Friday, January 27, 2012

छठे भाव का मंगल

प्रस्तुत कुंडली वृष लगन की है और स्वामी शुक्र तीसरे भाव के मालिक तथा राहु के साथ तीसरे भाव मे विराजमान है.धनेश और बुद्धि के मालिक बुध है जो अपनी सप्तम द्रिष्टि से विदेश भाव की राशि मीन को लाभ भाव मे देख रहे है.हिम्मत और प्रभाव पैदा करने के मालिक चन्द्रमा है हो स्वग्रही होकर तीसरे भाव मे बैठे है और अपनी सप्तम द्रिष्टि से नवे भाव मे मकर राशि को अपनी द्रिष्टि दे रहे है.चौथे भाव के मालिक सूर्य है जो मृत्यु तथा जोखिम और अन्दरूनी ज्ञान के मालिक के साथ साथ लाभ भाव के मालिक गुरु के साथ विराजमान है तथा कार्य भाव कुम्भ राशि जो लाभ की तथा मित्रो की राशि मे अपना बल दे रहे है.पंचम भाव जो सन्तान विद्या बुद्धि खेलकूद जल्दी से धन कमाने की शक्ति के लिये जाना जाता है सीखने की कला और दूसरो को अपने कार्य से सन्तुष्टि को देने वाला है के मालिक बुध अपनी ही राशि मे विराजमान है साथ मे भाग्य के मालिक होने के साथ कार्य के मालिक शनि भी है। छठे भाव मे मंगल विराजमान है यह भाव कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के कार्यों के लिये भी जाना जाता है मंगल जो विदेश का कारक है और जीवन साथी का भी कारक है के रूप मे इस राशि को अपना बल दे रहे है।
जीवन को बल देने के लिये और अपनी शक्ति से पूर्ण करने के लिये तर्क शक्ति का मालिक तथा अपनी अचानक कार्य करने वाली इच्छा शक्ति से पूर्ण होने मे राहु बल दे रहा है,यही राहु बुद्धि को भी एक साथ कई रास्तो पर ले जा रहा है इस राहु का प्रभाव ही जीवन साथी और साझेदार के रूप मे सप्तम भाव को अपन बल दे रहा है इस राहु का प्रभाव भाग्य मे होने के कारण भी भाग्य को एक साथ कई दिशायों से बल मिल रहा है,इस राहु का कई प्रकार से विदेशी लाभ देने के लिये भी नवी द्रिष्टि से पूर्ण होने के लिये माना जाता है.तीसरे भाव से शुक्र भी भाग्य विदेश और ऊंची शिक्षा के कारको को अपना बल दे रहा है चन्द्रमा भी अपनी सप्तम द्रिष्टि से नवे भाव यानी भाग्य भाव को बल दे रहा है। चौथे भाव का मालिक सूर्य है और सूर्य अपने ही राशि मे विराजमान है उसे गुर का बल मिला हुआ है,इस सूर्य का असर चौथे भाव के साथ साथ कार्य भाव पर भी है,गुरु जो रिस्क लेने वाले कारणो का मालिक है और लाभ की राशि मीन का भी मालिक अपनी युति से जातक को घर के सुख राजकीय सुख पिता का सुख राजनीतिक सुख के साथ साथ रोजाना के काम के अन्दर व्यापारिक तकनीक कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि के भाव मे विराजमान मंगल जो जीवन साथी के भी मालिक है और विदेश मे रहने के बाद शरीर के सुख के लिये भी माने जाते है का प्रभाव गुरु के द्वारा शाही रूप से दिया जा रहा है। इन्ही गुरु का पूरा बल जोखिम और मृत्यु भाव की राशि पर होने के कारण जातक को इन कामो के अन्दर बहुत अच्छी जानकारी तथा किसी प्रकार के जोखिम मृत्यु आदि के कारणो मे अपने पूर्ण ज्ञान से युक्त होकर अपना बल दे रहा है। गुरु का प्रभाव कार्य भाव पर भी है जो लाभ की राशि होने के कारण गुरु अपने बल से जातक को कार्य के प्रति भी अपना बल दे रहा है। गुरु का नवा और भाग्य वर्धक प्रभाव जातक के बारहवे भाव मे भी है जो विदेश मे रहने और आराम करने यात्रा आदि करने विदेश मे व्यापार आदि करने के कारणो मे किये जाने वाले खर्चो आदि के लिये अपनी उत्तम ज्ञान की श्रेणी को प्रदान कर रहा है।

