परिवर्तन योग के बारे मे शास्त्रो मे बहुत कुछ पढने को मिलता है और वास्तविक जीवन मे भी देखने सुनने को मिलता है। परिवर्तन का सीधा अर्थ एक दूसरे की अदलाबदली से लिया जाता है। यह योग मेष सिंह और धनु राशि के मालिकों की आपसी अदलाबदली से राजयोग मे तब्दील करता है लेकिन वृश्चिक कर्क और मीन राशि के लिये अशुभ माना जाता है यही नही जब यह योग जोखिम और कार्य की पूरक राशियों मे अपना परिवर्तन योग सामने लाता है तो जातक आजीवन जद्दोजहद के लिये जुटा रहता है लेकिन सफ़लता फ़िर भी कोशो दूर होती है। राशि के स्वामियों का परिवर्तन योग नक्षत्रो के स्वामियों का परिवर्तन योग नक्षत्र के पदो के स्वामियों का परिवर्तन योग भावों के स्वामियों का परिवर्तन योग आदि मुख्य परिवर्तन योग माने जाते है यह बात अक्सर लगनो मे भी मान्य होती है जैसे चन्द्र लगन और लगन के आपसी परिवर्तन कारण सूर्य लगन और चन्द्र लगन के आपसी अथवा लगन और सूर्य लगन की आपसी सम्बन्धो के परिवर्तन का असर भी जातक के जीवन मे आता है,जब नवमांश् और लगन चन्द्र लगन सूर्य लगन कारकांश आदि के परिवर्तन का प्रभाव सामने लाया जाता है तो जातक का जीवन साथी के प्रति अच्छा प्रभाव भी होता है बुरा प्रभाव भी होता है।
प्रस्तुत कुंडली मकर लगन के एक जातक की है और वह लखनऊ मे पैदा हुआ है। शनि मंगल का परिवर्तन योग इस कुंडली मे विराजमान है ९० डिग्री का अन्तर पराक्रम और लाभ के प्रति मिलता है। जब पराक्रम दिखाने का समय आता है तो लाभ के प्रति सोच लिया जाता है और जब लाभ की बात सोची जाती है तो पराक्रम के बारे मे सोचा जाता है,यानी जब भी लाभ के प्रति सोचा जायेगा तो अपनी औकात को परखने का कारण सामने आजायेगा और जब औकात को बनाया जायेगा तब तक लाभ का साधन समाप्त हो जायेगा। यही बात दोनो ग्रहों के प्रति भी समझी जा सकती है जब मंगल उच्च के काम करने के लिये अपनी युति को प्रदान करेगा तो शनि अपनी युति को सामने लाकर कठिन परिश्रम और कम आय के लिये अपने प्रभाव को शुरु कर देगा,इसके साथ ही जो भी सौम्य ग्रह इन दोनो के गोचर से जन्म के स्थानो से प्रभाव मे आयेगा अपनी युति बदलने लगेगा और बजाय लाभ के साधन देने के हानि और असमंजस की स्थिति को पैदा कर देगा इस प्रकार जातक का जीवन शनि मंगल की आपसी परिवर्तन नीति के प्रयोग से हमेशा एक झूले की तरह से झूलता हुआ रहेगा।
मकर लगन का मालिक शनि है और मंगल लाभ का मालिक भी है और खुद के द्वारा किये जाने वाले काम का भी है मंगल जब लगन मे है तो जातक के प्रति मकर लगन का होने के कारण बात के प्रति पक्केपन की उपाधि भी देता है,जो भी काम किया जाता है वह स्पष्ट रूप से द्रश्य करने के लिये भी कहा जाता है लेकिन शनि जब लाभ भाव मे चला जाता है तो जो नीचे तबके के लोग होते है वह लाभ के प्रति अपनी सोच को बदल देते है और उन्हे न्याय संगत कामो से धन कमाने की अपेक्षा एन केन प्रकारेण धन कमाने के प्रति देखा जा सकता है। वैसे भी शनि मंगल की आपसी युति को कार्य के प्रति तकनीक और उत्तेजना ही माना जाता है जब भी शनि जन्म के मंगल के साथ या मंगल जन्म के शनि के साथ गोचर करेगा जातक के किये जाने वाले कार्यों मे आक्षेप विक्षेप मिलने लगेंगे यानी जातक के द्वारा कार्य किया जायेगा और शनि की चालाकी से लाभ दूसरे लोग प्राप्त करने लगेंगे। इसके साथ ही जब कार्य तकनीकी रूप से किया जायेगा उस तकनीक मे शनि का अन्धेरा जातक के किये गये कार्यों को सामने नही लायेगा और जो भी जातक से कार्य करवाने वाले अधिकारी है वह जातक से किसी न किसी बात पर असन्तुष्ट बने रहेंगे और जातक को वह लाभ नही देंगे जो जातक को वास्तविक रूप से मिलना चाहिये। यह बात तो केवल ग्रह परिवर्तन योग के लिये मानी गयी है इसके अलावा जातक की कुंडली को सूक्ष्म विवेचन से देखा जाये तो जातक का गुरु राहु के नक्षत्र शतभिषा के चौथे पाये मे है लेकिन यह पाया मंगल का होने के कारण तथा मंगल जो श्रवण नक्षत्र के दूसरे पाये मे है वह गुरु का पाया होने के कारण गुरु मंगल का परिवर्तन योग की सीमा मे आजाता है। इस प्रकार से जातक ऊंची पढाइयां तो करेगा लेकिन वह पढाइयां केवल तकनीकी रूप से प्रयोग मे ली जाने वाली होंगी और उन पढाइयों के अनुसार जातक का प्राथमिक सोचने का कारण केवल उच्च पद की राजकीय सेवाओं के लिये अपना असर प्रदान करेगा लेकिन सूर्य का नीच का होने के कारण और नीच राशि बैठने के कारण तथा शुक्र का स्वराशि मे वक्री होने के कारण एक प्रकार से कार्य योजना के अनुसार अपने को नही लगा पायेगा और घरेलू झगडों शादी विवाह की चिन्ता और दूसरो की उन्नति को सामने रखकर अपनी योजना को चलाने के कारण अपनी बुद्धि और विवेक का सहारा भी नही ले पायेगा तथा शुक्र की वक्री नीति की जल्दबाजी की नीति से की गयी पढाइयों का पूर्ण लाभ भी नही ले पायेगा।
एक प्रकार से शनि के अन्दर मंगल का भाव आने से वह अपने अन्दर तकनीकी बुद्धि को प्राप्त कर तो लेगा और जन्म के मंगल पर अपना असर भी तकनीकी बुद्धि के लिये देगा पर परिवर्तन योग के कारण वही मंगल शनि की चालाकी और विवेक हीन बुद्धि का असर प्रदान करने के बाद मंगल का असर लेने के बाद अपनी कन्ट्रोल करने वाली नीति को जन्म के गुरु को देगा और गुरु के अन्दर वक्री होने से स्वार्थी नीति होने तथा खुद के समाज परिवार और मर्यादा आदि का ख्याल नही रखने के कारण एक प्रकार से अपने ही लोगो से दूर रखकर अपने कार्यों के अन्दर कोई न कोई कमी लाने और उसे निकालने मे अपनी दिन चर्या को लगा देगा।
वक्री गुरु का एक असर और जातक के लिये देखा जा सकता है कि वह धन भाव मे होकर शनि की राशि मे अपने वक्री स्वरूप को प्रदान करता है इस प्रकार से जातक के अन्दर एक प्रकार से आधुनिकता के नाम से अलग ही दिखाई देने की प्रवृत्ति भी सामने आती है। इस प्रवृत्ति से वह अपने को दिखाना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन पराक्रम मे राहु होने के कारण वह डरता भी है और बाहरी कारणो नेट कम्पयूटर और बडी संस्थानो के प्रति तर्क वितर्क करने का एक जरिया भी बन जाता है जब भी राहु मीन राशि का होता है और शनि वृश्चिक राशि का होता है तो जातक के अन्दर केवल आशंकाओं की आंधिया चला करती है वह अपने अनुसार अपने कार्य क्षेत्र के प्रति प्रचार प्रसार और कबाड से जुगाड बनाने की नीति को प्रयोग मे लाता है।
