Saturday, July 28, 2012

तुला का शनि

तुला राशि व्यापार की राशि है बेलेन्स करने वाली राशि है और कालपुरुष के अनुसार जीवन साथी के साथ साझेदारी की भी राशि कही जाती है जब आमने सामने की मंत्रणा की जाती है तो जीवन में साझेविचार करने की राशि है। इस राशि का स्वामी शुक्र है.ज्योतिष मे ग्रहो का रूप बहुत ही अनौखा है जैसे कठिनाई के बाद सफ़लता का मिलना होता है वैसे ही क्रूर के बाद मुलायम प्रकृति के बारे मे भी विचार किया जाता है। शनि ठंडा है तो सूर्य गर्म एक अन्धेरी रात का मालिक है दूसरा उजाले का मालिक है एक कार्य को देता है तो एक आराम को देता है.उसी तरह से जब गुरु वायु के रूप मे प्राण देने की प्रतिक्रिया करता है तो शुक्र का काम उस वायु से चन्द्रमा की सहायता से तरलता को निकालकर जीवन को चलाने वाले पौष्टिक तत्वो को प्रदान करता है। शुक्र की सिफ़्त मुलायम है तो शनि की सिफ़्त कठोर है शुक्र के साथ मिलकर शनि शुक्र द्रश्य रूप मे दिखाने की हिम्मत रखता है शुक्र के आयतन को बढाकर भौतिक रूप मे द्रश्य करता है लेकिन सूर्य और मंगल के साथ होने से आयतन और सुन्दरता मे क्षरण होना शुरु हो जाता है। तुला राशि शुक्र की सकारात्मक राशि है,सकारात्मक और नकारात्मक के भेद को जानने के लिये सभी राशियों का आपसी सामजस्य समझना जरूरी है। वृष राशि भी शुक्र की राशि है लेकिन नकारात्मक राशि के लिये जाना जाता है जो भी वृष के पास है कालान्तर मे क्षीण हो जाता है धन के रूप मे है तो धन और भोज्य पदार्थ है तो भोजन और वाणी की प्रखरता है तो वाणी सुन्दरता है तो सुन्दरता,लेकिन तुला का बेलेन्स करने का कारण और हमेशा के लिये जूझने और जीवन को निकालने का कारण तुला के रूप मे हमेशा चला करता है। ईश्वर ने सभी प्राणियों मे बेलेन्स करने के लिये दो आंखे और बीच मे नाक का जो रूप बनाया है उसका एक ही कारण है कि दोनो आंखो से समान देखा जाये तो बेलेन्स बन जाता है और एक आंख से कम और एक से अधिक देखा जाये तो भेंगापन से कुछ तो अलग दिखाई देने का कारण बन ही जायेगा। बेलेन्स करने के बाद जो भी निर्णय लेना होता है वह नाक के ऊपर के हिस्से से सजह चक्र से निर्णय लिया जाता है जिसकी निर्णय लेने की क्षमता अच्छी है वह तरक्की कर जाता है और जो निर्णय केवल वस्तु व्यवहार से लेता है वह जहां का तहां ही हमेशा बना रहता है। कहा जाता है कि तुला राशि के लिये शनि अगर काम नही करे तो पलडे हवा मे ही झूलते रहेगे,यानी जब तक तुला के साथ शनि नही हो तो तुला राशि वाला केवल ख्वाबी विचार बनाने मे ही मशूगल रहेगा उसे ख्वाब मे तो सभी फ़ल मिलते नजर आयेंगे लेकिन हकीकत कोशो दूर होगी.इसका कारण ही बडा अजीब है तुला राशि के माता मन मकान वाहन प्राथमिक विद्या जन्म लेने का स्थान शरीर मे पानी की मात्रा और बचपन का जीवन शनि पर ही निर्भर रहता है तुला राशि वाला व्यक्ति इसी शनि की सहायता से करके सीकने वाला होता है उसे पढ कर जितना नही सिखाया जा सकता है उतना वह करके सीख सकता है इसलिये जितने लोग भी प्रेक्टिकल होते है वह शनि का उपयोग जरूर करते है। तुला राशि वाला अक्सर प्राथमिक शिक्षा मे कमजोर होता है लेकिन याद करने की बजाय उसे रटने की आदत होती है,उसका परिवार जब बढता है तो सन्तान को भी वह करने के बाद सीखने की शिक्षा देता है और सन्तान भी कम नही होती है वह भी