वृष राशि का व्यक्ति जब सामने आजाता है तो उसे पहिचानने की सबसे अच्छी कला है कि उसके नीचे के होंठ वाला हिस्सा ऊपर के होंठ से दबा होता है थोडी वाला हिस्सा चौकोर और संकडा होता है.नाक के छेद बडे और सांसों का स्वर तेज निकलता हुआ होता है,नाक का हिस्सा चौडा हो गया होता है और आंखे दोनो कानो की तरफ़ चली गयी होती है कान आगे की ओर झुके होते है नीचे से चौडे और ऊपर जाकर पतले हो गये होते है माथे पर दोनो आंखो के ऊपर गोलाई में हुड निकल गये होते है। भौतिक राशियों में वृष राशि का स्थान नकद धन से देखा जाता है जो सामने है उसी पर विश्वास करना इनकी आदत होती है,आज का दिन ही इनके लिये जीने का मुख्य उद्देश्य होता है कल क्या हुआ था कोई चिन्ता नही है कल क्या होना है कोई चिन्ता नही है। जीवन मे कितना भार सहन करना है और कितनी लोगो की परवरिस करनी है.जब तक दांत सुरक्षित है जीवन भी सुरक्षित है जैसे ही दांतो का जाना हुआ जीवन के प्रति कब समाप्त हो जाये कोई पता नही होता है बरसात के दिनो में गले की बीमारियां सर्दी की ऋतु में पैरों की बीमारिया और गर्मी की ऋतु में पेट फ़ूलने की बीमारिया इन्हे आमतौर पर होती है। भोजन मे अधिक तर शाकाहारी भोजन को यह पसन्द करते है। लोगों के बारे मे जानने की उत्सुकता होती है,कौन कहां है यह इन्हे घर से बाहर के लोगो के बारे मे अधिक पता होता जहां पर यह रहते है उस स्थान के प्रति यह आस्वस्त होते है.
आसपास के माहौल मे यह अपनी पहिचान कार्य और बोलचाल से ही रखते है किसी के प्रति बुरा करना इन्हे तब तक नही आता है जब तक कि इन्हे बुरी तरह से छेडा नही जाये। अपने जीवन साथी के प्रति यह हमेशा ही वफ़ादारी निभाते है भले ही इनका जीवन साथी गुपचुप रूप से कुछ भी करता रहे। खोजी आदत होने के कारण यह भूतकाल की घटनाओ को चिन्हो से खोजने की कला रखते है। खुद का दिमाग प्रयोग करने मे इन्हे आलस आता है लोगो के कहने पर यह कोई भी काम कर सकते है हर काम के करने मे इन्हे उसके मूल्य के बारे मे पहले सोचना होता है चाहे वह खुद के लिये हो या अन्य के लिये। एक बात का तकिया कलाम पकडने की भी आदत होती है और किसी भी बात को शुरु करने से पहले या बाद मे वाक्य या शब्द के रूप मे जरूर आता है। जिन्हे तकिया कलाम की आदत नही होती है वे किसी भी बात को कहने से पहले अटकते है.इनकी पहिचान मे भावुकता का होना भी देखा जाता है अपनी माता और अपने बचपन के लोग इन्हे बहुत याद रहते है.शाही रूप से रहना और शाही विचार रखना इनकी एक आदत के अन्दर माना जाता है.सन्तान के कारणो मे यह अधिकतर धन के कारण दुखी होते है कन्या सन्तान से इन्हे जरूर दिक्कत मिलती है,वह चाहे शिक्षा के सम्बन्ध मे हो या रिस्तेदारी के सम्बन्ध मे हो,दस साल तक के बच्चो के प्रति इन्हे यह भावना नही रहती है कि यह अपने है या पराये है सभी की उन्नति की कामना होती है लेकिन वही बच्चा अगर अपना भी है और वह चालाकी या इसी प्रकार की गतिविधि इनके सामने रखता है तो यह विदक जाते है और फ़िर हमेशा के लिये उस बच्चे या व्यक्ति से दूरिया ही बनाकर रखना पसन्द करते है। परिणय कारणो मे इन्हे दिक्कत होती है और जीवन साथी के परिवार वालो से अक्सर किसी न किसी बात से बिगाड ही बना रहता है साथ ही इनकी जब भी कोई शत्रुता वाली बात होती है तो वह उसके अन्दर जीवन साथी का कोई न कोई सम्बन्ध जरूर होता है अक्सर इस राशि वालो की साझेदारी नही चल पाती है,साझेदारी से ही अक्सर बडी शत्रुता का कारण बनता है। उम्र की तीसवी साल के बाद इन्हे कमर की बीमारिया होती है और शादी विवाह के लिये इनकी उम्र इक्कीसवी साल सत्ताइसवी साल तेतीसवी साल महत्वपूर्ण होते है.