Wednesday, August 29, 2012

दुनिया दुरंगी

बचपन मे पिता के सहारे पुत्र चलता है और जैसे ही पुत्र जवान होता है वह पिता के लिये सहारा देना शुरु कर देता है लेकिन पिता की कुंडली मे पुत्र का कारक ग्रह वक्री है तो वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के बाद दूर हो जायेगा,पिता का किया धरा सभी परे रह जायेगा और वह दूसरो पर आश्रित होकर अपने अन्त समय को निकालेगा। शादी तक पुत्री पिता पर निर्भर होती है और शादी के बाद वह अपने पति पर निर्भर होती है बिना पति के जीवन मे कुछ भी समझ मे नही आता है लेकिन पुत्री की कुंडली मे गुरु अगर वक्री है तो वह पहले तो पिता का बदला हुआ रूप देखेगी फ़िर अपने पति का बदला हुआ रूप देखेगी और अन्त तक अपने स्वार्थी भावना के कारण केवल स्वार्थ तक ही अपने सम्बन्धो को जाहिर करेगी। इस प्रकार से वक्री ग्रहो के प्रभाव से ही इस संसार के अन्दर दो प्रकार के अर्थ हर काम सम्बन्ध आदि के लिये बनाये गये है और दुनिया का रूप दो रंगा बना दिया है। यही बात तब और देखी जाती है कि जन्म समय का सूर्य मित्र भाव मे होता है और वह जब शत्रु भाव मे गोचर करता है तो उस सूर्य के अन्दर शत्रुता जैसे गुण आजाते है जो कार्य दोस्त आदि सहायक होते है वही विश्वासघात करने लगते है। यही बाद रोजाना की जिन्दगी मे चन्द्रमा के लिये मानी जाती है कर्क राशि का चन्द्रमा ह्रदय को द्रवित कर देता है लेकिन वही चन्दमा जब मकर राशि का होता है तो वह कठोर ह्रदय का कारक हो जाता है लेकिन जन्म के समय का कठोर चन्द्रमा जब गोचर से कर्क राशि मे आता है तो वह अपने स्वभाव को द्र्व बना लेता है और कभी कभी कसाई भी दया कर जाता है। लेकिन जिसका चन्द्रम जन्म से ही कर्क राशि का होता है या चौथे भाव का प्रभाव देने वाला होता है और वही चन्द्रमा जब दसवे भाव मे आता है या मकर राशि का होता है तो दया का प्रभाव समाप्त होकर केवल स्वार्थ की नीति को पैदा कर देता है और कहा जाये तो दया करने वाला भी कसाई का रूप धारण कर लेता है। केतु अपने उच्च समय मे जातक की जय जय कार करवाता है लेकिन वही नौ साल बाद केतु जब नीच राशि मे गोचर करता है बदनामी भी देता है और जितनी अधिक जय जय कार हुयी होती है उतनी ही नफ़रत का रूप भी प्रदान करने के लिये अपनी शक्ति को प्रदान कर देता है। राहु जब बारहवे भाव मे होता है तो ऊपरी बाधाओ को प्रदान करता है और जातक को आक्स्मिक कारण बनाकर कितने ही कष्ट प्रदान करता है लेकिन वही राहु जब छठे भाव मे गोचर करता है तो वह जातक को दूसरो के लिये आफ़त बनाकर सामने करता है।
समय के बारे मे यही धारणा बताई जाती है कहा भी जाता है "पुरुष बली नहि होत है समय होत बलवान"जो लोग समय को समझ कर चलते है वह किसी को दिक्कत भी नही देते और खुद भी दिक्कत का सामना नही करते है। भूतकाल पिता होता है तो वर्तमान काल खुद का जीवन होता है और भविष्य खुद की सन्तान का रूप होता है। अगर पिता ने अच्छे कर्म किये है तो खुद भी अच्छे जीवन को जियोगे और पिता के कर्मो का भोग प्राप्त करोगे लेकिन खुद ने जब कोई अच्छा काम नही किया तो कितनी ही अच्छी जिन्दगी जीने का हक मिले लेकिन सन्तान तो दुखी रहेगी उसे कोई रोक नही सकता है। यह संसार चक्की की तरह है और यह सामाजिकता बड के पेड की तरह से है सामाजिकता के नीचे यह संसार की चक्की चल रही है कहा भी है "चक्की चल रही बड के नीचे रस पीजा लांगुरिया" अब रस को पीकर कैसा चलना है वह सामाजिकता पर निर्भर करता है। जन्म हुआ है तो मरना भी होगा इसे कोई रोक नही सकता है जब सूर्य ने जन्म लिया है तो शनि भी जन्म लेगा जब शनि कुछ नही कर पायेगा तो अपने चेले राहु केतु से अपने कार्य को करवायेगा। शनि के साथ राहु मिलेगा तो उल्टे काम करवायेगा जो भी होगा वह केवल झूठ की दीवार पर खडा होगा और जिस दिन गुरु केतु की छाया उस दीवार पर आयी झूठ की दीवार पर खडा यह संसार धराशायी हो जायेगा। घमंड करना बेकार की बात है जो प्राप्त कर रहे हो वह अपने पूर्वजो के कर्मो से प्राप्त कर रहे हो अपनी अपनी तानी तो म के ऊपर लगी बिन्दी सीधी ड के नीचे आजायेगी और वही घमंड घमड. बन जायेगा और जैसे ही जीवन घमड. हुआ वैसे ही समझ लो कि घमंड का फ़ल मिलने लगा।
कभी भी एक ही ग्रह का आसरा नही पकडना चाहिये दिमाग मे जब बुरे भाव आने लगे तो सोचना चाहिये कि चन्दमा बुरे ग्रह के साथ है और कुंडली को देखकर समझ सकते हो तो समझ लो कि चन्द्रमा किस ग्रह के साथ या उस ग्रह की शक्ति के अन्दर अपना गोचर कर रहा है। अपने आप समझ मे आजायेगा कि कौन सा ग्रह खराब और कौन सा ग्रह अच्छा है। किसी भी सडी गली चीज से नफ़रत होना स्वाभिक है लेकिन वही सडी गली चीज कभी कभी मन को बहुत सुन्दर लगने लगती है जैसे भूख लगने पर फ़लो का सडा गला अचार कितना अच्छा लगता है। लडका अगर उद्दंड हो गया है बात को नही मानता है तो उसे प्रकृति के सहारे पर छोड कर चुप लगाना उचित होगा जैसे ही समय की मार लडके पर पडेगी वह अपने आप ही ठीक भी हो जायेगा और अपनी दुनियादारी भी बदल कर दो रंगी दुनिया का प्रभाव सामने कर देगा।

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