Saturday, November 3, 2012

वक्री शनि के साथ केतु बनाम चलती फ़िरती वकालत की किताब

धनु लगन की कुंडली है गुरु का स्थान वक्री बुध और सूर्य के साथ तीसरे स्थान मे है.राहु लगन मे है शुक्र दूसरे भाव मे है,चन्द्रमा चतुर्थ मे है,मंगल छठे भाव मे है,शनि वक्री होकर केतु के साथ सप्तम स्थान मे है.कार्य का मालिक तभी सफ़ल माना जाता है जब लाभ का मालिक सहयोग करे और धन का मालिक तभी सफ़ल माना जाता है जब भाग्य का मालिक सहयोग करे। शुक्र कुंडली मे लाभ का मालिक है लेकिन शुक्र ही कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के कार्यों का मालिक है,लाभ तभी माना जा सकता है जब रोजाना के कामो मे कर्जा दुश्मनी बीमारी को निपटाने वाले काम किये जाये,लेकिन मकर राशि के शुक्र की आदत होती है कि किसी भी काम को दुबारा करना और दुबारा करने के पहले किये जाने वाला काम खत्म कर देना इस प्रकार से जो भी लाभ वाली बात होती है वह एक बार करने के बाद समाप्त करने से दुबारा करने से मेहनत और समय के साथ साथ बुद्धि का कारन भी दोहरा खर्च करना पडता है इस प्रकार से जो लाभ एक रुपये का होना था खर्चा पचास पैसे का था वहां पर खर्चा भी एक रुपया हो गया और लाभ भी एक रुपया हुआ तो फ़ायदा केवल काम का पूरा होना बाकी की बचत और रोजाना के कामो के लिये जद्दोजहद का लगातार बना रहना जारी रहा। सप्तमेश और कार्येश बुध का तीसरे भाव मे वक्री होने का मतलब है कि लोगो के लिये काम करना लोगो को सलाह देना और केवल वाहवाही को प्राप्त करना लाभ के मामले मे केवल लम्बी सांस भरकर यह सोच लेना कि चलो अपना काम नही हुआ तो कोई बात नही किसी का फ़ायदा तो हो गया है। वक्री बुध का एक प्रकार और भी देखा जाता है कि अगर तीसरे भाव मे है तो वह लोगो के लिये बात करने की बजाय लोगो की बात को सुनने मे अपना समय अधिक लगाता है लोग कहते रहते है और जातक बातो को सुनता रहता है वह लोगो की बात को सूर्य के साथ होने से सरकार के पास पहुंचाता है या लोगो की बात को राजनीतिक रूप से प्रदर्शित करता है इस प्रकार से अनुसंसा करने वाले लोगो की श्रेणी मे जातक का जीवन चला जाता है। गुरु भी साथ है तो खुद के बडे भाई के रूप मे खुद को प्रदर्शित करता है और अपने जीवन को या तो खुद की औकात के साथ बडे भाई के सानिध्य मे बिताना पडता है या बडे भाई बनकर लोगो की सहायता करनी पडती है। बुध का गुरु के साथ वक्री होने का मतलब भी एक प्रकार से रिस्ता जोडकर लोगो की सहायता करने के साथ ही माना जाता है वह लोगो के लिये रिस्ता जोडने का काम करता है लोगो के फ़ायदे के लिये सरकारी सहायता की व्यवस्था को कायम करता है या लोगो के लिये भागदौड करता है खुद के धन को खर्च करता है अपने जान पहिचान और सम्बन्धो के आधार पर लोगो की सहायता करता है। लेकिन निश्चित काम खुद के लिये नही होते है। कहने को तो चन्द्रमा से दसवा राहु भूत की तरह से काम करने का अधिकारी बनाता है लेकिन जरूरी नही है कि राहु देव की कृपा हमेशा ही बनी रहे कभी कभी तो इतना आलसी बना देता है कि काम करना तो दूर की बात है यह ही पता नही होता है कि काम कब करना कितना करना और काम का फ़ल आगे क्या मिलना है।

