक बना हुआ है,और कुछ नही तो धन की प्रतिस्पर्धा मे आगे निकलने के होड में शिक्षित और बुद्धिमान दिमाग भी अधिक कमाने के चक्कर मे बन्धक बना हुआ है। आज आदमी की कीमत कुछ भी नही जिसे देखो वह धन की निगाह से तौला जाता है,एक दर्द से कराह रहा है अगर उसके पास धन है तो कितने ही आकर सहायता मे खडे हो जायेंगे और धन नही है तो वह अपना दर्द अपने आप ही झेल कर मर जायेगा लेकिन कोई पास नही आयेगा।
इस प्रकार की स्वतंत्रता का प्रभाव यानी इकत्तीस राज्य एक हजार छ: सौ भाषाओं तथा छ: हजार जातियों के साथ छ: धर्म छ: ही ऐसे समुदाय जो देश के लिये अपनी सेवायें दे रहे है,इस देश मे जहां उन्तीस त्यौहार मनाये जाते है के लिये कितना सफ़ल है इस बाद को समझने के लिये ऊपर की बातो को ध्यान मे रखना जरूरी है।
इस भारत को सुधारने का एक ही तरीका है जो इस प्रकार की स्वतंत्रता को कायम रख सकता है.
- मंगल मिथुन राशि का है यह बोलना कम बजाना अधिक जानता है अगर लोग किसी भी मामले मे बोलने की बजाय बजाने मे विश्वास रखने लगे तो वास्तविक स्वतंत्रता मिल सकती है.
- यह मंगल केतु से आगे है,यह केतु मंगल का सहारा लेकर सेना और पुलिस की मदद से डाक्टर और बैंक की मदद से स्वतंत्रता मे बाधक बन रहा है जो भी राजनीतिक लोग है गलत रूप से मंगल का प्रयोग कर रहे है यह मंगल सार्वजनिक रूप से ऐसे लोगो को सहायता देने से मना कर दे तो स्वतंत्रता सही मायने मे चल सकती है.
- गुरु के आगे राहु है गुरु ही भारतीय है जो भी लोग भारत के बाहर के है और भारत मे कचडा फ़ैलाने की नीति को अपना रहे है उन्हे यह गुरु अपने पास से हटा दे,कारण यह लोग गुरु के साथ रहकर गुरु की हर गतिविधि को अपनी नीति को बनाकर गुरु को परास्त करने की कोशिश करते है.
- भारतीय व्यक्ति को लोभ मे आकर धन को कर्ज से लेना और धन के लोभ मे गलत काम करना बन्द कर देना चाहिये.
- सरकारी काम मे जहां देरी हो रही हो यानी सूर्य मे शनि का प्रभाव आ गया हो वहां पर ही मंगल की बजाने वाली नीति को प्रयोग मे ले लेना चाहिये.
- बुध जो कानून के रूप मे है शनि के साथ है मन्द गति से चल रहा है और राहु के रूप मे मुकद्दमो का अम्बार लगाये बैठा है,न्याय करने वाले अधिकारी को इसी मंगल की सहायता से मुकद्दमे का फ़ैसला करने के बाद ही धन की सहायता दी जानी चाहिये,न्याय करने वाले पर राहु की सहायता से हर क्रिया की गुप्त नजर रखनी चाहिये यहां तक कि जब तक न्याय करने वाला अपनी सेवा को दे रहा है उसे मंगल की नजर मे रहना चाहिये.
- केतु के रूप मे जो बाहरी शक्तियां आकर अपना वर्चस्व चाहे रीति रिवाज के रूप मे हो क्योंकि केतु को ईशाई माना जाता है और यह शक्तियां धर्म कर्म कानून आदि को अपनी ही रीति से प्रसारित करने की इच्छा मे रहती है के अहंकार और भुलावे मे नही आना चाहिये.
- हमारे देश के मुस्लिम सम्प्रदाय को हत्या करना शमशानी काम करना और जिन्दा को मारना तथा मरे के साथ व्यापारिक काम करना बन्द कर देना चाहिये,जिससे आपसी सामजस्य भी बने और एक देश एक कानून के अन्दर अपने अपने विचारो का खुला समर्थन बना रहे,राहु उल्टा बोलता है इस बात को भी ध्यान मे रखना चाहिये,साथ ही मुस्लिम समाज को इन्जीनियरिंग जमीन के नीचे के खनिज दवाइयों में कल कारखानो मे जहां राख से साख पैदा की जाती है के प्रति शिक्षा को प्राप्त करने के बाद आगे आना चाहिये.
- गुरु हिन्दू है गुरु को चाहिये कि वह लोभ मे आकर अपने घर समाज परिवार संस्था आदि के प्रति उधार लेना बन्द कर दे,जितना है उसी से काम चलाये तो वह अपनी सामाजिस व्यवस्था को कायम रख सकता है.
