Sunday, February 3, 2013

राहु का गोचर बनाम रग रग फ़डकती जिन्दगी !

अक्सर लोगो का बहम होता है कि व्यक्ति पर भूत प्रेत पिशाच का साया है और वह उनके प्रभाव मे आकर अपनी जिन्दगी को या तो तबाह कर लेता है। सीधा सा अर्थ है कि भूत कोई अन्जानी आत्मा नही है वह केवल अपने द्वारा किये गये प्रारब्ध यानी पूर्व के कर्मो का फ़ल है,पिशाच कोई खतरनाक आत्मा या द्रश्य रूप मे नरभक्षक नही है वह केवल अपने अन्दर की वासनाओं का कुत्सित रूप है। प्रेत का मतलब कोई खतरनाक यौनि नही है बल्कि स्थान विशेष पर किये गये कृत्यों का सूक्ष्म रूप है जो बडे आकार मे केवल सम्बन्धित व्यक्ति को ही द्रश्य होता है।
इन सब कारणो को प्रदर्शित करवाने के लिये राहु को जिम्मेदार माना जाता है यह कुंडली मे जिस भाव मे जिस ग्रह के साथ गोचर करता है उसी ग्रह और भाव तथा राशि के अनुसार अपनी शक्ति का एक नशा पैदा करता जाता है और जीवन मे या तो अचानक बदलाव आना शुरु हो जाता है। एक अच्छा आदमी बुरा बन जाता है या एक बुरा आदमी अच्छा बन जाता है आदि बाते राहु से समझी जा सकती है।
मेरी हमेशा भावना रही है कि जो कारण भौतिकता मे सामने आते है और जिन्हे हम वास्तव मे देखते है समझते है महशूश करते है उनके प्रति ही मै आपको बताऊँ कपोल कल्पित या सुनी सुनाई बात पर मुझे तब तक विश्वास नही होता है,जब तक प्रत्यक्ष रूप मे उसे प्रमाणित नही कर के देख लूँ। इस प्रमाणिकता के लिये कई बार जीवन को भी बडे जोखिम मे डाल चुका हूँ और राहु के प्रभाव को ग्रह के साथ गोचर के समय मिलने वाले प्रभाव को साक्षात रूप से समझकर ही लिखने और बताने का प्रयास करने का मेरा उद्देश्य रहा है। साथ ही राहु के प्रभाव को कम करने के लिये और उसके रूप को बदलने के लिये जितनी भी भावना रही है उनके अनुसार चाहे वह बदलाव चलने वाले प्रभाव को बाईपास करने से सम्बन्धित हो या बदलाव को अलग करने के लिये किये जाने वाले तांत्रिक कारणो से जुडे हो वह सभी अपने अपने स्थान पर कार्य जरूर करते है राहु के बुरे प्रभाव को समाप्त करने का सबसे सस्ता और उत्तम उपाय जो सामने आया वह केवल राहु के तर्पण से ही सार्थक होता हुआ मैने देखा भी है अंजवाया भी है और खुद के जीवन के प्रति राहु तर्पण का प्रभाव साक्षात रूप से देखा भी है।
राहु कैसे अपने प्रभाव को प्रकट करता है ?
राहु एक छाया ग्रह है वह जब किसी भी भाव मे अपना असर प्रदान करता है तो भाव के अनुसार उल्टी गति राहु के प्रभाव से भाव मे मिलनी शुरु हो जाती है इसके साथ ही राहु की गति उल्टी होती है वह अन्य ग्रहो के अनुसार सीधा नही चलता है उल्टे चलकर ही अपने प्रभाव को प्रदर्शित करता है,साथ ही जो भाव जीवन मे सहायक होता है उसके लिये वह अपने प्रभाव को देने के लिये सहायता वाले भाव के प्रति अपनी धारणा को पूर्व से ही बदलना शुरु कर देता है जैसे राहु को कोई बीमारी देनी है तो वह सबसे सहायता देने वाले डाक्टर या दवाई से दूरी पैदा कर देता है अगर समय पर डाक्टर की सहायता मिलनी है तो किसी न किसी बात पर डाक्टर के प्रति दिमाग मे क्षोभ पैदा कर देगा और उस डाक्टर से दूरी बना देगा,और जैसे ही बीमारी पैदा होगी उस डाक्टर की सहायता नही मिल पायेगी या जो दवाई काम आनी है वह पास मे नही होगी या उस दवाई को खोजने पर भी वह नही मिलेगी,अगर किसी प्रकार से मिल भी गयी तो वह दवाई पहले से ली गयी अन्य दवाइयों के असर मे आकर अपना वास्तविक प्रभाव नही दे पायेगी। राहु का मुख्य काम होता है वह घटना के पूर्व मे लगभग छत्तिस महिने पहले से ही अपने प्रभाव को देना शुरु कर देगा,जैसे बच्चे को पैदा होने के बाद किसी बडी बीमारी को देना है तो वह पहले माता पिता के अन्दर नौ महिने पहले से ही हाव भाव रहन सहन खानपान आदि मे बदलाव लाना शुरु करेगा उसके बाद के नौ महिने मे वह बीमारी वाले कारणो को माता पिता के अन्दर भरेगा उसके बाद वह उस बीमारी को बनाने वाले कारणो को मजबूत बनाने के लिये अपने प्रभाव को बच्चा पैदा करने वाले तत्वो के अन्दर स्थापित करेगा और जब आखिर के नौ महिने मे बच्चे का गर्भ मे आकर पैदा होने तक का समय होगा तो बच्चे के अन्दर वही सब बीमारी वाले तत्व समावेशित हो जायेंगे और बच्चा पैदा होने के बाद उसी बीमारी से जूझने लगेगा। जैसे बच्चे के पैदा होने के बाद अगर टिटनिस की बीमारी होनी है तो वह बीमारी बच्चे के अन्दर माता पिता के द्वारा उनके खून से मिलने वाली टिट्निस विरोधी कारको को शरीर मे नही आने देगा और खून के अन्दर कोई न कोई इन्फ़ेक्सन देकर अगर माता के द्वारा गर्भ समय मे टिटनिश का टीका भी लगवाया गया है या कोई दवाई ली गयी है तो उन तत्वो को वह शरीर से बाहर कर देगा,बाहर करने के लिये माता को कोई अजीब सी परेशानी होगी और वह उस परेशानी को दूर करने के लिये अन्य दवाइओं