प्रस्तुत कुंडली कन्या लगन की है,लगनेश बुध सप्तमेश और चतुर्थेश गुरु लाभेश चन्द्र्मा के साथ विराजमान है। गुरु शुक्र का परिवर्तन योग है। शुक्र गुरु चन्द्र बुध पाप कर्तरी योग मे है। राहु केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे है। विद्या बुद्धि का मालिक होने के साथ रोजाना के कामो का मालिक नौकरी आदि का मालिक शनि है जो लगन मे विराजमान है और इस शनि की युति जन्म के सूर्य पर है साथ ही शनि केतु की युति मे एक बात और भी कही जाती है कि जो लोग नौकरी आदि मे अपनी योग्यता को बनाना चाहते है वे अपने लिये कभी भी प्रोग्रेस नही कर पाते है,वह भी जब शनि कन्या राशि का हो और केतु मकर राशि का हो तो वे केवल अपने नौकरी करने वाले स्थान के लिये ही तरक्की को देने वाले होते है उनका काम भी एक प्रकार से दर्जी की तरह से होता है जैसे दर्जी एक कपडे के कई टुकडों को जोडकर एक वस्त्र का नाम देता है उसी प्रकार से इस युति वाले जातक कई लोगो को या फ़र्मो को जोड कर एक प्रकार से नई कम्पनी का नाम बना देते है यह ही नही इस युति मे अगर गुरु का असर मिलता है तो जातक अपनी योग्यता को इतना बढा लेता है कि वह बडे से बडे ठेके आदि लेकर अपनी योग्यता से धन और आव इज्जत मे अपनी योग्यता को बनाता चला जाता है।
पाप कर्तरी योग मे फ़ंसे ग्रह अक्सर बलहीन इसलिये हो जाते है कि वे अगर अपनी शक्ति को खर्च करते है तो वह शक्ति बेकार चली जाती है जैसे इस कुंडली मे शुक्र धनु राशि का है और चौथे भाव मे अपनी स्थिति को बना रहा है धन भाव मे बैठा गुरु इस शुक्र को बल दे रहा है फ़िर भी इस शुक्र के आगे केतु होने से जातक के पास विद्या मे बुद्धि मे सन्तान मे प्राथमिक रूप मे जल्दी से धन कमाने के क्षेत्र मे अक्समात ही साधनो के प्रति खर्चा करना होता है या बडे भाई मामा परिवार दोस्तो आदि के फ़रेब मे आकर या जल्दी से धन कमाने वाली स्कीमो मे जाकर अपने को बरबाद करने के लिये यह केतु अपना काम करने लगता है अधिक कामुकता की बजह से या तो पुरुष सन्तान नही हो पाती है या हो भी पाती है तो कमजोर रहती है इसके अलावा भी पुत्री सन्तान के होने से और पुत्री सन्तान पर निर्भर होने के कारण भी समाज घर परिवार आदि मे इज्जत का प्राप्त करना नही हो पाता है। इस शुक्र के पीछे सूर्य होने से कोई भी काम जातक अपनी मर्जी से भी नही कर पाता है इसका कारण भी यह है कि जातक जब भी अपने समाज और अपनी शिक्षा तथा पिता के जमाने से चली आयी मर्यादा के विरुद्ध काम करने की सोचता है वैसे ही उसके मन मे अहम के प्रति अपने समाज के प्रति तथा जीवन मे की जाने वाली प्रगति रिस्तेदारो के दबाब आदि के कारण नही कर पाता है। शुक्र के पीछे सूर्य होने का एक असर यह भी होता है जब भी जातक अपने धन्धे व्यवसाय मे आगे बढने के लिये कोशिश करता है और जब भी प्रोग्रेस का समय आता है कोई न कोई बात जो सरकारी कारणो से घिरी होती है या सरकारी दबाब आदि के कारण या राजनीति मे जाने या राजनीति के प्रति अहम होने से भी जातक को यह सूर्य कमाने वाले क्षेत्र से दूर करने मे अपना असर प्रदान करने की बात को करता है।