शनि मंगल का आपसी सम्बन्ध एक प्रकार से भौतिक पदार्थों मे गर्म पत्थर के कैसा भी माना जाता है साथ ही शनि मंगल को आपसी सम्बन्धो मे एक ऐसी आग के रूप मे देखा जाता है जो धीरे धीरे एक बर्फ़ के पहाड को पिघलाने का काम करती है इसे ही गरीबी धन अभाव का कारक भी माना जाता है जैसे अधिक जिम्मेदारियां होने के बाद अपनी कम आवक से जिम्मेदारियों को पूरा करते जाना।
ग्यारहवे भाव मे शनि का रूप बडे भाई के रूप मे भी देखा जा सकता है,और लगन का मंगल केवल अकेले होने की बात भी करता है,इसके साथ ही शुक्र वक्री होकर तथा साथ मे तुला राशि का बुध होने से पत्नी और पत्नी की बहिन के लिये एक ही स्थान या परिवेश या घर मे होने की बात भी करता है एक सम्बन्ध को हटाकर दूसरे सम्बन्ध के प्रति भी अपनी भावना को प्रदान करता है। नीच का सूर्य होने से जातक को अक्सर पत्नी और ससुर पर निर्भर भी करता है। इस सूर्य की युति को कम करने के लिये जातक को लाल किताब के उपाय के अनुसार चार तांबे के चौकोर वर्गाकार टुकडे लेकर चार रविवार लगातार बहते पानी मे बहाने से सूर्य जो राजयोग को जला रहा है वह बुध को स्वतंत्र कर सकता है और जातक को कुछ हद तक सूर्य शनि के बीच के बुध और शुक्र की पापकर्तरी योग की सीमा को कम करने के लिये भी कारगर सिद्ध हो सकता है। इसी प्रकार से पंचम का चन्द्रमा भी जब नवे केतु से सम्पर्क रखता है तो जातक को सहायक के काम करने के लिये ही अपनी गति को प्रदान करता है इस प्रकार से जातक का सम्पर्क तो बहुत बडे और अमीर लोगो से होता है लेकिन उनके लिये केवल सहायता के काम करने के बाद कुछ समय के लिये ही जीवन यापन के साधन मिल पाते है मंगल के साथ केतु की युति लेने से जातक के अन्दर धन और जनता से वसूले जाने वाले धन के प्रति जिम्मेदारिया तो मिलती है लेकिन राहु के द्वारा जनता के कारक चन्द्रमा से युति लेने से एक प्रकार का डर जो धन आदि से सम्बन्धित होता के प्रति भी अपनी बात को जाहिर करता है।
परिवर्तन योग के कारण जो शनि चन्द्रमा से युति लेकर कार्य को कुये से पानी निकालने का काम करता है उसी प्रकार से मंगल की युति से चन्द्रमा उसे दवाइयों या गर्म पानी के रूप मे अपनी युति को प्रदान करता है,यही कारण केतु के लिये भी अपनी प्रभाव वाली नीति को सामने लाता है धन से सम्बन्धित या शिक्षा न्याय स्कूली कार्य आदि के प्रति अपनी युति को शनि के द्वारा खनिज सम्पत्ति और गुप्त कार्यों के प्रति प्रसारित करता है तो मंगल की युति से दक्षिण दिशा और यात्रा आदि के कार्यों को करने ब्रोकर वाले कामो को करने की अपनी योजना को प्रदान करता है। जातक के लिये केतु भी अपनी भूमिका को अदा करता है सबसे पहले केतु के सामने सूर्य होने से जातक सरकार से प्रदत्त सहायता प्राप्त संस्था मे काम करता है वक्री शुक्र होने से वह कार्य प्रायोजित कामो को करने के लिये स्त्री सम्बन्धी सुविधाओ को प्रदान करने के लिये बुध के साथ होने से कार्य को व्यवसाय के रूप मे लाने के लिये और शनि के साथ युति होने से आकस्मिक चिकित्सीय सहायताओं के लिये भी माना जाता है। यह केतु ननिहाल खानदान मे खाली पन देता है मीन का राहु जातक के दादा परदादा को अपने जन्म स्थान से दूर लेजाकर बसाता है साथ ही जो भी जातक की जन्म भूमि है उसे नेस्तनाबूद करना या जातक को उस जन्म भूमि से कोई फ़ायदा नही होना भी देखा जा सकता है यही युति जातक को कमर सम्बन्धी बीमारी भी प्रदान करता है साथ ही जातक को सन्तान सम्बन्धी कारण होने के कारण चन्द्रमा से युति लेने के कारण जातक के द्वारा जीवन मे अर्जित आय को पुत्री धन के रूप मे देखता है।
प्रस्तुत कुंडली मकर लगन के एक जातक की है और वह लखनऊ मे पैदा हुआ है। शनि मंगल का परिवर्तन योग इस कुंडली मे विराजमान है ९० डिग्री का अन्तर पराक्रम और लाभ के प्रति मिलता है। जब पराक्रम दिखाने का समय आता है तो लाभ के प्रति सोच लिया जाता है और जब लाभ की बात सोची जाती है तो पराक्रम के बारे मे सोचा जाता है,यानी जब भी लाभ के प्रति सोचा जायेगा तो अपनी औकात को परखने का कारण सामने आजायेगा और जब औकात को बनाया जायेगा तब तक लाभ का साधन समाप्त हो जायेगा। यही बात दोनो ग्रहों के प्रति भी समझी जा सकती है जब मंगल उच्च के काम करने के लिये अपनी युति को प्रदान करेगा तो शनि अपनी युति को सामने लाकर कठिन परिश्रम और कम आय के लिये अपने प्रभाव को शुरु कर देगा,इसके साथ ही जो भी सौम्य ग्रह इन दोनो के गोचर से जन्म के स्थानो से प्रभाव मे आयेगा अपनी युति बदलने लगेगा और बजाय लाभ के साधन देने के हानि और असमंजस की स्थिति को पैदा कर देगा इस प्रकार जातक का जीवन शनि मंगल की आपसी परिवर्तन नीति के प्रयोग से हमेशा एक झूले की तरह से झूलता हुआ रहेगा।
मकर लगन का मालिक शनि है और मंगल लाभ का मालिक भी है और खुद के द्वारा किये जाने वाले काम का भी है मंगल जब लगन मे है तो जातक के प्रति मकर लगन का होने के कारण बात के प्रति पक्केपन की उपाधि भी देता है,जो भी काम किया जाता है वह स्पष्ट रूप से द्रश्य करने के लिये भी कहा जाता है लेकिन शनि जब लाभ भाव मे चला जाता है तो जो नीचे तबके के लोग होते है वह लाभ के प्रति अपनी सोच को बदल देते है और उन्हे न्याय संगत कामो से धन कमाने की अपेक्षा एन केन प्रकारेण धन कमाने के प्रति देखा जा सकता है। वैसे भी शनि मंगल की आपसी युति को कार्य के प्रति तकनीक और उत्तेजना ही माना जाता है जब भी शनि जन्म के मंगल के साथ या मंगल जन्म के शनि के साथ गोचर करेगा जातक के किये जाने वाले कार्यों मे आक्षेप विक्षेप मिलने लगेंगे यानी जातक के द्वारा कार्य किया जायेगा और शनि की चालाकी से लाभ दूसरे लोग प्राप्त करने लगेंगे। इसके साथ ही जब कार्य तकनीकी रूप से किया जायेगा उस तकनीक मे शनि का अन्धेरा जातक के किये गये कार्यों को सामने नही लायेगा और जो भी जातक से कार्य करवाने वाले अधिकारी है वह जातक से किसी न किसी बात पर असन्तुष्ट बने रहेंगे और जातक को वह लाभ नही देंगे जो जातक को वास्तविक रूप से मिलना चाहिये। यह बात तो केवल ग्रह परिवर्तन योग के लिये मानी गयी है इसके अलावा जातक की कुंडली को सूक्ष्म विवेचन से देखा जाये तो जातक का गुरु राहु के नक्षत्र शतभिषा के चौथे पाये मे है लेकिन यह पाया मंगल का होने के कारण तथा मंगल जो श्रवण नक्षत्र के दूसरे पाये मे है वह गुरु का पाया होने के कारण गुरु मंगल का परिवर्तन योग की सीमा मे आजाता है। इस प्रकार से जातक ऊंची पढाइयां तो करेगा लेकिन वह पढाइयां केवल तकनीकी रूप से प्रयोग मे ली जाने वाली होंगी और उन पढाइयों के अनुसार जातक का प्राथमिक सोचने का कारण केवल उच्च पद की राजकीय सेवाओं के लिये अपना असर प्रदान करेगा लेकिन सूर्य का नीच का होने के कारण और नीच राशि बैठने के कारण तथा शुक्र का स्वराशि मे वक्री होने के कारण एक प्रकार से कार्य योजना के अनुसार अपने को नही लगा पायेगा और घरेलू झगडों शादी विवाह की चिन्ता और दूसरो की उन्नति को सामने रखकर अपनी योजना को चलाने के कारण अपनी बुद्धि और विवेक का सहारा भी नही ले पायेगा तथा शुक्र की वक्री नीति की जल्दबाजी की नीति से की गयी पढाइयों का पूर्ण लाभ भी नही ले पायेगा।