शादी के बाद जो भी परिवार मिलता है इन्हे शादी के बाद जीवन साथी के निवास से जीवन साथी सहित दूर जाकर रहना भी पडता है और अक्सर जहां इनकी शादी होकर जाती है वह स्थान बरबाद ही हो जाता है। यह अपने धर्म समाज पिता परिवार आदि के लिये कोई भी जोखिम ले सकते है अक्सर इन्ही बातो मे इन्हे अपमानित भी होना पडता है और दुखी भी रहना पडता है पिता का जीवन इनके जन्म के बाद अक्सर संघर्षपूर्ण ही माना जाता है। इस राशि वालो के पिता अक्सर कई भाइयों के होने के बावजूद भी एक की ही औकात चलती है और माता भी कई बहिने होने के बाद खुद का नाम चलाने के लिये आजीवन संघर्ष मे रहती है। इन्हे कर्म पर ही विश्वास होता है और यह दिखावे वाली तथा अन्धविश्वास वाली पूजा पाठ से दूर रहते है। कार्य स्थान के मित्रो पर इन्हे विस्वास होता है मित्रो की संख्या उच्च समाज या उच्च स्थानो से सम्बन्धित होते है अस्पताल ईश्वर ऊपरी शक्तियों पर विश्वास करने वाले इनकी मित्रता की श्रेणी मे होते है,इनकी यात्रायें अधिकतर मानव सम्बन्धो को लेकर की जाती है वह चाहे जन्म से सम्बन्धित हो या मृत्यु से सम्बन्धित हो।
आसपास के माहौल मे यह अपनी पहिचान कार्य और बोलचाल से ही रखते है किसी के प्रति बुरा करना इन्हे तब तक नही आता है जब तक कि इन्हे बुरी तरह से छेडा नही जाये। अपने जीवन साथी के प्रति यह हमेशा ही वफ़ादारी निभाते है भले ही इनका जीवन साथी गुपचुप रूप से कुछ भी करता रहे। खोजी आदत होने के कारण यह भूतकाल की घटनाओ को चिन्हो से खोजने की कला रखते है। खुद का दिमाग प्रयोग करने मे इन्हे आलस आता है लोगो के कहने पर यह कोई भी काम कर सकते है हर काम के करने मे इन्हे उसके मूल्य के बारे मे पहले सोचना होता है चाहे वह खुद के लिये हो या अन्य के लिये। एक बात का तकिया कलाम पकडने की भी आदत होती है और किसी भी बात को शुरु करने से पहले या बाद मे वाक्य या शब्द के रूप मे जरूर आता है। जिन्हे तकिया कलाम की आदत नही होती है वे किसी भी बात को कहने से पहले अटकते है.इनकी पहिचान मे भावुकता का होना भी देखा जाता है अपनी माता और अपने बचपन के लोग इन्हे बहुत याद रहते है.शाही रूप से रहना और शाही विचार रखना इनकी एक आदत के अन्दर माना जाता है.सन्तान के कारणो मे यह अधिकतर धन के कारण दुखी होते है कन्या सन्तान से इन्हे जरूर दिक्कत मिलती है,वह चाहे शिक्षा के सम्बन्ध मे हो या रिस्तेदारी के सम्बन्ध मे हो,दस साल तक के बच्चो के प्रति इन्हे यह भावना नही रहती है कि यह अपने है या पराये है सभी की उन्नति की कामना होती है लेकिन वही बच्चा अगर अपना भी है और वह चालाकी या इसी प्रकार की गतिविधि इनके सामने रखता है तो यह विदक जाते है और फ़िर हमेशा के लिये उस बच्चे या व्यक्ति से दूरिया ही बनाकर रखना पसन्द करते है। परिणय कारणो मे इन्हे दिक्कत होती है और जीवन साथी के परिवार वालो से अक्सर किसी न किसी बात से बिगाड ही बना रहता है साथ ही इनकी जब भी कोई शत्रुता वाली बात होती है तो वह उसके अन्दर जीवन साथी का कोई न कोई सम्बन्ध जरूर होता है अक्सर इस राशि वालो की साझेदारी नही चल पाती है,साझेदारी से ही अक्सर बडी शत्रुता का कारण बनता है। उम्र की तीसवी साल के बाद इन्हे कमर की बीमारिया होती है और शादी विवाह के लिये इनकी उम्र इक्कीसवी साल सत्ताइसवी साल तेतीसवी साल महत्वपूर्ण होते है.