Thursday, March 7, 2013

तुला राशि का जन्म का राहु

भचक्र से तुला राशि सातवी राशि है और इस राशि का महत्व जीवन साथी साझेदार जीवन मे लडी जाने वाली जंग तथा सेवा आदि से प्राप्त आय सेवा के प्रति समाप्त करने वाले कारण सन्तान की हिम्मत और सन्तान कैसी है किस प्रकार के आचार विचार उसके अन्दर है वह अपने को समाज मे किस प्रकार के क्षेत्र से जुडकर अपने को संसार मे दिखायेगी माता के घर और माता की मानसिक स्थिति को पिता के कार्य को और कार्यों से जुडे धन आदि की समीक्षा करने के लिये अपनी क्रिया को करेगी. राहु को वैसे छाया ग्रह कहा जाता है,इसके साथ ही राहु के बारे मे कहा जाता है कि ऐसा कोई भी कारक नही है जो आसमान से नही जुडा है चाहे वह अच्छा हो या बुरा सभी की शक्ति को समेटने के लिये राहु का प्रभाव बहुत ही बडे रूप मे या आंशिक रूप से समझना जानना जरूरी है। तुला राशि का राहु मानसिक रूप से अपने को हमेशा उपरोक्त कारणो से जोड कर रखता है और इस राहु का प्रभाव घर के सदस्यों में अच्छे और बुरे रूप से भी देखा जाता है। जिस दिन इस राहु के साथ जन्म होता है उसके अठारह महिने पहले से ही घर के बुजुर्ग सदस्यों पर असर को देखा जाने लगता है। राहु का प्रभाव पिता के बडे भाई पर पहले पडता है इसके बाद यह प्रभाव बडे भाई या बहिन पर पडता है फ़िर इसका प्रभाव छोटे भाई बहिन पर भी पडता है । इसके साथ ही जातक की आमदनी के क्षेत्र पर जातक एके भेषभूषा पर भी पर इसका असर पडता है इस राहु के कारण पैदा होने वाले जातक अक्सर सबसे पहले बायें हाथ से लिखने पढने वाले या इस हाथ से काम करने के लिये पहले ही अपने को उद्धत करते है अक्सर यह भी देखा जाता है कि इस राशि मे राहु वाले व्यक्ति अपने को जीवन साथी के भरोशे ही रखते है उनके लिये कोई भी काम करना मुश्किल होता है जबतक कि वे अपनी भावना को आशंका को अपने जीवन साथी से न बता दें,यह भी देखा गया है कि इस राशि का राहु पति पत्नी के बीच मे एक प्रकार का आशंकाओं का जाल भी बुन देता है और दोनो के बीच मे वाकयुद्ध कारण अक्सर घर का माहौल तनाव वाला बन जाता है और कुछ समय के लिये ऐसा लगता है कि पति पत्नी मे एक ही रहेगा। इस राशि के राहु वाला व्यक्ति पैदा होने के बाद एक प्रकार से आवारगी का जीवन बिताने के लिये भी माना जाता है वह कहां जा रहा है किसके लिये जा रहा है,उसे खुद पता नही होता है। इसके अलावा भी कई शास्त्रो ने अपने अपने अनुसार कथन किये है जो आज के युग मे कम ही फ़लीभूत होते देखे गये है।

कहा जाता है कि तुला राशि का राहु व्यक्ति के अन्दर अधिक कामुकता को देता है और कामुकता के कारण व्यक्ति का सम्बन्ध कई व्यक्तियों से होता है। यह बात मेरे अनुसार तभी मानी जाती है जब राहु शुक्र या गुरु पर अपना असर दे रहा हो तो शुक्र पर असर होने के कारण पति के प्रति कई स्त्रियों से सम्बन्ध बनाने के लिये और पत्नी पर अपने को सजाने संवारने के प्रति अधिक देखा जाता है जब यह जीवन की जद्दोजहद मे आजाता है तो व्यक्ति एक से अधिक कार्य करने साझेदारी और इसी प्रकार के कामो से अपने को आगे बढाने के लिये भी देखा जाता है। तुला राशि का राहु शुक्र के घर मे होने से और व्यवसाय के प्रति अपनी सोच रखने के कारण व्यक्ति को हर मामले मे बडी सोच देकर व्यवसाय के लिये अपनी समझ को देता है। अक्सर इस असर के कारण ही कई लोग तो आसमान की ऊंचाइयों मे चले जाते है और कई लोग अपने पूर्वजो के धन को भी अपनी समझ से बरबाद करने के बाद शराब आदि के आदी होकर अपने जीवन को तबाह कर लेते है। जिन लोगो ने विक्रम बेताल की कथा को पढा होगा उन्हे इस राहु का पूरा असर समझ मे आ गया होगा,यह राहु एक भूत की तरह से व्यक्ति के ऊपर सवार होता है और अपनी क्रिया से जीवन की वह बाते सामने ला देता है जिन्हे हर कोई अपनी बुद्धि से सामने नही ला सकता है जैसे ही व्यक्ति अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है यह राहु का नशा अपने आप ही पता नही कहां चला जाता है। इस राहु का नशा एक प्रकार से या तो बहुत ही भयंकर हो जाता है और उतारने के लिये व्यक्ति पुलिस स्टेशन लाया जाता है,या इस राहु के नशे को उतारने के लिये अस्पताल काम मे आते है या इस राहु का नशा उतारने के लिये धर्म स्थान अपना काम करते है इसके अलावा इसका नशा तब और भी खतरनाक उतरता है जब व्यक्ति अपनी धुन मे चलने के कारण सडक या किसी अन्य प्रकार के कारण से दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।