का प्रयोग करना शुरु कर देगी या किसी दवाई के गलत प्रभाव से बचने के लिये समयानुसार कोई डाक्टर उसे एविल आदि को दे देगा और वह तत्व समाप्त हो जायेंगे। इसके साथ ही बच्चे के पैदा होने के बाद नाडा छेदन के लिये कितनी ही जुगत से रखे गये चाकू या सीजेरियन हथियार मे टिटनिश के जीवाणु विराजमान हो जायेंगे,अथवा कोई नाडा छेदन करने वाला व्यक्ति अपने अन्दर बाहर से आने के बाद किसी प्रकार से उन जीवाणुओं के संयोग मे आजायेगा आदि कारण देखे जा सकते है। इसी प्रकार से जब राहु अन्य प्रकार के कारण पैदा करेगा तो वह अपने अनुसार उसी प्रकार की भावना को व्यक्ति के खून के अन्दर अपने इन्फ़ेक्सन को भर देगा,अथवा भावनाये जो व्यक्ति के लिये दुखदायी या सुखदायी होती है उन्ही भावनाओ के अनुसार लोगो से वह अपना सम्पर्क बनाना शुरु कर देगा और वह भावनाये उस व्यक्ति को अगर अच्छी है तो उन्नति देगा और बुरी है तो वह भावनाये व्यक्ति को समाप्त करने के लिये कष्ट देने के लिये अथवा आहत करने के लिये अपने अनुसार प्रभाव देने लगेंगी। कहा जाता है कि राहु अचानक अपना प्रभाव देता है लेकिन उस अचानक बने प्रभाव मे भी राहु की गति के अनुसार ही सीधे और उल्टे कारको का असर सामने आता है। अगर व्यक्ति का एक्सीडेंट होना है तो कारक पहले से ही बनने शुरु हो जायेंगे,व्यक्ति के लिये राहु अपने प्रभाव से किसी ऐसे जरूरी काम को पैदा कर देगा कि वह व्यक्ति उसी आहत करने वाले स्थान पर स्वयं जाकर उपस्थिति हो जायेगा और कारक आकर उसके लिये दुर्घटना का कारण बना देगा। अगर जातक को केवल कष्ट ही देना है तो कारक शरीर या सम्बन्धित कारण को आहत करेगा फ़िर व्यक्ति के भाग्यानुसार सहायता करने वाले कारक उसके पास आयेंगे उसे सम्बन्धित सहायता को प्रदान करेंगे और व्यक्ति राहु के समय के अनुसार कष्ट भोगकर अपने किये का फ़ल प्राप्त करने के बाद जीवन को बिताने लगेगा। राहु की गति प्रदान करने का समय नाडी ज्योतिष से अठारह सेकेण्ड का बताया गया है और वह अपनी गति से अठारह सेकेण्ड मे व्यक्ति को जीवन या मृत्यु वाले कारण को पैदा कर सकता है। जिस समय राहु का कारण पैदा होता है व्यक्ति के अन्दर एक प्रकार की विचित्र सी सनसनाहट पैदा हो जाती है,और उस सनसनाहट मे व्यक्ति जो नही करना है उसके प्रति भी अपने बल को बढा लेता है और उस कृत्य को कर बैठता है जो उसे शरीर से मन से वाणी से या कर्म से बरबाद कर देता है।
राहु का विभिन्न भावो के साथ गोचर करने का फ़ल
राहु कुंडली मे बारह भावो मे गोचर का फ़ल अपने अनुसार देता है लेकिन भाव के लिये भी राशि का प्रभाव भी शामिल होता है। जैसे राहु कन्या राशि मे दूसरे भाव का फ़ल दे रहा है तो राहु के लिये तुला राशि का पूरा प्रभाव उसके साथ होगा लेकिन जन्म लेने के समय राहु का जो स्थान है उस स्थान और राशि का प्रभाव भी उसके साथ होगा और वह प्रभाव दूसरे भाव मे तुला राशि के प्रभाव मे मिक्स करने के बाद व्यक्ति को धन या कुटुम्ब या अपने पूर्व के प्राप्त कर्मो को अथवा अपने नाम चेहरे आदि पर अपना असर प्रदान करने लगेगा।
राहु का विभिन्न ग्रहो के साथ मिलने वाला प्रभाव
राहु जब विभिन्न ग्रहो के साथ विभिन्न भावो और राशि मे गोचर करता है तो राहु अपने जन्म समय के भाव और राशि के प्रभाव को साथ लेकर ग्रह और ग्रह के स्थापित भाव तथा राशि के प्रभाव मे अपने प्रभाव को शामिल करने के बाद अपना असर प्रदान करेगा लेकिन जो भी प्रभाव होंगे वह सभी उस भाव और राशि के साथ राहु के साथ के ग्रह हो जन्म समय के है को मिलाकर ही देगा। अगर राहु वृश्चिक राशि का है और वह कुंडली के दूसरे भाव मे विराजमान है तो वह दसवे भाव मे गोचर के समय मे वृश्चिक राशि के साथ दूसरे भाव का असर मिलाकर ही दसवे भाव की कर्क राशि मे पैदा करने के बाद अपने असर को प्रदान करेगा,जैसे वृश्चिक राशि शमशानी राशि है और राहु इस राशि मे शमशाम की राख के रूप मे माना जाता है यह जरूरी नही है कि वह शमशान केवल मनुष्यों के शमशान से ही सम्बन्धित हो वह बडी संख्या मे मरने वाले जीव जन्तुओं के स्थान से भी सम्बन्ध रख सकता है वह किसी प्रकार की वनस्पतियों के खत्म होने के स्थान से भी सम्बन्ध रख सकता है वह अपने अनुसार जलीय जीवो के समाप्त होने के स्थान स्थलीय जीवो के अथवा आसमानी जीवो के प्रति भी अपनी धारणा को लेकर चल सकता है। राहु वृश्चिक राशि के दूसरे भाव मे होने पर वह अपने कारणो को दसवे भाव मे जाने पर कर्क राशि के अन्दर जो भावना को पैदा करेगा वह धन के रूप मे कार्य करने के लिये शमशानी वस्तुओं को खरीदने बेचने का काम ही करेगा आदि बाते राहु के ग्रहो के साथ गोचर करने पर मिलती है और इन्ही बातो के अनुसार घटना और दुर्घटना का कारण जाना जाता है। क्रमश:............................................

