Saturday, January 28, 2012

विवाह और जिम्मेदारी

तुला लगन की इस कुंडली मे सप्तम का कारक मंगल है.मंगल का स्थान पांचवे स्थान मे है और यह मंगल चन्द्रमा के साथ भी जो जुडा है जो कार्य का मालिक है और गुरु के साथ भी जुडा है जो शादी सम्बन्ध का मालिक है। गुरु शादी सम्बन्ध के अलावा भी हिम्मत का भी मालिक है और गुप्त जानकारी कर्जा दुश्मनी बीमारी का भी मालिक है..सप्तम स्थान पर गुरु अपनी पूर्ण द्रिष्टि दे रहा है और शुक्र भी अपनी पूर्ण द्रिष्टि दे रहा है। वर्तमान मे गुरु का गोचर भी सप्तम स्थान मे है। चन्द्रमा का मंगल के साथ होना और चन्द्रमा का कार्य का मालिक होना यह बात की तरफ़ इशारा करता है कि जातक रक्षा सेवा जो जनता से सम्बन्धित हो मे कार्य करता है,गुरु के साथ होने से तथा गुरु कुम्भ राशि में होने से जातक  जातक का बडा भाई भी इसी प्रकार के कार्यों में होना पाया जाता है.पिता का कारक भी चन्द्रमा है यह भी रक्षा सेवा के लिये अपनी युति को प्रदान करता है.पंचम गुरु तरक्की देने के लिये अपनी युति को तभी प्रदान करता है जब जातक सदाचारी हो,और गुरु का प्रभाव पंचम मे होने के बाद धर्म और भाग्य स्थान मे जाता है। गुरु शिक्षा के क्षेत्र मे होने से जातक की शादी उसी परिवार मे होती है जहां से जीवन साथी का पिता शिक्षा क्षेत्र से जुडा हो या धार्मिक प्रवचन आदि से सम्बन्ध रखता हो। सप्तम स्थान को गुरु अपनी पूर्ण द्रिष्टि दे रहा है,इस प्रकार से शादी का कारण धार्मिक तरीके से ही होता है।गुरु भाग्य को देख रहा है इसलिये शादी के बाद ही जातक का भाग्योदय होता है। गुरु के द्वारा लाभ भाव को देखे जाने के कारण जातक के लाभ की बढोत्तरी भी शादी के बाद ही होती है और बडे भाई की पदवी भी बढती है। गुरु का शुक्र पर प्रभाव देने के कारण शादी के बाद जीवन साथी के आजाने से व्यवसायिक भवन आदि का निर्माण भी होता है। जातक का शनि जो मकान जमीन जायदाद तथा शिक्षा का कारक है के लिये पिता परिवार अपने पूर्वजो की जमीन जायदाद को त्याग कर दूसरे स्थान में बसने के लिये माने जाते है.पिता तीन भाई इसलिये माने जाते है क्योंकि सूर्य बुध शनि की युति जातक के दूसरे भाव मे है।  कन्या के केतु के द्वारा बारहवे भाव से सूर्य शनि बुध को देखे जाने के कारण जातक के पिता की ननिहाल या इसी प्रकार की जायदाद का मिलना भी पाया जाता है.शनि का दक्षिण दिशा तथा पूर्व दिशा से सम्बन्ध रखने के कारण जातक के पिता का प्राचीन स्थान दक्षिण से माना जा सकता है। जातक के धन का स्थान शनि बुध और सूर्य से ग्रसित होने के कारण जो भी कार्य पिता के रहते करवाये जाते है वे सभी अचल सम्पत्ति के रूप में समयानुसार काम देने वाले होते है.जातक के पास पिता के द्वारा खरीदी गयी जमीन काम देने केलिये भी नही मानी जाती है। शनि के असर के कारण जो भी जमीन है वह या तो बीहड बंजर के रूप मे होती है,या इसी प्रकार के क्षेत्र मे होती है। बुध खेती का कारक है इसलिये जातक के निवास से दक्षिण मे खेती की जमीन भी होती है। सरकारी पट्टे या इसी प्रकार की जमीन भी पिता को मिलती है। 
जातक की दो बहिने मानी जाती है एक बहिन दक्षिण में बुध के रूप मे होती है और एक बहिन दक्षिण पूर्व मे चन्द्रमा के रूप मे होती है,एक बहिन का लगाव अपनी माता से होता है और दूसरी बहिन का लगाव केवल अपने साधनो की सुरक्षा के लिये पिता से होता है एक बहिन माता से विमुख होती है एक बहिन पिता को ही अपनी कार्य योजना को निबटाने के लिये काम करती है। एक बहिन का पति बहुत ही जिम्मेदारी की पोस्ट पर किसी रक्षा या धन स्थान से सम्बन्ध रखने वाला होता है दूसरी बहिन का पति भी अपने पूर्वजो की जायदाद को छोड कर दूर जाकर बसता है। लेकिन जातक की शादी सम्बन्ध के लिये बडी बहिनो का असर माता के साथ अधिक रहने के कारण शादी विवाह का नियोजन करने मे सहायक होता है। गुरु का प्रभाव वर्तमान मे सप्तम मे होने के कारण और जन्म के शुक्र से युति लेने का समय आने वाले महिने में यानी 3 मार्च 2012 को मिलता है शादी की रस्म पक्की होने की तारीख यही मानी जाती है। शादी के लिये प्रभाव देने के लिये जो कारक सामने आयेंगे वे इस प्रकार से है:-