एक प्रकार से शनि के अन्दर मंगल का भाव आने से वह अपने अन्दर तकनीकी बुद्धि को प्राप्त कर तो लेगा और जन्म के मंगल पर अपना असर भी तकनीकी बुद्धि के लिये देगा पर परिवर्तन योग के कारण वही मंगल शनि की चालाकी और विवेक हीन बुद्धि का असर प्रदान करने के बाद मंगल का असर लेने के बाद अपनी कन्ट्रोल करने वाली नीति को जन्म के गुरु को देगा और गुरु के अन्दर वक्री होने से स्वार्थी नीति होने तथा खुद के समाज परिवार और मर्यादा आदि का ख्याल नही रखने के कारण एक प्रकार से अपने ही लोगो से दूर रखकर अपने कार्यों के अन्दर कोई न कोई कमी लाने और उसे निकालने मे अपनी दिन चर्या को लगा देगा।
वक्री गुरु का एक असर और जातक के लिये देखा जा सकता है कि वह धन भाव मे होकर शनि की राशि मे अपने वक्री स्वरूप को प्रदान करता है इस प्रकार से जातक के अन्दर एक प्रकार से आधुनिकता के नाम से अलग ही दिखाई देने की प्रवृत्ति भी सामने आती है। इस प्रवृत्ति से वह अपने को दिखाना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन पराक्रम मे राहु होने के कारण वह डरता भी है और बाहरी कारणो नेट कम्पयूटर और बडी संस्थानो के प्रति तर्क वितर्क करने का एक जरिया भी बन जाता है जब भी राहु मीन राशि का होता है और शनि वृश्चिक राशि का होता है तो जातक के अन्दर केवल आशंकाओं की आंधिया चला करती है वह अपने अनुसार अपने कार्य क्षेत्र के प्रति प्रचार प्रसार और कबाड से जुगाड बनाने की नीति को प्रयोग मे लाता है।
शनि मंगल का आपसी सम्बन्ध एक प्रकार से भौतिक पदार्थों मे गर्म पत्थर के कैसा भी माना जाता है साथ ही शनि मंगल को आपसी सम्बन्धो मे एक ऐसी आग के रूप मे देखा जाता है जो धीरे धीरे एक बर्फ़ के पहाड को पिघलाने का काम करती है इसे ही गरीबी धन अभाव का कारक भी माना जाता है जैसे अधिक जिम्मेदारियां होने के बाद अपनी कम आवक से जिम्मेदारियों को पूरा करते जाना।
ग्यारहवे भाव मे शनि का रूप बडे भाई के रूप मे भी देखा जा सकता है,और लगन का मंगल केवल अकेले होने की बात भी करता है,इसके साथ ही शुक्र वक्री होकर तथा साथ मे तुला राशि का बुध होने से पत्नी और पत्नी की बहिन के लिये एक ही स्थान या परिवेश या घर मे होने की बात भी करता है एक सम्बन्ध को हटाकर दूसरे सम्बन्ध के प्रति भी अपनी भावना को प्रदान करता है। नीच का सूर्य होने से जातक को अक्सर पत्नी और ससुर पर निर्भर भी करता है। इस सूर्य की युति को कम करने के लिये जातक को लाल किताब के उपाय के अनुसार चार तांबे के चौकोर वर्गाकार टुकडे लेकर चार रविवार लगातार बहते पानी मे बहाने से सूर्य जो राजयोग को जला रहा है वह बुध को स्वतंत्र कर सकता है और जातक को कुछ हद तक सूर्य शनि के बीच के बुध और शुक्र की पापकर्तरी योग की सीमा को कम करने के लिये भी कारगर सिद्ध हो सकता है। इसी प्रकार से पंचम का चन्द्रमा भी जब नवे केतु से सम्पर्क रखता है तो जातक को सहायक के काम करने के लिये ही अपनी गति को प्रदान करता है इस प्रकार से जातक का सम्पर्क तो बहुत बडे और अमीर लोगो से होता है लेकिन उनके लिये केवल सहायता के काम करने के बाद कुछ समय के लिये ही जीवन यापन के साधन मिल पाते है मंगल के साथ केतु की युति लेने से जातक के अन्दर धन और जनता से वसूले जाने वाले धन के प्रति जिम्मेदारिया तो मिलती है लेकिन राहु के द्वारा जनता के कारक चन्द्रमा से युति लेने से एक प्रकार का डर जो धन आदि से सम्बन्धित होता के प्रति भी अपनी बात को जाहिर करता है।
परिवर्तन योग के कारण जो शनि चन्द्रमा से युति लेकर कार्य को कुये से पानी निकालने का काम करता है उसी प्रकार से मंगल की युति से चन्द्रमा उसे दवाइयों या गर्म पानी के रूप मे अपनी युति को प्रदान करता है,यही कारण केतु के लिये भी अपनी प्रभाव वाली नीति को सामने लाता है धन से सम्बन्धित या शिक्षा न्याय स्कूली कार्य आदि के प्रति अपनी युति को शनि के द्वारा खनिज सम्पत्ति और गुप्त कार्यों के प्रति प्रसारित करता है तो मंगल की युति से दक्षिण दिशा और यात्रा आदि के कार्यों को करने ब्रोकर वाले कामो को करने की अपनी योजना को प्रदान करता है। जातक के लिये केतु भी अपनी भूमिका को अदा करता है सबसे पहले केतु के सामने सूर्य होने से जातक सरकार से प्रदत्त सहायता प्राप्त संस्था मे काम करता है वक्री शुक्र होने से वह कार्य प्रायोजित कामो को करने के लिये स्त्री सम्बन्धी सुविधाओ को प्रदान करने के लिये बुध के साथ होने से कार्य को व्यवसाय के रूप मे लाने के लिये और शनि के साथ युति होने से आकस्मिक चिकित्सीय सहायताओं के लिये भी माना जाता है। यह केतु ननिहाल खानदान मे खाली पन देता है मीन का राहु जातक के दादा परदादा को अपने जन्म स्थान से दूर लेजाकर बसाता है साथ ही जो भी जातक की जन्म भूमि है उसे नेस्तनाबूद करना या जातक को उस जन्म भूमि से कोई फ़ायदा नही होना भी देखा जा सकता है यही युति जातक को कमर सम्बन्धी बीमारी भी प्रदान करता है साथ ही जातक को सन्तान सम्बन्धी कारण होने के कारण चन्द्रमा से युति लेने के कारण जातक के द्वारा जीवन मे अर्जित आय को पुत्री धन के रूप मे देखता है।
Pandit Ji Sadar Pranam.
ReplyDeleteAapka bahut bahut dhanyawad, jo meri kundli ko example ke taur par prastut kar uski vivechna ki. Mein apne aap ko bahut khushkismat samjhta hoon ki aapne apne blog ke liye meri kundli ko darshaya. ek baar phir se aapka dhanyawad.
Mann mein ek prashna hai ki, Surya toh neech rashi ka hai, kintu neech bhang rajyog ki wajah se uski neechta zara bhi kam nahi ho rahi hai kya???
Kya achhi naukri mein rukawat ki wajah neech ka Surya hi hai??? Shadi men bhi rukawat dalega??
Kripya Samadhan karen... Aur aange bhi achhe achhe blog likhkar hamara jyotish gyan badhate rahen.