Monday, March 4, 2013

राहु घुमा देता है बुद्धि को

कुंडली मे राहु का गोचर जन्म के गोचर से कुछ अलग ही माना जाता है जन्म के समय का राहु तो व्यक्ति के अन्दर अपनी शक्ति के अनुसार सम्बन्धित भाव और राशि तथा ग्रहों का प्रभाव अजीवन देता है लेकिन गोचर का राहु अपने अनुसार कुछ अलग से ही अपने असर को प्रदान करता है। एक प्रसिद्धि आदमी बदनामी को झेलने लगता है और एक बदनाम आदमी प्रसिद्ध हो जाता है यह सब राहु का खेल ही माना जाता है।
कहा जाता है कि नशा आदमी को या तो बरबाद कर देता है या इतना आबाद कर देता है कि उसकी सात पुस्तो में कोई आबाद या बरबाद नही हुआ होता है। आदमी को कई प्रकार के नशे झेलने को मिलते है,कुंडली के बारह भावो के अनुसार नसे भी बारह भावो से जुडे होते है बदलती है तो केवल प्रकृति राशि ग्रहो के असर और ग्रहो की द्रिष्टि से नशे की लत बदल जाती है।
राहु पहले भाव मे अपने को अपने शरीर से अलग ही नही होने देता है वह जो भी सोचने को मजबूर करता है वह केवल अपने शरीर अपने नाम अपने परिवार अपनी जीवन शैली अपने धर्म और भाग्य के प्रति ही सोचता रहता है इन्ही कारको को वह आगे बढाने के लिये कितने ही प्रयास होते है वह करता रहता है। शरीर के बल को बढाने के लिये राहु हमेशा ही अपने प्रयास जारी रखता है,वह असर दवाइयों के प्रयोग से अपने को शक्ति से पूर्ण करने के लिये राहु के साधनो का प्रयोग करना आदि बाते मानी जाती है। यह भी देखा जाता है ऐसा व्यक्ति अपने आसपास के माहौल से एक प्रकार की लोगो की भीड को भी इकटठा करना जानता है और उसे अपने बाहु बल के लिये भीड का प्रयोग करना भी आता है। यही बात पहले भाव के नाम के लिये भी जानी जाती है अक्सर देखा होगा कि एक व्यक्ति कितने ही लोगो से अपने को जोड कर रखता है और वह अकेले रहने के लिये कभी भी तैयार नही होता है वह भीड भाड वाले स्थान पर रहने लोगो के कलरव के बीच अपनी बात को कहने के लिये और जितने भी लोग उसके आसपास होते है उन्हे सभी को अपने अनुसार अपने घेरे मे रखने के लिये अपनी तैयारी भी रखता है और जैसे भी हो राशि और ग्रहो के असर से वह सभी को अपने घेरे मे रख कर जिन्दा रखना चाहता है। उसे बिना लोगो के साथ रहे चैन भी नही आता है उसे लगता है कि जब वह लोगो से दूर होता है तो वह कुछ है ही नही या उसके पास से सब कुछ छीन लिया है।
अपने नाम को प्रसारित करने के लिये भी उसकी तैयारी चलती रहती है वह चाहता है कि कितने ही लोग उसके नाम को ले,अपने नाम को वह राशि और ग्रहो के अनुसार प्रसारित करने के लिये अपनी बुद्धि को का प्रयोग करता है। वह अगर मेष राशि का प्रभाव प्राप्त करता है तो वह चाहता है कि उसके लिये एक प्रकार से रक्षा करने वाले कारणो मे उसका नाम बडे रूप मे लिया जाये उसे कोई पदक या या इसी प्रकार की पोस्ट मिले जिससे वह अपने को अपनी पोस्ट और पदक के अनुसार अपनी छाया मे रख सके उसे अपने नाम के प्रति अभिमान बना रहे वह अपने नाम का प्रयोग करने के बाद अपने काम को करवा ले वह अपने नाम के आगे किसी और नाम को सुनना भी नही चाहता है। उसका नाम अखबारो मे चले उसका नाम टीवी पर चले और जो देखो वह उसके नाम का ही गुणगान करे। यह एक प्रकार का बडा नशा इसलिये माना जाता है कि हर व्यक्ति अपने नाम को ही सुनना चाहता है उसे किसी अन्य का नाम सुनने के बाद एक प्रकार की अजीब सी अशान्ति सी होती है। वह चाहता है कि लिये जाने वाले नाम के स्थान पर उसका नाम लिया जाता तो कितनी अच्छी बात होती । इसके अलावा भी कई बार कहानियों मे गाथाओ मे इतिहास मे सुनने मे आता है कि एक व्यक्ति ने अपने रक्षात्मक कारणो से दूसरो के लिये बलिदान कर दिया,इस बात को अगर ज्योतिष के भाव से देखा जाये तो वह बलिदान का रूप राहु रूपी छाया का एक हिस्सा था,वह चाहे जान कर किया गया हो या अन्जाने मे किया गया हो,कोई न कोई कारण राहु का ही सामने आता है। वृष राशि के लिये भी राहु का प्रभाव देखा जाता है कि व्यक्ति अपने को भौतिक धन के मामले मे नामी ग्रामी बनना चाहता है वह चाहता है कि लोग उसे धनपति के रूप मे देखे और वह अपने को जहां भी जाये एक धनी व्यक्ति की हैसियत से दिखावा करे,लोग उसके प्रति अपने सम्मान को उसकी आज्ञा को  उसके प्रति किये जाने वाले व्यवहार को धन के कारण ही उच्च का समझे,वह जो भी चाहे करे और जो भी चाहे खरीदे जिसे भी चाहे प्राप्त करे। इस बात के लिये उसके अन्दर एक प्रकार का नशा पैदा हो जाता है वह केवल हर बात को काम को इन्सान को व्यवहार को धन के रूप मे ही देखना पसन्द करता है उसे इस बात से कतई भरोसा होता है कि इन्सानियत की भी कीमत होती है व्यवहार मे भी केवल एक दूसरे की सहायता का कारण होता है या इन्सान का जन्म ही केवल लोगो की सहायता करने के लिये हुआ है। उसके लिये केवल सहायता का कारण भी पैदा होता है तो वह केवल अपनी सहायता को धन के रूप मे करना चाहता है उसे अपने धन की कीमत जब पता चलती है जब वृश्चिक का केतु अपना असर देकर असहनीय दर्द और कष्ट देना शुरु करता है,तब वह सोचता है कि वह धन के नशे के अन्दर कितना दुनियादारी को भूल गया था,वह अपने धन से बडे अस्पतालो के चक्कर लगाता है जगह जगह मारा मारा घूमता है और उस समय वह वृश्चिक का केतु मजे से उसका धन हरण भी करता है और वह अपने शरीर को भी बरबाद करता है। कहा जाता है कि मिथुन राशि का राहु बडबोला बना देता है जब भी कोई बात होती है तो बात को इतना विस्तार से कहा जाता है कि इतिहास से लेकर आगे के भविष्य के लिये भी कथन शामिल हो जाता है। अगर यही राहु अपनी सी पर आजाता है तो व्यक्ति के अन्दर पहिनने ओढने के लिये रूप को संवारने के लिये इत्र तेल फ़ुलेल प्रयोग करने के लिये सेंट लगाने के लिये परफ़्यूम को प्रयोग करने के लिये अपनी चाहत को देने लगता है व्यक्ति के अन्दर लिखने पढने फ़ोटोग्राफ़ी करने बेव साइट बनाने कम्पयूटर की विद्याओ को सीखने और सिखाने तथा उनके प्रयोग करने मंत्र शक्ति ओ प्रवाहित करने अपनी कला से ख्वाब दिखाकर अपने जीवन को संवारने के लिये अपने लिये प्रभाव पैदा करने लगता है। यह भी कहा जाता है कि इस राशि का राहु व्यक्ति को बात बात मे तर्क करने की शक्ति को भी देने लगता है वह अपनी बात को मनवाने के लिये अपनी किसी भी हद की सीमा से बाहर जा सकता है,या वह लडाई झगडा आदि कुछ भी कर सकता है वह अपनी बातो मे गाली गलौज ला सकता है। जरा सी देर मे वह बात को कहीं से कहीं पहुंचा सकता है। कर्क राशि का राहु माता को झूठ बोलकर या खुद के द्वारा किसी भी बात का भ्रम पैदा करने के लिये काफ़ी है व्यक्ति किसी भी बात मे एक प्रकार का डर पैदा करने के लिये भी अपनी शक्ति को प्रवाहित कर सकता है उसके लिये कोई भी माता पिता भाई बहिन परिवार आदि कोई मान्यता नही रखते है घर के अन्दर वह खालीपन चाहता है उसे लगता है कि उसके साथ रहने वाले लोग कोई ऐसी बात न पैदा कर दे जो उसके किये गये कार्यों का खुलासा कर दें, वह अपनी बात को मनवाने के लिये अपने को चालाकी के रास्ते मे ले जाता है वह झूठ भी बोलता है और किसी भी बात को कनफ़्यूजन मे लाने के लिये तथा घर के अन्दर राहु वाले कारण पैदा करने के लिये जैसे बिजली के काम पानी और कैमिकल के काम करने का मानस बनाता है उन कामो के अन्दर जहां भीड इकट्ठी होती है वहां ही उसके काम करने का कारण बनता है वह अगर अपनी जीविका के लिये कोई साधन पैदा करता है तो कमन्यूकेशन के काम ही सामने आते है वह सहायता वाले काम भी करता है जैसे किसी भीड को सम्भालना जहां प्रोग्राम आदि होते है वहां पर अपनी उपस्थिति को देना और जो साधारण लोग है भावुक लोग है उनके अन्दर अपनी छवि को पैदा कर देना।

