Saturday, March 3, 2012

राहु का बालारिष्ट

यह कुंडली एक जातक की है जिसके पास सन दो हजार सात मे दो करोड रुपये नगद थे और आज उसके पास बीस लाख का कर्जा है.इस पांच साल के घटना क्रम मे ऐसा क्या हुआ कि जातक राजा से भिखारी की श्रेणी मे जाकर खडा हो गया। इस कुंडली को देखने के बाद पता चलता है:-
लगनेश लगन मे है.स्वराशि मे है,यानी जातक बात का भी पक्का है और कार्य को करने के लिये बेलेन्स करने की अच्छी क्षमता रखता है,पूंजी और व्यापार किसी भी क्षेत्र मे उसकी अच्छी पकड है। धनेश लगन मे है,दूसरे और सप्तम भाव का स्वामी मंगल लगन मे ही विराजमान है जो एक तो तकनीकी ज्ञान को भी देता है दूसरे जो भी साझेदार पत्नी या मंत्रणा देने वाले लोग है वे भी तकनीक और मंत्रणा आदि को सही रूप से प्रकाशित करने के लिये माने जा सकते है लगनेश के साथ धनेश और सप्तमेश के होने से जातक कहीं भी जायेगा उसके साथ धन और सप्तम के कारक हमेशा साथ होंगे। लाभेश सूर्य धन भाव में है,यह भी एक अच्छी युति मानी जाती है कि लाभ के मालिक जो मित्रो के मालिक भी है बडे भाई बहिन के भाव के मालिक भी है धन भाव मे विराजमान है। भाग्येश बुध लाभेश के साथ वक्री है,यह बात समझने के लिये बुध की प्रकृति को भी समझना होगा और बुध के भावानुसार फ़लो को भी देखना होगा। (सीधा फ़ूल और उल्टा शूल) कथनानुसार बुध का रूप अगर मार्गी है और किसी भी भाव मे है तो अपनी मुलायम गति को प्रदान करेगा लेकिन वही अगर बक्री है तो वह अपने फ़लो को कांटो की भांति प्रदान करना शुरु कर देगा। जब भाग्येश ही कांटे देने का काम कर उठे तो कर्म वैसे ही कितने भी किये जायें खराब हो जायेंगे,इस बुध की प्रकृति को समझने के लिये एक बात को भी जानना जरूरी है कि बुध इस कुंडली मे भाग्य का मालिक भी है और खर्चा यात्रा तथा घर का भाग्य और कार्य की हिम्मत का भी मालिक है (चौथे से नवा और दसवे से तीसरा बारहवां भाव) .इस बुध का असर सूर्य के साथ होने से यह सूर्य यानी सरकार सूर्य यानी पिता सूर्य यानी बडे भाई का कारक है के प्रति सूर्य यानी जो सरकारी कार्य क्षेत्र का मित्र है,सूर्य यानी ठेकेदारी जो सरकारी क्षेत्र मे की जाती हो। आदि के लिये अपनी युति को प्रदान करता है। बुध के वक्री होने के कारण जातक का कार्य योजना मे बार बार बदलाव होने के कारण तथा किये गये कार्य मे सरकारी तकनीक के अन्दर भेद पैदा हो जाने के कारण धन जो कार्य मे लगाया जा रहा था वह धन भी बरबाद होना और कार्य का फ़ल भी बरबाद होना देखा जा सकता है। इसके अलावा जब राहु अपनी गति से जिस भाव से अष्टम मे जाता है उसी भाव को बरबाद करना शुरु कर देता है,यह बरबादी उस भाव और उस राशि के अन्दर अधिक फ़ैलाव करने से भी होती है और भाव का भूत सवार होने से भी होती है,अगर किसी प्रकार से केतु गुरु के सानिध्य मे आजाता है तो बिजली के नियम के अनुसार उस बरबादी से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है।