Dhanyawad
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
गौरव ईश्वर आपको शतायु प्रदान करे,केन्द्र और त्रिकोण में नीच भंग राजयोग नही माना जाता है वह भी तब जब सूर्य तुला का हो सूर्य के साथ बुध अपनी युति को प्रदान करने के बाद पिता परिवार को राजयोग प्रदान कर रहा हो और जातक को अपनी सप्तम पूर्ण द्रिष्टि से मानसिक भाव के कारक चौथे भाव को देख रहा है इस कारण को अधिक समझने के लिये जातक के मन के सामने दसवा भाव होता है और दसवे भाव में जो भी ग्रह होते है वह जातक की मानसिक भावना मे बराबरी करने की एक उत्कंठा को उत्पन्न करते है,इस उत्कंठा की बजह से जातक बजाय अपने रोजाना के काम जैसे छठे भाव के प्रति उदासीन रहता है और उसके मन मे चला करता है कि वह एन केन प्रकारेण कार्य क्षेत्र मे अपने को उसी लाइन मे जाये जहां से दसवे भाव के कारक ग्रह अपना प्रभाव दे रहे है (दसवा भाव पिता के नवे भाव से दूसरा होने के कारण पिता के कुटुम्ब और पिता परिवार की भौतिक सम्पत्ति के प्रति माना जाता है जातक को उन्ही कारको की शिक्षा मिलती है और उस शिक्षा को प्राथमिक रूप से जीवन का उद्देश्य बनाकर जातक उच्च शिक्षा नवे भाव से ग्रहण करने के बाद अपने जीवन के कैरियर को बनाने मे अपना सहयोग प्रदान करता है) शादी विवाह के लिये भी सूर्य की युति वक्री शुक्र के साथ जल्दबाजी मे अहम की भावना को पैदा करता है इस बात को अक्सर इस प्रकार से भी देखा जाता है कि जातक अपने कैरियर के क्षेत्र मे आगे बढने के लिये यह समझ ही नही पाता है कि कौन व्यक्ति उसे चाह रहा है और कौन व्यक्ति उसकी चाहत को उसके साथ अपने फ़रेबी कारणो को व्यक्ति करने के बाद उसकी चाहत को लेकर चला जाता है (राहु शुक्र का षडष्टक योग) यानी जातक के द्वारा नौकरी शादी आदि के लिये प्रयास किये जाते है और वह अपने लिये जब तक सीमा का बनाना शुरु करे तब तक दूसरा या तो उस नौकरी के अन्दर अपना प्रभुत्व बना लेता है या जिस शादी के प्रति जातक की भावना होती है वह शादी अन्य व्यक्ति के साथ हो जाती है.
Deleteमेरा प्रयास यही रहता है कि लोग ज्योतिष को जीवन की शिक्षा मे समानान्तर लेकर चले और आने वाले समय के प्रति सचेत रहकर अपने उद्देश्य को पूर्ण करे.
Pandit Ji Sadar Pranam. Aapko dhanyawad karta hoon mere prashan ke uttar ke liye. Yeh Kendra aur trikona wali shart se mein awgat nahi tha. Main toh sochta tha ki meri kundli mein Surya Dev neech ke hokar bhi neech ke nahi hai, kyonki Neech-bhang rajyog hai, kintu aapne bahut bada bhram door kar diya.
DeleteKripya karke ek bhram aur door kar dijiye ki, Pancham bhaav mein koi bhi grah uccha ya neech ka nahi mana jata hai??? kya aisi awastha mein pancham bhaav mein koi grah apna neutral phal pradan karega???
Aur aapse anurodh hai ki, kripya kar ke yeh bhi batayen ki kya meri kundli mein Kemudram Yog Hai?? Panna aur Neelam mere liye kitna shubh rahega...
Agar ho sake toh Agle blog mein Mangli aur Manglik Dosh mein antar batiyega. Logon ko in doshon ki aad lekar bhaut daraya jata hai. Aapka gyanwardhak blog logon ka bhram aur darr door karega....
Is aasha ke saath,
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
लगन पंचम और नवम को जानने के लिये नवम से लगन और लगन से पंचम पंचम से नवम की परिधिको देखा जाता है जातक की पारिवारिक स्थिति को नवम से लगन और लगन से पंचम (नवम से नवम) के हिसाब से देखी जाती है,पंचम स्थान जब नवम से नवम है तो पैदा होने वाले परिवार की आस्था का केन्द्र पंचम स्थान है,आस्था वाले स्थान मे नीच का प्रभाव इसलिये नही माना जाता है दूसरे शरीर लगन है तो पिता नवम है और आने वाली संतान पंचम है तो नवम की जड भी पंचम से शुरु होती है जैसे लगन की जड नवम से होती है,जैसे आपकी कुंडली में नवम स्थान में केतु कन्या राशि का है,लगन यानी शरीर की जड कन्या के केतु के लिये जो ननिहाल से मामा परिवार से समझा जा सकता है जुडी है उसी प्रकार से इस केतु की जड पंचम के चन्द्रमा से यानी ननिहाल मे मामा की ननिहाल से जुडी है,जीवन मे शुक्र और गुरु की बहुत बडी भूमिका होती है और इन दोनो ग्रहों के फ़ेर से ही संसार चल रहा है गुरु सम्बन्धो के लिये और शुक्र सम्पदा के लिये माने जाते है आपकी कुंडली मे दोनो ग्रहो के वक्री होने के कारण सम्बन्ध और सम्पदा आप दूसरे लोगो के लिये तो प्रदान कर सकते है लेकिन खुद के लिये नही कारण जब केतु नवे भाव मे कन्या का है तो वह केवल सामाजिक सहायता धन कानून और बडे शिक्षा संस्थान आदि के प्रति कर सकता है वक्री गुरु धन सम्बन्धी समस्याओ को सुलझाने तक सम्बन्धो को कायम रखता है इस कारण से केमद्रुम योग की आस्था नही टिक पाती है.मंगली और मंगली दोष की सीमा के प्रति आप मेरी बेव साइट www.astrobhadauria.wikidot.com को देखें आपको पूरी जानकारी मिल जायेगी.
DeletePandit Ji Sadar Pranam...
DeleteAap bahut hi deeply vivechana karte hain, jiske liye aap badhai ke paatra hain. Jyotish Kitabon mein sirf itna likha hota hai ki, falana grah falane bhaav mein baith kar yeh-yeh phal pradaan karega; Bas aur kuchh nahi...
Lekin aapki dwara ki gayi vyakhya ekdum satik aur sampoorn hoti hai
(Uske baad us prashan ke baare mein aur kuchh poochhne ko kuchh shesh rah nahi jata hai)
Aapke isi anubhav aur gyan se hum jaise nau-sikhiyon ko sikhne ka mauka mil pata hai.. Main jo kuchh bhi sikha hoon aapke blog padh padh kar hi sikha hoon.
Kripya karke mere Bhagyoday ke baare mein batayen. Tarraki kis varsh se hona shuru hogi???
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
भाग्योदय का समय पिछले जनवरी के महिने से शुरु हो गया है लेकिन कुछ काम पीछे के रह जाने से आगे के काम सफ़ल नही हो रहे है सात जुलाई से सटीकता सामने आने लगेगी.
DeletePandit Ji Sadar Pranam...
DeletePrashan ke Uttar ke liye dhanyawad...
....Agar kisi jatak ka janam Amawasya tithi ko hua hai, kintu lagan kundli mein Chandrama Uchcha ka hai, toh kya tab bhi Chandrma ki Uchchatta kayam rahegi???
.... Lagan mein baithe hue grah ko apna phal dene ke liye kya yeh zaroori hai, ki Ekadash bhav khali na ho??
Aapke uttar ka Intazaar hai...
Aapka,
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
अमावस्या का चन्द्रमा सूर्य के पास होता है और सूर्य के पास किसी भी ग्रह का आस्तित्व नही बन पाता है सिवाय राहु केतु के इसलिये जिस भाव मे चन्द्रमा होगा वह भाव विदीर्ण अवस्था मे ही होगा,हर व्यक्ति का ग्यारहवा भाव मजबूत होता है अन्यथा दाहिनी तरफ़ का हिस्सा काम ही नही करे,भाव और राशि की रश्मि भी काम करती है.
Delete...Toh Kya Surya ke sath yuti karne wala koi bhi grah prabhav dikhane mein asfal hota hai??? Agar aisa hai toh phir Buddha-Aditya yog kaise falit ho jata hai???
DeleteNavgrahon mein Shukra aur Surya sabse chamkile grah hain. Agar dono ki yuti ho jaye, toh kya tab bhi Surya ke samne, Shukra ka astitava nahi rahega.