बुद्धि भाव मे शनि बुध के होने से तथा बुध के अपनी ही राशि मे होने से जातक को कम बोलना और सुनना अधिक मिलता है,मीठा बोलना और सेवा कार्यों के समय अपनी बुद्धि को गूढ रूप से प्रयोग करना भी मिलता है,इसके साथ ही बुद्धि के कारक बुध और शनि के साथ रहने से बुद्धि के अन्दर किसी भी काम को करने के बाद सीखने की युति सही मिलती है यानी इस प्रकार के जातक पढकर कम सीख पाते है और देखने के बाद काम को जल्दी सीखने की कला को रखते है। अक्सर खेल कूद मे इसलिये भी शामिल नही हो पाते है क्योंकि खेलकूद या शरीर की किसी भी मेहनत मे इन्हे बुद्धि को तभी प्रकट करना आता है जब यह किसी भी प्रकार से खुद के द्वारा उस खेल के प्रति आस्वस्त नही हो जाते है। अक्सर खेल वाले कारणो से इन्हे कोई न कोई दिक्कत जैसे चोट लगना सूजन आना आदि भी माना जा सकता है। शिक्षा के समय मे कोई न कोई चमडी वाली बीमारी या पेट की तकलीफ़ का होना भी माना जाता है.शनि की नजर जो भाग्य भाव के लिये मानी जाती है और कार्य भाव का कारण भी बुद्धि वाले कामो से जोड कर देखी जाती है,यह भाव या तो आयुर्वेदिक दवाइयों के लिये माना जाता है या किसी ऐसी नौकरी के लिये माना जाता है जो अस्पताली प्लास्टिक कारण पत्थरो का व्यवसाय स्कूल आदि को चलाने का काम मूर्ति आदि का बनवाना और बेचने का काम खेल कूद का सामान बनाना और खेल कूद आदि से सम्बन्धित काम,कम्पयूटर फ़ोटो फ़्रेमिंग आदि का काम,भी माना जाता है इन्ही कामो को शनि से आगे मंगल के बैठने के कारण जातक शिक्षा के बाद बेरोजगार नही रहता है उसे शिक्षा के पूरी करते ही कोई न कोई काम मिल जाता है और वह बेलेन्स करने वाले काम या छोटे भाई के साथ मिलकर कोई काम करने के लिये भी या छोटे भाई जैसे व्यक्ति के साथ काम करने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग करने लगता है। जातक को कार्य के अन्दर किसी भी तकनीकी और व्यापारिक कार्य को करने तथा व्यापार आदि की तकनीक को बेलेन्स करने का अच्छा ज्ञान भी इसी शनि के द्वारा भी माना जा सकता है जो भी पारिवारिक सम्बन्ध कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि के कारण बनते है वह सभी ठंडे होते है उनके अन्दर अक्सर किसी प्रकार के बुद्धि भ्रम के कारण जातक को अपने ही लोगो से बोलचाल आदि से दूर रहना पडता है यही कारण जातक को शिक्षा मे रुकावट भी डालता है और पत्नी से कभी कभी शीतवार की बात भी मानी जा सकती है,लाभ के मामले मे कभी कभी रुकावट भी आनी मानी जाती है तथा नकद धन की कमी भी हमेशा ही बनी रहती है। जातक को गूढ कार्यों की जानकारी और किसी भी काम मे लेबर आदि जैसे लोगों से बुद्धि से बनाकर चलने की आदत होती है अक्सर लेबर क्लास लोग इस प्रकार के जातक से हमेशा ही सन्तुष्ट भी होते है।

