Saturday, May 12, 2012

मृत्यु का समय

जिसने जन्म लिया है उसे मरना भी है यह अटल सत्य है.न कभी यह क्रम रुका है और न रुक सकता है। काल की गणना करना और काल का रूप समझना यह बात ज्योतिष से भलीभांति समझी जा सकती है। एक बात और भी समझने वाली है कि हर क्षण मृत्यु सामने रहती है और हर क्षण जीवन अपने प्रभाव को सामने रखता है। समझदर होते है वह अपने जीवन के समय को सुचारु रूप से निकाल लेते है और साधारण अपने जीवन को काल के अनुसार निकालने के लिये मजबूर होते है। निर्माण होता है रूप परिवर्तित होता है और समाप्त होकर वह नया रूप प्राप्त करने के लिये समय के अनुसार शुरु हो जाता है।कालान्तर से यह क्रम चलता आया है और चलता रहेगा।
प्रस्तुत कुंडली सिंह लगन की है स्वामी सूर्य मौत के ग्रह गुरु के साथ ही सप्तम भाव मे विराजमान है.जो मौत का ग्रह है वह जीवन साथी के भाव मे है और जीवन साथी के भाव मे ही लगनेश का होना पति पत्नी को मौत से जूझने के लिये जो भी कारक प्राप्त होंगे वह सप्तम के ही प्राप्त होंगे। लेकिन जो मौत का ग्रह है वही ग्रह पंचम मे सन्तान शिक्षा परिवार खेलकूद मनोरन्जन का भी ग्रह है,जातक को और जातक के जीवन साथी को जो भी रिस्क लेनी होती है वह इन्ही कारको मे अपनी रिस्क लेने के लिये हमेशा तैयार रहने के लिये माना जा सकता है। यानी वह जो भी शिक्षा को ग्रहण करेगा वह मृत्यु अपमान जान जोखिम मे डालना मौत के बाद के जीवन के बारे मे जानना गुप्त जासूसी करना और तंत्र मंत्र अस्पताली कारणो को समझने के लिये अपनी योग्यता को बढाना आदि माने जाते है साथ ही वह जो भी खेल कूद और मनोरंजन के साधनो को अपनायेगा वह भी रिस्क लेने वाले होंगे,वह अपने जीवन को किसी भी छड मय जीवन साथी के दाव पर लगाने के लिये तैयार रहेगा।

जीवन रक्षक कारको मे मृत्यु वाले ग्रह का विरोधी ग्रह अगर मृत्यु वाले ग्रह के साथ है तो मृत्यु वाला ग्रह कभी भी अपनी आक्स्मिक योजना को सफ़ल नही कर पायेगा.इस कुंडली मे भी बुध जो गुरु का विरोधी ग्रह है,लेकिन मारकेश का रूप लेकर सामने है वह मारेगा नही केवल मारने वाले या मरने वाली विद्या को प्रदान करने के लिये अपनी योजना को प्रदान करेगा,साथ ही जब मारकेश लाभ का मालिक बन जाता है तो वह भी मृत्यु सम्बन्धी कारणो से लाभ को लेने वाला बन जाता है,यानी वह खुद तो नही मरेगा लेकिन जिन लोगो के प्रति वह काम करेगा उनकी मृत्यु के बाद के साधनो को अन्य को प्रदान करने के बाद अपने लिये लाभ प्राप्त करेगा। पुराने जमाने मे इस काम को करने के लिये या तो कफ़न बेचने वाले सामने आते थे या कब्र को खोदने वाले सामने आते थे अथवा वे लोग जो किसी अन्जान व्यक्ति की परवरिस किया करते थे और जिसकी परवरिस की जानी है उसकी मौत के बाद उसके धन का उपभोग किया करते थे। लेकिन आज के जमाने मे ग्रह युति वही है रूप बदल गया है इस काम को करने के लिये बीमा कम्पनिया बन गयी है और लोग बीमा करवा कर अपनी रिस्क को भी भुनाने का काम करते है और अपनी मौत के बाद के फ़ायदे को दूसरे के नाम करने के लिये भी अपनी योजना को बना लेते है।वह बीमा करवाते है और नोमीनी बनाने के किसी दूसरे को फ़ायदा देने के लिये भी और अपने द्वारा रिस्क लेने वाले कामो को करने के बाद भी फ़ायदा लेने की कोशिश करने से भी नही चूकते है।

उपरोक्त कुंडली मे राहु के साथ मंगल भी है और मंगल का रूप वक्री होने के कारण अक्सर जातक द्वारा खुद दुर्घटना का शिकार नही होकर दूसरे लोगो को दुर्घटना मे शिकार होने पर लाभ दिया जाना माना जाता है लेकिन मंगल के वक्री समय मे खुद की भी दुर्घटना का कारण बनना भी माना जाता है,यह कारण अक्सर देखा जाता है कि मंगल जब नीच राशि मे वक्री होता है तो वह उच्च के फ़ल देने लगता है और वही मंगल जब उच्च राशि मे वक्री होता है तो नीच के फ़ल देने लगता है,यह कारण शायद हर किसी को पता नही है,यह कारण बनने के कारण अक्सर कम्पयूटर से कुंडली से कम्पयूटर मिलान के समय मे भी समझा जा सकता है कि जो लोग कम्पयूटर से कुंडली मिलान मे विश्वास रखते है उनके लिये मंगली दोष की सीमा मे जाने का कारण भी इसी नियम से समाप्त भी हो जाता है और बन भी जाता है। राहु और केतु जिस भी ग्रह के साथ होते है उस ग्रह की शक्ति को अपने मे शोषित कर लेते है और वह जो भी प्रभाव जीवन मे देते है वह प्रभाव अक्सर उन्ही ग्रहो के अनुसार दिया जाता है जो ग्रह राहु या केतु के साथ होते है।