Sunday, March 3, 2013

सातवी सीढी का रहस्य

जीवन मे सात अंक का रूप राहु के रूप मे जाना जाता है। हिन्दी मे या अंग्रेजी मे सात का अंक एक हथियार का रूप प्रस्तुत करता है तो चीन मे सात का अंक ड्रेगन के रूप मे देखा जाता है। इस अंक की विशेषता यह होती है कि मकान दुकान घर कार्यालय मे इसकी उपस्थिति से लोग अपने अपने अनुसार राहु का प्रयोग करते देखे गये है। लेकिन घर के अन्दर अक्सर सात सीढी उन्ही लोगो के यहां मिलती है जो लोग या तो शराब के व्यवसाय मे या फ़ैसन के लिये अथवा दवाइयों और फ़ार्मेशी वाली कामो मे बिजली पेट्रोल या शक्ति वाले साधनो से जुडे होते है। कहने को तो सूर्य सबसे बलवान है लेकिन राहु की छाया से वह भी ग्रसित है सातवा दिन वैसे तो शनिवार का होता है लेकिन हर दिन सुबह शाम राहु का होता है। जब दिन निकलता है तो राहु की छाया अन्धेरे से उजाले की तरफ़ ले जाती है और जब शाम होती है तो राहु की छाया दिन को रात की तरफ़ ले जाती है। सात की संख्या मे सीढी का प्रयोग और भी हितकारी जब हो जाता है जब घर के अन्दर पूर्वजो की मान्यता को माना जाता है। लेकिन इन सीढियों के बारे मे दिशा के अनुसार अपना अपना असर देखने को मिलता है।
  • सीढी का महत्व दिशा के अनुसार समझने के लिये बहुत जरूरी होता है,जिन घरो मे सीढिया पहले दक्षिण की तरफ़ चढती है और बाद मे उत्तर की तरफ़ चढती है तो उस घर मे अगर गुस्सा करने वाली स्त्री है तो उसका गुस्सा पारे की तरह अचानक चढता है और पारे की तरह से ही जल्दी उतर भी जाता है घर के अन्दर शराब कबाब का अधिक महत्व है तो वह लगातार परिवार मे बढता ही जाता है.
  • अगर सीढी उत्तर की तरफ़ पहले चढती है तो और वह सात की संख्या मे पहली स्टेप है तो यह जरूरी है कि या तो धन की बढोत्तरी लगातार अनाप सनाप होती जायेगी और बाद मे अक्समात ही समाप्त होकर कर्जे के लिये जाना पड सकता है लेकिन जो भी होगा वह बहुत बुरी तरह से बढाने वाला या घटाने वाला होगा अक्सर इस संख्या मे जाने वाली उत्तर की तरफ़ की सीढिया जुआरी जल्दी से धन कमाने वाले शेयर सट्टा आदि का काम करने वाले कर्जा देने वाले और कर्जा लेने वाले लोगो के लिये देखा गया है जो लोग वित्तीय संस्था को चलाने वाले होते है उनके लिये भी यह सात की संख्या मे सीढियों का होना देखा गया है लेकिन उनका फ़ैलाव अगर हो रहा है तो वे अपनी फ़ैलाव की परिधि को बढाते जाते है और जब वे सिमटते है तो धीरे धीरे बिलकुल ही समाप्त हो जाते है.
  • अगर सीढी का चढाव पूर्व की तरफ़ हो रहा है तो घर के अन्दर भजन कीर्तन या किसी प्रकार की भक्ति आदि का इतना महत्व होगा कि परिवार के सभी व्यक्ति जुडे होंगे,वे सभी अपनी अपनी गति से किसी भी भगवान या देवी देवता की तरफ़ लगातार बढते जायेंगे और इतने बढते जायेंगे कि वे अन्य किसी काम को करना समझ ही नही पायेंगे,लेकिन दूसरा स्टेप जब दक्षिण या उत्तर की तरफ़ जाता हुआ मिलता है तो या तो भोजन या प्रसाद के रूप मे घर मे आवक होगी या किसी प्रकार की वित्तीय सहायता के लिये अन्य लोगो के प्रति आस्था रखी जायेगी.
  • अगर सीढी का चढाव पश्चिम की तरफ़ है पहली स्टेप की संख्या सात मे है तो जरूरी है कि घर के लोग भौतिक रूप से जमीन जायदाद घर मकान व्यवसायिक क्षेत्र मे लगातार प्रगति करने वाले होंगे वे किसी भी राशि या किसी भी क्षेत्र से पहले जुडे हो लेकिन इस प्रकार के मकान मे प्रवेश करते ही उनकी प्रोग्रेस इन्ही क्षेत्रो मे होने लगती है। 
  • अगर सीढी का चढाव ईशान की तरफ़ है तो व्यक्ति अपनी प्रोग्रेस को धार्मिक रूप से या कानूनी रूप से या ऊंची शिक्षा के रूप से उन्नति मे सहायक होते है अक्सर इस क्षेत्र के लोग ही विदेश मे जाकर या विदेशी कामो में सफ़लता प्राप्त करते है,लेकिन यह भी देखा गया है कि जैसे ही उनके लिये किसी प्रकार का बदलाव तीन साल या इससे अधिक अवधि का होता है वे नीचे गिरते हुये भी देखे जाते है राहु का समय अठारह महिने का होता है और यही कारण पीछे की चिन्ता आगे की चिन्ता और चलने वाले कामो की चिन्ता के लिये भी माना जा सकता है.
  • अगर सीढी का चढाव वायव्य की तरफ़ है तो व्यक्ति इस प्रकार के मकान मे रहकर समाचार पत्रो या अपनी कार्य प्रसिद्धि से या अपने सुझाव देने वाली नीति से अपने को प्रसिद्धि मे लाता है यही कारण उसकी प्रोग्रेस का होता है अक्सर इस प्रकार के मकान माता के नाम होते है या उनके किसी ऐसे पूर्वज के नाम से होते है जिसने अपनी जिन्दगी मे नाम कमाया होता है.

