Saturday, May 12, 2012

नौकरी मे कनफ़्यूजन

प्रस्तुत कुंडली मे जातक का कथन है कि वह वर्तमान मे इंजीनियर का कार्य कर रहा है और वह यह जानना चाहता है कि वह यही काम करे या सिविल सर्विस मे अपनी योग्यता को दिखाकर कार्य करे। इस कुंडली मे राहु का गोचर जन्म के केतु के साथ है और केतु का गोचर जन्म के राहु के साथ है,लगनेश गुरु का गोचर जन्म के चन्द्रमा के साथ चल रहा है शनि का गोचर लाभ भाव के मंगल और शनि पर चल रहा है। शनि गुरु और राहु केतु के द्वारा जातक का जीवन शासित है। कारण राहु और केतु के बीच मे शनि जो कार्य का दाता है और मंगल जो कार्य शक्ति के साथ कार्य तकनीक और शरीर की शक्ति का दाता भी है विराजमान है। राहु धन की राशि मे नौकरी वाले भाव मे है लेकिन यह भाव अक्सर सप्तम से बारहवे भाव मे होने से जो भी जातक के सामने जीवन मे जूझने वाले कारण है उनके अन्दर डर पैदा करने वाला है। यह राहु जो भी कारण पैदा कर रहा है वह धन की शक्ति को मुख्य शक्ति के रूप मे देख रहा है उसके बाद जो भी जीवन के प्रति नशा है वह केवल अपने कार्यों के द्वारा ही धन को प्राप्त करने का कारण लगनेश का लगन मे बैठना और लगनेश के साथ शुक्र का होना जातक को उच्च शिक्षा के साथ साथ भौतिकता मे ले जाने के लिये भी अपनी युति को प्रदान कर रहा है,लेकिन लगनेश के साथ शुक्र का भी केतु और सूर्य के बीच मे होने से जातक के एक तरफ़ तो केतु की तकनीक है जो लम्बे समय तक चलने वाली है और एक तरफ़ सूर्य है जो जातक को राजकीय सेवा और सिविल सर्विस वाली सोच को पैदा कर रहा है। केतु तकनीकी राशि मे होने के कारण जातक को राख से साख निकालने और मरे हुये को जिन्दा करने यानी किसी भी कारण को अपनी तकनीक से दुबारा से शक्ति देकर चलाने के लिये माना जा सकता है जबकि सूर्य का साथ बुध के साथ होने से और राहु के द्वारा पूर्ण द्रिष्टि देने से जातक को यह भ्रम भरा हुआ है कि वह सिविल सर्विस मे आगे जा सकता है। केतु के पीछे शनि मंगल है जो जातक को व्यापारिक तकनीक और शनि के उच्च राशि मे होने पर बडे व्यापारिक संस्थानो मे अपनी तकनीक को प्रस्तुत करने का अच्छा ग्यान प्राप्त है वही पर सूर्य को मंगल और शनि के द्वारा वक्र द्रिष्टि देने से तथा छठे राहु की नजर आने से जातक को जो कर रहा है वह भी छोड देने के लिये और भटकाव पैदा करने के लिये माना जा सकता है। सूर्य भाग्य का कारक है लेकिन दुर्भाग्य का कारक शनि भी है,जब भाग्य का कारक नगद धन मे हो और दुर्भाग्य का कारक ग्रह लाभ मे हो तो जातक को यह लगता है कि वह अपने मेहनत करने वाले कार्यों से दूर जाकर कम मेहनत करने वाले कामो से और आजीवन लाभ लेकर आदेश देने वाले कामो को करे।

कुंडली मे अपमान का कारक ग्रह चन्द्रमा है जो सरकारी भाव यानी पंचम मे बैठ कर अपमान देने के लिये भी जाना जाता है और शादी के बाद पहली सन्तान के रूप मे पुत्री को भी देने वाला है लगनेश गुरु चौथे भाव के मालिक भी है इसलिये जातक का मन जनता से जुडे कामो को करने के लिये अपनी युति को प्रदान कर रहा है,एक बात और भी जो जीवन के लिये महत्वपूर्ण है कि जातक के जीवन साथी का कारक बुध सूर्य के साथ है और यह ग्रह सूर्य के सानिध्य मे रहकर जातक के जीवन साथी के पिता के उच्च पद पर होने और सूर्य से पंचम मे राहु के होने तथा राहु के धन की राशि मे होने से उसे लगता है कि जातक के जीवन साथी के पिता ने राज्य से बहुत अधिक फ़ायदा ले लिया है लेकिन जातक के जीवन साथी के पिता के प्रति यह नही देखा है कि जो केतु जातक को इंजीनियर वाले कामो से उच्चता का पद दे रहा है और नित नही खोजो आविष्कारो का कारण पैदा कर रहा है वह अगर जातक छोड देगा तो दिक्कत का होना और भटकने के लिये अपना प्रभाव देने लगेगा।


2 comments:

  1. guru ji parnam ,
    mein ravindar dilli se,
    kisi bhi lagn ki kundli mein yeh kaise dekhe ki jaatak naukri ya buiseness karega .agar naukri kaun si aur kab karega ,agar buiseness karega to kaun sa ,aur kab karega ,aur partner ship mein busines mein hoga business ki nahi, yeh sab kaise dekhe

    ReplyDelete
  2. GURU JI PRANAAM.


    Dear Ravi... Guru ji ki ek website http://astrobhadauria.wikidot.com/hindipages isse study kariye..kaafi kuch pata lag jaayega..

    ReplyDelete