उपरोक्त कुंडली मे राहु का साथ मंगल के साथ होने से और राहु का अष्टम द्रिष्टि से सप्तम भाव को देखना और सप्तम मे गुरु जो मौत का और शिक्षा का कारक ग्रह गुरु है को देखना लगनेश को देखना लाभेश और धनेश को देखना जातक के लिये उसी समय मारक बन जायेगा जब मंगल वक्री हो,राहु वृश्चिक मीन या कर्क राशि मे गोचर कर रहा हो,जब मंगल मार्गी होगा उस समय जातक को इन्ही कारको से फ़ायदा देने के लिये भी राहु अपनी युति को प्रदान करने के लिये भी माना जायेगा। जो भी दुर्घटना का कारण बनेगा वह यात्रा वाले कारणो से दवाइयों के कारणो से वाहनो वाले कारणो से ही बनेगा और जब यह दिक्कत देगा तो पत्नी के भाई को पत्नी के पिता को और खुद के जीवन साथी को अधिक असर देगा इसके बाद पत्नी की बहिन को पत्नी के शिक्षा वाले क्षेत्र को भी असर देने के लिये अपनी युति को प्रदान करेगा। सभी कारको मे अच्छा फ़ल देने पर यह उपरोक्त कारको मे फ़ायदा देने वाला माना जायेगा,यहां एक बात और भी ध्यान मे रखने के लिये मानी जा सकती है जब मंगल वक्री होगा तो गलत असर खुद पर होगा और अच्छा असर पत्नी खानदान के साथ होगा लेकिन मार्गी होने पर अच्छा असर खुद के साथ होगा गलत असर पत्नी खानदान पर होगा। साथ ही जब राहु अच्छा फ़ल दे रहा होगा तो केतु गलत असर को देगा और केतु जब अच्छा फ़ल दे रहा होगा तो राहु खराब फ़ल देगा।

केतु के साथ केतु के साथ शुक्र शनि होने से शुक्र और शनि का असर केतु के पास है,शुक्र धन दौलत और मकान आदि का मालिक भी है घर के अन्दर स्त्री जातको का जो विवाहित है और दूसरे घरो से आयी के लिये माना जायेगा लेकिन शनि का असर नौकरी करना जायदाद का बनाना रोजाना के काम करना मामा चाचा आदि के लिये भी माना जायेगा,यह असर जीवन साथी के बारहवे भाव मे होने से घर से बाहर रहने के समय मे जीवन साथी के अन्दर एक भावना भी पैदा होगी जो शुक्र यानी घर की स्त्रियों के साथ उच्च पदवी प्राप्त करने वाले कारण शनि के बारहवे भाव मे रहने पर पत्नी के द्वारा जन्म लेने के बाद खुद के नाना परिवार या पैदा होने वाले स्थान से बाहर जाकर पलने के लिये और बाहरी जायदाद को बनाने के लिये तथा अपने खुद के परिवार और नगद धन सम्पत्ति खुद के पति की जायदाद घर और रोजाना के काम आदि मे फ़्रीज करने वाले कारणो को प्रदान करेगा.

मौत का समय जातक के लिये तभी आयेगा जब राहु मीन वृश्चिक कर्क राशि मे गोचर करेगा और केतु के साथ शनि का योगात्मक प्रभाव होगा। मौत के कारणो मे अगर केतु मौत का कारक बनता है तो पीठ वाली कमजोरी बीमारी स्पाइनल प्रोब्लम्ब ऊंचे स्थान से गिरने के कारण या कार्य करते समय अचानक होने वाले हादसो के लिये तथा राहु के द्वारा दिये जाने वाले प्रभावो मे अचानक एक्सीडेन्ट करने से अचानक किसी दवा का रियेक्शन कर जाना गलत रूप से दवाई का प्रयोग किया जाना राहु के साथ होने से किसी गलत शक्ति जैसे भूत प्रेत पिशाच आदि की सीमा मे जाकर अचानक हादसो को प्राप्त कर लेना शरीर के खून के अन्दर एलर्जी जैसी शिकायत होकर अचानक स्वसन क्रिया का बन्द हो जाना आदि।
(किन्ही कारणो से जातक के मृत्यु के समय का उद्बोधन नही किया जा रहा है)

5 comments:

  1. guruji ye ketu aur shani ka yogatmak prabhav aage kab kab aayega.

    ReplyDelete
  2. guru ji parnam ,
    mein ravindar dilli se,
    ye gochar kya hota hai batane ki kirpa kare aur ye kaise dekha jata hai

    ReplyDelete
  3. रविंदर जी,ग्रहों के विचरने के समयकाल को गोचर कहा जाता है.जैसे इस समय गुरु वृष राशि पर हैं तो ज्योतिषीय भासा में इसी यूँ कहा जायेगा की गुरु गोचर में वृष राशी पर है.या अगले वर्ष गुरु मिथुन राशि पर होगा तो हम कहेंगे की गोचरवश गुरु का भ्रमण मिथुन पर होगा.
    आशा है आप समझ रहे होंगे.इसे जानने का सबसे आसान जरिया पंचांग होता है.

    ReplyDelete
  4. Anshul birth 21.1.98 time 1.27 am aur birth place lucknow markesh ka detail bataye

    ReplyDelete
  5. Mamsate guru ji meri mot/ mitwi kab hogi or kese yah janna chahti hu

    ReplyDelete