Saturday, March 2, 2013

राहु का गोचर और काम मे कनफ़्यूजन

प्रस्तुत कुंडली कन्या लगन की है,लगनेश बुध सप्तमेश और चतुर्थेश गुरु लाभेश चन्द्र्मा के साथ विराजमान है। गुरु शुक्र का परिवर्तन योग है। शुक्र गुरु चन्द्र बुध पाप कर्तरी योग मे है। राहु केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे है। विद्या बुद्धि का मालिक होने के साथ रोजाना के कामो का मालिक नौकरी आदि का मालिक शनि है जो लगन मे विराजमान है और इस शनि की युति जन्म के सूर्य पर है साथ ही शनि केतु की युति मे एक बात और भी कही जाती है कि जो लोग नौकरी आदि मे अपनी योग्यता को बनाना चाहते है वे अपने लिये कभी भी प्रोग्रेस नही कर पाते है,वह भी जब शनि कन्या राशि का हो और केतु मकर राशि का हो तो वे केवल अपने नौकरी करने वाले स्थान के लिये ही तरक्की को देने वाले होते है उनका काम भी एक प्रकार से दर्जी की तरह से होता है जैसे दर्जी एक कपडे के कई टुकडों को जोडकर एक वस्त्र का नाम देता है उसी प्रकार से इस युति वाले जातक कई लोगो को या फ़र्मो को जोड कर एक प्रकार से नई कम्पनी का नाम बना देते है यह ही नही इस युति मे अगर गुरु का असर मिलता है तो जातक अपनी योग्यता को इतना बढा लेता है कि वह बडे से बडे ठेके आदि लेकर अपनी योग्यता से धन और आव इज्जत मे अपनी योग्यता को बनाता चला जाता है।
पाप कर्तरी योग मे फ़ंसे ग्रह अक्सर बलहीन इसलिये हो जाते है कि वे अगर अपनी शक्ति को खर्च करते है तो वह शक्ति बेकार चली जाती है जैसे इस कुंडली मे शुक्र धनु राशि का है और चौथे भाव मे अपनी स्थिति को बना रहा है धन भाव मे बैठा गुरु इस शुक्र को बल दे रहा है फ़िर भी इस शुक्र के आगे केतु होने से जातक के पास विद्या मे बुद्धि मे सन्तान मे प्राथमिक रूप मे जल्दी से धन कमाने के क्षेत्र मे अक्समात ही साधनो के प्रति खर्चा करना होता है या बडे भाई मामा परिवार दोस्तो आदि के फ़रेब मे आकर या जल्दी से धन कमाने वाली स्कीमो मे जाकर अपने को बरबाद करने के लिये यह केतु अपना काम करने लगता है अधिक कामुकता की बजह से या तो पुरुष सन्तान नही हो पाती है या हो भी पाती है तो कमजोर रहती है इसके अलावा भी पुत्री सन्तान के होने से और पुत्री सन्तान पर  निर्भर होने के कारण भी समाज घर परिवार आदि मे इज्जत का प्राप्त करना नही हो पाता है। इस शुक्र के पीछे सूर्य होने से कोई भी काम जातक अपनी मर्जी से भी नही कर पाता है इसका कारण भी यह है कि जातक जब भी अपने समाज और अपनी शिक्षा तथा पिता के जमाने से चली आयी मर्यादा के विरुद्ध काम करने की सोचता है वैसे ही उसके मन मे अहम के प्रति अपने समाज के प्रति तथा जीवन मे की जाने वाली प्रगति रिस्तेदारो के दबाब आदि के कारण नही कर पाता है। शुक्र के पीछे सूर्य होने का एक असर यह भी होता है जब भी जातक अपने धन्धे व्यवसाय मे आगे बढने के लिये कोशिश करता है और जब भी प्रोग्रेस का समय आता है कोई न कोई बात जो सरकारी कारणो से घिरी होती है या सरकारी दबाब आदि के कारण या राजनीति मे जाने या राजनीति के प्रति अहम होने से भी जातक को यह सूर्य कमाने वाले क्षेत्र से दूर करने मे अपना असर प्रदान करने की बात को करता है।
यही बात गुरु चन्द्र और बुध के लिये मानी जाती है यह तीनो ग्रह सौम्य ग्रह है और इन ग्रहो के आगे सूर्य और पीछे शनि होने से जैसे ही जातक किसी भी बाहरी काम के प्रति आने जाने के प्रति अपने मन से काम करने के प्रति बोलने चालने मे विवाह शादी सम्बन्ध या अपने अनुसार काम करने की सोचता है तो शनि जो इन ग्रहो से बारहवा है जल्दी से अपनी युति के कारण कष्ट देना शुरु कर देता है अगर इन कारको को वह अपने अनुसार करना चाहे तो वह अपने घर और अपने परिवार के अन्दर नही कर पाता है वह अगर इन कारको को सोचे तो घर से बाहर जाकर ही सोच सकता है। एक बात और भी देखी जाती है कि जातक का शनि जब चन्द्रमा से बारहवा होता है तो जातक के लिये किये जाने वाले खर्चो आने जाने के कारको तथा अपने अनुसार शांति को प्राप्त करने मे हमेशा किसी न किसी बात से बन्धे रहना भी होता है,तथा जब वह इन कामो को करना चाहे तो आगे सूर्य होने से राज्य की दिक्कत या पिता सम्बन्धी मान मर्यादा की इज्जत भी सामने आजाती है।
पिछले समय मे राहु ने पंचम चतुर्थ तीसरे भाव मे गोचर किया है इस गोचर से केतु जो कार्य के प्रति साधन के रूप मे थे विद्या के क्षेत्र मे या ब्रोकर वाले काम थे,फ़िर घरेलू मकान सम्पत्ति भवन आदि के प्रति बाद मे जो भी इस राहु से बचा वह पिता और अस्पताली कारणो के प्रति सरकारी टेक्स आदि के प्रति खर्चा कर दिया गया यह सब केवल बडे से बडे कनफ़्यूजन के कारण ही होना माना जा सकता है अब यह राहु जन्म के गुरु चन्द्र और बुध पर अपना गोचर कर रहा है इस कारण से जातक के लिये एक तो जीवन साथी से सम्बन्धित साझेदारी से धन आदि कमाने के प्रति तथा ससुराल मे सास ससुर और साली के प्रति एक प्रकार का जिम्मेदाराना प्रभाव माना जाता है यही नही व्यवसाय को अधिक से अधिक बडा रूप देने के लिये भी यह राहु अपना असर प्रदान करने की योजना का प्रभाव दे रहा है।
इस राहु के कारण यह भी समझा जाता है कि अधिक से अधिक कनफ़्यूजन होने और एक काम के अन्दर बडे बडे काम अपने आप बन जाने का प्रभाव भी देखा जाता है.इस प्रभाव के कारण जातक के लिये लक्ष्य से दूरी बन जाती है और जो लक्ष्य प्राप्त करना है वह लक्ष्य दूर हो जाता है,तथा बेकार के कारणो मे जाने से और बेकार की बातो को ध्यान मे रखने से राहु का गोचर अपना काम करता है इस गोचर के प्रभाव से बचने के लिये अपने किये जाने वाले काम मे विस्तार को जारी रखना चाहिये और भोजन नींद तथा तामसी प्रभाव से बचने का हर हाल मे प्रयास करना चाहिये.

