वक्री शनि के बारे मे मै पहले भी लिख चुका हूँ कि शनि मार्गी आदेश से काम करने वाला होता है लेकिन वक्री आदेश देकर काम करवाने वाला होता है। जिस भाव मे जिस राशि मे जिस ग्रह की युति वक्री शनि से मिलती है उसी ग्रह और उसी भाव राशि के अनुसार वह अपने बल से काम करवाने की हिम्मत रखता है। यह कुंडली हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह की है कुंडली मे शनि वक्री है और धन के भाव मे राज्य के कार्य वाली मकर राशि मे विराजमान है। शनि वक्री पर असर देने वाले ग्रह सूर्य बुध नवम पंचम योग से शुक्र चन्द्र मंगल अष्टम भाव से अपने अपने प्रभाव को प्रदान कर रहे है। कहा भी जाता है कि बुद्धिमान की बुद्धिमान से और पहलवान की पहलवान से ही पटती है वह चाहे मित्रता हो या दुश्मनी। कांग्रेस की अध्यक्ष माननीय सोनिया गांधी जी की कुंडली मे भी शनि देव वक्री है।
जीवन के चार पुरुषार्थों के लिये कुंडली के चारों त्रिकोण पूर्ण करने के लिये शादी सम्बन्ध सहयोग मित्रता आदि के कारण आदिकाल से चले आ रहे है। शत्रुता भी इन्ही त्रिकोणो की बजह से होती है और आजीवन सम्बन्ध बनने की बात भी इन्ही त्रिकोणो पर निर्भर होती है। पुरुषार्थ चार होते है धर्म नामक पुरुषार्थ मेष सिंह और धनु से सम्बन्धित होता है,जिसके अन्दर पूर्वजो की मान्यता से लेकर खुद के शरीर और आगे आने वाली सन्तान के प्रति की जाने वाली व्याख्या होती है अर्थ के लिये वृष कन्या और मकर के लिये माना जाता है जिसके अन्दर पास मे उपस्थिति धन पूर्वजो के द्वारा दिया गया खुद के द्वारा कमाया गया और गुप्त रूप से जमा किया धन माना जाता है काम नामके पुरुषार्थ को मिथुन तुला और कुम्भ राशि से गिना जाता है जिसके अन्दर पत्नी बच्चे मित्रता सामयिक हास परिहास आदि के कारको को गिना जाता है आखिरी और जीवन के प्रति इच्छा रखने वाले कारक त्रिकोण में कर्क राशि वृश्चिक और मीन राशियां आती है। इन राशियों के द्वारा जातक के द्वारा पैदा होने के स्थान जोखिम लेकर की जाने वाली इच्छा पूर्ति और अन्त समय तक का जो भी उद्देश्य जातक के सामने होता है वह गिना जाता है,यह त्रिकोण जीवन में मानसिक रूप से कर्म के रूप से और सहायता के रूप से देखा जाता है जब इन सभी कारणो मे इच्छा पूर्ति होती है तो जातक का जीवन सफ़ल माना जाता है।प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी एक धार्मिक व्यक्ति है इस बात के लिये उनके गुरु केतु को जो सिंह राशि मे होने से माना जा सकता है,गुरु जो जीव का कारक है और केतु जो जीव को मान अपमान देने का कारक है केतु जब गुरु की नजर मे आजाता है तो मान देने लगता है और जब शनि के घेरे मे आजाता है तो अपमान देने लगता है।केतु को सिख समुदाय से भी जोड कर देखा जाता है और सिख समुदाय के साथ जब गुरु की भाग्य और मोक्ष के प्रति धारणा होती है तो वह पंच प्यारों के रूप मे अपनी स्थिति को बना लेता है। कुंडली नम्बर दो में केवल मंगल धनु राशि मे है जो श्रीमती सोनिया गांधी को कानून समाज उनके पैत्रिक स्थान आदि से मंगल की शक्ति से आधिपत्य जमाने की पूरी शक्ति देता है और जब मंगल गोचर से राहु के घेरे मे आता है तो यह मंगल की शक्ति आवेशात्मक प्रभाव मे आजाती है और बलपूर्वक कानून धर्म मर्यादा आदि का पालन करवाने के लिये अपनी शक्ति को देने लगता है लेकिन कुंडली नम्बर एक में श्री मनमोहन सिंह की गुरु केतु वाली नीति इस मंगल को न्याय धर्म और शांति के लिये बल देना शुरु कर