Technically toh dono kisi mamle mein ek doosre se kam nahi hai
बुध की आदत होती है कि वह जिस ग्रह के साथ होता है उसी ग्रह के अनुसार अपना प्रभाव देने लगता है यह सूर्य के साथ राजसी ठाठबाट लेकर राजकुमार की हैसियत से अपना प्रभाव देता है लेकिन राजकुमार भी उसी श्रेणी का जिस भाव मे बुध और सूर्य है,यही कारण बुध आधित्य योग का है आदित्य का अर्थ शुरुआती प्रभाव जो सूर्य के उदय होने के बाद संसार मे चेतना का संदेश देता है.शुक्र और सूर्य की दूरी तथा दूरी के अन्तर मे धरती की डिग्री के सामने होने का प्रभाव है न कि सूर्य सुर शुक्र एक दूसरे के पास इकट्ठे हो जाते है,सूर्य और शुक्र के एक साथ होने से डबल चमक पैदा नही होकर रज और वीर्य मे इतना तेज पैदा हो जाता है कि बडी मुश्किल से बच पाये तो एक ही पुरुष संतान बच पाती है बाकी के कारण या तो मिस कैरिज या किसी कारण वश एबोर्सन आदि के कारण पैदा हो जाते है कन्या संतान के लिये यह प्रभाव आस्तित्व हीन होता है कारण बुध सूर्य का नजदीकी ग्रह है,
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeletePandit Ji Sadar Pranam,
DeleteAgar Kundli ko 2 part mein divide kar de; (matlab 1st bhav se lekar 6th bhav tak Pehla Part) aur (7th bhav se lekar 12th bhav tak Doosra part)
Aur saare grah kisi bhi ek part mein baith jayen, Doosra part bilkul khali rahe, Aisi awastha mein kya falit hoga?????
Gaurav Mishra
गुरुजी प्रणाम!
ReplyDeleteखुश रहो फ़लो फ़ूलो गौरव.
Deleteguru dev ko charan sprsh,
ReplyDeleteaapka blog 3 year se padh raha hoon, jyotish bhi seekh raha hoon. lekin mera gyan zero hai aapke samne. main ek teacher hoon PHYSICS mera subject hai. shadi ho gai hai ek ladka bhi hai.
main jeevan ke har area se dookhi hoon. sabse jyada rozgar se...
meri income hamesha minus me rahti hai, doosroon se udhaar mang mang kar roti khata hoon.sarkari naukri milte milte rah jati hai, ab uski bhi koi umeed nahi hai... private job kar raha hoon... lekin din raat mehnut ke baad bhi ghar nahi chal pata...sabhi mujhse door jaa rahe hai kyoki main unse kuch mang na loon...
ab shabd nahi hai kya batau..sab kar liya mehnut... pooja... hanuman 3 saal... shiv 4 sal.... sai baba 2 saal ...ganesh ji 1 saal. koi darwaja nahi bacha.. ab nastik hoone laga hoon ...
mujhe sahi rasta dikhaiye aapka sadaiv rini rahaoonga...
AWADHESH KUMAR MISHRA
DOB: 09/09/1978
DOT:05:00 am
DOP: district-sultanpur (uttar pradesh)
मिश्राजी आपकी कुंडली मे सूर्य शनि की युति है और धनेश बुध शनि और मंगल के बीच मे अपना स्थान बनाये हुये है,धन की स्थिति के लिये भारी खर्चे जो पिता और परिवार की तरफ़ से माने जाते है तथा मंगल की स्थिति धन स्थान मे होने से और राहु के साथ होने से अक्समात के अस्पताली खर्चे और ब्याज आदि के कारण आपको धन से दूर किये हुये है,सूर्य शनि की युति मे मंगल बद हो जाता है यानी जैसे ही आप देवीय शक्तियों का सहारा लेने के लिये अपनी बुद्धि का प्रयोग करेंगे वैसे ही यह मंगल जो बद है वह आपका साथ त्याग देगा और आपकी स्थिति को बद से बदतर करने लगेगा,आपको चाहिये कि आप अपने ननिहाल खानदान के परिवार के पूर्वजो के प्रति जो भी समय समय पर कार्य किये जाते है वह करे,शनि जो बुद्धि और विद्या के क्षेत्र मे मन्दता दे रहा है जीवन साथी लाभ के साधन नगद धन के प्रति जो अपनी स्थिति को मन्द कर रहा है उसके लिये आप सुबह शाम की कार्य प्रणाली तथा दिन और रात मे सोचने के कारण बन्द कर दीजिये आप अपनी नित्य क्रिया और तकनीकी दिमाग का सहारा लेना शुरु कर दीजिये,शहद और चावल का भोज्य पदार्थ पूर्वजो के प्रति समर्पित करने के लिये आप हर अमावस्या को पूर्वजो से सम्बन्धित कारको को प्रदान करे जैसे कौये कुत्ते और गाय को यह भोज्य पदार्थ खिलाते रहे और पूर्वजो के निमित्त जो भी साधन आपसे बनते उन्हे करते रहो,तामसिक शक्तियो के प्रति अपनी श्रद्धा को बनाये रखो,जैसे राजस्थान मे मेहन्दीपुर के बालाजी जाना और उनकी श्रद्धा मे अपने जो भी आपसे बनता है अपनी गुहार लगाना आदि,इससे आपको सहायताये मिलने लगेगी और आप सफ़लता की तरफ़ बढने लगेंगे.ऐसा मेरा विश्वास है.
Deletesadar charan sparsh,
Deleteaapne mujhe reply diya ye dekhkar aaj main bahut dino baad khush hoon. sahyad aap hi iswar ke roop me mujhe mil gaye...
bus ek baat mujhe bata de TAMSIK SHAKTI se kya matlab hai???
tantra mantra .... ya dargah.... tabeeej...
main ek brahman family se hoon kya mujhe TAMSIK sadhno ka sahara lene chahiye?? kya purvaj mujhse naraj hai?? ye purva janmo ke papo ka phal hai??
phir bhi aapne jo keemti samay mere liye nikala uske liye bar bar dhanyawad.. jeevan bhar aapka rini rahonga ... iswar mujhe itna saksham bana de ki main aapse mil ppaun
ek baar phir se dhanyawad
AWADHESH KUMAR MISHRA
अवधेश जी
Deleteतामसिक कारणो मे आपको प्रत्येक शक्ति के साथ जुडा होने की कारक शक्तियां मिल जायेंगी,जैसे शिवजी के साथ बाघम्बर जुडा है जो मृत बाघ की खाल के रूप मे है माता दुर्गा के साथ शेर जुडा है जो हिंसक भी है और तामसिक भी है भगवान विष्णु के साथ गरुण जुडा है आदि बाते आपको समझ मे आ सकती है,आप ब्राह्मण परिवार से है और आपको सशक्त तभी माना जा सकता है जब आप अपने से नीची जातियों के प्रति कल्याण की भावना को रखते है.अगर आप अपने को अहम से आच्छादित रखते है तो आपको कदापि उच्च जाति का नही माना जा सकता है कारण आपके अन्दर अपने को उच्च दर्शाने का अहम पैदा हो गया है.आपने शिव की आराधना की लेकिन आप शिव के प्रति बाघम्बर बनकर नही रहे,आपने हनुमान जी साधना की लेकिन आपके अन्दर सशक्त होने के बावजूद खुद की शक्ति को जगाने का भाव नही आया,यह बाते आपको कडवी जरूर लगेंगी लेकिन अहसास करना जरूरी हो जायेगा,सबसे बडी बात किसी भी शक्ति के प्रति समर्पित होना जरूरी है तुलसीदास जी को भी पहले प्रेत पूजा करनी पडी थी उसके बाद उस प्रेत ने हनुमान जी के मिलने का रास्ता बताया था तब जाकर हनुमान जी की भक्ति के बाद भगवान श्रीराम के दर्शन हो पाये थे,प्रेत साधना का मतलब किसी प्रकार के तामसी साधनो का प्रयोग करना नही होता है केवल तामसी देवी देवताओ के प्रति उतनी ही श्रद्धा की जरूरत होती है जितनी हम सात्विक देवी देवताओ की साधना से रखते है.इस मंगल बद के देवी देवता में प्रेत पिशाच पितर आदि है वही तामसिक देवी मे काली भैरवी आदि है इनकी सेवा आराधना करने अथवा मेहन्दी पुर के बालाजी जो प्रेतराज के रूप मे माने जाते है के प्रति अपनी आस्था रखे.
sadar charan sprsh,
ReplyDeletemain aapki baat samajh gaya. age se aap ki batai gai batoo ko jeevan bhar palan karoonga. aasheervad de...
dhanyawad.
chan sparsh...
AWADHESH KUMAR MISHRA
if lord of sixth house is in eleventh house and lord of eleventh house is in sixth house then what will be result for the native.
ReplyDeleteकभी दुश्मन मित्र का भाव अदा करे और कभी मित्र दुश्मन का भाव देने लगे.
ReplyDeleteGuruji when this girl will get govt job. in spite of hard efforts
ReplyDeleteshe is not getting favourable result in every competitive exam. Is
there yog of govt. job in her kundli.
Dob: 10/12/1982 time: 02.00 am Place: Delhi.