शुक्कर शनीचर

एक मिथिहासिक कहानी है। एक गांव मे एक चौधरी साहब रहते थे,जमीन जायदाद धन दौलत उनके पुरखो के जमाने से पनपती चली आ रही थी। आसपास के गांवो मे नाम भी था और धन आदि अधिक होने से पूंछ भी अच्छी थी। चौधरी साहब के गांव मे ही एक धासोलिया नामका व्यक्ति भी रहता था,उसके पूर्वजो के जमाने से सभी मेहनत करते आ रहे थे लेकिन उनकी बरक्कत किसी भी प्रकार से नही होती थी,कितना ही कमाया जाता था लेकिन शाम को भरपेट भोजन भी सही रूप से नही मिलता था। किसी भी काम मे चौधरी साहब के पास जाकर सहायता लेने के लिये मजबूर होना पडता था। जमीन मेहनत और कार्य आदि के बाद भी जब बरक्कत नही होती थी तो धासोलिया सोचा करता था कि चौधरी साहब के पास ऐसी कौन सी चीज है जिससे उनके परिवार मे बरक्कत होती जा रही है और उसके परिवार मे ऐसी कौन सी चीज है जो परिवार की बरक्कत को नही करने दे रही है। इसी उधेडबुन मे उसने कई महात्मा तपस्वी जानकार आदि लोगो से राय ली लेकिन उसे कोई सही उत्तर नही मिला। एक दिन वह पास के गांव मे गया था उसे एक ज्योतिषी जी मिले जो किसी बनिया के यहां आये थे और बनिया के परिवार के लिये ज्योतिष बता रहे थे,धासोलिया भी उत्सुकतावश वहां बैठ गया और ज्योतषीजी से अपनी व्यथा को कहने लगा। ज्योतिषी जी ने अपने ज्योतिष के ज्ञान से कहा कि चौधरी साहब के यहां तो शुक्कर शनीचर चाकरी कर रहे है और तुम्हारे यहां शुक्कर शनीचर खा रहे है। धसोलिया बात को समझ नही पाया और उसने साधारण भषा मे उनसे समझाने के लिये कहा।

ज्योतिषी जी साधारण भाषा मे धासोलिया को समझाना शुरु किया। उन्होने कहा कि चौधरी साहब के घर मे उनकी चौधराइन चौधरी साहब के कहे अनुसार काम करती है और अपनी राय केवल समय पर ही देती है और धासोलिया की पत्नी घर की हर बात मे अपनी राय देती है तथा उन्हे आराम करने की आदत है जबकि चौधराइन सुबह भोर से जागकर रात तक घर को सम्भालने का काम करती है इस प्रकार से घर की हर चीज को सम्भाल कर रखने कोई घर की चीज खराब नही हो उसे सुरक्षा से रखने के लिये अपने प्रयास को करती रहती है यह बात उन्होने अपनी सास से यानी चौधरी साहब की माताजी से सीखी थी। जबकि धासोलिया की पत्नी अपनी मर्जी से काम करती है जो भी बात धासोलिया की माता जी कहती है उस बात का उल्टा जबाब उन्हे दिया जाता है,उनकी हर बात का उल्टा किया जाता है,इस प्रकार से शुक्र जो घर का संचालक होता है वह धासोलिया के कमाये गये धन को खाये जा रहा है और धासोलिया कितनी ही कमाई करके लाये उसे सम्भालना तो दूर सही से उपयोग मे भी नही लाया जा रहा है इस प्रकार से हर वस्तु की समय पर जरूरत रहती है और धन की कमी बनी रहती है।

धासोलिया ने ज्योतिषी जी से पूंछा और शनीचर कैसे खाये जा रहे है ? ज्योतिषी जी ने जबाब दिया कि चौधरी साहब तो किसी भी काम को समय से पूरा करने की कोशिश करते है समय से पहले किसी काम का ध्यान रखना जैसे खेत मे समय से जुताई निराई बीज बोना और फ़सल मे पानी देना समय से फ़सल को काट कर लाना और पैदा होने वाले अनाज को सुरक्षित रख देना फ़िर बाजार मे कीमत बढने पर उसे बेचना आने जाने वाले लोगो का मान सम्मान करना अपनी हैसियत के अनुसार सहायता करना अपने पिता के जानकार लोगो से मिलते रहना उनकी इज्जत करना आदि बाते है जिससे उन्हे हर समय धन और जान पहिचान का फ़ायदा मिल जाता है जबकि तुम्हारे यहां जब तुम खेत की जुताई करने जाते हो तो अपने साधन धन की कमी से नही रख पाने से खेत की जुताई बुवाई समय पर नही हो पाती है और काम जब पूरा नही हो पाता है तो फ़सल भी पूरी नही मिल पाती है साथ ही अनाज भी उतना पैदा नही हो पाता है जो बेचने के लिये रहे जितना आता है उतना या तो खा लिया जाता है या रख रखाव के अभाव मे बरबाद हो जाता है।