वक्री शनि दिमागी काम करने के लिये अपनी पूरी ताकत देते है और केतु भी साथ हो जाये तो दिमागी रूप से धागे फ़ैला कर जाल बनाने का काम भी बडी अच्छी तरह से किया जा सकता है पैदाइसी वकील का दिमाग होने से अदालती कामो मे समाज के काम मे राजनीति और धर्म सम्बन्धी काम मे सरकार से मिलने वाली सहायता और बिना लाभ के लोगो के लिये लाभ देने वाली संस्थाओ के निर्माण से भी माना जाता है दिमाग से जो भी बुन दिया जाता है उससे एक नया कारण बन जाता है लेकिन वक्री शनि केतु के साथ मिलकर अपने दिमाग को खाली समय मे इतना प्रयोग मे ले लेते है कि वह भोजन भूख नींद आदि को कुछ समय के लिये भूल से जाते है और शरीर मे कमजोरी का होना रोजाना के कामो मे देरी होना जैसे किसी की सहायता के जल्दी जाग गये और उसके काम मे इतने मशूगल हो गये कि अपने रोजाना के काम जैसे दिन चर्या आदि सभी कुछ भूल कर केवल सामने वाले के लिये किये जाने वाले काम मे कानून मीडिया बातचीत और बताने लिखने कहने प्रसारित करने पहिचान बनाने मे बिजी कर लेना भी एक बात मानी जाती है।

वक्री शनि के लिये एक उपाधि लालकिताब से मिलती है वह उपाधि बहुत ही मजेदार भी है और काम के समय मे मतलबी के लिये भी जानी जाती है यह उपाधि मतलबी चाचा के लिये मानी जाती है यानी चाचा जब मतलब हुआ तो साथ मे आ गया और बिना भतीजे (केतु) के काम नही होना है जैसे ही चाचा का काम हो गया भतीजे को भूल गये या इस प्रकार से भी समझा जाये कि जातक को यह वक्री शनि केवल लट्ठ की तरह से प्रयोग करता है जब तक जरूरत रही साथ रखा और जैसे ही जरूरत पूरी हुयी कमरे के कौने मे खडा कर दिया। यही बात उन लोगो के लिये भी मानी जाती है जो राजनीति मे अपनी जरूरत को पूरा करने के लिये लोगो का प्रयोग करते है काम के वक्त मे उनके लिये सभी साधन बना देते है लाभ के लिये भी कई प्रकार के सपने दिखा देते है और जब तक उनका सहयोग लेना होता है वाहन की सुविधा भोजन की सुविधा अधिकार देने की सुविधा धन को खर्च करने की सुविधा को देते रहते है हथियार को साथ लेकर चलने का काम बाडी गार्ड का काम कानूनी कामो को करने के लिये अदालती चक्कर लोगो से मिलने जुलने का काम सामाजिक कामो मे भेजकर अपने नाम को प्रसारित करने वाले काम आदि इस शनि की शिफ़्त के अनुसार करवाये जाते है लेकिन जैसे ही वक्री शनि रूपी चाचा का मतलब सिद्ध हुआ या कोई काम नही हुआ तो जातक को एक किनारे पर रख दिया और खुद भी अपने को दूर दूर रखने लगे आदि बाते इस वक्री शनि के लिये देखी जाती है।

मार्गी शनि शनि के वक्री होने पर काम करने की बुद्धि देता है और वक्री शनि शनि के मार्गी होने पर काम करने की बुद्धि देता है अक्सर यह बात जातक खुद ही महसूस करते है कि वक्री शनि जब गोचर से वक्री होता है तो उन्हे शरीर की तकलीफ़े बढ जाती है वह जो भी काम करते है वह मेहनत से करना पडता है और मेहनत से वही काम कर सकते है जिनके जन्म समय मे शनि मार्गी होता है। मार्गी शनि वाले लोग तभी बुद्धि वाला काम कर सकते है जब गोचर से शनि वक्री हो। शनि केतु की युति को वकील की हैसियत से भी देखी जाती है अक्सर जिनके जन्म समय मे शनि मार्गी होता है वह शनि के वक्री होने के समय मे हारा हुआ केश भी जीत जाते है और जिनके जन्म समय मे शनि वक्री होता है वह शनि के वक्री समय में जीता हुआ केश भी हार जाते है। यही बात उन लोगो के लिये भी देखी जाती है जो लोग संस्था बनाने का काम करते है कम्पनी बनाकर काम करना जानते है इनके साथ भी वकील जैसी हालत होती है ।