इस लडकी का नाम भी जरूरी है वैसे कुंडली के अनुसार सरकारी कार्य के लिये इसे मई के बाद प्रयास अधिक करने चाहिये.
DeleteGuruji iska naam anju he. Guruji kya iske kundli me sarkari naukri ka yog he.
Deleteगुरुदेव प्रणाम.........
ReplyDeleteसादर चरण स्पर्श.....
गुरुदेव कभी मेरी कुंडली भी उदाहरण के तौर पर उपयोग करें....
धन्यवाद.....
जरूर प्रतीक समय मिलने पर लिखूंगा,खुश रहो मजे करो.
Deleteगुरूजी नमस्कार. एक जिज्ञासा है कि कुंडली में सरकारी नौकरी कि संभावना न हो. और पंडित ने दशमेश (जो लग्नेश भी है यानि बुध) का रत्ना पह्नावाया हो तो क्या उससे सरकारी नौकरी मिल सकेगी गुरूजी या उसके आसार बनेगे?? धन्यवाद.
ReplyDeleteखुश रहो मजे करो,कन्या लगन की कुंडली के अनुसार सूर्य का स्थान बारहवा होता है दसवा स्थान शनि और बुध के लिये देखा जाता है,पिता का कार्य स्थान अगर जन्म स्थान से दक्षिण-पश्चिम दिशा मे रहा होता है उन्हे अपने परिवार के किसी व्यक्ति का सहारा मिला होता है,तो बुध का रत्न पहिनने से राजयोग की श्रेणी मे परिवर्तित किया जा सकता है,इसके अलावा पिता अगर कमन्यूकेशन अथवा सलाहकार अथवा किसी प्रकार के धन आदि के कार्यों मे वे खुद अपने पिता की जायदाद के संभालने वाले होते है तो यह बुध अपना काम नही कर पाता है.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletePandit Ji Sadar Pranam,
ReplyDeleteAapse 3-4 din pehle sampark karne ki koshish ki thi, lekin shayad aap vyastata ke karan dhyan nahi de paye...
Ek jigyasa door kar dijiye;
Agar Kundli ko 2 part mein divide kar de; (matlab 1st bhav se lekar 6th bhav tak Pehla Part) aur (7th bhav se lekar 12th bhav tak Doosra part)
Aur saare grah kisi bhi ek part mein baith jayen, Doosra part bilkul khali rahe, Aisi awastha mein kya falit hoga?????
Aapka
Gaurav Mishra
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteguruji pranam
ReplyDeletesadar charan sparsh,
Name- Bhupendra singh parihar
D.O.B.-27/01/1987
place-biaora(mp)
time- 23:25 pm
(subject-- aage padai karu ya koi job )
guruji aapko pranam ,
mujhe b kuch bata dijiye guruji 2 saal se khali baitha hoon koi job hi nahi milti he or koi b exam me pas b nahi ho pa raha hoo
aisa lag raha hi ki mera to bhavishya kharab ho gaya he kuch karne ka bahut man hota he lekin khali haatho kuch b nahi kar pa rha hoo bas sabhi log mujhe taane mar rahe he
mata, pita k sapne the ki beta pad likh kar ghar chalayega lekin yaha graduate hone k baad mujhe pata chal raha he ki mere pet bharne k hi lale pade hue he mata pita ka karja kese utaroo....
ab jindagi khali si, rukhi, si or bejan jindagi lag rahi he aisa lagta he mano me faltu ji raha hoo kher mujhe apne ma baap k chehre par khushi lani he kuch upay bataiye ki rukavate kaha aa rahi he
yaha tak ki me to apni mehnat me koi kasar nahi chod raha hoo phir b kuch nahi ho raha he... meri kundali k baare me jaldi bataiyega prabhu
dhanyawaad or charan sparsh
भूपिन्दर कुण्डली का अष्टम स्थान जीवन मे प्राप्त प्राथमिक बुद्धि का घर माना जाता है,जहां बुद्धि निवास करती है और इस निवास स्थान का मालिक अगर सप्तम मे डेरा डाल ले तो व्यक्ति के दिमाग मे खुद की सोच काम नही कर पाती है वह किसी न किसी बुद्धि वाले कारण के लिये मंत्रणा पर ही निर्भर रहता है,उस पर भी जब सप्तम मे मीन राशि हो तो बुद्धि के घर का मालिक मंत्रणा भी हवाई रूप से यानी केवल पूंछ सकता है उसे जीवन मे प्रयोग मे लाने के कठिनाई होती है,वह समय पर निर्भर उसी प्रकार से हो जाता है जैसे कर्क राशि से पानी आसानी से मिल जाता है वृश्चिक राशि से कठिनाई से सही मगर मिल जाता है चाहे कुआ खोदकर ही प्राप्त किया जाये लेकिन मीन राशि से पानी प्राप्त करने के लिये केवल बादलो पर ही निर्भर रहना पडता है अगर बादलो की मर्जी है तो पानी पिला जायेंगे और नही मर्जी है तो हवा यानी गुरु के अनुसार अपना रास्ता भी बदल सकते है अगर उनकी मर्जी है तो पानी इतना पिला जायेंगे कि पानी रखने का सथान भी कम पडेगा और बाढ भी आ सकती है या जीवन के कई क्षेत्रो मे सूखा भी रह सकता है यानी अकाल भी पड सकता है.
Deleteजब बुद्धि का मालिक शनि हो और बुद्धि के घर का मालिक मंगल हो तो एक अजीब सा कारण सामने आजाता है जैसे मंगल की प्रकृति गर्म है और शनि की प्रकृति ठंडी है दोनो के अन्दर ठंड और गर्मी का रूप जरूर है लेकिन इनकी ठंडक और गर्मी का पता बिना इन्हे प्रयोग किये पता नही किया जा सकता है जैसे शनि की सिफ़्त अन्धेरी होने के कारण और मंगल की सिफ़्त अपने मे गर्मी समाये रहने के कारण दूर से नही दिखाई देती है,दोनो के लिये असर को प्राप्त करने के लिये शनि कर्म और मंगल शरीर की गर्मी दोनो का बराबर का रूप सामने लाना होगा,यानी जितनी शरीर मे गर्मी ताकत (मंगल) है उतना कर्म (शनि) करना जरूरी है अगर इनके बीच मे बराबरी नही हो पायी तो मंगल कार्य (शनि) को समाप्त कर देगा या कर्म (शनि) मंगल की गर्मी को समाप्त कर देगा,जब कर्म के मालिक शनि के साथ पिता का कारक शुक्र साथ आजाये तो शनि जीवन मे सभी भौतिक वस्तुओ को जरूर प्रदान करता है चाहे वह किसी भी प्रकार से पिता के द्वारा हो या खुद के द्वारा लेकिन उम्र की बयालीस साल तक वह जीवन को स्थिर नही रहने देता है चाहे कितनी ही ताकत को क्यों नही लगा लिया जाये,जैसे ही जीवन का बयालीसवा साल बीतता है वैसे ही यह शनि और शुक्र दोनो मिलकर जितना इस उम्र तक खाया था उसका आठ गुना उगलने लगते है.जब चन्द्रमा और शुक्र शनि सूर्य के बीच मे हो और चन्द्रमा चौथे भाव मे धनु राशि का हो तो जातक के पिता या पूर्वजो ने अपने धर्म (समाज परिवार मान्यताये मर्यादा पूर्वजो से चलते आये हुये कानून) आदि को बदला होता है यह बदलाव जिन्होने बदला था उनके लिये तो कालान्तर के लिये फ़ायदा देने वाला बन गया लेकिन अगली पीढी के लिये एक प्रकार से जीवन के उद्देश्य को बीच मे लटकाने के लिये तथा पारिवारिक सामाजिक आर्थिक नैतिक उद्देश्यो से दूर करने के लिये काफ़ी है,तुम्हारे लिये सितम्बर से चन्द्रमा मे केतु का अन्तर आते ही कोई न कोई सहायक जैसी नौकरी का कारण बन जायेगा जो खुद की जरूरतो के साथ यात्रा आदि के प्रभाव से एक तो समाज को पहिचानने की शिक्षा प्रदान कर जायेगा दूसरे धन के क्षेत्र मे सुधार होना शुरु हो जायेगा.
