कुंडली का बारहवां भाव जीवन के सपने बुनता है वह सपने दिन के भी हो सकते है और रात के भी हो सकते है.चलते फ़िरते भी हो सकते है और बैठे ठाले हो भी हो सकते है यात्रा मे भी हो सकते है और धार्मिक स्थानो की यात्रा करने पर भी हो सकते है.लम्बी यात्रा मे भी हो सकते है और आखिरी नींद लेने मे भी हो सकते है। हकीकत मे देखा जाये तो जीवन को बनाने बिगाडने के लिये स्वपनो की बहुत बडी भूमिका होती है। बारहवे भाव मे चन्द्रमा के गोचर के अनुसार सपने बुने जाते है और उस समय अगर सो रहे होते है तो सपने अच्छे भी होते है नींद भी अच्छी ला सकते है और रात को जगाकर बैठा भी सकते है,कभी कभी यात्रा करने पर और ड्राइवरी करते वक्त भी इन्ही सपनो की वजह से दुर्घटना भी होती है और उसी दुर्घटना के कारण जेल जैसी सजा भी होती है। हकीकत मे देखा जाये तो बारहवा भाव बन्धन का होता है वह मुक्त आकाश के बारे मे सोच सकता है लेकिन मुक्त आकाश मे विचरण नही कर सकता है। इसका कारण भी एक प्रकार से चौथे और आठवे भाव के मोह से बन्धा होना भी माना जाता है तथा दूसरे भाव के अनुसार अपने को समाज मे दिखाने के लिये भी माना जाता है पंचम से कई तरह की घर परिवार समाज एक दूसरे की सहमति और आज के जमाने मे प्रेम करने लव करने और एक विचित्र प्रकार की सोच जो कभी सोची भी नही गयी हो और देखी भी नही गयी हो के बारे मे भी होता है। अक्सर मनोरंजन के समय मे जब तक बारहवे भाव की भूमिका को फ़िल्मी कलाकार टीवी सीरियल वाले सोच कर नही बनाते है तब तक वह सीरियल और फ़िल्म आदि सफ़ल भी नही होती है जब ग्रह बारहवे भाव से अपने को जोड कर चलता है तो जभी उस फ़िल्म या सीरियल का चलना माना जाता है जैसे ही कालपुरुष की कुंडली के अनुसार बारहवे भाव का ग्रह नीचे या ऊपर चला जाता है उसी समय से वह फ़िल्म सीरियल आदि सफ़ल और असफ़ल आदि के मामले मे देखे जाते है जब कोई अटल ग्रह बारहवे भाव मे होता है तो कार्य हमेशा के लिये याद करने के लिये मान लिये जाते है जो मनोरंजन की कीमत को देने मनोरंजन को द्रिष्टि मे रह्कने और मनोरंजन के मानसिक रूप से देखे जाने के लिये माने जाते है।
केतु शनि को अक्सर मिलाकर देखा जाये तो जातक को वह भाव और राशि के अनुसार तथा पडने वाले ग्रहो की छाया के अनुसार कार्य करने के लिये दर्जी जैसे पैबन्दो को जोड कर एक नया नाम वाला वस्त्र बनाने जैसा होता है वही हाल अक्सर देखा जाता है जब एक कम्पनी वाला कई प्रकार के कस्टमर को जोड कर एक नई कम्पनी को खडी कर देता है या किसी प्रकार से कई कारको को मिलाकर एक उपयोगी कारकत्व वाली वस्तु को बना देता है। उपरोक्त कुंडली मे केतु शनि का स्थान तीसरे भाव मे है और तुला राशि मे है,तुला राशि एक प्रकार से बेलेन्स बनाने की कला मे भी जानी जाती है और व्यापार के लिये भी देखी जाती है जो व्यक्ति बेलेन्स करने के बाद बोलना जानता है और अन्य लोगो की तुलना मे अपने उत्पादन को प्रदर्शित करने के मामले मे वह अगर कम्पीटर के उत्पादन की विवेचना करने मे माहिर होता है तो वह अपने उत्पादन को कम्पटीटर के उत्पाद