Saturday, October 6, 2012

विवाह और योनि भेद

विवाह एक पवित्र और सामाजिक बन्धन है। स्त्री के लिये पुरुष पूरक है और पुरुष के लिये स्त्री पूरक है। जैसे बिना खाई के पहाड की ऊंचाई नही नापी जा सकती है वैसे ही बिना स्त्री के पुरुष की उन्नति को नही जाना जा सकता है। जिस प्रकार से पानी के बिना नदी का आस्तित्व नही है वैसे ही पुरुष के बिना स्त्री का आस्तित्व नही है। एक ऋण है तो एक धन है बिना ऋण के धन के कोई महत्व नही है और बिना धन के ऋण को पूरा नही किया जा सकता है। लेकिन स्त्री धरती है तो पुरुष आसमान है। धरती का काम धारण करना है और पुरुष का काम धरती को अपने साये मे रखकर उसकी सुरक्षा करना है। गाय और स्त्री की मान्यता एक जैसी ही है,जिस समाज मे स्त्री की मान्यता नही होती है वह समाज या तो सामाजिक मूल्यों मे नगण्य है या पारिवारिक मर्यादा को हठधर्मी से जब चलाया जा सकता है चलता रहता है जिस दिन भी समय आता है समाज या परिवार बिखर जाता है।
ज्योतिष से जन्म के बाद स्त्री और पुरुष के प्रति योनि का आकलन किया जाता है। योनि का मतलब होता है कि जन्म लेने के बाद स्त्री या पुरुष किस योनि का व्यवहार आपसी सम्बन्धो को निभाने के प्रति करेगा। शादी विवाह के समय मे योनि का भेद भी ध्यान मे रखना जरूरी होता है,योनि भेद को समझने के बाद अगर विवाह का रूप प्रदान किया जाता है तो विवाह का चलना आजीवन सम्भव हो सकता है और योनि का समीकरण अगर जातक के साथ विवाह मे नही बैठ पाता है तो विवाह एक प्रकार से सामाजिक पवित्र बन्धन से दूर होता जाता है और कई प्रकार के कारण पैदा होने के बाद या तो विवाह टूट जाता है या विवाह को आजीवन ढोया जाता है।

समान योनि से विवाह करना एक प्रकार से बुद्धिमानी का काम होता है और वैवाहिक जीवन आजीवन चलता रहता है विपरीत योनि से विवाह करने का मतलब होता है शादी के पहले दिन से ही गृहस्थ जीवन मे तकरार शुरु हो जाना और आजीवन विवाह को या तो ढोया जाना या सम्बन्धो का टूट जाना।
चन्द्रमा की राशि और नक्षत्र के पाये से योनि भेद को देखा जाता है। योनि भेद का कारण मुख्य रूप से स्त्री पुरुष के आपसी रति सम्बन्धो के प्रति बहुत जरूरी है,रति क्रिया और रति क्रिया के बाद की सन्तुष्टि ही स्त्री पुरुष के सम्बन्धो को कालान्तर तक चलाने के लिये आवश्यक पहलू है। रति सम्बन्धो मे अगर किसी प्रकार की विविधिता मिलती है तो या तो स्त्री पुरुष से सन्तुष्ट नही हो पाती है या पुरुष स्त्री से सन्तुष्ट नही हो पाता है,और परिणाम में या तो स्त्री चिढचिढी हो जाती है या पुरुष को दुत्कारने का कारण शुरु कर देती है या अपने सम्बन्धो को रति क्रिया की सन्तुष्टि के लिये अन्य पुरुषों की तरफ़ आकर्षित होने लगती है यही कारण पुरुष के साथ बनता है और वह अपने रति क्रिया की सन्तुष्टि के लिये अन्यत्र अपनी खोज चालू कर देता है और सम्बन्धो मे दरार आने लगती है कुछ समय तो सामाजिकता को निभाने के लिये जीवन चलाया जाता है बाद मे वह सम्बन्ध या तो धर्म समाज नैतिकता से ढोया जाता है और जीवन भर एक ही द्रिष्टि से हेय रूप से देखा जाता रहता है।

