Friday, July 20, 2012

नौकरी ही क्यों ?

प्रस्तुत कुंडली सिंह लगन की है और सूर्य स्वामी है,सूर्य का स्थान लगन मे ही है और जीवन को उन्नति देने वाला ग्रह राहु तीसरे भाव मे है,तीसरे सातवे और ग्यारहवे भाव मे राहु के आने से आजीवन व्यक्ति को झंझावतो में झूले जैसी स्थिति से जूझना पडता है। उसके साथ ही जब केतु पर किसी खराब ग्रह की नजर पड रही हो और वह केतु केवल परिवार के लिये भोजन पानी की वय्वस्था जुटाने के लिये राहु से मदद मांगता रहे। इसके अलावा एक बात और भी जानी जाती है कि जब राहु केतु किसी भी ग्रह या भाव को अपने कब्जे मे ले लेते है तो दूसरा कोई भी ग्रह उन भावो और ग्रहो की रक्षा भी नही कर पाता है यह राहु केतु के कारण जीवन केवल इनकी गुलामी मे ही काटना पडता है। केतु नवे भाव मे है और केतु की नजर सूर्य बुध और शुक्र पर भी है,केतु को धन भाव मे विराजमान मंगल और बारहवे भाव के शनि ने भी अपनी पूरी नजर प्रदान की है.कर्क का शनि बारहवे भाव मे है और कन्या का मंगल धन भाव मे है,मंगल और शनि को बल देने के लिये गुरु चन्द्र भी दसवे भाव से अपनी पूरी सहायता प्रदान कर रहे है गुरु का साथ धन की राशि मे होने के साथ साथ नीच का प्रभाव भी है,जातक को जो भी ग्यान मिलेगा वह कार्य और शिक्षा के रूप मे नीच का ही मिलेगा यानी जातक को जो भी शिक्षा और सम्बन्ध मिलेंगे वे केवल धन कमाने के लिये अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिये और उन्नति के नाम से तकनीकी कारण दिमाग मे लाने के लिये ही मिलेंगे। कन्या का मंगल धन के भाव मे है वह धन जो नगद रूप से देखा जाये,लेकिन कन्या राशि धन के भाव मे होने से धन का रूप वही माना जा सकता है जो उधार लेकर प्राप्त किया जाये नौकरी करने के बाद प्राप्त किया जाये,पर गुरु की नजर आने के बाद जातक को यह मंगल उन्ही कारको मे नौकरी आदि करने के लिये अपनी गति को प्रदान करेगा जहां से जातक नौकरी करने के बाद लोगो को उधार का धन प्रदान करवाये साथ ही धन को प्रदान करवाने के लिये उन्ही कारको को देखा जाये जो शनि से सम्बन्धित हो शनि कर्क राशि का है और इस शनि की शिफ़्त उन्ही कारको से जुडी हो जो वाहन से सम्बन्धित रखते हो यात्रा से सम्बन्ध रखते हो मकान दुकान और आदि से सम्बन्ध रखते हो या बडे सन्स्थान जो लोगो की सहायता से चलाये जाते हो उनसे सम्ब्नध रखते हो,इस प्रकार की शिक्षा को प्राप्त करने के बाद जातक के लिये कार्य का रूप माना जा सकता है।
मंगल का स्थान कन्या राशि मे होने से तथा गुरु के नीच प्रभाव से देखे जाने से जातक को लगता है कि वह केवल अपनी आजीविका को नौकरी से ही निकाल पाएगा,इसके अलावा भी कोई काम अगर जातक करता है तो उसके लिये हानिकारक होंगे। जातक का जन्म नीच के गुरु के समय में गुरुवार को ही हुआ है जातक के लिये कहा जा सकता है- "Birth on a Thursday makes you kind and compassionate. You can look forward to a happy family life. You combine practical wisdom and a philosophical and religious approach to life in a seamless manner." व्यापार के लिये इन सभी कारणो को नजरंदाज करना पडता है,कारण धन या परिवार मे एक ही का प्राप्त होना माना जा सकता है इस दिन जातक के जन्म के कारण जातक केवल अपने परिवार की ही भलाई को देखना चाहेगा और उसके लिये वह अपने को हर प्रकार से बलिदान करने के लिये अपनी आदत में ही रहेगा उसे स्वार्थी होने से बाहर वालो के लिये ही माना जा सकता है लेकिन वह