करके सीखने के बाद तुला राशि को बाय बाय करके चली जाती है और तुला राशि वाला अपना बेलेन्स बनाता ही रह जाता है। तुला राशि वाला व्यक्ति अपने जीवन की पैंतीसवी साल तक कठोर मेहनत करता है और उसका शरीर भी मेहनत करने के कारण बडा ही मजबूत हो जाता है लेकिन पैंतीस का होने के बाद तुला राशि वाला व्यक्ति शनि की मेहरबानी से मजे करने के लिये तैयार हो जाता है उसके सभी काम अपने आप बनते चलते जाते है जो राहु केतु उसे अर्धायु तक परेशान करते है वही राहु केतु शनि के कारण सहायता करने लगते है। तुला राशि मे जब शनि का असर शुरु होता है तो जातक का कमन्यूकेशन का दायरा पक्का हो जाता है यानी इस समय मे जो भी वह मित्र बनाता है कार्य करता है वह हमेशा के लिये याद रखने के लिये बन जाता है और वह अपने जीवन का सबसे बडा काम शनि के लगन मे गोचर के समय ही कर जाता है उसे शनि की अधिकता के कारण अपने घर द्वार और माया सभी से अलगाव सा लगने लगता है उसके जीवन साथी मे एक प्रकार की उत्तेजना आजाती है और वह जो भी मंत्रणा अपने जीवन साथी से लेना चाहता है तुला राशि वाला जातक अपने ही ख्यालो मे मस्त रहने के कारण पूंछे जाने वाले कारण का जबाब भी नही देता है और जीवन साथी को यह लगता है कि वह उसकी बात को सुनने का मानस ही नही बना रहा है या उसकी औकात को नजरंदाज कर रहा है इस प्रकार से तुला राशि के जीवन साथी को ऊंचा बोलना आजाता है यह बात झल्लाहट से भी जोड कर मानी जाती है और शुक्र मंगल मे शनि का असर भी माना जाता है शुक्र मंगल का असर भी इसी प्रकार का होता है कि पति पत्नी के अन्दर कहां तो इतनी उत्तेजना होती है और कहां वह उत्तेजना शनि के कारण लुप्त सी होती जाती है। शनि अपनी गोचर की स्थिति मे तुला राशि वाले जातक के अन्दर मेहनत करने और शरीर को भूखे प्यासे रहकर पालने मे भी मदत करता है साथ ही अपनी अनौखी समझ वाली ताकत को देकर वह जातक के अन्दर एक बुजुर्ग स्वभाव भी भर देता है।
तुला राशि के व्यक्ति मे शनि का असर जब भी खराब होता है तो माना जाता है कि जातक ने कोई एक तरफ़ा काम ही किया है,जैसे कई जातको को एक ही करवट लेटकर नींद आती है जब शनि गोचर से तुला राशि पर आयेगा तो वह जातक को सीधा लेटने से आराम देने की अपनी क्रिया को करेगा,अगर जातक एक ही करवट लेटता है तो जातक का एक तरफ़ का अंग दर्द करने लगेगा सुन्न सा हो जायेगा,इस शनि का काम बेलेन्स करना होता है अगर जातक सीधा लेट कर अपनी नींद को निकालेगा तो जातक आराम से सुबह को जागकर अपने काम को करने लगेगा। इसी प्रकार से कई जातको मे एक प्रकार की आदत होती है कि वे अपने एक तरफ़ के दांतो को इस्तेमाल करते है तुला राशि वाला जातक अगर अपनी बतीसी को दोनो तरफ़ से प्रयोग नही करता है तो एक तरफ़ के दांत निश्चित रूप से जिन्हे वह प्रयोग मे ले रहा है या तो दर्द करने लगेगे या दूसरे तरफ़ के दांत बिना काम किये ही उखडने लगेंगे। इसी प्रकार से यह भी देखा जाता है कि जातक शरीर मे जो भी अंग तुला राशि से सम्बन्धित है उन अंगो पर शनि का असर भी होगा जैसे मेष राशि मे तुला राशि सप्तम मे है,सप्तम का प्रभाव नाभि के नीचे के हिस्से से माना जाता है अगर जातक एक ही पुट्ठे के बल बैठने की कोशिश करेगा तो शनि के इस गोचर के समय मे जातक के दूसरे पुट्ठे मे अपने आप ही दर्द होना शुरु हो जायेगा शनि की बीमारी जैसे