शनि की पहली नजर पत्नी भाव पर होने के कारण और बीच मे मंगल के होने से जातक पत्नी या साझेदार के सम्बन्ध के बीच मे तकनीकी कारण आने से अक्सर उत्तेजना मे आजाता है और जातक की पत्नी के प्रति तथा प्रेम आदि प्रकट करने मे ठंडक का होना भी माना जाता है यही कारण अक्सर दोस्तो के मामले मे भी माना जाता है जो जातक के या तो दोस्त बनते ही नही है और बनते भी है तो वही होते है जो काम काज मे साथ हो और काम के बाद उनसे कोई बडी सहायता की कामना नही की जाती है,जातक को बहुत मेहनत करने के बाद ही धन आदि और जीवन यापन के लिये धन की जरूरत को पूरा करना पडता है और इस मेहनत के कारण कभी कभी जातक का ध्यान अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों को अपनी तरफ़ से व्यापार के साथ जोडने की इच्छा भी होती है। जातक का अधिक मामले मे चुप रहना भी पारिवारिक लोगों को दूर रहने के कारणो मे माना जाता है।

जातक के छठे भाव मे मंगल है और मंगल का स्थान तुला राशि मे होने के कारण तथा मंगल पर गुरु की युति होने के कारण जातक अपने पिता और माता के ईश्वरीय कारण और धर्म आदि पर चलने के कारण जो भी तकनीकी कार्य करता है वह दूसरों को दिक्कत देने वाले नही होते है। जातक सबसे पहले अपने धर्म और कानून का ख्याल रखना जानता है साथ ही धर्म और कानून की इसी बात से जातक की पत्नी भी धर्म और मर्यादा पर चलने वाली होती है हालांकि उसके अन्दर पत्नी भाव से बारहवा मंगल होने के कारण किसी भी कारण को बेलेन्स लेने के समय या बाहर आने जाने के समय या किसी प्रकार के खर्चे के समय दिमाग मे उत्तेजना भी आती है उस उत्तेजना को शांत करने के लिये जातक अपनी अहम शक्ति का सही प्रयोग भी करता है और अपने परिवार की मर्यादा मे चलने के कारण अक्सर वह अपनी पत्नी की जल्दी से गुस्सा आने वाली आदत को दूर ही रखता है। उसे यह पता होता है कि जातक की पत्नी को कब गुस्सा आयेगा और कब उसे शांत किया जा सकता है। जातक की पत्नी भी अपने को अजीब कामो के अन्दर लगाकर अपने समय को अच्छी तरह से पूरा कर सकती है जातक की पत्नी किसी ऐसी बात से भी जुडी मानी जाती है जो काम इतिहास की द्रिष्टि से सही माने जाते है और जातक की पत्नी के द्वारा जो भी काम किये जाते है वह जातक के लिये उसके परिवार और समाज आदि के द्वारा हमेशा के लिये याद किये जाने वाले काम भी माने जाते है। अपनी मंगल वाली बेलेन्स करने की ताकत से जातक कभी भी किसी भी व्यापारिक या कानूनी काम मे या पत्नी पर आने वाले कष्टो को अपनी कन्ट्रोल करने वाली शक्ति से कानूनी विदेशी पुलिस अथवा असपताल बडी शिक्षा आदि को कन्ट्रोल रखने की एक अच्छी बुद्धि को रखता है। इसी प्रकार से जातक की पत्नी के लिये यह भी माना जाता है कि वह जो भी काम बेलेन्स करने वाले होते है बाहर आने जाने के समय मे किसी प्रकार की सन्तुष्टि जो भोजन या यात्रा मे रुकने वाले स्थानो आदि के लिये माने जाते है जातक को सहायता देने के लिये भी सही माना जाता है। इस मंगल का एक स्वभाव और भी माना जाता है कि जातक के धन सम्बन्धी कारणो को वह गुप्त रूप से सुलझाने की ताकत भी रखता है। जब भी कोई परिवार या घर  मे दिक्कत वाली बात आती है उस समय जातक अपने लोगो के अन्दर ही गुप्त रूप से गुत्थी को सुलझाने की हिम्मत भी रखता है और वह हिम्मत कभी भी खुलकर अलावा समाज के सामने नही आती है। वह अपने लोगो के अन्दर ही सामजस्य गुप्त रूप से निपटाकर अपने तकनीकी दिमाग का सही प्रयोग करना जानता है।