  • जातक की शादी के भाव को देखने के लिये बारहवे केतु की अष्टम द्रिष्टि है यह विवाह एक ऐसे व्यक्ति से इंगित करवाया जायेगा जो समाज से अपनी मर्जी से त्यक्त हो।
  • जातक की शादी की बात करने के लिये जातक का साला सबसे पहले अपनी बहिन के पास जायेगा (गुरु सप्तम से ग्यारहवा बडा भाई,चन्द्रमा बडी बहिन,मंगल बहिन का पति).लेकिन बहिन के पति की मारक द्रिष्टि केतु पर होने से जिसने यह रिस्ता इंगित किया है के दिमाग मे व्यवहारिक और सामाजिक तथा पारिवारिक कारण पैदा होने लगेंगे।लेकिन गुरु और चन्द्रमा के बीच मे मंगल होने से जातक का साढू अपनी इस सोच  को भी कन्ट्रोल करने के बाद अपनी योजना को कार्य योजना में रखने को मजबूर होगा।
  • जातक का हाल शादी के लिये उसी प्रकार से माना जा सकता है जैसे राम को प्राप्त करने के लिये तुलसीदास जी ने अपने को पहले प्रेत से जोडा था प्रेत ने हनुमान जी का रास्ता बताया था और हनुमान जी ने राम को मिलाया थ.उसी प्रकार से समाज से त्यक्त व्यक्ति साढू और रिस्ता इसी श्रेणी मे गिने जा सकते है.
  • जातक का जीवन साथी केतु के बारहवे होने और चन्द्रमा से अष्टम मे होने के कारण लम्बाई मेकम होगा.
  • शुक्र के बारहवां केतु जातक की पत्नी के लिये बडी जिम्मेदारियों को सम्भालने के कारण कार्य मे बहुत अधिक जिम्मेदारी भी देगा.
  • शुक्र का असर लगन पर होने से जातक हमेशा अपनी पत्नी के वश मे रहेगा.
  • शुक्र का स्वग्रही होने से जातक की पत्नी जातक के लिये कार्य व्यवहार और शिक्षा जैसे भाव मे रहकर आर्थिक सहायता भी करेगी तथा पिता माता और जातक के घर के क्लेश भी दूर करने की अपनी बुद्धि का प्रयोग करेगी.
  • जातक की शादी की साल में ही यानी पिछली मई 2011 से आगे आने वाले मार्च 2013 तक पिता बडी बहिन जमीन पूर्वजो की जमीन आदि के प्रति शंका ही देखी जा सकती है। वर्तमान मे जातक का गुप्त प्रभाव भी माना जा सकता है जैसे दिमाग मे कई रास्ते एक साथ चलने से जातक शादी के बाद अपने पूर्वजो की जमीन और पारिवारिक मतभेद को दूर करने के लिये अपने बडे भाई की गुप्त बीमारी जैसे ह्रदय रोग या किसी प्रकार के इन्फ़ेक्सन जैसे किडनी आदि की बीमारिया भी जातक को अपने बडे भाई पिता आदि के लिये समझी जा सकती है.

1 comment:

  1. name- dinesh mehta

    dob-08/10/1984 time 08:15 am

    place-Bari sadri (rajsthan)

    mera bussness abhi commodity ka hai jo me kar rha hu vo thik hai ya usme koi change ki jarurat hai or
    shadi kab hogi

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