जब कुंडली मे सभी ग्रह एक तीन नौ और दसवे भाव मे इकट्ठे हो जायें तो गगन लहरी योग का निर्माण हो जाता है। ऐसा जातक गेंद की तरह से सारी उम्र एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता रहता है और एक गेंद की भांति उसका आस्तित्व एक स्थान पर नही बन पाता है। प्रस्तुत कुंडली मे सूर्य बुध पहले भाव मे है बुध आदित्य योग का निर्माण तो हो रहा है लेकिन बुध के वक्री होने पर वह खुद के द्वारा आदेश से काम नही करवा कर दूसरे के आदेश से काम करने वाला होता है,वह खुद कानूनो का पालन नही करने के बाद दूसरो को कानून का पालन करने का आदेश देता है,वह दूसरो को केवल कुछ शब्दो में सुनता है और उसका जबाब विस्तृत रूप मे लोगो को देता है,अक्सर कन्या संतान या बहिन बुआ से बनती नही है या होती ही नही है। पिता का कानूनी मामले मे या समाज संगठन मे वर्चस्व रहा होता है,पिता के खुद के लोग ही जड काटने के लिये माने जाते है पिता का कानून से काम करवाना या कानून का पालन करवाना या धन आदि के मामले मे दूसरो की सहायता करना और एक समय मे उसी धन आदि के लिये दूसरो पर कानून का इस्तेमाल करना आदि भी पाया जाता है। इस प्रकार के जातक अक्सर बोलने के लिये कार्य करने के लिये स्थान स्थान पर यात्रा करते रहते है,अक्सर राहु जिस ग्रह के साथ या जिस भाव मे होता है जातक को उसी क्षेत्र मे अपने नाम और यश कमाने के लिये योग्यता का निर्माण करना पडता है,या तो जातक मानसिक रूप से अपने को आकासीय कारणो मे विचरण करने के लिये माना जाता है या किसी प्रकार मीडिया या सम्पादन मे छुपे भेद खोलने के लिये काम करना पडता है या फ़िर यात्रा आदि के कामो मे उसे लगातार लगा रहना होता है नवे भाव के ग्रहो के अनुसार उसे अपने जीवन को चलाना पडता है,अगर नवे भाव मे कानून या धर्म से सम्बन्धित ग्रह होते है तो कानून और धर्म आदि के बारे मे बाते करता है और उन्ही के द्वारा कन्ट्रोल होकर चलने के लिये मजबूर होता है,इस कुंडली मे गुरु के वक्री होने पर जातक को अपने देश या माहौल से दूर रहकर दूसरे देश या माहौल के लिये ही काम करना होगा,एक समस्या या एक कारण को कई रूप मे विवेचन करने के लिये उसे काम करना होगा,उसे काम करने का एक संयत क्षेत्र नही मानना होगा वह केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति तक ही काम करेगा,इसके अलावा वह राहु के मीन राशि मे और शनि तथा शुक्र के साथ होने से विश्व की तीन बडी कम्पनियों के सानिध्य मे उन्ही के आदेश से अपने जीवन को निकालने वाला होगा। उसके खरी बोलने की आदत को यही काम करने वाली कम्पनिया या विचार राहु शनि शुक्र के रूप मे मंगल और चन्द्रमा को कन्ट्रोल करेंगे जैसे इस जातक के दसवे भाव मे मंगल और चन्द्रमा है जो जातक के लिये बेलेन्स बनाकर तकनीकी काम करने के लिये अपनी युति को देते है लेकिन जातक राहु शनि और शुक्र की युति से अपने खरे बोलने के प्रभाव को खुद के लिये व्यापारिक नीति से काम करने के लिये अपनी युति को प्रदान करने के बाद कन्ट्रोल करने के लिये माना जायेगा। अगर जातक किसी प्रकार के छोटी यात्रा वाले काम करता है या किसी प्रकार से किसी ऐसे संस्थान के लिये काम करता है जो दूसरो को कुछ समय के लिये या हमेशा के लिये बन्धन वाले या कानूनी कारण पैदा करते है उनके ऊपर भी ऊपर का अंकुश उसे अपने मर्जी से काम नही करने देगा। जातक को पैदा होने से लेकर मृत्यु पर्यंत तक इधर से उधर ही रहना होगा या आना जाना पडेगा। किसी भी प्रकार से उसे विदेश आदि जाने मे दिक्कत नही होगी,जहां लोग विदेश आदि मे जाने के लिये तमाक कानूनी कार्यवाही मे उलझे रहेंगे जातक एक ही प्रयास मे विदेश आदि जाने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग करने के माना जायेगा।
No comments:
Post a Comment