शादी के बाद जो भी परिवार मिलता है इन्हे शादी के बाद जीवन साथी के निवास से जीवन साथी सहित दूर जाकर रहना भी पडता है और अक्सर जहां इनकी शादी होकर जाती है वह स्थान बरबाद ही हो जाता है। यह अपने धर्म समाज पिता परिवार आदि के लिये कोई भी जोखिम ले सकते है अक्सर इन्ही बातो मे इन्हे अपमानित भी होना पडता है और दुखी भी रहना पडता है पिता का जीवन इनके जन्म के बाद अक्सर संघर्षपूर्ण ही माना जाता है। इस राशि वालो के पिता अक्सर कई भाइयों के होने के बावजूद भी एक की ही औकात चलती है और माता भी कई बहिने होने के बाद खुद का नाम चलाने के लिये आजीवन संघर्ष मे रहती है। इन्हे कर्म पर ही विश्वास होता है और यह दिखावे वाली तथा अन्धविश्वास वाली पूजा पाठ से दूर रहते है। कार्य स्थान के मित्रो पर इन्हे विस्वास होता है मित्रो की संख्या उच्च समाज या उच्च स्थानो से सम्बन्धित होते है अस्पताल ईश्वर ऊपरी शक्तियों पर विश्वास करने वाले इनकी मित्रता की श्रेणी मे होते है,इनकी यात्रायें अधिकतर मानव सम्बन्धो को लेकर की जाती है वह चाहे जन्म से सम्बन्धित हो या मृत्यु से सम्बन्धित हो।
- अपने भाग्य के विस्तार के लिये इन्हे वरुण देवता तस्वीर जो मगर पर सवार है पूजा स्थान मे रखनी चाहिये.
- धर्म यात्राओं के लिये इन्हे दक्षिण दिशा के धर्म स्थानो की यात्रा लाभदायक होती है.
- काले पत्थरो से बनी मूर्तिया प्रार्थना भवन स्थान आदि लाभदायक होते है.
- नीलम पहिनना इनके लिये हमेशा ही शुभ है लेकिन वह नीला न होकर काला हो.
- दोपहर के समय मे सोचा गया कार्य पूरा करने मे कोई दिक्कत नही होती है.लेकिन दोपहर के समय में कोई लडाई झगडा आजीवन के लिये दुख देने वाला हो जाता है.
- बातो से धन प्राप्त करना इनकी शिफ़्त मे होता है इसलिये उन्ही कार्यों को अपनाना चाहिये जहां बातो से धन प्राप्त होता है.
- गहरे रंग इनके लिये शुभ होते है अंक आठ हमेशा ही लाभदायी होता है शनिवार का दिन इनके लिये ठीक होता है.अंक एक इनके लिये निवास स्थान के लिये तथा वाहन के नम्बरो में कुल जोड पांच का शुभ फ़लदायी होता है,किराये से वाहन चलवाना इनके लिये फ़ायदे वाला काम होता है.
- पुत्री सन्तान इनके लिये कर्जा दुश्मनी बीमारी मे सहायक होती है.
- पुत्र सन्तान मे अहम की मात्रा अधिक होने से और शादी विवाह के बाद दूरिया बनना अक्सर देखा जाता है.
- शिक्षा मे धन से सम्बन्धित शिक्षा कम शिक्षा वाले कारणो मे ठीक रहती है और नौकरी आदि के लिये आजीविका देने वाली होती है कपडे का काम सिलाई आदि भी ठीक रहता है उच्च शिक्षा मे इन्हे सरकारी रूप से प्रशासनिक कार्य करने समुदाय के लिये काम करना थीक रहता है,उच्च डिग्री या अलावा उपाधि के लिये कमन्यूकेशन कम्पयूटर आदि के लिये भी सही माना जाता है.
- अक्सर सिर दर्द की शिकायत इस राशि के जातको को अधिक होती है उसके लिये बालो मे मेहंदी लगाना (काली नही) तथा नारियल के तेल मे कपूर मिलाकर लगाते रहना ठीक रहता है,नीबू पानी और नमक मिलाकर छाछ आदि बहुत लाभदायक होती है.
- इस राशि वाले भोजन देर से करते है या उन्हे भोजन के मामले मे फ़िक्र नही होती है इसलिये सुबह और दोपहर के भोजन का नियम रखा बहुत लाभदायक होता है.गर्मी मे यह पेट के मरीज हो जाते है और अक्सर गैस आदि की शिकायत अधिक रहती है गैस बनने के कारण ही नाभि के नीचे का हिस्सा चौडा होता जाता है.
अति सुंदर विवेचन
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