guruji pranam or sadar charan sparsh
ReplyDeleteguruji papa mujhe mtech karne k liye force kar rahe he abhi mera to padne ka man bilkul nahi he lekin papa ki khushi k liye me mtech private college se karne ka soch raha hoo lekin dar he ki mujh se mtech complete b hoga k nahi koi salah dijiye guruji mtech karu private se ya nahi karu ya phir karu to kya karu ......man bahut vichlit he or andar hi andar bahut dar b lagta he
or dusri baat guruji hamare ek rishtedaar ne mere pitaji ko meri kundali me kaal sarp yog hona bataya he guruji lekin mene unki baat nahi maani mujhe laga ki jhooth he... to kya ye sahi he ke sirf unki soch thi...... agar sahi he to iska kya upay he
Pandit Ji Sadar Pranam,
ReplyDeleteAapse baar baar prashan poochh kar mein aapko pareshan nahi karna chahta hoon, lekin jab bhi apni kundli ko dekhta hoon toh har baar ek nayi jigyasa paida ho jati hai, (Choonki Jyotish ka shauk hai)
Mera Prashan yeh hai ki, meri kundli mein Surya neech ka hai;
Mere pita ji 1993 mein expire ho gaye the; toh dekha jaye toh Surya ko apni neechta ka jo prabhav dikhana tha, woh toh 20 saal pehle hi dikha chuka hai (Kyonki Surya Pita ka karak hai)
Pita ka karak grah, Pita ke hi bhav mein neech ka hai. Pita ke pyaar se bhi vanchit kara chuka hai, 20 saal pehle...Toh abhi aur kitni neechta jhelna baki hai
Abhi kya Surya grah se sari umra ke liye pareshani rahegi???
Bas ek baar shanka ka samadhan kar dijiye, aur koi sateek Upay bata dijiye.
Aapka Sadaiv aabhari rahunga,
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
मिश्राजी
Deleteयह बात हर कोई जानता है कि महल बनाने वाला कारीगर मिठाई बनाने वाला हलवायी शिक्षा देने वाला अध्यापक लोगो का इलाज करने वाला डाक्टर जैसे अपनी औकात को अपने लिये और अपने परिवार के लिये नही दिखा पाते है उसी प्रकार से एक ज्योतिषी अपने सितारे इसलिये नही पढ पाता है क्योंकि जो भी क्रूर ग्रह है वे उसे सौम्य लगते है और घटना घट जाती है.
Pandit ji, Aapne bahut ghuma ke uttar diya hai,
DeleteIsko mein kya samjhoon ki mera carrier Astrology mein hai???
Mujhe toh Surya kahin se bhi saumya nahi lagta hai, isliye toh mein aapse uska upay pooch raha hoon...
Pandit ji Sadar Pranam,
Delete31-may-2013 se Guru ka Paragaman mithun rashi mein ho raha hai,
Iska Makar Lagan-Vrishabh Rashi par kya prabhav padega???
IS IT BENEFICIAL???
Gaurav Mishra
22-Oct-1986 (13:18 PM) Lucknow
Guru ji parnam
DeleteGuru ji parnam
DeletePranam Gurudev. Gurudev ek bachcha Manav jiska janam 17.01.2013 time: 11.48 p.m. Place Delhi me Mool Nashtra ke Swati - I me hua tha. Ishke mata pita ne mool shanti ki pooja bhi kara li he. Parantu
ReplyDeleteye bachcha lagatar bimar rahta he or ab ishko jyada pareshani ho rahi he. Gurudev kripya karke karan or upay dono bataye.
मनोज जी इस बच्चे का जन्म रेवती नक्षत्र के पहले पाये मे हुआ है,मूल नक्षत्रो का प्रभाव पहले पाये पर शरीर दूसरे पाये पर माता तीसरे पाये पर परिवार और चौथे पाये पर पिता पर असर होता है,वह भी तब अधिक जब चन्द्रमा खुद की मृत्यु के मालिक शुक्र (मीन राशि से अष्टम का मालिक) के पाये मे हो.साथ ही नक्षत्र के मालिक बुध की दशा चल रही हो,उस दशा मे भी शुक्र का अन्तर हो। इस मूल नक्षत्र रेवती की शांति के लिये केवल पूजा पाठ से काम नही चलता है किसी विज्ञ पंडित से इस नक्षत्र के पहले पाये के समय मे इस नक्षत्र के मंत्रो का जाप बच्चे के वजन के बराबर के जौ या छिलके वाले अनाज जैसे कोदो ककुनी धान जिससे चावल बनते है चना आदि को लेकर और मुट्ठी मुट्ठी भर कर हर मंत्र के बाद उसे अलग हरे कपडे पर डालकर जाप किया जाये,इस नक्षत्र के लिये पहले पाये का जाप मंत्र ऊँ रेवत्यै महारेवत्यै तन रेवत्यै धन रेवत्यै जग रेवत्यै पोषण रेवत्यै शरीर रक्षां कुरु कुरु स्वाहा है इसे जाप करवाने के बाद उस अनाज को डाकोत (भड्डरी) को दान मे देना चाहिये और बच्चे को आहार विहार के लिये कुछ समय के लिये ननिहाल में रखा जाना चाहिये.
DeletePandit ji pranam,
ReplyDeleteKuchh mere bare mein bhi bata digiye,
Name- nitin pandey
DOB- 23.02.1979
Time- 7:12 am
Place- kanpur (UP)
Subject- Itna samay beet gaya hai, lekin abhi tak carrier ki sahi shuruat nahi hui hai, Kripya margdarshn de ker mujhe uchit disha ki or nirdeshit kare mahan daya hogi
Dhanyawad va Aabhar
Guruji please tell me about my future and education and also suggest which stone is favourable for me.
ReplyDeleteName-Sumit Dob: 12/06/1993 Time: 10.20 pm Place: Khurja (UP)
Pandit ji sadar pranam,
ReplyDeleteKisi naye vishay par blog likhiye...Intazaar hai
गुरुजी,
ReplyDeleteप्रणाम! महीने भर से ऊपर हो गया कोई नया ब्लाग आपने नहीं लिखा. आपकी कुंडली वृष लगन की है और आपके स्वामी शुक्र है भाग्य के कारक शनि देव है जो आपकी लगन में ही विराजमान है,लगनेश और भाग्येश शनि का परिवर्तन योग आपकी कुंडली में है तथा शनि के द्वारा पूरी दृष्टि से शुक्र को देखा भी गया है, यह आपने मेरे बारे मे बताया था. अब चूँकि इस विषय की बात हो रही है तो कृप्या मेरे बारे मे कुछ स्पष्ट कर दे. आपकी कृप्या होगी.
चरणस्पर्श
रा्केश अभी परिवर्तन योग का कारण मेरे साथ भी चल रहा है और शनि राहु की वक्री नीति के अनुसार जन्म स्थान पर गुरु का स्वागत करने के लिये आना पडा है जो काम मेरे से बडे लोगो को करने थे वह मुझे करने का कारक बनना पड रहा है इसलिये नेट वर्क सही नही मिलने से और ग्रामीण क्षेत्र मे लिखने जैसी सुविधा नही होने से केवल महत्वपूर्ण जबाब देने के अलावा और कोई काम नही हो पा रहा है जैसे ही सुविधा वाले स्थान पर पहुंचा तुम्हारे बारे मे जरूर लिखूंगा,खुश रहो मजे करो.
ReplyDeleteSadar charansparsh guruji main pechele 4 saal se bemar hu pet sambhandhit bemare h chronic pancreatitis dr kahte h iska koe ilaz nahe h kabhe sahe nahe ho sakte mare father nahe h ghar ki sare jemedare mujh par h didi ki shade bhe nahe ho rahe kripya mare bemare k barre main batayen ki main kabhe sahe ho paunga bhe ya nahe mare bhavishya main kuch acha h ya nahe jindage se hatash ho gaya hu bahut ummed se aapko ak sms kar pa raha hu mare dob h 18 june 1988 time 7:45am birth place kanpur h mare pass guruji koe rasta nahe h kripya madad karen guruji aapki ate kripa hogi akash pachauri
ReplyDeleteKanpur uttar pradesh guruji
ReplyDeleteगुरुजी प्रणाम,
ReplyDeleteगुरुजी आज दो महीने हो गये आत्मा को ज्ञान की खुराक मिले हुए. आप क्या अभी भी गुरु सेवा मे है?
समय मिलते ही हम पर ज्ञान की गंगा बरसाने की कृप्या करे.
चरणस्पर्श.
गुरुजी प्रणाम,
ReplyDeleteआपका नया ब्लाग न देख, निराशा हाथ लगी. गुरुजी राज़ी ख़ुशी तो लिख दो कम से कम.
धन्यवाद एवं शुभकामना
राकेश
राकेश अभी गौशाला के निर्माण मे लगा हुआ हूँ,जल्दी ही लिखना शुरु करूंगा,खुश रहो मजे करो.
