Friday, September 28, 2012

बारह मात्रायें और कुन्डली की बारह भाव

हिन्दी के स्वर मात्राओं के रूप मे जाने जाते है.
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: यह बारह स्वर है.
कुंडली का प्रत्येक भाव इन स्वरों पर और इनकी शक्ति पर आधारित है.
व्यंजन पांच तत्वो का वर्गीकरण करते है.
क च ट त प य यह व्यंजन है.
क अगर क्रूर शक्ति है तो का साधनो सहित शक्ति है,कि अगर स्त्री पुरुष से सम्मिलित है तो की जमीन के नीचे की यानी गूढ प्रभाव को प्रस्तुत करने वाली है,कु अगर विद्या और धन से पूर्ण है तो कू शरीर शक्ति को प्रयोग करने के बाद चलने वाली शक्ति है,के अगर मारक क्षमता रखती है तो कै कई मारक शक्तियों को साथ लेकर चलने वाली शक्ति है,को अगर धर्म और विज्ञान को साथ लेकर चलने वाली है तो कौ कई लोगो के साथ तथा साधनो के साथ मिलकर काम करने वाली शक्ति है,कं लाभ देने वाली और कार्य तथा साधनो के फ़ल से दबी शक्ति है तो क: जो भी शक्ति ने ग्रहण किया है उसे खर्च करने वाली शक्ति है।
ख जल मिश्रित और भावना से पूर्णता को लेकर चलने वाली शक्ति है.
ग भूमि इसे मिश्रित शक्ति है और
घ भूमि और जल से मिश्रित शक्ति है.
ड. उपरोक्त चारो शक्तियों से पूर्ण शक्ति है. (जन्म लेने के बाद बच्चे का स्वर इसी शक्ति से पूर्ण होता है)
च कारक की भाव शक्ति है.
ट कारक की तकनीकी रूप से प्रभाव मे लाकर चलाने वाली शक्ति है
त कारक की भौतिक बल और सम्पूर्णता की शक्ति है.
य अहंकार को समाप्त करने के बाद नये रूप मे जाने की शक्ति है.
बाकी की शक्तियां इन शक्तियों मे अक्षर क के रूप मे ही प्रस्तुत होती है.

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