Sunday, February 10, 2013

सूर्य बुध का साथ नेपच्यून के साथ छठे भाव में

सूर्य आसमान का राजा है बुध सूर्य का सहयोगी है और अक्सर सूर्य के सानिध्य मे आकर बुध आदिय योग का निर्माण करता है। रोजाना के काम करने कर्जा करने दुश्मनी पालने बीमार रहने और लोगो की सेवा के बाद जीविकोपार्जन करने का कारण आसमान के राजा को मिल जाये तो जीवन मे दस दोषों का निर्माण अपने आप होने लगता है,साथ मे बुध हो तो सूर्य के सानिध्य मे जो राजकुमार घमंड और अहम के प्रति अपनी धारणा को रखता है वह सूर्य यानी पिता राज्य और उपरोक्त कारको के कारण धीमे रूप मे बोलकर विनम्रता को धारण करने के बाद बोलने की क्षमता को रखने के लिये मजबूर हो जाता है। नेपच्यून को आत्मीय रूप दिया जाता है एक ऐसे सन्यासी की उपाधि दी जाती है जो लोगो के लिये हित को करने वाला होता है लेकिन बदले मे अपने लिये कुछ भी प्राप्त करने वाला नही होता है वह केवल प्राप्त करना चाहता है तो लोगो के द्वारा मिलने वाली सहानुभूति और लोगो के द्वारा मिलने वाला आत्मीय प्यार को प्राप्त करने के लिये काफ़ी माना जाता है। नेपच्यून की गति जो चौथे आठवे और बारहवे भाव से हमेशा उन कारको को प्राप्त करने के लिये मानी जाती है जो कारक सह्रदय के रूप मे माने जाते है लेकिन वही सन्यासी किसी न किसी प्रकार से राजकीय तथा धन आदि की क्षमता को सेवा के भाव से देखना शुरु कर दे तो यही माना जा सकता है कि एक सन्यासी को भी लोगो के लिये पेट पालने के लिये धन की आवश्यकता होने लगी है और वह लोगो के लिये किये जाने वाले कल्याण के लिये अपनी सह्रदयता को भुनाने के लिये राजकीय सहायता को प्राप्त करने का प्रयास करने लगा है।
छठे सूर्य के बारे मे कहा जाता है कि जातक के पिता को अपनी गरीबी के समय को ध्यान रखकर जातक को पाला पोषा जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जातक के पिता का प्राथमिक जीवन उसके चाचा या मामा अथवा मौसी के घर पर बीता है इसके अलावा जातक का लालन पालन अभाव मे हुआ है और उस अभाव से जातक को अपनी पहिचान बनाने के लिये अपने ही समाज मे परिचय को देना होता है इसके अलावा भी यह माना जाता है कि जातक को बचपन मे कुपोषण जैसे रोग पैदा हो गये थे जो जातक को जवानी से लेकर बुढापे की अवस्था मे हड्डियों की बीमारियों को पैदा करने जोडों का दर्द देने के लिये आंखो की परेशानी को देने के लिये भी माना जाता है इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जातक का जो जीवन साथी है उसके लिये आंखो के रोग होना और सिर का दर्द हमेशा बना रहना भी माना जाता है सूर्य अगर किसी प्रकार से गुरु की द्रिष्टि मे है तो यह भी माना जाता है कि जातक का जीवन साथी अपने परिवार के किसी ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति की सहायता से सरकारी अथवा बाहरी सहायता को प्राप्त करने मे समर्थ हुआ और उम्र की तीसरी साल से अपने को आगे से आगे ले जाने के लिये अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने लगा है। छठा भाव उम्र की दूसरी और तीसरी सीढी के बीच का हिस्सा है,जीवन का पहला अंश चौथा भाव जीवन का दूसरा अंश सातवा भाव तीसरा अंश दसवा भाव और चौथा तथा अन्तिम अंश पहले भाव को माना जाता है।
नेपच्यून को सूर्य के साथ होने से एक ऐसी आत्मा को भी माना जाता है जो अपने जीवन के प्रभाव को अपनी गरीबी और अपने प्राथमिक परिवार को पालने की जुगत मे भूल जाता है साथ ही जब बुध का प्रभाव सामने आजाता है तो औकात होने के बाद भी अपने जीवन की गति को प्रदर्शित करने मे असमर्थ होता है।

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