मेष राशि के नामाक्षर चू चे चो ला का रूप अश्व योनि से मान्यता मे आता है,इस योनि के जातक अश्व योनि के अनुरूप अपनी रति क्रिया को चाहते है,स्त्री अधिक गहरी भावना को चाहती है और पुरुष अधिक गहराई तक जाने की भावना को चाहता है,विपरीत अवस्था मे या तो पुरुष स्त्री के लिये सम्पूर्ण नही हो पाता है या स्त्री पुरुष को झेल नही पाती है।
मेष राशि के ली लु ले लो नामाक्षर गज योनि से जोड कर देखे जाते है इस योनि से जुडे पुरुष मोटापे और रति क्रिया के लिये मद से पूर्ण हो जाते है और आक्रामक भी होते है,विपरीत अवस्था मे अधिक कामुकता का पैदा हो जाना और अनैतिक रति सम्बन्धो की तरफ़ जाना आदि बाते मानी जाती है।
मेष राशि के अ ई और वृष राशि के उ ए नामाक्षर को छाग यानी बकरी की योनि के रूप मे मान्यता दी गयी है इस योनि के जातक एक से अधिक और नयेपन की कल्पना मे रहते है कामुकता का अधिक होना तथा बार बार सम्बन्धो को बदल कर अपनी रति क्रिया को पूर्ण करना जीवन के कच्चेपन से ही योन सम्बन्धो की तरफ़ झुकाव हो जाना आदि बाते मानी जाती है।
वृष राशि के ओ वा वी वू वे वो तथा मिथुन राशि के क की नामाक्षर के जातक सर्प योनि से जुडे होते है अक्सर इस योनि के जातक एक ही जीवन साथी से जुड कर रहना चाहते है और गुप्त रूप से अपने योन सम्बन्धो को स्थापित करते है,जब भी इनके रति सम्बन्धो मे बाधक बनता है वह चाहे इनके लिये खास ही क्यों न हो इस योनि के लोग आक्रामक हो जाते है और अपने चाहे गये सम्बन्धो को प्राप्त करने के लिये अपने ही घर मे आग लगा सकते है। इस योनि के जातक अपने जीवन साथी के लिये अपनी आहुति दे सकते है तथा अपने जीवन साथी के जीवन पर कष्ट नही आने देते है। अगर इनके साथ बलात रति सम्बन्धो के मामले मे कोई कारण पैदा किया जाये तो यह अपनी जान भी दे सकते है या जान भी ले सकते है। लम्बे वैवाहिक जीवन के लिये इस योनि के जातक अपनी मर्यादा को पूरी तरह से निभाते देखे जाते है।
मिथुन राशि के कू घ ड. छ नामाक्षर वाले जातक स्वान योनि से यानी कुत्ते की योनि से जोड कर देखे जाते है। इस योनि के जातक अपने एक क्षेत्र विशेष से बन्धे होते है,तथा अपनी ही श्रेणी के प्रति आकर्षित भी होते है किसी भी कारक को जाने बिना उससे उलझने की कोशिश करते है साथ ही अपने ही क्षेत्र के लोगो के बारे मे जानने की उत्सुकता और उम्र आदि का कोई लिहाज नही रखकर अपनी कामुकता की शांति के लिये गुप्त प्रयास देखे जाते है। इनका स्वभाव केवल अपनी काम शांति तक ही सीमित होता है उसके बाद अपनी परिवार की जिम्मेदारी से इन्हे कोई लेना देना नही होता है स्त्रियां भी अपने बच्चो के प्रति उतनी ही जिम्मेदार होती जबतक कि वे अपने पैरो पर खडे नही हो जाते है.एक समय विशेष मे इस योनि मे पैदा होने वाले जातको की कामुकता अधिक बढती है। परिवारिक जीवन केवल आदेश से चलता है और कोई बलवान आदेश देने वाला है और समझ कर घर को चलाने वाला है तो इस योनि के जातक अपनी जिम्मेदारी को पूरा करते है नही तो भगवान भरोसे पारिवारिक जीवन चलता रहता है।
मिथुन राशि के के को और कर्क राशि के ह ही अक्षर वाले लोग मार्जार यानी बिल्ली की योनि से अपने जीवन को लेकर चलने वाले होते है। बच्चे पैदा होने तक इस योनि के जातक एक ही स्थान पर टिक कर रहते है जैसे ही बच्चे पैदा हुये और इस योनि वाले जातको का स्थान बदलने का कारण शुरु हो जाता है।
इसी प्रकार से मूषक (चूहा) गौ (गाय) महिष (भैंस) व्याघ्र (चीता) मृग (हिरन) वानर (बन्दर) नकुल (नेवला) सिंह (शेर) आदि योनियो का भेद समझा जा सकता है.


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16 comments:

  1. गुरु जी को सादर प्रणाम. योनियों का ऐसा सूक्ष्मतम भेद बताना आप ही के बस की बात है.

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  2. मूषक (चूहा) गौ (गाय) महिष (भैंस) व्याघ्र (चीता) मृग (हिरन) वानर (बन्दर) नकुल (नेवला) सिंह (शेर) आदि योनियो का भेद भी विस्तार पूर्वक बताने का कष्ट करें। धन्यवाद

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    1. मेष का क्या होगा.
      या बिलाव योनि किसको कहते है.. ?

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  3. उदर योनि से क्या आशय है कृपया बताने का कष्ट करें

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  4. मूषक वर्ग और सर्प वर्ग का विवाह कैसा रहेगा

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  5. व्याघ्र और महिषा का बिबाह कैसा रहेग।

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  6. मूषक वर्ग और सर्प वर्ग का विवाह कैसा रहेगा

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  7. Shih our gaj yoni ka sambandh kaisa rhe btaye

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  8. उदर योनि से क्या आशय है कृपया बताने का कष्ट करें

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  9. नकुल और व्याघ्र योनि का कैसा मिलन ही जी

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  10. Ashav for male aur Mrig for female...vivah kesa rahega

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