12 comments:

  1. ॐ रां राहवे नमः.............गुरुदेव यह राहुदेव को समझना बुद्धि के परे है .........जिसपर माँ सरस्वती देवी की कृपा हो वही इनकी विलक्षणता समझ सकता है ............! राहुदेव के प्रति यह समर्पण भाव आपके वाणी एवं लेखन मे झलकता है.!!!!!!!!!!!!!

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    1. खुश रहो मजे करो कैलास आज नही तो कल खुद को भी समझ मे आने लगेगा इनकी माया विचित्र है.

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  2. अभिषेक राहु जरूरी नही है कि वह बुरा असर ही प्रदान करे,जब यह त्रिक भाव मे अपना गोचर करता है तो उल्टी जुबान से बोलता है,गुरु के साथ गोचर करने से एक सत्यवक्ता के प्रति भी झूठी धारणा पैदा कर देता है,और एक झूठे को भी सत्यवक्ता की श्रेणी मे लाकर खडा देता है.इसी राहु पर एक कहावत समाज मे काफ़ी समय से प्रयोग मे लायी जाती है- "सांचे करें फ़ांके झूठे मौज मनाय,सजा भुगत हरिश्चन्द्र से डोम के काज करायं",यानी सांचे को यह फ़ांके करवा देता है और झूठो की मौज बना देता है,साथ ही एक शमशान के रखवाले को चक्रवर्ती सम्राट जैसा राजा नौकर के रूप मे प्रदान कर देता है.