इस मंगल के दसवे भाव मे राहु चन्द्रमा और शुक्र के होने से जातक के अन्दर जमीनी कारणो वाहन होटल आदि के लिये भी सही माना जा सकता है जातक वाहन चलवाने छोटी यात्रा को करवाने के लिये कार्य करने टिकट आदि के कार्य करने लोगों को यात्रा टूर आदि करवाने के कामो मे भी निपुण माना जाता है इसके बाद जातक अपने द्वारा कोई भी व्यापारिक कार्य जो जनता से जुडे होते है वह कार्य चाहे कम्पयूट से या नेट वर्किंग से जुडे होते है भवन या कार्य स्थान पर किसी प्रकार की शक्ति जो अद्रश्य रूप से एल्कोहल या पेट्रोल डीजल या गैस से सम्बन्धित होते है करना अच्छी तरह से जानता है जातक का दिमाग द्रश्य और विजुअल मीडिया आदि के प्रति भी कार्य करना अच्छा योग यह मंगल देता है इसके द्वारा अगर जातक का कोई छोटा भाई है तो वह भी अपने को गूढ रूप से इसी प्रकार के कार्यों मे ले जाकर अपने को सफ़ल कर सकने मे समर्थ होता है।

यह मंगल सूर्य से तीसरा होने के कारण पिता के प्रति कभी छोटे भाई बहिन यानी चाचा बुआ आदि से कोई सहायता की बात को नही करता है पिता की स्थिति तकनीकी रूप से अपने को समाज मे प्रस्तुत करने और पिता की कार्य शैली मे एक आक्रमता होने व्यापारिक गुणो को भरपूर रूप से प्रयोग करने भोजन रहने वाले स्थान ठहरने वाले स्थानो के प्रति अच्छी जानकारी होने तथा राजनीति मे अच्छी पकड होने शिक्षा के क्षेत्र मे खुद की शिक्षा संस्था आदि चलाने या खेती के प्रति जमीनी काम अच्छी तरह से आने की वजह से पिता का सफ़ल होना माना जा सकता है। पिता के कारक सूर्य का गुरु के कारक जीव के साथ होने से जातक के पिता के लिये अक्सर यह भी माना जाता है कि वह जीवात्मा का योग लेकर पैदा होता है और ईश्वर अंश की उपस्थिति होने से जातक के लिये और जातक के परिवार के लिये कभी भी कोई शैतानी चाल सफ़ल नही हो पाती है और जब कभी पैदा भी होती है तो वह जातक की पत्नी की तरफ़ से अजीब से काम करने के बाद ही पैदा होती है लेकिन सूर्य और गुरु की युति मिलने से जातक के लिये के लिये समय पर कोई न कोई सहायता मिल जाती है। मंगल से चौथे भाव मे केतु के होने से जातक के लिये विदेश मे रहकर ईशाई समुदाय से अपने को जोड कर रखना पडता है और कार्य मे वह धर्म या कानून या विदेशी एजेन्ट के रूप मे अपने को शामिल करने के बाद अच्छी कन्ट्रोल रखने वाली स्थिति को भी कायम रखना जानता है। जातक की कई भाई होने के बाद भी इकलौती औकात का भी होना माना जाता है,इस केतु के कारण जातक को कभी कभी लाभ के मामले मे दिक्कत का होना या शरीर पर या रीढ की हड्डी मे कोई दिक्कत होना चोट लगना आदि भी माना जाता है साथ ही सरकारी सहायता एन जी ओ जैसे कार्यों मे भी जातक को अच्छी पकड का होना माना जाता है। जातक की पत्नी के तीसरे भाव मे केतु के होने से जातक की पत्नी धर्म वाले कामो मे आगे रहती है यह कारण जातक के प्रति सन्तान आदि के मामले मे पहले तो दिक्कत का कारण देना माना जाता है लेकिन समय पर जातक की पत्नी अपनी कमन्यूकेशन वाली आदत से कोई  न कोई सहायता का कारण खोज लेती है।