ReplyDeleteRespected guru ji ko mera pranam,
DeleteMera naam Kavita h
DOB:08.10.1985
Time: 14.54
Place: New Delhi
Kirpya meri kundali dekh kr mera carrier, Job, shadi aur agey k jeevan k bare m btaye. Abhi tak inme s kuch b thik ni chal ra h.
Apki ati kripya hogi
namaskar guru ji , jaldi se koi naya blog likhe. pranam
ReplyDeleteगुरुजी प्रणाम,
ReplyDeleteगुरुजी बिल्कुल ही भुल गये आप बच्चों को? अब तो उम्मीद थी कि मेरी कुड़ली का नंः आयेगा पर उल्टा ब्लाग पड़ने से ही वंचित हो गये जो थोड़ा बहुत ज्ञान मिलता था भी गया. गौशाला का कार्य पुर्ण हो गया हो तो हमारी तरफ़ भी थोड़ा ध्यान देने की कृपा करे. विन्रम निवेदन एंवम् शुभकामनाओं के साथ आपके आर्शिवाद का अभिलाषी.... राकेश
guru ji jaldi aaiye kuch gyan badhaiye
ReplyDeleteगुरुजी प्रणाम,
ReplyDeleteGuruji Pranam,
ReplyDeleteMera naam Anurag hai, Date of Birth 07/01/1974, time 11:59 AM, Place Meerut
Kuch samay se naukri me apekshit safalta nahi mil rahi hai aur dhan ka nuksan ho raha hai, kuch upay batayen. Dhanyawad.
Guruji Pranam,
ReplyDeleteMera naam SHASHI hai, Date of Birth 09/06/1985, time 08:10 AM, Place GOPALGANJ (BIHAR) KRIPYA MERE GARAHO KE BAE ME BATAYE AUR MERE LIYE KAUN SA FIELD BEHTAR HOGA...KRIPYA MARGDARSHAN KARE ..
MAI AAP KE BLOGS PADHTA HOO AUR MAI AAPNI KUNDALI ME RAJ JOG KE BARE ME JANNA CHAHTA HOO...
GURUJI PRANAM,
ReplyDeleteMERA NAAM KAVISH SRIVASTAVA HAI,DATE OF BIRTH 27/01/1990, TIME 05:10 PM ,PLACE GORAKHPUR (UTTAR PRADESH) .MEIN BHUT PARESHAN HU.GURIJI MERI JOB KAB TAK LAGEGI KRIPYA BTAYE AUR MERI PADAAI PAAS NAHI HO PA RAHA 2 SAAL SE ESLIYE MERE ENGINEERING K PADAI ATKI HUE HAI KRIPYA KAR K UCHIT BTAYE .
Guruji Pranam,
ReplyDeleteMera naam Nakul Raghuvanshi he, Date of Birth 25-9-1990, time 12:40 PM, Place Dhar (MP)
Mere education ke bare me bataye me CA/CS kar rha hu result thik nahi Aata he kya karu.
pramam guruji, krupaya meri bhi kundli k bare main bataiye.
ReplyDelete18-04-1985
06-00pm
Nagpur,mahrashtra,india
Guruji parnam
ReplyDeletemera dob 23/11/1990 h mera janam sthan delhi aur samay h 1.10pm h kripy kar mera bhi btaye mera sarkari naukri ka yog h ke nhi aur h to kab tak h.
guru ji parnam
ReplyDeletemera dob 01/04/1990 or time 12:45 am hai jagadhri haryana mein paida hua hu
mein bus sochta hu pr us kaam ko kr nhi pata mein job krta tha manesar mein vaha bhi 4 month job kr ke chod a gaya muja upay btao guru g jis se mein kamyab ho saku or kaam mein man laga rahe
guru ji pranam
ReplyDeletemera DOB 7/05/1984 hai. meri chandra or lagna kundali to 5:15 PM se mil rahi hai lekin navamsa kundali me difference hai . navamsa kundali jaruri hai?
please maarg darshan kare
pandit ji mera name sarwan he ..meri birthday 11/01/1989 he ..time 12.35 pm meri sagai kab hogi
ReplyDeletePranam guru ji mujhe mansik shanti nahi rahti baate hamesha pareshan karti rehti he plz help
ReplyDeleteDevendra 3/07/83 9:20pm ujjain
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ReplyDeleteGuru g aap ko satsat naman hai.....
ReplyDeleteKripa kijiye aue mere baare me kuchh bataye ki mere bhagy me kya hai.....
Mera kewal ek question hai ki....
Kya mai IAS. Ban paunga ki nahi ...
Aur yadi chanse hai to muje kripa KAR me sat Mary batawe ...
Upay v awasy batawe
You're sisya. Girijesh
Thanks.....
Mera date of birth ..
ReplyDelete03/10/1987
Time 17:35 pm.
Din saturday
Please merit madat kijiye
Guruji aap ko satsat naman ..........
You're Girijesh Tripathi
Thanks....
My gmail I'd
ReplyDeleteGri.tri.p.com@gmail.com
Please merit madat kijiye guruji....
Thank you
ReplyDeleteVery much.......
Guruji pranaam
ReplyDeleteManohar
12/04/1084
Sujangarh (rajasthan)
Abhi mere transfer ka programe yag ban raha hai
Kya ye transfer hoga ya nahi hoga
Agar hoga to iss se kya fayda milega
Plz reply i m in tension
guru ji mera budh kumbh me hai aur sani mithun me hai kiya hoga mere saath bataye mera email hai jha999@outlook.com,laxminarayanjha1998@gmail.com,9811845437 aapki ati kiripa hogi
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ReplyDeletePandit ji Meri janam kundali ke bare bataye 11/04/1992 time2:32pm
ReplyDeleteGuruji pranam Nitin 14/12/1980 Mumbai 00:06am kam kaha kru Abhi mai c.g jagdalpur me hu lekin mata pita chahate hai ki unke aadpas aurangabad Maharashtra me karu.kripaya salah de ki kaha par kam karna bhavishya me like think rahega.
ReplyDeletePandit ji..mere kundli brashv lagan ki hai aur Mera Shani 7th house mai verachik rashi mai hai jo ki mangal ki rashi hai... aur Mangal 10th house mai khumbh rashi mai hai..so kya ye Prarivaran yog banta hai?
ReplyDeletePaditji Sadat pranam
ReplyDeleteMeri dob-27-03-1982,time-4.00am,place-sawai madhopur(raj.)h.paditji me bahut paresaan hu.10 saal se prayas karne ke bad bi meri govt.job nahi lag pa rahi h.bahut se logo ko dikhaya sab ha hi kahete h.lekin 15 years gujar gaye h.family tutne par as gayi h.plz mughe bataye mere bhagya me naukri bi h ya nahi.yadi h to exact time bataye.paditji plz help me.
जय माता जी ,
ReplyDeleteमार्ग दर्शन करे,क्या करु
02/11/1979-date
06:35-'time
Jhabua,mp-
Mobile-09425195911
guru ji pranam
ReplyDeletemera lagan brish hai rasi brish hai nachtra rohini hai lagn me chandrama ke saath ketu hai 11 bhab surya+guru hai
budh 10 ghar me hai rahu 7 ghar me hai mangal 9 ghar me hai sani 2 ghar me hai mera kuch labh hoga ya nahi mai bhikhari ka bhikhari hi rahunga bataye sukra 12 ghar me hai
ReplyDeleteSANI AUR BUDH PARIBATAN KAR KE BAITHA HAI GURU JI, BUDH KUMBH ME HAI AUR SANI MITHUN ME HAI KUCH HOGA MERA BRISHABH LAGN HAI KUCH BATAYE
ReplyDeleteNeerajSharma
ReplyDeleteAdvocate Delhi High Court
Guru ji Namaskar
Krapya mere future ke liye kuch batayenge
My D.O.B 15 July 1970
Time 4.28 p.m evening
Place Bulandshahr U.P
20jan 2002 19:00 jaunpur sarkari naukri ka yog hai🙏🙏🙏
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ReplyDeleteमेष राशि के लोग (21 मार्च – 19 अप्रैल) रोज़ाना अपना राशिफल Prokerala पर देख सकते हैं। यह आपको आपके दिन की महत्वपूर्ण जानकारियां देता है, जैसे कि आपके करियर, स्वास्थ्य, प्रेम संबंध और व्यक्तिगत जीवन में क्या हो सकता है।
ReplyDeleteastrology signs and zodiac sign
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