इस कुंडली में दिसम्बर दो हजार छ: से राहु का गोचर कर्म भाव से और कर्म भाव मे स्थिति चन्द्रमा से अष्टम मे होना शुरु हुआ था। एक प्रकार से धारणा यह मानी जाती है कि जब राहु किसी भी भाव के अष्टम मे होता है तो वह भाव जिससे अष्टम मे राहु है,की द्रिष्टि एक से अधिक कार्य व्यवहार सोच फ़ैलाव रीति नीति आदि क्षेत्र मे चला जाता है,यह हकीकत भी है कि एक व्यक्ति एक साथ केवल एक कार्य को आसानी से कर सकता है और अधिक कार्य के लिये उसे अपने सहयोगी खोजने पडते है लेकिन सहयोगी की मंत्रणा इस समय मे भी फ़ेल इसलिये हो जाती है उसका कारण है कि व्यक्ति जिससे मंत्रणा चाहता है जिसका सहयोग साझेदारी चाहता है वह भी किसी न किसी प्रकार से अपने सामने के उद्देश्य को देखने समझने और आर्थिक आदि रूप से असमंजस मे होता है या उसके अन्दर कोई चालाकी वाला या नासमझी वाला प्रभाव पैदा हो जाता है। इस कुंडली के अनुसार जब चन्द्रमा और कार्य से अष्टम मे राहु आया तो लगन से पंचम का राहु आना माना जाता है यह भाव परिवार शिक्षा संतान जल्दी से धन कमाने वाले क्षेत्र सरकार और राजनीति से जुडे क्षेत्र आदि के लिये भी माना जाता है इस कारण से जातक का फ़ैलाव इन्ही क्षेत्रो मे होना शुरु हो गया,राहु का सफ़ल एक राशि पर अठारह महिने का होता है इस अठारह महिने मे यानी जातक ने जून दो हजार आठ तक अपने पास की पूंजी को उपरोक्त क्षेत्रो में व्यय केवल इसलिये कर दिया कि उसका प्रभाव बहुत अधिक होने से पूंजी मे कार्य जो किये गये है उनसे अनाप सनाप धन के आने का प्रभाव बनेगा.लेकिन मई दो हजार आठ से राहु का गोचर भाग्य से अष्टम मे शुरु हो गया,जातक के भाग्य भाव मे केतु विराजमान है,केतु न्याय के रूप मे भी देखा जाता है और कमन्यूकेशन के साधनो से भी देखा जा सकता है यही केतु जब नवे भाव मे नीच राशि यानी मिथुन मे है तो जातक के लिये कार्य करने वाले लोग ही जातक के प्रति अपनी दुर्भावना को बनाने लग गये,इस दुर्भावना का असर इस प्रकार से हुया कि जातक को बजाय पिछले कार्यों के भुगतान के जो घर और जमा पूंजी के प्रति था भी वह भी बेकार होने लगा,इस कारण को एक प्रकार से साझेदार के पराक्रम के अन्दर जो वह कार्य करने के लिये अपने लोगो का साथ लिया करता था,उसकी धारणा भी यह समझने के कारण कि उसके लिये बहुत ही काम आगे है और वह अगर जातक के साथ को छोड देता है तो जातक के अन्दर इतना बल नही है कि वह किसी भी काम को कर सके,इस बात का फ़ायदा उठाकर और जातक के चन्द्रमा का भरपूर लाभ लेकर यानी जातक कर्क राशि का है और कर्क राशि एक भावना प्रधान राशि कही जाती है जनता पानी वाहन खेती खाद बिजली नहर नाली सडक आदि के लिये भी माना जा सकता है के लिये सरकारी कर्मचारियों के निवास के लिये या सरकारी क्षेत्र के लोगो के लिये काम करने की क्रिया को भी जाना जा सकता है के लिये साझेदार का प्रभाव बढने लगा,इस कारण से कम्पटीशन की रीति से जातक का जो भी धन जहां भी फ़ंसा था वहीं का वहीं पैक होने लगा और उस धन को प्राप्त करने के लिये पिछली मई दो हजार ग्यारह से जातक अदालती कारणो से असंख्य कानूनी कारणो मे उलझने से अपने ही लोगो के उलहाने और ब्याज आदि की मार से अपने को धर्म आदि के द्वारा समस्याओ से निकलने का रास्ता खोजने लगा। फ़रवरी मार्च दो हजार नौ के आसपास जातक के साथ हादसा होना भी माना जा सकता है लेकिन जातक के जीवन साथी के भाग्य से यह हादसा टलना भी माना जा सकता है इस हादसे से जातक का मनोबल लगातार टूटता चला गया। वर्तमान मे राहु का गोचर जातक के जीवन साथी साझेदार और जो भी लोग मंत्रणा मे है उनके अषटम मे चल रहा है,अगर जातक को कुछ भी समझा जाये तो भी जातक के अन्दर एक ही बात आयेगी वह बात केवल धन के लिये ही मानी जा सकती है इस धन और अपने परिवार के खर्चो के प्रति अधिक सोचने के कारण जातक या तो दवाइया खाना शुरु कर देता है या अपने को किसी शराब आदि के नशे वाले क्षेत्र मे ले जाता है अथवा वह चतुर और चालाक लोगो के द्वारा ठगा जाने लगता है। जातक को सितम्बर दो हजार दस मे एक सही सत्संग मिलता है उस सत्संग के बाद से जातक को कुछ राहत मिलती है लेकिन उसके बाद जातक के पारिवारिक या सामाजिक बद्लाव के कारण भी जातक को परेशानी का कारण झेलना पडता है यह इसलिये भी माना जाता है कि अगर जातक के पास कोई सुरक्षा का कारक है तो वह केवल धर्म रह जाता है लेकिन जब इस तरह के हादसे होते है तो जातक किसी भी प्रकार से अपने को धर्म आदि के कारको से दूर करने की कोशिश करने लगता है। जैसी के उन्ही कारणो से जातक की वर्तमान की स्थिति को माना जा सकता है।

आने वाले अप्रैल दो हजार बारह से सितम्बर दो हजार बारह तक यही राहु कानूनी कारणो से अपने असर को दिखाना शुरु कर देगा अगर जातक राहु के लिये जाप पुण्य दान आदि करता है और राहु से अपने को सम्भाल कर चलने मे दक्षता को प्राप्त कर लेता है तो आगे की स्थिति यानी नया जीवन माना जा सकता है,अन्यथा जातक के सामने इसी समय मे एक बार मिट्टी मे मिलने के बाद नये सिरे से उगने की क्रिया को माना जायेगा।

राहु के लिये किये जाने वाले उपायों में :-
  • जातक राहु का तर्पण करवाये.
  • राहु के लिये जातक जाप जो तीन लाख की संख्या मे होते है खुद करे या योग्य ब्राह्मणो से संकल्प देकर करवाये.
  • राहु के रत्न गोमेद को दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली मे धारण करे.
  • पूर्वजो के स्थान को छत आदि डालकर ढकें.अथवा अपने पैत्रिक निवास को रंग रोगन से पूर्ण करे.
  • जानवरो को भूसा का दान करे.
  • घर के सामने के रास्ते को साफ़ रखने के लिये सफ़ाई कर्मचारी से सहायता ले.