के आगे बेच कर आजाता है साथ ही वह अगर वह किसी बहुत ही शक्तिशाली ग्रह के फ़ेर मे होता है तो कम्पटीटर का सामान भले ही बहुत अच्छा हो उसके आगे कोई खरीद भी नही सकता है और इस प्रकार के व्यक्ति से लिया गया सामान ही पसंद करता है। चाहे वह बीच मे अपनी चालाकी से अन्य उत्पादनो को भी उसी की श्रेणी मे बेलेन्स करने के बाद बेचने के बाद ही क्यों न गया हो। केतु शनि को देखने वाले ग्रह बारहवे भाव का मंगल है जो नीच राशि मे है और नीचता का फ़ल देने के लिये भी माना जा सकता है,अक्सर यह भी देखा जाता है कि बारहवे भाव का मंगल अगर नीच का है तो वह पिछले जन्म मे जरूर किसी के द्वारा मारे जाने के बाद दुबारा से जन्मा है और अपनी स्थिति को बनाकर पिछले जन्म के बदले को पूरा करने के लिये अपनी योग्यता आदि से दंड आदि देने के लिये भी अपनी योग्यता को रखने वाला हो सकता है इस मंगल के साथ सूर्य के होने से भी जातक को सरकार का बल मिल जाता है या किसी प्रकार की राजनीति का बल भी मिल जाता है,जो जातक को किसी भी क्षेत्र मे अस्पताली कारणो मे अथवा उन संस्थानो के लिये जो सरकारी रूप से गृह रक्षा के लिये प्रयोग मे लाये जाते है अथवा तब जब जातक जेल संस्थान बडे अस्पताल जैसे संस्थान जनता से जुडे वायु सम्बन्धी संस्थान आदि के लिये भी अपनी युतिको देने वाला होता है यह केतु शनि पर बल देने के कारण तथा शनि की दसवी पूर्ण द्रिष्टि से बेधित होने के कारण भी मंगल के अन्दर एक प्रकार से व्यवसायी नीति का बनना माना जा सकता है।
कर्क राशि का मंगल सूर्य के साथ होने से तब और अधिक कारगर हो जाता है जब वह किसी प्रकार से गुरु से उसे देखा जा रहा हो,इस कुंडली मे एक जातक हरदोई उत्तर प्रदेश से अपने बारे मे जानना चाहता है कि क्या वह सरकारी नौकरी मे सफ़ल हो सकता है,इस बात के लिये पहले उसके कार्य के मालिक को देखने पर पता चलता है कि चन्द्रमा से दसवे भाव का मालिक सूर्य होने से और सूर्य पर मकर के गुरु की नजर होने से जो वक्री है से जातक को सरकारी नौकरी तो मिलेगी लेकिन मंगल के कार्य के बाद,कारण मंगल का होना पुष्य नक्षत्र के दूसरे पाये मे है जिसका स्वामी शुक्र है और उसी नक्षत्र मे सूर्य के होने से जो तीसरे पाये मे है का स्वामी चन्द्रमा है,शनिका असर दोनो ही ग्रहों पर है और शनि की द्रिष्टि भी है एक तो द्रिष्टि बल से भी है दूसरे नक्षत्र बल से भी है और तीसरे गुरु के द्वारा दिये जा रहे बल से भी मानी जा सकती है। अक्सर यह भी ध्यान मे आना चाहिये कि गुरु वक्री होकर छ्ठे भाव मे है और गुरु को इस स्थान मे कमजोर इसलिये माना जा सकता है कि एक तो कालपुरुष की कुंडली के अनुसार वह बुध के घर मे है दूसरे राशि के अनुसार वह शनि के घर मे है और तीसरे नीच के मंगल की द्रिष्टि है तथा शनि केतु से चौथी और राहु से दसवी द्रिष्टि से भी गुरु को प्रताणित किया जा रहा है लेकिन इन सब कारको के होने के बाद भी गुरु अपने स्थान पर बहुत बली इसलिये हो गया है कि गुरु वक्री अगर नीच राशि मे है तो वह उच्च का फ़ल देने लगता है गुरु अगर बुध या शत्रु के साथ वक्री हो जाता है तो भी वह उच्च का फ़ल देने लगता है साथ ही किसी प्रकार से अगर वह त्रिक स्थान मे भी है तो भी उसके बल के अन्दर कोई कमी नही आती है बल्कि वह जिस भी भाव मे बैठता है उसके लिये विपरीत राजयोग का कारण भी पैदा कर देता है।