यही बात गुरु चन्द्र और बुध के लिये मानी जाती है यह तीनो ग्रह सौम्य ग्रह है और इन ग्रहो के आगे सूर्य और पीछे शनि होने से जैसे ही जातक किसी भी बाहरी काम के प्रति आने जाने के प्रति अपने मन से काम करने के प्रति बोलने चालने मे विवाह शादी सम्बन्ध या अपने अनुसार काम करने की सोचता है तो शनि जो इन ग्रहो से बारहवा है जल्दी से अपनी युति के कारण कष्ट देना शुरु कर देता है अगर इन कारको को वह अपने अनुसार करना चाहे तो वह अपने घर और अपने परिवार के अन्दर नही कर पाता है वह अगर इन कारको को सोचे तो घर से बाहर जाकर ही सोच सकता है। एक बात और भी देखी जाती है कि जातक का शनि जब चन्द्रमा से बारहवा होता है तो जातक के लिये किये जाने वाले खर्चो आने जाने के कारको तथा अपने अनुसार शांति को प्राप्त करने मे हमेशा किसी न किसी बात से बन्धे रहना भी होता है,तथा जब वह इन कामो को करना चाहे तो आगे सूर्य होने से राज्य की दिक्कत या पिता सम्बन्धी मान मर्यादा की इज्जत भी सामने आजाती है।
पिछले समय मे राहु ने पंचम चतुर्थ तीसरे भाव मे गोचर किया है इस गोचर से केतु जो कार्य के प्रति साधन के रूप मे थे विद्या के क्षेत्र मे या ब्रोकर वाले काम थे,फ़िर घरेलू मकान सम्पत्ति भवन आदि के प्रति बाद मे जो भी इस राहु से बचा वह पिता और अस्पताली कारणो के प्रति सरकारी टेक्स आदि के प्रति खर्चा कर दिया गया यह सब केवल बडे से बडे कनफ़्यूजन के कारण ही होना माना जा सकता है अब यह राहु जन्म के गुरु चन्द्र और बुध पर अपना गोचर कर रहा है इस कारण से जातक के लिये एक तो जीवन साथी से सम्बन्धित साझेदारी से धन आदि कमाने के प्रति तथा ससुराल मे सास ससुर और साली के प्रति एक प्रकार का जिम्मेदाराना प्रभाव माना जाता है यही नही व्यवसाय को अधिक से अधिक बडा रूप देने के लिये भी यह राहु अपना असर प्रदान करने की योजना का प्रभाव दे रहा है।
इस राहु के कारण यह भी समझा जाता है कि अधिक से अधिक कनफ़्यूजन होने और एक काम के अन्दर बडे बडे काम अपने आप बन जाने का प्रभाव भी देखा जाता है.इस प्रभाव के कारण जातक के लिये लक्ष्य से दूरी बन जाती है और जो लक्ष्य प्राप्त करना है वह लक्ष्य दूर हो जाता है,तथा बेकार के कारणो मे जाने से और बेकार की बातो को ध्यान मे रखने से राहु का गोचर अपना काम करता है इस गोचर के प्रभाव से बचने के लिये अपने किये जाने वाले काम मे विस्तार को जारी रखना चाहिये और भोजन नींद तथा तामसी प्रभाव से बचने का हर हाल मे प्रयास करना चाहिये.
पाप कर्तरी योग मे फ़ंसे ग्रह अक्सर बलहीन इसलिये हो जाते है कि वे अगर अपनी शक्ति को खर्च करते है तो वह शक्ति बेकार चली जाती है जैसे इस कुंडली मे शुक्र धनु राशि का है और चौथे भाव मे अपनी स्थिति को बना रहा है धन भाव मे बैठा गुरु इस शुक्र को बल दे रहा है फ़िर भी इस शुक्र के आगे केतु होने से जातक के पास विद्या मे बुद्धि मे सन्तान मे प्राथमिक रूप मे जल्दी से धन कमाने के क्षेत्र मे अक्समात ही साधनो के प्रति खर्चा करना होता है या बडे भाई मामा परिवार दोस्तो आदि के फ़रेब मे आकर या जल्दी से धन कमाने वाली स्कीमो मे जाकर अपने को बरबाद करने के लिये यह केतु अपना काम करने लगता है अधिक कामुकता की बजह से या तो पुरुष सन्तान नही हो पाती है या हो भी पाती है तो कमजोर रहती है इसके अलावा भी पुत्री सन्तान के होने से और पुत्री सन्तान पर निर्भर होने के कारण भी समाज घर परिवार आदि मे इज्जत का प्राप्त करना नही हो पाता है। इस शुक्र के पीछे सूर्य होने से कोई भी काम जातक अपनी मर्जी से भी नही कर पाता है इसका कारण भी यह है कि जातक जब भी अपने समाज और अपनी शिक्षा तथा पिता के जमाने से चली आयी मर्यादा के विरुद्ध काम करने की सोचता है वैसे ही उसके मन मे अहम के प्रति अपने समाज के प्रति तथा जीवन मे की जाने वाली प्रगति रिस्तेदारो के दबाब आदि के कारण नही कर पाता है। शुक्र के पीछे सूर्य होने का एक असर यह भी होता है जब भी जातक अपने धन्धे व्यवसाय मे आगे बढने के लिये कोशिश करता है और जब भी प्रोग्रेस का समय आता है कोई न कोई बात जो सरकारी कारणो से घिरी होती है या सरकारी दबाब आदि के कारण या राजनीति मे जाने या राजनीति के प्रति अहम होने से भी जातक को यह सूर्य कमाने वाले क्षेत्र से दूर करने मे अपना असर प्रदान करने की बात को करता है।