शुक्कर शनीचर की सेना भी घर को बनाने में और बिगाडने मे अपना सहयोग करती है। शुक्कर की सेना जब घर क बिगाडने के लिये आती है तो शुक्कर कुंडली चौथे भाव मे बैठ जाता है और अपनी सप्तम द्रिष्टि से जातक के दसवे भाव को देखना शुरु कर देता है इस प्रकार से जातक जो भी काम करता है वह पत्नी के द्वारा निर्देशित किया जाता है पत्नी को यह पता नही होता है कि काम करने के लिये क्या क्या चाहिये लेकिन वह अपनी मर्जी से अपनी राय को देती है,और वह राय कार्य के स्थान पर सफ़ल नही हो पाती है। इसके अलावा चौथे भाव के शुक्र के कारण इसकी सेना का मुख्य संचालक पत्नी का श्रंगार का साधन होता है श्रंगार के अंग भी गहने कपडे तरह तरह के बनाव श्रंगार के साधन आदि होते है पत्नी अपने घर के कामो समय पर नही कर पाती है अपने को दूसरो से रूप मे अच्छा दिखाने के चक्कर में खूब बनाती संवारती है और जो शरीर की शक्ति घर के विकास के कामो मे लगनी चाहिये वह शक्ति एक तो विकास के कामो मे नही लग पाती है और श्रंगार कहीं बिगड नही जाये इसलिये कोई काम तरीके से भी नही किया जाता है। जो घर के साधनो को बढाने के लिये धन को जोडा जाता है वह धन किसी न किसी प्रकार से गहनो कपडो और बनाव श्रंगार के साधनो वाहनो सजावटी कामो बेकार के कामो मे चला जाता है। चौथे भाव का शुक्र हमेशा घर के अन्दर औरतो की मीटिंग को भी जोडता है,इस मीटिंग मे आसपास के लोगो के लिये दूसरी औरतो के लिये किसका किससे सम्बन्ध है किसने किस प्रकार से क्या कमाया है कौन किस समय कहां जाता आता है,आदि बातो के चलने से बुराइया भलाइया चला करती है इस प्रकार से जो समय घर के संचालन मे प्रयोग होना चाहिये वह समय फ़ालतू की मीटिंग मे खर्च हो जाता है। शनीचर की सेना मे सबसे बडा मुखिया आलस होता है जब भी किसी काम को करने का समय होता है आलस आ जाता है और काम को समय पर पूरा नही किया जाता है। शनीचर की सेना मे ही रात को देर तक जागना दिन मे सोना बासी और तामसी भोजन को करना बाजार से लाये गये चटपटे और महंगे भोजन के सामान को प्रयोग मे लेना घर की साफ़ सफ़ाई का ध्यान नही रखना जिससे घर के अन्दर वस्तुओं के सडने और बदबू फ़ैलाने से घर के अन्दर एक प्रकार की अजीब सी महक का पैदा होना जिससे जो दिमाग साफ़ और स्वस्थ वातावरण मे काम करने के लिये या स्फ़ूर्ति को महसूस करता है वह दिमाग उस बदबूदार वातावरण से खराब रहना बात बात मे गुस्सा आना अपने ही घर के अन्दर अपने ही लोगो के साथ बात बात मे क्लेश होना या कुत्ते बिल्ली की तरह से लडने लग जाना,जो भी जोडा गया वह चूहो पक्षियों आदि से बरबाद होना,नजर नही रखने से चोरी हो जाना रख रखाव नही रखने से वस्तु का समय से पहले खराब हो जाना आदि शनिचर की सेना के भाग है।

Friday, March 1, 2013

लगनेश से दसवें राहु और कैरियर

प्रस्तुत कुंडली मेष लगन की है और मेष ही राशि है,लगनेश और चन्द्र लगनेश मंगल है। मंगल का स्थान कार्येश और लाभेश शनि के साथ है। लगनेश अपनी शक्ति को छठे भाव मे दे रहे है जो त्रिक भाव की श्रेणी मे आता है और कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि के क्षेत्र से अपना सम्बन्ध रखने के बाद जीवन मे की जाने वाली या प्राप्त की जाने वाली सेवाओं के प्रति अपनी भावना रखता है। वैसे तो शनि मंगल राहु केतु सभी क्रूर और खराब ग्रह त्रिक भाव मे जाकर अपना असर कम कर देते है,लेकिन जब कोई क्रूर ग्रह या खराब ग्रह त्रिक भाव मे जाकर वक्री हो जाता है तो दिक्कत का कारण जीवन मे अपने उदय अस्त वक्री और मार्गी के समय मे कर देता है। प्रत्येक भाव के आमने सामने के ग्रह और भाव हमेशा जातक के जीवन मे अपनी प्रतिस्पर्धा और विरोधी भावना को प्रकट करते है चाहे वह कितना ही सौम्य ग्रह क्यों नही हो लेकिन अपनी बात आते ही औकात को प्रकट करने से नही चूकता है,वह जीवन साथी के रूप मे पत्नी या पति माता पिता के रूप में हो पुत्र और पुत्रवधू के रूप मे या फ़िर कुंडली के अनुसार अन्य रिस्तो मे बन्धे लोग परिवार रिस्तेदार मित्र आदि हों। यह भी कहा जाता है कि कोई भी सौम्य ग्रह मार्गी होने के समय अपनी सौम्यता को दर्शाता है लेकिन वक्री होने के समय में सौम्य ग्रह भी क्रूर की उपाधि मे गिना जाने लगता है। यह बात भी इस कुंडली मे देखने को मिलती है शुक्र जो धन और जीवन साथी का कारक है अपनी क्रूरता को प्रकट कर रहा है बुध जो अपने को जगत मे दिखाने के लिये तीसरे भाव और रोजाना के काम और जीवन की जद्दोजहद से जूझने के लिये छठे भाव का मालिक है वक्री होकर अपनी गति को क्रूरता को बना रहे है। इस क्रूरता के कारण से जातक शुक्र जो जीवन साथी और धन का कारक है के प्रति क्रूरता और विश्वास घात जैसे कारण पैदा किये है तथा बुध जो राजयोग देने के लिये दसवे भाव मे अपनी युति को प्रदान करता है ने अपने क्रूर स्वभाव से राजयोग देने के स्थान पर जो भी योग्यता और खासियत थी उसे भी अपनी गलत सोच और नीची बुद्धि के कारण अथवा उल्टी बुद्धि के कारण हरण कर लिया। सूर्य जो पंचम स्थान विद्या और बुद्धि के प्रति अपनी सोच को देने वाला है ने अपने ही स्थान से छठे स्थान यानी दसवे भाव मे जाकर केवल राजकीय नौकरी आदि के लिये अपनी द्रिष्टि को तो दिया है लेकिन सफ़लता के लिये अपनी नीति को ही बदल दिया है।

कुंडली मे राहु का प्रभाव एक प्रकार से बहुत ही उत्तम कहा जा सकता है यह जिस भाव मे भी जायेगा अपनी युति को प्रदान करने के बाद अपनी पहिचान बनाने के लिये अपनी युति को प्रदान करेगा,लगनेश मंगल का छठे स्थान मे जाकर वक्री शनि से युति लेने के बाद केवल एक ही बात मानी जा सकती है कि जातक जिस स्थान पर भी काम करेगा उस स्थान के द्वारा कोई भी किया गया गलत काम किसी भी प्रकार से शनि वक्री और मंगल के कारण उजागर नही हो पायेगा। कारण जातक अपनी तकनीकी बुद्धि जो उल्टी चलने वाली है और शनि की कार्य बुद्धि जो वक्री शनि के कारण शरीर की बुद्धि से बिलकुल ही परे होकर कार्य बुद्धि के रूप मे जानी जाती है से उस कार्य स्थान को किसी भी अच्छे बुरे संकट से दूर करने के लिये अपनी होशियारी के लिये मशहूर होगा। वक्री शुक्र और वक्री बुध के कारण जातक का महत्वपूर्ण समय बेकार की सोच और अक्समात ही किसी न किसी होशियार व्यक्ति के चक्कर मे आकर बरबाद होने के लिये भी युति को प्रदान करेगा। आसमान का राजा सूर्य जो दसवे भाव में जाकर दोपहर का प्रभाव पैदा करता है के द्वारा वक्री शुक्र और वक्री बुध के साथ साथ वक्री शनि भी अहम की श्रेणी मे चला जायेगा और जो जातक को मिल रहा है वह भी मिलना बन्द हो जायेगा।