मार्गी शनि वाले व्यक्ति समाज के अनुसार चलने वाले कामो को करने मे विश्वास करते है लेकिन वक्री शनि वाले जातक उन्ही कामो को अधिक करते है जो समाज से उल्टे काम माने जाते है। उल्टे कामो का तात्पर्य इस प्रकार से है जैसे एक काम करने वाले होते है और दूसरे काम करवाने वाले होते है अगर काम करने वाले काम को नही भी करना चाहे तो काम को करवाने वाले व्यक्ति अपनी बुद्धि से चालाकी से काम करवाने की तकनीक से काम करवाने की क्षमता को रखते है और अगर वह किसी कम्पनी के लिये काम कर रहे है तो वे लेबर से अधिक काम करवा सकते है वक्री शनि वाले लेबर यूनियन के नेता बनते है और मार्गी शनि वाले उस यूनियन के सदस्य बनते है। लेकिन नेता का समय तभी उल्टा हो जाता है जब गोचर से शनि वक्री हो जाता है उस समय लेबर को बुद्धि आजाती है और नेता के लिये अनर्गल बाते शुरु हो जाती है नेता जबाब नही दे पाता है और कभी कभी लेबर के विरुद्ध होने की वजह से चलने वाली नेतागीरी बन्द भी हो जाती है,यही बात समाज का काम करने वाले के लिये भी माना जाता है परिवार को सम्भालने वाले के लिये भी माना जाता है।

वक्री शनि अगर वक्री बुध से किसी प्रकार की युति ले लेता है तो व्यक्ति शायर की हैसियत का आदमी बन जाता है यानी शायर जो भी लिखता है वह उल्टा ही लिखता है जितना उल्टा लिखना जिसे आता है वही सफ़ल लिखने वाला शायर कहा जाता है।  प्रसिद्धि भी उन्ही लोगो को मिलती है जो उल्टा लिखना जानते है। यही बात सूर्य गुरु के साथ वक्री बुध और वक्री शनि के प्रति जंगल के राजा शेर के लिये मानी जाती है,शेर कभी भी सीधी राह पर चलने वाला नही होता है वह हमेशा रास्ता छोड कर उल्टे रास्ते पर चलने वाला होता है,कारण सीधे रास्ते पर चलने पर उसे कोई शेर की गिनती मे नही कहेगा,घास खाने वाले जानवर सीधे रास्ते पर चलने वाले होते है लेकिन घास खाने वालो को खाने के लिये शेर उल्टे रास्ते पर चलना अपनी शान समझता है यही बात सूर्य गुरु वक्री बुध और वक्री शनि के लिये सन्तान के रूप मे सपूत के लिये मानी जाती है,सन्तान जब समाज और लोगो के अनुसार अपने काम को करती है तो वह साधारण सन्तान कही जाती है लेकिन सपूत हमेशा समाज के कामो के लिये परिवार के कामो के लिये उल्टे तरीके से सोचना और काम करने का अधिकारी माना जाता है लोग काम करने के बाद परिणाम को तभी देखते है जब शनि मार्गी होता है लेकिन काम को करने के पहले ही अनुमान लगाकर काम करना कि काम का फ़ल कितना मिलेगा यह बात काम करने के पहले सोच लेने के लिये सपूत को ही माना जाता है लेकिन केतु के साथ होते ही वह अन्य के लिये माना जा सकता है खुद के लिये कभी भी फ़लदायी नही होता है।