खून के थक्के बन जाना सूजन आजाना किसी अंग का अचानक बढने लग जाना,फ़ील पांव पोतो मे पानी आजाना जांघो मे सूजन आने लगना पिण्डलियो मे दर्द की शिकायत हो जाना टखने में एक तरफ़ के पैर मे दर्द होने लगना आदि बाते सामने आने लगेंगी इसी प्रकार से वृष राशि वालो के लिये भी मानना पडेगा कि पाचन क्रिया के बिगडने का भी मामला सामने आने लगेगा गुर्दो की बीमारी या किडनी मे सूजन जैसे कारण बनने लगेंगे मिथुन राशि वालो के लिये पाचन क्रिया औरतो मे बच्चे दानी की शिकायत पेट मे गैस बनना आदि शुरु हो जायेगा,कर्क राशि वालो के लिये सांस की तकलीफ़ पानी वाली बीमारियां छाती मे दर्द पसली का ऊपर नीचे चढ जाना ह्रदय मे खून का थक्का जमने का कारण बन जाना ह्रदय के वाल्व सही रूप से कार्य मे नही होना फ़ेफ़डे मे बलगम जम जाना आदि सिंह राशि वाले बायें हिस्से के कंधे से परेशान हो जायें कार्य मे उनके कमन्यूकेशन का क्षेत्र धीमा हो जाये बायें हाथ मे या दाहिने तरफ़ के पुट्ठे पसली मे दिक्कत का हो जाना आलसी स्वभाव अधिक होना ठंड की बीमारिया होना,बोलने मे कमी हो जाना आदि कन्या राशि वाले अक्सर इस शनि के गोचर से मुंह की बीमारियों से दिक्कत मे आ सकते है जीभ और तालू की बीमारिया होना भोजन मे बासी भोजन और फ़्रीज भोजन को अधिक प्रयोग मे लेना धन की कमी होने लगना जो भी धन चालू खाते मे है वह जमा सम्पत्ति के चक्कर मे फ़्रीज हो जाना खुद के परिवार से ही झगडा और दूरिया बन जाना,मुंह पर काले धब्बे बनने लगना आदि बाते देखी जा सकती है इसी प्रकार से तुला राशि वाले सिर दर्द की परेशानी से काम मे दिक्कत मिलने आंखो की शिकायत मिलना पैदल चलने से शरीर के हिस्से मे दर्द होने ऊंचे स्थान या अन्धेरे स्थान मे फ़िलने आदि से सिर की चोटों मे जिसमे गूमड का पड जाना आदि भी देखा जा सकता है बुद्धि का प्रयोग अधिक नही कर पाना सर्दी के रोगो से परेशान होने लगना आदि माना जा सकता है,लेकिन इस शनि के कारण एक बात और भी देखी जाती है जो भी तुला राशि वाले काम करेंगे वह पक्का और आने वाले समय मे उनके लिये काम करने के लिये देखा जायेगा.वृश्चिक राशि वालो के लिये अब घर से बाहर रहने मे अच्छा लगेगा पहाडी क्षेत्र और घर से अग्नि कोण मे उनके लिये रहने तथा जिनके पास एक ही मंजिल के मकान है वे दूसरी मंजिल को बनाने के लिये भी अपने प्रकार को समझ सकते है यात्रा और आने जाने के कारणो मे कंजूसी भी बनने के प्रभाव मिलने का कारण होगा जहां खर्जा अधिक किया जाता था अचानक ही खर्चे मे कमी आने की बात भी समझी जा सकती है पुराने समय मे जो भी काम कर्जा किस्त आदि से किया था उसके अन्दर किस्त और कर्जा का ब्याज आदि चुकाने मे कमी के कारण बनने लगेंगे। अपने निवास मे आते ही दिक्कत होने लगेगी.धनु राशि वाले कानूनी काम जायदाद बनाने के काम मे अपनी सन्तान के प्रति विवाह आदि के कारणो मे उलझ जायेंगे सन्तान की शिक्षा मे दाहिने कन्धे की बीमारी मे जीवन साथी के पेट और बच्चेदानी आदि के कारणो मे दिक्कत उठा सकते है,मकर राशि वालो को यह शनि अधिक मेहनत और कम कमाई का कारण देने लगेगा काम करने वाले स्थान से अरुचि होने लगेगी और काम को बदलने का कारण बनाने लगेंगे यह समय मकर राशि के जीवन साथी और साझेदार के क्षेत्र मे भी दिक्कत करने वाला है यह अलगाव का समय भी माना जाता है साथ ही इस राशि