यही बात गुरु चन्द्र और बुध के लिये मानी जाती है यह तीनो ग्रह सौम्य ग्रह है और इन ग्रहो के आगे सूर्य और पीछे शनि होने से जैसे ही जातक किसी भी बाहरी काम के प्रति आने जाने के प्रति अपने मन से काम करने के प्रति बोलने चालने मे विवाह शादी सम्बन्ध या अपने अनुसार काम करने की सोचता है तो शनि जो इन ग्रहो से बारहवा है जल्दी से अपनी युति के कारण कष्ट देना शुरु कर देता है अगर इन कारको को वह अपने अनुसार करना चाहे तो वह अपने घर और अपने परिवार के अन्दर नही कर पाता है वह अगर इन कारको को सोचे तो घर से बाहर जाकर ही सोच सकता है। एक बात और भी देखी जाती है कि जातक का शनि जब चन्द्रमा से बारहवा होता है तो जातक के लिये किये जाने वाले खर्चो आने जाने के कारको तथा अपने अनुसार शांति को प्राप्त करने मे हमेशा किसी न किसी बात से बन्धे रहना भी होता है,तथा जब वह इन कामो को करना चाहे तो आगे सूर्य होने से राज्य की दिक्कत या पिता सम्बन्धी मान मर्यादा की इज्जत भी सामने आजाती है।
पिछले समय मे राहु ने पंचम चतुर्थ तीसरे भाव मे गोचर किया है इस गोचर से केतु जो कार्य के प्रति साधन के रूप मे थे विद्या के क्षेत्र मे या ब्रोकर वाले काम थे,फ़िर घरेलू मकान सम्पत्ति भवन आदि के प्रति बाद मे जो भी इस राहु से बचा वह पिता और अस्पताली कारणो के प्रति सरकारी टेक्स आदि के प्रति खर्चा कर दिया गया यह सब केवल बडे से बडे कनफ़्यूजन के कारण ही होना माना जा सकता है अब यह राहु जन्म के गुरु चन्द्र और बुध पर अपना गोचर कर रहा है इस कारण से जातक के लिये एक तो जीवन साथी से सम्बन्धित साझेदारी से धन आदि कमाने के प्रति तथा ससुराल मे सास ससुर और साली के प्रति एक प्रकार का जिम्मेदाराना प्रभाव माना जाता है यही नही व्यवसाय को अधिक से अधिक बडा रूप देने के लिये भी यह राहु अपना असर प्रदान करने की योजना का प्रभाव दे रहा है।
इस राहु के कारण यह भी समझा जाता है कि अधिक से अधिक कनफ़्यूजन होने और एक काम के अन्दर बडे बडे काम अपने आप बन जाने का प्रभाव भी देखा जाता है.इस प्रभाव के कारण जातक के लिये लक्ष्य से दूरी बन जाती है और जो लक्ष्य प्राप्त करना है वह लक्ष्य दूर हो जाता है,तथा बेकार के कारणो मे जाने से और बेकार की बातो को ध्यान मे रखने से राहु का गोचर अपना काम करता है इस गोचर के प्रभाव से बचने के लिये अपने किये जाने वाले काम मे विस्तार को जारी रखना चाहिये और भोजन नींद तथा तामसी प्रभाव से बचने का हर हाल मे प्रयास करना चाहिये.
Namste guru ji
ReplyDeleteek vipda aa gayi hai
Meri mother ki jalan fir se hone lagi hai
Kya karu ......
शिव भक्ति के लिये प्रयास करो,उनके नाम से शिवलिंग पर सफ़ेद कपडे को और चावलों को चढाओ.
Deleteनमस्कार गुरु जी हमेशा आपके लेखो का दीवाना रहा हु
ReplyDeleteआज पहेली बार लिख रहा हु
गुरु जी मेरे उपर राहू का भुत ला हुवा है एक तो शराब तम्बाकू और नशे की आदते लगी हुयी है , और मेरी सगाई अभी हुयी है पर मुझे मेरी साली या कोई दूसरी पसंद है ,. क्या करू
11/12/1983 time 10.10 pm ,ahmedabad ,,कर्क लग्न , शतभिषा नक्षत्र
मंगल तृतीय ,,शनि शुक्र तुला में , गुरु केतु सूर्य पंचम स्थान में , बुध षष्ठं , चन्द्र अष्टम , राहू एकादश में