कर्क लगन की कुंडली है और चन्द्रमा पंचम स्थान में वक्री गुरु के साथ विराजमान है.लगाने में विराजमान सूर्य बुध अपनी नवं पंचम की युति जातक के पंचम भाव के चन्द्रमा और गुरु से मिला रहे है,गुरु बीमारी का भी मालिक है और गुरु भाग्य का भी मालिक है. गुरु को पञ्च तत्वों में वायु का कारक कहा जाता है.गुरु और चन्द्र की युति से पानी और वायु का समिश्रण भी माना जाता है.मंगल राहू बारहवे भाव में है और केतु का स्थान धनु राशि का होकर छठे भाव में है.शुक्र का स्थान दूसरे भाव में है और शनि चौथे भाव में तुला राशि का होकर उच्च फल की प्राप्ति करवा रहा है.
जिस प्रकार से लगन से चौथा स्थान रहने का स्थान माना जाता है उसी प्रकार से किसी भी भाव का चौथा भाव उसके निवास से माना जाता है जैसे धन का स्थान दूसरा है तो धन के निवास का स्थान पंचम माना जाता है,लाभ का स्थान ग्यारहवा है तो लाभ के रहने का स्थान दूसरा भाव माना जाएगा.उसी प्रकार से बीमारी का स्थान छठा भाव है तो बीमारी के रहने का स्थान नवा भाव माना जाएगा,नवे भाव के कारक हमेशा बारहवे भाव में निवास करेंगे और बारहवे भाव के कारक तीसरे भाव में निवास करेंगे साथ ही तीसरे भाव के कारक छठे भाव में निवास करेंगे.इस प्रकार से माना जा सकता है की बीमारी को पैदा करने वाला स्थान तीसरा भाव है,तब बीमारी का निवास स्थान छठा भाव माना जाएगा.तीसरे भाव का मालिक बुध है और बुध लगन में सूर्य के साथ विराजमान है कर्क राशि का बुध खेलकूद के मैदान से भी सम्बन्ध रखता है,सूर्य के साथ होने से सरकारी शिक्षा के स्थान का खेलकूद का मैदान भी माना जाता है,बुध को कर्क राशि में होने पर और मंगल राहू के बारहवे भाव में होने से खेलकूद के अन्दर गेंद का स्तेमाल होना भी माना जा सकता है.मतलब रोग के पैदा होने का कारण खेलकूद में किसी प्रकार की चोट का लगना माना जाता है.
लगन पंचम नवं को चोटी नाभि और एडी के रूप में माना गया है साथ ही इनके मध्य आने वाले भाग शरीर के अन्य भावो के लिए जाने जाते है,पंचम स्थान में गुरु के वक्री होने का और चन्द्रमा के साथ होने का नाभि वाली बीमारियों के लिए माना जाता है.गुरु जो वायु का रूप है वक्री होने पर ऊपर वायु का चढ़ना साथ ही केतु का छठे भाव में होना यानी आंत में संकुचन,तथा बारहवे भाव में राहू मंगल के साथ होने का मतलब है मिर्च मसाले वाले पदार्थ बाहर खाना या इसी प्रकार के भोजन को लेकर सो जाना माने जाते है.
जातक के लिए माना जाता है की वह किसी खेल कूद में अपने को संभाल नहीं पाने के कारण गिरा है या कूदा है जिससे उसकी नाभि का बेलन्स खराब हो गया है यानी इधर उधर हो गया है नाभि को सेंटर में लाने वाले किसी डाक्टर से नाभि को सही करवा लिया जाए फिर यह अक्समात पेट में उठाने वाली पीड़ा समाप्त हो जायेगी यह पीडी वायु गोला के रूप में भी मानी जाती है इसके लिए भोजन का सही और संतुलन मात्रा में लेना ठीक रहेगा.
जिस प्रकार से लगन से चौथा स्थान रहने का स्थान माना जाता है उसी प्रकार से किसी भी भाव का चौथा भाव उसके निवास से माना जाता है जैसे धन का स्थान दूसरा है तो धन के निवास का स्थान पंचम माना जाता है,लाभ का स्थान ग्यारहवा है तो लाभ के रहने का स्थान दूसरा भाव माना जाएगा.उसी प्रकार से बीमारी का स्थान छठा भाव है तो बीमारी के रहने का स्थान नवा भाव माना जाएगा,नवे भाव के कारक हमेशा बारहवे भाव में निवास करेंगे और बारहवे भाव के कारक तीसरे भाव में निवास करेंगे साथ ही तीसरे भाव के कारक छठे भाव में निवास करेंगे.इस प्रकार से माना जा सकता है की बीमारी को पैदा करने वाला स्थान तीसरा भाव है,तब बीमारी का निवास स्थान छठा भाव माना जाएगा.तीसरे भाव का मालिक बुध है और बुध लगन में सूर्य के साथ विराजमान है कर्क राशि का बुध खेलकूद के मैदान से भी सम्बन्ध रखता है,सूर्य के साथ होने से सरकारी शिक्षा के स्थान का खेलकूद का मैदान भी माना जाता है,बुध को कर्क राशि में होने पर और मंगल राहू के बारहवे भाव में होने से खेलकूद के अन्दर गेंद का स्तेमाल होना भी माना जा सकता है.मतलब रोग के पैदा होने का कारण खेलकूद में किसी प्रकार की चोट का लगना माना जाता है.
लगन पंचम नवं को चोटी नाभि और एडी के रूप में माना गया है साथ ही इनके मध्य आने वाले भाग शरीर के अन्य भावो के लिए जाने जाते है,पंचम स्थान में गुरु के वक्री होने का और चन्द्रमा के साथ होने का नाभि वाली बीमारियों के लिए माना जाता है.गुरु जो वायु का रूप है वक्री होने पर ऊपर वायु का चढ़ना साथ ही केतु का छठे भाव में होना यानी आंत में संकुचन,तथा बारहवे भाव में राहू मंगल के साथ होने का मतलब है मिर्च मसाले वाले पदार्थ बाहर खाना या इसी प्रकार के भोजन को लेकर सो जाना माने जाते है.
जातक के लिए माना जाता है की वह किसी खेल कूद में अपने को संभाल नहीं पाने के कारण गिरा है या कूदा है जिससे उसकी नाभि का बेलन्स खराब हो गया है यानी इधर उधर हो गया है नाभि को सेंटर में लाने वाले किसी डाक्टर से नाभि को सही करवा लिया जाए फिर यह अक्समात पेट में उठाने वाली पीड़ा समाप्त हो जायेगी यह पीडी वायु गोला के रूप में भी मानी जाती है इसके लिए भोजन का सही और संतुलन मात्रा में लेना ठीक रहेगा.