- बुध भाषा है,जब तक पूरे भारत मे एक भाषा का विस्तार नही किया जायेगा तब तक कोई भी काम समानता से नही चल पायेगा,एक ऐसी भाषा का प्रयोग शुरु कर देना चाहिये जो भारत की मर्यादा साख और नीतियों को सभी को समझा सके सभी उस भाषा को आसानी से समझ भी सके और बोल भी सके.गुरु के दसवे भाव मे बुध के साथ शनि होने से तथा राहु के द्वारा असर करने से हिन्दी भाषा को माना तो गया है लेकिन कर्क का शनि प्रान्तीयता को बढावा दे रहा है,इस शनि की चाल के कारण ही भाषा का विस्तार नही हो पा रहा है.
- प्रकृति ने जिन जीवो को पैदा किया है वे सभी बेलेन्स बनाने के लिये है हिंसा के द्वारा इन्हे नही मारा जाना चाहिये कारण एक जीव एक जीवन मे कितना बेलेन्स बनायेगा यह बहुत ही शोध की बात है मारने के बाद उसी जीव के द्वारा कितनी असमानता आजायेगी जो जीवो मे श्रेष्ठ मानव जाति के लिये कितनी अहितकर हो जायेगी इस बात को बहुत सोच कर ही प्रयोग मे लाना चाहिये.जीवो से बने भोज्य पदार्थ आदि से दूरिया बनाकर चलने से बीमारिया अकाल मृत्यु गर्मी सर्दी बरसात के मौसमो की असमानता से बचा जा सकता है.
अति सुंदर. गुरूजी ..प्रणाम आपने काफी विस्तार से भारत के भाग्य का विवेचन किया है ....अब शनि राहू की युति और प्रभाव शाली गुरु का योग जिसकी कुंडली में हो वो भारत का राजा(प्रधानमंत्री ) हो तो काम हो
ReplyDeleteक्युकी अब बुध और केतु का असर थोडा कम होने को है ....शुक्र और मंगल को सही दिशा देने के लिए भी गुरु और सूर्य ताकतवर होना वो भी चन्द्र के शांत वातवरण में ....जय हो .... देव गुरु और धर्म के प्रभाव से अच्छा हो ...
जैन साहब अब शनि ने भारत के गुरु पर अपना गोचर शुरु कर दिया है,साथ ही एक शनि गुरु (बुजुर्ग व्यक्ति) अन्ना हजारे को इसी शनि ने बर्फ़ मे लगा दिया है दूसरे शनि गुरु मंगल (देशी जडी बूटियों से इलाज करने वाले बुजुर्ग व्यक्ति) बाबा रामदेव को टेक्स चोरी और जाने किस किस भाव से राजनीति से दूर भाग जाने का कारण पैदा कर दिया है.लेकिन इस गोचर के शनि ने सूर्य चन्द्र शुक्र बुध और आजादी के समय के शनि को विश्वासघाती कारणो से अपनी युति को पैदा करेगा,जो लोग इस गुरु के साथ अभी तक साथ थे वे ही अब नीची हरकतो से विश्वासघात का कारण पैदा करेगे.बुध केतु की कार्य क्षमता से अब यह भी समझ मे आना चाहिये कि यह सब पूर्व और पश्चिम में युद्ध जैसी हालत पैदा करने के लिये राहु जो इस समय गुप चुप रूप से अपने पैर फ़ैलाता जा रहा है निर्जन स्थानो पर अपने निवास को पक्का करता जा रहा है जहां भी इसे रास्ता मिल रहा है अपनी जडो को जमाता जा रहा है,सरकारी क्षेत्र पर विदेशी सहायता पर धन और लोगो की हैसियत पर जमीन जायदाद घर मकान पर कब्जा करता जा रहा है यह एक मंगल की युति के समय के भारी जान माल की हानि कर सकता है। तेरह नवम्बर से तेरह जनवरी दो हजार तेरह के बीच एक बहुत बडी आशंका से जूझना पड सकता है.जो इस गुरु के लिये काफ़ी दिक्कत देने वाला हो सकता है.बुध वर्तमान मे बुरी तरह से राहु के चंगुल में फ़ंस चुका है अब इसका निकलना काफ़ी टेढी खीर भी है.
ReplyDeleteप्रणाम गुरु जी ..विनाश विकास का प्रथम सोपान होता है .... यह समय अभी उन सभी विश्वासघाती कारणो का विनाश करने में लगा है ..गुरु शनि की युति में राहू गुरु चंडाल योग और शनि मंगल की युति में अंगारक योग ..और वर्तमान गोचर चतुर्थ भाव में गुरु शनि मंगल का योग यह सभी अन्यान्य करते हुए न्याय करते है ... आशा है की गुरु मंगल को सहयता करते हुये कोई बाल ब्रहमचारी भारत का राजा हो .....और और कोई तांत्रिक युति से राहू को नियत्रंण में करे ....देव गुरु और धर्म का प्रभाव ...हो ...
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