Friday, December 21, 2012

कन्या राशि मे चन्द्र मंगल की युति बनाम मानसिक क्रूरता

चन्द्रमा मन का राजा है,"मन है तो जहान है मन नही है तो शमशान है",यह कहावत चन्द्रमा के लिये बहुत अच्छी तरह से जानी जाती है। पल पल की सोच चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है चन्द्रमा जब अच्छे भाव मे होता है तो वह अच्छी सोच को कायम करता है और बुरे भाव मे जाकर बुरे प्रभाव को प्रकट करता है। लेकिन जब चन्द्रमा कन्या वृश्चिक और मीन का होता है तो अपने अपने फ़ल के अनुसार किसी भी भाव मे जाकर राशि और भाव के अनुसार ही सोच को पैदा करता है। जैसे मेष लगन का चन्द्रमा अगर कर्क राशि मे है तो वह भावनात्मक सोच को ही कायम करेगा अगर वह लगन मे है तो अपनी काया के प्रति भावनात्मक सोच को पैदा करेगा और वृष राशि मे है तो अपने परिवार के लिये धन के लिये और भौतिक साधनो के लिये भावनात्मक सोच को पैदा करेगा वही चन्द्रमा अगर मिथुन राशि का होकर तीसरे भाव मे चला गया है तो वह केवल अपने पहिनावे लिखने पढने और इसी प्रकार की सोच को पैदा करेगा,अष्टम मे है तो वह अपनी भावनात्कम सोच को अपमान होने और गुप्त रूप से प्राप्त होने वाले धन अथवा सम्मान के प्रति अपनी सोच को रखने के साथ साथ वह मौत के बाद के जीवन के प्रति भी अपनी सोच अपनी भावना मे स्थापित कर लेगा। इसी प्रकार से कन्या राशि का चन्द्रमा अगर अच्छे भाव मे है तो वह अच्छी सोच को पैदा करने के लिये सेवा वाले कारणो को सोचेगा और बुरे भाव मे है तो वह केवल चोरी कर्जा करना और नही चुकाना दुश्मनी को पैदा कर लेना और हमेशा घात लगाकर काम करना आदि के लिये ही सोच को कायम रख पायेगा। यह कुंडली मीन लगन की है गुरु जोखिम के भाव मे विराजमान है साथ मे शुक्र जो जोखिम के भाव का मालिक भी है और हिम्मत को भी प्रदान करता है का कारक भी है शुक्र के प्रति कहा जाता है कि जब शुक्र वक्री होता है तो वह अपने भाव और राशि के अनुसार अपने फ़ल को दूसरो को बताने और अपने काम को दूसरो के द्वारा करवाने के लिये भी माना जा सकता है। शुक्र का गुरु के साथ होने का मतलब होता है कि व्यक्ति अपनी ही सोच के कारण अपने मन मे ही सीधी और उल्टी सोच को कायम रखता है,वह अच्छा सोचता भी है तो बुरी सोच उसे अपने आप परेशान करने लगती है। लेकिन मंगल का का चन्द्रमा के साथ कायम होने का अर्थ सीधी तरह से मन मे सेवा के प्रति क्रूरता को सामने करता है जैसे व्यक्ति अगर पुलिस मे काम करता है तो वह हमेशा अपने मन के अन्दर किसी भी स्थिति मे अपनी सोच को क्रूरता के साथ ही रख पायेगा कारण जब भी कोई अच्छा आदमी भी मिलेगा और उसे किसी प्रकार की गल्ती मिलेगी तो वह अपने मन के अन्दर भी उस अच्छे आदमी को भी बुरी निगाह से देखेगा और कई बार किसी अच्छे व्यक्ति को बुरे व्यक्ति की संगति से सजा मिलने का कारण बन सकता है।