वक्री शनि के साथ केतु के होने से अगर व्यक्ति के जीवन के उत्थान के लिये कोई शनि वाला चलता हुआ उपाय करवाया जाये तो वह फ़लीभूत भी नही होता है और किये जाने वाले उपाय का महत्व भी आस्तित्वहीन हो जाता है अगर वक्री शनि वाला व्यक्ति उल्टे उपाय करे तो उसे फ़ल अच्छे मिलने शुरु हो जाते है,जैसे कोई शनि का दान करने के बाद अच्छे फ़ल प्राप्त करता है तो वक्री शनि वाला शनि से दान लेकर अपने को सफ़ल बना सकता है जैसे शनि वाली वस्तुये मन्दिर से लाना और खाने पीने मे रोजाना के प्रयोग मे लाना आदि। मार्गी शनि वाला व्यक्ति शनि की फ़ायदा वाली बात को नीलम को दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली मे पहिन कर भाग्य को चमका सकता है लेकिन वक्री शनि वाला व्यक्ति नीलम को बायें हाथ की बीच वाली उंगली मे धारण करने के बाद भाग्य को चमका सकता है,अपने जीवन साथी को नीलम पहिना कर अपने भाग्य को चमका सकता है लोगो को शनि वाली वस्तुये प्रदान कर अपने भाग्य को चमका सकता है आदि बाते समझनी जरूरी होती है। वक्री शनि अगर गुरु सूर्य और वक्री बुध के साथ केतु का साथ ले रहा है तो जातक को राजनीति पर लिखना बहुत सही होता है वह अपने लेखो के द्वारा अपने कार्यों की समीक्षा को हकीकत मे प्रसारित करने के बाद अपने आसपास के माहौल में होने वाले राजनीति वाले कारणो को अपनी उल्टी लेखनी के द्वारा प्रसारित करने के बाद धन और यश दोनो को प्राप्त कर सकता है वह अपनी लेखनी को मासिक पत्रिका या इसी प्रकार की हमेशा चलने वाली धारा प्रवाह लेखनी को चलाता रहे तो एक दिन उसे नाम और धन से बहुत अच्छी तरह से नवाजा जाता है। यही बात अगर जातक अपने जीवन मे राजनीति के सम्बन्ध मे कायम कर ले और रोजाना के कामो मे लोगो की राजनीति से सम्बन्धित राजकीय कार्यों मे आने वाली बाधा के सम्बन्ध मे सहायता करने लगे नियत समय पर लोगो से मिलना और उनकी राजकीय सहायता से सम्बन्धित कार्यो को करवाना जो लोग कानून को नही जानते है उन्हे कानूनी सहायता को देना जो लोग सामाजिक रूप से प्रताणित है उन्हे समाज मे स्थान दिलवाना आदि काम अगर नियत समय पर किये जाये तो वह काम जातक को सफ़लता भी दे सकते है और एक दिन राजकीय जान पहिचान और लोगो के अन्दर अपना स्थान बनाकर राजकीय पुरुष जैसे मंत्री नेता आदि का रूप भी प्रदान कर सकते है राजकीय व्यक्ति का व्यक्तिगत सलाहकार भी बना सकते है।

वक्री शनि के साथ केतु वाले व्यक्ति को एक बात और भी ध्यान मे रखकर चलना चाहिये कि ऐसा व्यक्ति अगर खुद काम करता है तो वह सफ़ल नही हो सकता है अगर इस प्रकार की युति वाला जातक लोगो से काम करवा सकता है तो सफ़ल हो सकता है,यानी इस युति वाले जातक को कोई भी काम खुद नही करना चाहिये वह लोगो से काम करवा कर अपने जीवन को चमका सकता है उसे अगर कोई प्रार्थना पत्र भी लिखना है तो वह अपनी डिक्टेशन को लोगो के द्वारा ही लिखवाये खुद नही लिखे,केवल अपने दिमाग का प्रयोग करने के बाद कार्य करवाने की कोशिश करे। इस युति के जातक अपने रोजाना के कामो को समय के अनुसार करे तथा आलस आने के समय में सोचे नही केवल नींद को पूरा करने का प्रयास करें,तामसी भोजन शराब कबाब अधिक ऐशो आराम अकर्मण्य बना सकता है इससे इस युति के जातक बचे रहे तो उन्हे आशातीत सफ़लता प्राप्त करने से कोई रोक नही सकता है। एक बात और भी जरूरी है कि अगर इस युति मे पैदा होने वाले जातक अपने बायें हाथ का किसी भी काम मे पहले प्रयोग मे लाये तो काम जरूर ही पूरा होता है,बायें हाथ का मतलब है कि अपने जीवन साथी से उस काम की शुरुआत करवाये अगर अकेले है तो अपने बायें हाथ का काम मे लगाना उन्हे जरूर सफ़लता की तरफ़ ले जाता है।


2 comments:

  1. प्रणाम गुरूजी ..अति सुंदर विवेचन ..वक्री शनि यानि दिमाग से बुद्धि से कूटनीति से अपने कार्य केतु यानि शरीर धारी शुद्र या दूसरों के आधिकारो पर पलने वाले से अपना कार्य करवाना वक्री शनि और केतु के जातक लोगो पर अपना प्रभाव धीरे -धीरे करता है ..वक्री शनि वक्री बुध के साथ समाज के विपरीत कार्य करके समाज में अपनी हेसयत बनाता है यानि कोई भी सामाजिक कार्य और बात रीतियों की नहीं परिभाषा अर्थ देकर प्रसिद्ध होता हैं ..वक्री शनि को लाभ का गुरु आपने ज्ञान से लाभ देता है वक्री शनि के साथ गुरु सूर्य और बुध आलोचक और खुद को प्रगतिशील व्यक्ति बताता है परन्तु होता नहीं ..धन्यवाद

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