अक्सर देखा गया है जीवन मे शनि सूर्य और शनि चन्द्र अगर आमने सामने हो जाये या इनकी दशा में तब दिक्कतो का इजाफ़ा हो जाये जब यह अपनी युति को एक दूसरे के प्रति परेशान करने के लिये अपनी शक्ति को प्रदान करने लगे। जैसे कुंडली मे लगनेश का स्थान बुध की कन्या राशि मे है और लगनेश मंगल के साथ वक्री शनि है,वक्री शनि ने मंगल की पूरी शक्ति को अपने मे प्राप्त कर लिया है कुंडली मे सूर्य और चन्द्र लगनेश के विरोधी हो गये है जब भी सूर्य और चन्द्र की दशा अन्तर्दशा चलेगी तब तब जातक को परेशानी का अनुभव होना शुरु हो जायेगा। साथ ही जब जब सूर्य और चन्द्र का गोचर शनि के साथ होगा या शनि का गोचर सूर्य और चन्द्रमा पर होगा तब तब जातक के लिये परेशानी का प्रभाव भाव और राशि के अनुसार देखा जायेगा। इसके विपरीत जब जब बुध शुक्र राहु केतु का गोचर शनि या शनि का गोचर इन ग्रहो के साथ होगा जातक को फ़ायदा मिलना शुरु होगा यही बात दशा और अन्तर्दशा के बीच भी देखी जायेगी।

कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र का पहला पाया मंगल का होता है,लेकिन यहां पर मंगल आकर अपनी शक्ति को गंवा बैठता है इसके साथ ही राहु केतु और शनि वक्री के स्वभाव मे एक रूप होने से कारण इन तीनो का प्रभाव उल्टा हो जाने से मंगल अपनी शक्ति को प्रयोग मे नही ला पायेगा,इसके बाद भी मंगल का शत्रु बुध है और बुध के घर मे मंगल के रहने से भी मंगल अपनी शक्ति को प्रयोग मे नही ला पायेगा। इस कारणो को और भी एक प्रकार से समझा जा सकता है कि लगनेश से दसवे भाव मे राहु होने से जातक के जीवन के लिये जो भी करना होगा वह राहु के अनुसार ही होगा। जब कुंडली मे राहु कार्य क्षेत्र का मालिक हो जाता है और जीवन मे कैरियर का मालिक हो जाता है तो जातक को एक तो उल्टी भाषा का ज्ञान का हो जाता है और जातक इस भाषा का प्रयोग कमन्यूकेशन इन्फ़ोर्मेशन तकनीक मे तथा इसी प्रकार के क्षेत्र मे प्रयोग करने लगता है। एक बात और भी देखी जाती है लगनेश मंगल का प्रभाव राहु पर जाने से और शनि का प्रभाव भी वक्री होकर राहु पर जाने से जातक को चिकित्सा क्षेत्र के बारे मे भी एक प्रकार से बहुत अच्छा ज्ञान पैदा हो जाता है लेकिन यह भी सीमित समय के लिये होता है जब भी राहु तुला मिथुन और कुम्भ राशि मे गोचर करेगा जातक के लिये इस क्षेत्र से बाहर जाकर बेलेन्स बनाकर या व्यापारिक संस्थानो के प्रति वही काम करने पडेंगे जो तकनीकी रूप से जनता के लिये किये जाते हो,यह बात गुरु राहु के साथ साथ होने से पश्चिम दिशा की कम्पनिया जैसे विदेश मे जाकर अरब कन्ट्री या गुजरात जैसे प्रान्त मे जाकर अपने कामो को करने का प्रभाव मिलता है।

इस कुंडली मे एक बात और भी समझी जा सकती है कि जातक को अडचन देने के लिये दो ग्रह अपनी अपनी मारक क्षमता का प्रयोग कर रहे है,एक तो केतु जो नवे भाव मे जाकर चन्द्रमा को आहत कर रहा है दूसरे राहु जो सप्तम के गुरु पर अपना असर देकर गुरु को आहत करने का काम कर रहा है और बालारिष्ट योग जीवन साथी और किये जाने वाले कार्य स्थान के प्रति दे रहा है। गुरु को राहु बचाने के बाद जीवन साथी और कार्य आदि के प्रति तरक्की प्राप्त की जा सकती है साथ ही चन्द्रमा को केतु से बचाने के बाद जीवन मे मानसिक सुख माता मन मकान वाहन यात्रा आदि के सुख प्राप्त किये जा सकते है।

तीसरे राहु से सप्तम गुरु को बचाने के लिये कन्यादान करना धर्म स्थानो शामियाना आदि का बन्दोबस्त करवाना राहु का तर्पण करवाना सही रहता है और केतु से चन्द्रमा को बचाने के लिये गणेश जी की पूजा अर्चना केतु की वस्तुओं का दान करना जिन्दा मछलियों को मछली बेचने वालो से खरीद कर तालाब आदि मे छोडना फ़ायदा देने वाला माना जा सकता है इसके बाद राहु केतु का चान्दी मे बना हुआ पेंडल पीले धागे मे गले मे धारण करना भी फ़ायदा देने के लिये माना जा सकता है एक उपाय बहुत ही अच्छा माना जाता है वह दादी का कोई सामान हमेशा अपने पास रखना।

