Sunday, July 29, 2012

यात्रा और चन्द्रमा

मन का कारक चन्द्रमा है और जब मन यात्रा के लिये अपने प्रयास चालू करता है तो चन्द्रमा के अनुसार ही यात्रा हो सकती है,अब देखना यह होता है कि मन पर कौन कौन से ग्रह असर डाल रहे होते है,जो जो ग्रह मन पर असर डाल रहे होते है उसी प्रकार की यात्रा के लिये मन सोचने लगता है। चन्द्रमा अगर मेष राशि का होता है तो पूर्व की तरफ़ की यात्राओ के लिये इच्छा होती है और चन्द्रमा अगर वृष मे होता है तो यात्रा वायव्य दिशा के लिये देखी जाती है यही बात मिथुन लगन मे भी देखी जाती है तथा कर्क राशि मे चन्द्रमा के होने से उत्तर की यात्रा के लिये योग बनता है। सिंह लगन के लिये पश्चिमोत्तर दिशा की यात्रा का योग बनता है कन्या लगन से भी उत्तर दिशा की यात्रा का कारण बनता है साथ ही जब चन्द्रमा तुला राशि का होता है तो पश्चिम दिशा की यात्रा के लिये योग बनता है वृश्चिक राशि का चन्द्रमा दक्षिण पश्चिम की यात्रा को देता है धनु लगन का चन्द्रमा भी दक्षिण पश्चिम दिशा की यात्रा को देता है इसके अलावा मकर राशि मे चन्द्रमा का योग दक्षिण दिशा के लिये अपनी योजना को बनाने के लिये माना जात है कुम्भ राशि का चन्द्रमा दक्षिण पूर्व और यही बात मीन राशि मे देखने पर पता चलता है कि यात्रा का विषय ईशान दिशा मे किये जाने के लिये माना जाता है।

यात्रा मे जाने से किस साधन का प्रयोग करना होगा इस बात को जानने के लिये शनि मंगल रेल यात्रा को दिलवाते है गुरु शुक्र हवाई यात्रा को दिलवाते है और जब शनि शुक्र यात्रा के लिये कारण बनाये तो साइकिल से भी यात्रा हो सकती है मंगल शुक्र शनि की युति से ट्रेक्टर से भी यात्रा हो सकती है चन्द्र शुक्र और राहु केतु से बस की यात्रा का योग माना जाता है,राहु कर्क राशि का मोटर बोट से और जलयान से भी यात्रा करवा सकता है लगनेश के साथ चन्द्रमा है तो कन्धे पर बैठ कर भी जाया जा सकता है और दूसरे भाव के कारक के चन्द्रमा के साथ होने से दो पहिया की वाहन से यात्रा देखी जाती ह मिथुन का चन्द्रमा आटो रिक्सा और तीन पहिया के वाहन से यात्रा करवा सकते है केतु के साथ होने से तथा गुरु की नजर होने से वही यात्रा तीन पहिया के हवाई जहाज से भी हो सकती है। इसके साथ ही यात्रा के समय मिलने वाले कष्ट आदि के लिये भी देखा जाता है मंगल शनि अगर यात्री को देख रहे है तो दुर्घटना भी हो सकती है और भोजन आदि मे भी दिक्कत हो सकती है रास्ते मे लूटमार भी हो सकती है और राहु अगर यात्रा के कारक को देख रहा है तो ठगी भी हो सकती है यात्रा मे विघ्न भी हो सकता है वक्री बुध से यात्रा का योग बन रहा है तो यात्रा की शुरुआत मे ही टिकट आदि का कैंसिल होना भी हो जाता है।

गुरु अगर चन्द्रमा को देख रहा है तो धर्म स्थान की यात्रा भी हो सकती है केतु साथ है शिव स्थान की यात्रा हो सकती है शुक्र भी साथ है एक साथ तीन धर्म स्थानो की यात्रा होसकती है राहु अगर चन्द्रमा के साथ है तो किसी ऐतिहासिक स्थान की यात्रा भी हो सकती है या किसी प्रकार के जंगल पहाड आदि मे भी जाना पड सकता है जितने ग्रह चन्द्रमा के साथ होते है उतने हीलोगो के साथ यात्रा का कारक देखा जाता है राहु चन्द्रमा हमेशा भीड भाड मे यात्रा की नौबत देता है राहु अच्छे स्थान मे है तो भीड से दिक्कत नही होती है और राहु अगर खराब स्थान पर है भीड मे बहुत दिक्कत झेलनी पडती है मंगल का साथ राहु के साथ हो गया है तो बुखार भी आ सकता है शनि मंगल की युति पाचन क्रिया से पेट को भी खराब कर सकते है आदि बाते चन्द्रमा के अनुसार देखी जाती है।

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