मकर राशि का गुरु नीच का प्रभाव देने वाला होता है कर्क का मंगल नीचता की शक्ति को प्रदान करता है जहां गुरु नीच का होता है वहां मंगल उच्च का होता है और जहां मंगल नीच का होता है वहां गुरु उच्च का होता है। लेकिन नीचता और उच्चता का प्रभाव तब बदल जाता है जब मंगल गुरु अपने अपने नीच या उच्च स्थान मे वक्री हो जाये।नीच का मंगल कसाई के रूप मे होता है,मिथिहासिक कहानियों मे कहा जाता है कि एक हिंसक ने अहिंसक को सुरक्षा प्रदान की,तब यह बात समझ मे आती है कि शेर मेमने का भी पालन पोषण कर सकता है,जब उसका मंगल नीच के भाव मे जाकर वक्री हो जाये। गुरु जो हवा का कारक है प्राण वायु को देने वाला है और जब तक प्राण वायु शरीर मे रहती है शरीर मरता नही है,वही प्राण वायु जब चौथे भाव से यानी फ़ेफ़डे और दिल की गहराइयों की बजाय रीढ की हड्डी मे प्रवेश कर जाये तो बजाय जिन्दा रखने के जान लेने के लिये काफ़ी हो जाती है अथवा यूं कहिये कि वही प्राण वायु जब अपान वायु के रूप मे काम करना शुरु कर दे तो मारने के अलावा और कर भी क्या सकती है। गुरु और मंगल की युति महानता की ओर ले जाने वाली है बशर्ते जब दोनो का ही उच्च का प्रभाव सामने हो मगर वही गुरु मंगल की युति हिस्ट्रीशीटर की कुंडली मे उसे और खूंख्वार बनाने के लिये काफ़ी है जब दोनो की युति नीच के भाव मे अपना प्रभाव देने लगे। गुरु एक साल मे लगभग तीन महिने के लिये वक्री होता है,यह किसी राशि के नीच भाव मे जन्म से है तो वह उच्चता का फ़ल प्रदान करने लगता है। जैसे वृष लगन की कुंडली में गुरु मित्रो का भी मालिक है और अपमान जोखिम के प्रति भी अपनी धारणा को अपने अन्दर रखने वाला है। वृष लगन की कुंडली मे गुरु के प्रति इसी मान्यता को सामने रखकर देखा जाये तो यह गुरु अपने मित्रो शुभचिन्तको की हर गूढ बात को जानने वाला होता है और जब यह मार्गी है तो वह मित्रो और शुभचिन्तको का ही नही अपने सम्बन्धियों के प्रति भी धीरे धीरे गुप्त भेदो को जानने वाला बन जाता है जैसे ही वक्री होता है उन भेदो को बेखौफ़ प्रकट करने वाला होता है,यह भी कहा जा सकता है कि नौ महिने के भेद तीन महिने मे सार्वजनिक रूप से बखान कर दिये जाते है,वह भेद गुरु के कारको के ही होते है और गुरु अपने कारको के अन्दर केवल रिस्तो के प्रति धर्म के प्रति जगत भलाई के प्रति धन के प्रति आपसी समझ के प्रति विद्या के प्रति ही कारकता को सामने रखने वाला होता है। लेकिन इस गुरु के वक्री होने पर एक बात और भी समझ लेनी चाहिये कि वृष लगन का जातक भेदो को जानने के बाद उन्हे प्रकट करने के लिये वक्री गुरु जन्म समय मे होने पर तीन महिने के अन्दर प्राप्त करने वाले भेदो को नौ महिने बखान करने के लिये अपनी बुद्धि को प्रकट करता है इसके अलावा एक बात और भी जानी जाती है कि इस लगन के व्यक्ति को ईश्वर ने वक्री गुरु के प्रति अच्छी तरह जानकारी के लिये याददास्त को भी तेज बनाया है उसे बहुत बाते रिस्तो के प्रति इतनी याद रहती है कि वह किसी भी समय गुरु के कारको को बखान करने के लिये आगे रहता है। गुरु के मार्गी होने पर हमेशा वही रिस्ते याद रहते है जो शुरु से बनाये गये होते है और उन रिस्तो के प्रति वर्तमान के नजरिये से देखने के बाद उनके अन्दर समय की भाषा को जो राहु से प्रकट की जाती है को आशंकाओं की श्रेणी में लाकर इतने शब्दो के अन्दर प्रकट की जाती है कि मित्रता की श्रेणी को प्रकट करने मे यही लगता है कि यह मित्रता केवल इसी लिये की गयी थी कि अपने अन्दर के उदगारो को सुनने को मिले लेकिन केवल अलावा लोगो के मुंह से वह भी बाकायदा तलकर नमक मिर्ची लगाकर स्वादिष्ट बतकही नास्ते के रूप में।