अपने परिवार के लिये कतई स्वार्थी नही होगा। इसके बाद देखा जाता है कि तैतिल्य करण में पैदा होने वाला जातक एक स्थान पर नही टिक सकता है जबकि व्यापार के लिये एक ही स्थान से टिक कर रहना पड्ता है और अपने एक ही उत्पादन के लिये जी जान से लगना पडता है जब बार बार मन को बदला जायेगा स्थान को बदला जायेगा और जहां जातक पैदा हुआ है वहीं नही रह पायेगा तो उसकी स्थिति मे केवल नौकरी या इसी प्रकार के काम ही माने जायेंगे जो केवल चल फ़िर कर किये जायें यथा- "Since you are born in Taitila Karana, you may find it difficult to stick to your own ideas and words.Generally, you do not voice strong opinions. You may shift your residence often." नौकरी के अन्दर तो यह हो सकता है कि बार बार स्थान का बदलाव किया जाये और बार बार काम को बदल दिया जाये या बार बार कार्य क्षेत्र को बदल दिया जाये। इसके अलावा एक बात और भी देखी जाती है कि जातक अगर व्यघात योग में पैदा हो जाता है तो उसका मूड कब बदल जाये कोई पता नही होता है यथा -"A quick temper is one of the negative effects of VYAGHATHA NITHYAYOGA. You may seem intimidating to those around you. People are wary of your changing moods. Your plans change according to your whims. There is something distinctive about your eyes. You are generally well liked." वह अपनी बात को रखने के लिये और केवल अपनी ही सुनने के लिये अपने को कब झल्लाहट से पूर्ण कर ले कोई पता नही होता है,इस प्रकार से नौकरी के लिये यह योग और यह करण दोनो ही अपनी अपनी भूमिका आजीवन निभाने के लिये अपनी योग्यता को प्रदान करने के लिये जाने जाते है।
जन्म के मंगल पर जब भी शनि गोचर करता है तो जातक के कार्यों के अन्दर यह तकनीकी दिमाग मे फ़्रीजिंग भर देता है और जातक के ऊपर उसके अधिकारियों के आक्षेप विक्षेप लगने लगते है,वह जो भी काम करता है उसके काम के अन्दर लोग अपनी अपनी उंगली लगाकर काम को नकार देते है और जो काम वे खुद करते है या जातक के किसी काम को खुद के नाम पर करने के बाद जातक को अपमानित भी करने लगते है जातक को डर होता है कि उसकी बुद्धि काम नही कर रही है और उसका तकनीकी दिमाग फ़ेल जैसा हो गया है जातक घबडा जाता है और अपने स्थान को बदलने मे ही अपनी भलाई समझता है। इस प्रकार से जातक के जीवन मे परिवर्तन हमेशा ही आते रहते है। चन्द्रमा से पंचम का शनि कभी मानसिक रूप से परिवार सन्तान जीवन साथी जीविका लाभ के साधन दोस्त मित्र बडे भाई और धन तथा परिवार के खुद के लोगो से दिक्कत का कारण बनाने के लिये भी जाना जाता है.
अगर जातक अपनी दिमागी हालत को सुधार कर अपने डर को दूर करने के बाद व्यापार के लिये अपनी गति को शुरु करता है तो जिन गुरु चन्द्र ने अपने रहने वाले स्थान को छोडा है अपने घर और पैत्रिक स्थान को तिलांजलि दी है साथ ही अपने परिवार  मे सन्तान की शिक्षा और अस्पताली कारणो को समझ कर उसे आगे बढाया है से निजात पा सकता है। गुरु और चन्द्र का रुख फ़ौरन चौथे भाव की तरफ़ देखने लगेगा और वही मंगल जो इस घर का मालिक है चौथे भाव से ग्यारहवे भाव मे आकर लाभ का कारण पैदा करने लगेगा,शनि जो बारहवे भाव मे रहकर जन्म स्थान को छुडवा रहा है उसी जन्म स्थान से सम्बन्धित कार्य जो मंगल से जुडे हो यानी भूमि होटल खनिज आदि के काम मे आगे बढाने के लिये अपनी सहायता देने लगेगा।

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