इस कुंडली मे एक बात और भी देखने के लिये है कि राहु और केतु के बीच मे कोई ग्रह नही है लेकिन राहु और केतु के आगे शुक्र और चन्द्रमा के होने से जातक का सहायता वाला कारण भी पूरा हो जाता है जातक के लिये तीसरे भाव मे राहु तथा चन्द्रमा के साथ राहु का होना जातक की पत्नी को तो चिन्ता मे ग्रस्त रखने वाला माना जाता है लेकिन जातक को फ़िल्म मीडिया टीवी आदि को देखने का शौक तथा सजावटी कामो के अन्दर अथवा किसी प्रकार के बिजली आदि के कामो मे सफ़लता को देने वाला भी माना जाता है। जातक के तीसरे भाव मे राहु की उपस्थिति से जातक की माता का स्वभाव आशंका से पूर्ण भी माना जाता है और समय पर जातक की परिवार से दूर की महिलाओं के द्वारा सहायता मिलने के कारण जातक कभी भी अपनी घरेलू परेशानियों से युक्त नही हो पाता है।

जातक के भाग्य का मालिक शनि है जो मंगल से बारहवा है इसलिये अगर जातक शनि के उपाय करता रहता है तो जातक को कठिन मेहनत करने की जरूरत नही पड सकती है तथा अपनी दिमागी शक्ति से वह अपने धन यश और जीवन के कई सुख प्राप्त करने का अधिकारी बन जाता है लेकिन शनि बुध के एक साथ होने से जातक के लिये वही शनि के रत्न धारण करना चाहिये जो बुध की शक्ल के हो और बुध के रंग में रंगे हों।

8 comments:

  1. SIR ,ASI HI PADICTION VISTAR DATE RAHE ,M APKA BAHUT ABHRI RAHUN GA.AGE BHI INTZAR RAHE GA.THANKS LOTS.

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  2. आपके सुझाव के आभार,आप की जिज्ञासा को शांत करने के लिये जितना भी हो सकता है,पूरी करने की कोशिश करूंगा.धन्यवाद.

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  3. गुरुजी मेरी वृषभ लगन की पत्रिका में लगन में शनि, दुसरे में केतु आठवें में राहु और मंगल नवे भाव में गुरु और चंर्द तथा दसवे में सुर्य और शुक् तथा ग्यारवे में बुध है. कृपया मार्गदर्शन करे.
    धन्यवाद

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  4. वृष लगन मे शनि खुद के परिवार से दूरिया देता है,अपने खुद के परिवार के लोगो से रिस्ता व्यवहार सामाजिक रीति रिवाज से दूर रखने की शक्ति देता है,धन के मामले मे जहां भी धन का खर्चा होता है वहां पर अक्समात ही ठंडक पैदा करने के बाद खर्च करने वाले मामले मे दिक्कत करता है,रिस्क लेने वाले कारणो मे जाने की सलाह देता है,जोडी गयी जायदाद मे कीडे की तरह से धीरे धीरे काटने की और समाप्त करने की गति देता है,खुद को कला सरकारी क्षेत्र में जाने किसी दस्तकारी से परिपूर्ण करता है,दलाली वाले कामो मे तथा लिखने बोलने अपनी कला को प्रदर्शित करने की जानकारी केतु देता है,तंत्र गुप्त भेद अस्पताली कार्य कमोडिटी क्षेत्र मे अचानक लाभ और हानि दोनो के लिये जिम्मेदारी देता है,दादा परिवार मे चलने वाले झगडो से उत्तेजना वाले कारण भी पैदा करता है,यह राहु मंगल की युति से देखा जाता है,तीन बहिनो या छोटी बुआ का साथ भी देने के लिये बुध अपना काम करता है.

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  5. गुरुजी बहुत बहुत धन्यवाद. महाराज जी कोई उपाय भी बता देते तो अति कृपया होती.

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  6. गुरु जी मेरी नौकरी छूट गई बहुत परेशान हूँ कोई उपाय या मदद करें मेरा जन्म दिनांक है १०/११/१९७१ सुबह ३.२५ स्थान ग्वालियर मध्यप्रदेश

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  7. Namaste guru ji
    Anil, 7/7/71, 5:55 am, Delhi guruji now financial condition worse, no job/business from last 3yrs, don't know what should I do. Life is totally blank. please help me
    Regards

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  8. सर इसमे प्रेम प्राप्ति के क्या आसार है

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