नीच का गुरु और उच्च का मंगल एक साथ हो या आगे पीछे हों तो वह पुलिस सेवा अस्पताली सेवा कारखाना क्षेत्र की सेवाये धर्म स्थानो से सम्बन्धित सेवाये कत्ल खानो से जुडी सेवाये होटल व्यवसाय सम्बन्धी सेवाओ आदि मे अपनी योग्यता को बढाने के लिये अपनी शक्ति को प्रदान करने वाले होते है। वही उच्च काम जब अन्धेरे मे आजाते है जब नीच मे गुरु मार्गी की जगह वक्री हो जाये,और मंगल अपनी उच्चता को कायम रखे। गुरु वक्री और उच्च का मंगल सी आई डी जैसी सेवाओं के लिये अपनी युति को प्रदान करने वाली होती है लेकिन वही सेवाये इनकम टेक्स के लिये भी अपनी युति को प्रदान कर देती है जब छठे भाव से गुरु मंगल का योगात्मक रूप सामने आजाता है। वृष लगन का जातक अक्सर अपने मित्रो की गुप्त सम्पत्ति पर भी अपनी नजर रखता है गुप्त सम्बन्दो पर भी उसका ध्यान होता है और कितना कहां से किस क्षेत्र से लाभ गुप्त रूप से कमाया है के बारे मे भी जानकारी होती है और जब गुरु मार्गी की जगह वक्री होता है तो वह अपनी सभी जानकारी को सार्वजनिक करने मे नही कतराता है। लेकिन गुप्त जानकारी को प्रकट करने के बाद इस लगन वाले जातक को हानि यह होती है कि जो मित्रता के सम्बन्ध कालान्तर तक चलने वाले होते है वे इन्ही कारणो से भयंकर दुश्मनी मे परिवर्तित हो जाते है और मित्र ही अपमान देने के लिये मौत सम्बन्धी कारण देने के लिये नफ़रत पैदा करने के लिये यहां तक कि अपने भेदो को मिला जुलाकर प्रकट करने के कारण अपने ही समाज बिरादरी और मित्र दोस्तो से दूर भी हो जाते है ।
नीच का गुरु और उच्च का मंगल एक साथ हो या आगे पीछे हों तो वह पुलिस सेवा अस्पताली सेवा कारखाना क्षेत्र की सेवाये धर्म स्थानो से सम्बन्धित सेवाये कत्ल खानो से जुडी सेवाये होटल व्यवसाय सम्बन्धी सेवाओ आदि मे अपनी योग्यता को बढाने के लिये अपनी शक्ति को प्रदान करने वाले होते है। वही उच्च काम जब अन्धेरे मे आजाते है जब नीच मे गुरु मार्गी की जगह वक्री हो जाये,और मंगल अपनी उच्चता को कायम रखे। गुरु वक्री और उच्च का मंगल सी आई डी जैसी सेवाओं के लिये अपनी युति को प्रदान करने वाली होती है लेकिन वही सेवाये इनकम टेक्स के लिये भी अपनी युति को प्रदान कर देती है जब छठे भाव से गुरु मंगल का योगात्मक रूप सामने आजाता है। वृष लगन का जातक अक्सर अपने मित्रो की गुप्त सम्पत्ति पर भी अपनी नजर रखता है गुप्त सम्बन्दो पर भी उसका ध्यान होता है और कितना कहां से किस क्षेत्र से लाभ गुप्त रूप से कमाया है के बारे मे भी जानकारी होती है और जब गुरु मार्गी की जगह वक्री होता है तो वह अपनी सभी जानकारी को सार्वजनिक करने मे नही कतराता है। लेकिन गुप्त जानकारी को प्रकट करने के बाद इस लगन वाले जातक को हानि यह होती है कि जो मित्रता के सम्बन्ध कालान्तर तक चलने वाले होते है वे इन्ही कारणो से भयंकर दुश्मनी मे परिवर्तित हो जाते है और मित्र ही अपमान देने के लिये मौत सम्बन्धी कारण देने के लिये नफ़रत पैदा करने के लिये यहां तक कि अपने भेदो को मिला जुलाकर प्रकट करने के कारण अपने ही समाज बिरादरी और मित्र दोस्तो से दूर भी हो जाते है ।