वृश्चिक लगन,एक छुपा हुआ रहस्य

कभी कई लोग बुरे होकर याद रह जाते है और कई लोग अपनी एक ही बात को कहने के बाद याद रह जाते है कई लोग आजीवन अपनी कुर्बानी देते रहे लेकिन वे किसी भी प्रकार से याद नही रह पाते है। हर मनष्य की जिन्दगी मे वृश्चिक राशि का प्रभाव किसी न किसी प्रकार से देखने को मिलता रहता है। मेष राशि पर इस राशि का प्रभाव गुप्त कामो और रहस्य को उजागर करने के प्रति होता है तो स्त्री पुरुष सम्बन्धो के लिये भी यह राशि मेष राशि वालो को प्रभावित करती है,वृष राशि के लिये जीवन साथी की धारणा को गुप्त सम्बन्ध और धन आदि के लिये किये जाने वाले गुप्त कार्य के साथ साथ जो भी सहयोगी होते है वह भी गुप्त सम्बन्धो के कारण ही आजीवन चलते रहते है,मिथुन राशि के लिये वृश्चिक राशि रोजाना के कामो के लिये धन आदि की बचत के लिये और रोजाना के किये जाने वाले कामो के लिये भी अपना असर प्रदान करती है इस राशि वाले जातको को किये जाने वाले कामो मे लोगो की सेवा मे धन आदि की बचत मे अक्सर अपमान ही मिलता है वे किसी प्रकार से किसी की सेवा भी करते है तो उस सेवा के बदले मे उन्हे अक्सर अपमान ही सहने को मिलता है यही नही मिथुन राशि वाले सेवा के अन्दर किसी भी प्रकार के उस काम को कर सकते है जो किसी प्रकार से अन्य के वश की बात नही होती है जहां लोग मान अपमान का ध्यान रखते है जहां लोग अपने कार्यों में गंदे कार्यों को करने से डरते है वही इस राशि वाले किसी भी प्रकार के उन कार्यों को करने से नही डरते है जिन कार्यों को करने से लोग बचने का प्रयास करते रहते है। कर्क राशि के लिये तो वृश्चिक राशि के प्रकार से मनोरंजन का काम करती है जब तक उनकी जिन्दगी मे कोई बात भय देने वाली नही हो शमशानी कारण जब तक मनोरंजन मे नही आये तब तक उन्हे किसी भी प्रकार के मनोरंजन मे मजा ही नही आता है और वे अक्सर उन्ही मनोरंजन के साधनो को देखते रहते है जहां भय हो गुप्त रूप से खोजबीन करने वाले कामो को दिखा जाता है या फ़िर खेल कूद मे भी एक प्रकार से बडी रिस्क को लेने से नही चूकते है उनके परिवार मे काम मे रोजाना की शिक्षा मे और शुरु की की गयी पढाई आदि मे उनके लिये रिस्क अक्सर जुडी होती है। उन्हे बचपन से ही इस प्रकार की शिक्षा मिल जाती है किसी प्रकार के स्त्री पुरुष सम्बन्धो के प्रति उन्हे अपनी जवानी मे सीखने की जरूरत नही पडती है साथ ही वे इस प्रकार के सम्बन्ध बनाने और लोगो के भावनात्मक प्रभाव का फ़ायदा उठाने से भी इसी प्रकार से कार्य करने से नही चूकते है। सिंह राशि वाले तो अपने मन के अन्दर ही खोजबीन और भय के कारण बनाने और खुद मे महसूस करने के लिये रखते है जब तक सिंह राशि वाले वृश्चिक राशि का प्रभाव लेकर रहने वाले स्थान अपनी सीमा या हदबंदी के अन्दर भय या आतंक का माहौल नही बनापाते है उन्हे रहने वाले स्थान मे मजा ही नही आता है यही बात वे अपने घर के अन्दर भी देखते और करते है और यही बात जहां भी वे आना जाना रखते है वहां भी उनकी इस प्रकार की शैली को देखा जा सकता है। लेकिन इसी कारण से वे एक प्रकार से अपनी अहम की नीति को भी कायम रखना जानते है क्योंकि उन्हे अपने बचपन से ही रिस्क लेने का खोज बीन करने का गुप्त बातो को जानने का और मानसिक रूप से शक या इसी प्रकार की बातो से जूझना होता है अक्सर इस राशि वालो की माता का स्वभाव भी इसी प्रकार का होता है कि वह उन्हे बचपन से ही रिस्क लेने का अपनी ही ताकत से सिंह राशि के जातको को पालने पोषने का काम करती है पिता का नाम तो केवल नाम का ही होता है या केवल साथ धन और समाज आदि की इज्जत के लिये ही माना जाता है। कन्या राशि के लिये भी वृश्चिक राशि का प्रभाव एक प्रकार से बीमारी अस्पताली अथवा दवाइयों आदि के रूप मे लोगो की सहायता करना और एक प्रकार से अपने को दिखाने के लिये कि वे सेवा करना जानते है और किसी भी समय कैसा भी काम अपनी बोली जाने वाली भाषा और व्यवहार के कारण प्रस्तुत करना जानते है। यही नही वे अपने को अक्सर अपने कार्यों और पहिनावे के कारणो को गुप्त भी रखना जानते है वे क्या कर रहे है कब कहां जा रहे है उन्हे लोगो के सामने प्रकट करने मे हिचक लगती है जब भी वे कोई काम करना या अपने कार्यों को प्रस्तुत करना चाहते है वे उसे गुप्त रूप से समझकर ही करते है। इसके बाद एक और बात भी देखी जाती है कि जब भी वे अपने जीवन साथी के प्रति अधिक स्नेह की धारणा बनाते है तो उनके अन्दर एक भाव पैदा हो जाता है कि जीवन साथी के पिता और परिवार से प्राप्त सहायता कितनी मूल्यवान है और किस प्रकार से उस सहायता और मूल्य को गुप्त रूप से प्राप्त कर लिया जाये अक्सर कन्या राशि के जातको के जीवन साथी विवाह के बाद अपने परिवार और समाज तथा मान मर्यादा से दूर जाते देखे जा सकते है या तो वे दूर कहीं जाकर अपने जीवन को व्यतीत करते है या फ़िर अपने को अपनी संतान या कार्यों से अपने लोगो के अन्दर इतने दुखद रूप से गिरा लेते है कि वे खुद ही अपने अन्दर एक प्रकार की हीन भावना को समझते है और अपने प्रति कभी ऊंची नजर से अपने ही लोगो के अन्दर नही आ पाते है तुला राशि के लिये इस राशि का प्रभाव या तो दवाइया खाने के लिये या मुंह की बीमारी के लिये अथवा मुफ़्त मे प्राप्त की जाने वाली भौतिक सहायताओ के लिये जिनके अन्दर अक्सर वे वस्तुये होती है जो जन साधारण की जानकारी मे नही होती है जैसे दवाइयां वे शब्द जो जन साधारण के समझ से बाहर होते है आदि बाते आती है,इस राशि वालो के लिये वृश्चिक राशि अक्सर दवाइयों को खाते रहने हमेशा किसी न किसी प्रकार की रिस्क को झेलते रहने के लिये अपमानित होने के लिये समस्या को बनाते रहने के लिये आंखो के लिये तथा चेहरे के लिये अपने प्रति अस्पताली कारणो को पैदा करते रहने के लिये किसी न किसी प्रकार के तामसी भोजन को खाते रहने से अथवा उस प्रकार के भोजन को पसंद करते रहने के लिये जो जन साधारण मे हीन भावना से देखा जाता है आदि बाते देखी जा सकती है। धनु राशि वाले लोग इस राशि को अक्सर बाहरी यात्रा या खर्च करने के कारणो मे समझते रहते है जैसे किसी यात्रा मे जाने के समय मे यात्रा का निरर्थक हो जाना,यात्रा मे जाने के बाद किसी न किसी प्रकार की जोखिम को लेने की बात का होना आदि बाते देखी जा सकती है।