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  3. Guruji ye rahut. Tarpan kya hota hai

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  4. हेमन्त राहु तर्पण राहु के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिये एक धार्मिक क्रिया होती है.राहु को विराट पुरुष के रूप मे माना जाता है जिसके प्रति कोई यह सीमा नही है कि वह कितना बडा है कितनी लम्बाई चौडाई है कितनी शक्ति है वह किस रूप मे है वह कब और क्या कर सकता है,किस रूप मे सामने होता है,शास्त्रो मे राहु को आसमान समुद्र भगवान श्रीकृष्ण का विराटरूप जब उन्होने अर्जुन को महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश दिया था और अपने विराटरूप को सामने किया था आदि कारको के रूप मे माना जाता है। राहु तर्पण को समुद्र के किनारे शिव स्थान पर किया जाता है,राहु तर्पण के लिये चार दिशाओं के चार चार भाग करने के बाद बत्तिस ब्राहमणो को दिशानुसार बैठाया जाता है बीच में राहु की बत्तिस परिधि की वेदी बनाई जाती है,उस वेदी को जमीन के समानान्तर ही रखा जाता है केवल समुद्री रेत से गोलाई मे परिधि को बढाकर आकार दिया जाता है,उस आकार को बत्तिस बत्तिस सौ मन्त्रों के उच्चारण से बत्तिस ब्राह्मण समुद्रीजल में तिल और चावल के साथ मिली हल्दी से आहुति देते है यह आहुति आग मे नही दी जाती है,केवल उस बनायी गयी आकार की परिधि मे दी जाती है.जिसके प्रति भी राहु तर्पण किया जाता है उसके नाम माता पिता दादा दादी नाना नानी और विवाहित है तो ससुराल पक्ष के सास स्वसुर के नाम और उनके गोत्र के नाम के साथ उन परिधियों में आखिरी ऊपरी परिधि से सबसे छोटी परिधि तक बत्तिस बत्तिस बार स्थापित करने के बाद उन्हे संकुचित किया जाता है,जब बत्तिसों परिधियों में संकुचन पूरा हो जाता है तो पहले से पकाकर रखे गये चावलों को दही और शक्कर मे मिलाकर जातक के नाम और गोत्र के अनुसार गरीबो मे बराबर बराबर के हिस्से बनाकर बांटा जाता है,उसके बाद शिव स्थान पर उस जातक के नाम और गोत्र के अनुसार काले शिवलिंग पर गाय का दूध चढाया जाता है और जातक को शिव स्थान की भस्म मिश्री कामिया सिन्दूर पीली मिट्टी के बने चन्दन की लाट को भेज दिया जाता है,राहु तर्पण अमावस्या या पूर्णिमा को किया जाता है,विशेष परिस्थिति मे राहु तर्पण अष्टमी और त्रयोदशी को भी करवा दिया जाता है.

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  6. गुरूजी प्रणाम आपका राहू देव के विषय में पढकर राहू देव की माया कुछ कुछ हमारी समज में आने लगी क्यों की हमारे तो राहू देव कन्या राशी में लगन में बिराजमान है हमारे लिए तो सब माया राहू देव की है इसलिए सदा हमारे इष्ट देव बजरंगबली की शरण मे रहते है आपके आशींंवाद क़ै साथ.

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    1. हाथी रूपी राहु को मंगल रूपी अंकुश से सम्भाल लिया जाये तो हाथी जैसे महाभीमकाय जानवर को भी वश मे किया जा सकता है.अद्रश्य बिजली की गति को तरीके से संभाल कर बडी से बडी मशीने चलाई जा सकती है. राहु रूपी भीड को तकनीक रूपी बुद्धि से सम्भाला जा सकता है.

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  7. Bahut badhiya jankari hai main kuch jankari share karna chahunga yadi koi vyakti apne poorvajo ki mukti ke liye Shree Mad Bhagwat Puran, ya Gita ka path karta hai to bhi uska in sab paristhiti mein bhala hota hai , path karne ke bad uska fal poorvajo ko chodhna awashyak hai shayad is chiz se bhi kafi kuch sudhar jata hai , meri jankari sahi hai ki nahi ye main nahi janta

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  8. आपके द्वारा दिया ज्ञानामृत अभूतपूर्व है धन्यवाद गुरुजी

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  9. pranam guruji, mujhe bhi kuch batane ki krapa kre.
    vrash lagn, singh rashi me fourth house me rahu guru n shani ,dhanu rashi n kark k mangal. Is kundli me koi achcha yog h kya aur rahu ka fal kaisa hoga, guru achcha hai ya kharab
    bahut dhanywad

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  10. pranam guruji, mujhe bhi kuch batane ki krapa kre.
    vrash lagn, singh rashi me fourth house me rahu guru n shani ,dhanu rashi n kark k mangal. Is kundli me koi achcha yog h kya aur rahu ka fal kaisa hoga, guru achcha hai ya kharab
    bahut dhanywad

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