देता है तो उनके द्वारा कोई गलत काम नही हो पाता है और एक निरंकुश शासक के रूप मे अपना काम नही कर पाती है। इसी प्रकार से कुंडली नम्बर दो के संतान भाव का स्वामी सूर्य संतान की तरक्की का मालिक बुध अपने शमशानी भाव के केतु के साथ होने से श्री मनमोहन सिंह के गुरु केतु के चौथे भाव मे होने से उनकी रक्षा और जीवन की उन्नति के लिये सहायक हो जाता है। लालकिताब के अनुसार कहा जाता है कि कुंडली के छठे और आठवे घर के ग्रह जो भी करते है वह एक प्रकार से गुप्त चाल को चला करते है उनकी गति को पहिचानना बहुत ही कठिन होता है। कन्या राशि का सूर्य और बुध श्री मनमोहन सिंह जी की कुंडली में गुप्त राजकीय भेदो बैंकिंग और फ़ायनेन्स वाली नीतियों के प्रति हमेशा सजगता से काम करने वाले माने जा सकते है तो श्रीमती सोनिया गांधी की कुंडली से सूर्य बुध और केतु हमेशा अपने द्वारा किसी भी प्रकार के राजनीति उद्देश्य व्यापारिक उद्देश्य संगठन आदि के लिये केतु की सहायता से दूसरो के द्वारा खुद के जीवन को चलाये जाने के लिये भी माना जा सकता है। इसका मुख्य कारण श्रीमती सोनिया गांधी के लिये वृश्चिक राशि का सूर्य उनकी संतान के लिये या तो विलय की तरफ़ इशारा करता है या गुप्त रूप से प्रवास के लिये अपना इशारा करता है उसी प्रकार से बुध जो पुत्री का कारक है तथा केतु जो दामाद का कारक है को भी उत्तर दिशा की तरफ़ पहाडी क्षेत्रो में सुखमय निवास के लिये सूचित करता है,इस काम के लिये आपका वक्री शनि बहुत ही सहायक है। वक्री शनि के लिये एक बात और भी मानी जा सकती है कि जैसे जैसे व्यक्ति बुजुर्ग होता जाता है वक्री शनि की बुद्धि बहुत ही सक्षम होती जाती है और वह अपने अनुसार लोगो से काम करवाने के लिये अपनी बुद्धि को बुजुर्ग समय मे काफ़ी महत्व देने के लिये अपनी शक्ति को प्रकट करता है।
पिछले समय मे जो दोनो लोगो के लिये गलत अफ़वाये फ़ैलायी गयी उनका कारण श्री मनमोहन सिंह जी की कुंडली का कुम्भ राशि का राहु जिम्मेदार है,तथा श्रीमती सोनिया गांधी की कुंडली में वृष राशि का राहु जिम्मेदार माना जा सकता है। हकीकत क्या है यह किसी को पता नही है,श्री मनमोहन सिंह के लाभ का प्रकार उनके मित्रो और शुभचिन्तको के लिये है जबकि उनके लिये केवल सरकारी रूप से जो भी सहायता मिलती है उसी पर उनका गुजारा चल रहा है,श्रीमती सोनिया गांधी के धन भाव मे जो राहु है वह केवल उनके लिये एक प्रकार से झूठी कल्पना करने के और लोगो के द्वारा बाते बनाये जाने के लिये ही मानी जाती है जबकि उनके खुद के जीवन के प्रति वृश्चिक राशि के सूर्य बुध केतु एक दुखदायी स्थिति को लेकर सामने खडे रहते है और उन्हे केवल दवाइयों पर अपने जीवन को चलाना पड रहा है। इस प्रकार से जो भी बाते भारत के इन लोगो के लिये कही जा सकती है वे मुख्य रूप से दक्षिण की राजनीति से ग्रसित मानी जा सकती है और दोनो ही लोगो को दक्षिण की राजनीति अपने कार्यों की सिद्धि के लिये प्रयोग मे ला रही है। यह बात कुंडली नम्बर दो के वृश्चिक राशि के सूर्य बुध और केतु अपने आप प्रकट कर देते है। किसी प्रकार से कुंडली नम्बर एक पत्नी और पत्नी परिवार के लोगो से सुरक्षित है,जो कर्क राशि के शुक्र मंगल और चन्द्र के द्वारा जानी जा सकती है जबकि कुंडली नम्बर दो का सुरक्षित रहना कानून के प्रति ही माना जा सकता है। (दोनो कुंडलियों का प्रारूप विकिपीडिया से लिया गया है)
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