वाले अपने पिता की सेहत से भी दुखी हो सकते है अपनी माता के बडबोलेपन से अपने परिवार मे भी दिक्कत ला सकते है ससुराल खानदान से बिगाड हमेशा के लिये पैदा हो सकता है आदि बाते मानी जा सकती है। कुम्भ राशि वाले कानूनी काम मे सफ़लता प्राप्त कर सकते है लेकिन पिता और माता की तरफ़ से उन्हे बहुत ही सतर्क रहना पड सकता है सन्तान से दूरिया बनने का कारण भी शुरु हो गया है,रहने वाले स्थान से अरुचि भी होनी मानी जा सकती है,अपने प्रकार से अलग रहने का कारण भी बन सकता है,शरीर के दाहिने बायें अंग मे दिक्कत का कारण पैदा हो सकता है ह्रद्य सम्बन्धी तकलीफ़ हो सकती है जिनकी माता बुजुर्ग है उन्हे विशेष कर ध्यान देने की जरूरत है। इस राशि वालो के लिये मामा खानदान के लिये यह शनि विश्वास घात देने वाला माना जा सकता है जो भी किराया से रहते है या ब्याज का धन्धा करते है उनके लिये इस राशि वाले दिक्कत का कारण बन सकते है कोर्ट केश या इसी प्रकार के अधिक कारण बन सकते है। मीन राशि वालो के लिये खरीद बेच के काम व्यापारिक स्थानो को खरीदने बेचने का काम शादी विवाह या जीवन साथी सम्बन्धी कारणो मे परेशानी का होना नौकरी आदि के क्षेत्र मे दिक्कत का होना,जो लोग नगद धन की ब्रोकर आदि का काम करते है उनके काम के अन्दर अक्समात ही फ़्रीजिंग होने लगना,घर की पूंजी का विनाश होने लगना आदि भी माना जा सकता है।
उपायों के लिये मेष राशि वाले कमर मे काले रंग का सिलाई वाला उन्नीस हाथ का धागा करधनी बनाकर पहिने,दाहिने हाथ में बीच की उंगली में नीलम या काकानीली पहिने,वष राशि वाले कन्याओं को भोजन करवाये जहां भी कन्यादान का अवसर मिले अपनी सेवाओ को दें,हरे पत्ते वाली सब्जियों से बचाव रखे,कर्जा दुश्मनी बीमारी से अपने को दूर रखे किसी की जमानत और किराये से मकान आदि नही दिलवाये,धन को जहां तक हो सके ब्याज पर नही दे,बाहरी लोगो से बचने का प्रयास करे,यात्रा आदि मे चीटिंग से भी बचे,कमन्यूकेशन के साधनो का व्यवसाय करने के लिये रुके गहरे हरे रंग का पन्ना अपने बायें हाथ की अनामिका मे धारण करें यह स्त्री और पुरुष दोनो के लिये ही मान्य है। मिथुन राशि वाले स्कूल यात्री निवास आदि मे सहायता प्रदान करे सन्तान के प्रति आलसी भाव नही रखे,पेट के इन्फ़ेक्सन से बचे आलू जिमीकंद अरबी जैसी गरिष्ठ सब्जी से परहेज करे,आयुर्वेदिक लोहासव का सेवन वैद्य की राय से शुरु करे,मूंगा दाहिने हाथ की अनामिका मे धारण करे, कर्क राशि वाले सफ़ेद नीलम को बायें हाथ की बीच वाली उंगली मे धारण करे,सर्दी से बचाव रखे ठंडी और पहाडी हवा से बचाव रखे यात्रा कम से कम करे,माता और पानी वाले साधनो पर ध्यान रखकर चले,गीले और शुष्क वातावरण से अपने को बचा कर चले,ह्रदय मे भारीपन होने पर अकीक भस्म शहद के साथ वैद्य की राय से लेना शुरु करे,सिंह राशि वाले भी हर्तिमा लिये हुये नीलम को धारण कर सकते है,बायें हाथ की भुजा पर लाल रंग के ऊन का धागा बांध कर रखें,छोटी यात्राओं बाहर आने जाने मे आलस नही करे कमन्यूकेशन के साधनो को सम्भाल कर रखे चोरी आदि की घटनाओ से बचाव रखे सुरक्षा व्यवस्था को चौकस रखे,इसी प्रकार से अन्य राशियों वाले भी अपने अपने अनुसार उपाय कर सकते है,या अपने प्रश्न ईमेल से भेज कर उत्तर प्राप्त कर सकते है.

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