चन्द्रमा जब अपने ही भाव मे हो और वह किसी भी राशि मे हो अपने ही भाव का फ़ल प्रदान करेगा,जैसे इस कुंडली मे चन्द्रमा वृश्चिक राशि मे है और वह तरल पदार्थों की उपस्थिति का विवेचन करता है,साथ ही मंगल और सूर्य की नवम पंचम की योगात्मक नजर चन्द्रमा के साथ है इसलिये यह चन्द्रमा गंदा पानी या कुये का पानी नही होकर चिकित्सा मे प्रयोग किया जाने वाला पानी ही माना जायेगा,इस जातक के द्वारा फ़ार्मा की डिग्री भी ली गयी है और यह अपने प्रयास से फ़ार्मा कम्पनी मे सेल्स मे भी काम कर रहा है लेकिन यह सेल्स का काम उसे रास इसलिये नही आ रहा है क्योंकि शनि अपनी कालगति के अनुसार उसी राशि मे आ गया है जहां से उसके जन्म के समय मे था। इस गति मे जातक के लिये अन्य ग्रहो का सहायता देने वाला कारण भी माना जा सकता है मंगल और सूर्य के द्वारा अपने आगे सूर्य की ही रासि और लगन से बजाय किसी कारक के केवल व्यक्ति के शरीर को ही उन्नतशील बनाने का कारण भी माना जा सकता है के लिये अपनी युति को प्रदान करने वाला माना जा सकता है। इस नीच राशि के वक्री गुरु ने अपने प्रभाव से सूर्य को भी बली बना दिया है जो साज सज्जा से पूर्ण और जन सुरक्षा के अधिकारी के रूप मे बैठा कर जातक को उन्नति देने के लिये भी अपनी युति को प्रदान कर रहा है तो मंगल की उम्र मे वह जातक को चिकित्सीय कार्यों के लिये भी अपनी ज्ञान वाली बात को पैदा कर रहा है। सन दो हजार पांच से जातक के लिये इस शनि ने भी अपनी युति को देकर चिकित्सा वाले कारणो मे जाने के लिये अपनी कार्य शक्ति का दिया जाना माना जा सकता है तो जातक को आगे की उन्नति के लिये भी शनि ने सूर्य के साथ अपनी युति बनाकर जातक के मन मे एक सपना बुना है कि वह एक बडा अधिकारी बनकर जनता के लिये उसकी जीवन रक्षा के लिये कोई जिम्मेदारी वाले कामो को करे.यह शनि जातक के लिये आने वाले नवम्बर दो हजार बारह के समय मे सूर्य के साथ युति देकर आगे बढाने का कार्य और पबलिक सर्विस की नौकरी मे ले जाने के लिये अपनी योग्यता को प्रदान करेगा।
राहु कुंडली के अन्दर गलत फ़ल को देने वाला है और केतु भी राहु क इशारे से अपने कारणो को बदलने के लिये भी माना जा सकता है नवे भाव मे राहु पूर्वजो के आशीर्वाद से ही आगे बढता है साथ ही नवे भाव मे राहु के होने से और जातक के बारहवे भाव मे मंगल सूर्य की युति होने के कारण जातक के पिता परिवार वाले जो एक पिता की संतान होने के बाद किसी प्रकार से अपनी अहम की प्रणाली से दूर होने और किसी धर्म स्थान या इसी प्रकार के कारणो को आधुनिकता की अहम वाली श्रेणी मे आने के बाद राहु को भूल चुके है जो उनके लिये पूर्वजो का कारक माना जाता है,यह राहु अपनी नजर से जातक के लिये आने वाले अगस्त के महिने से अपनी भ्रम वाली नीति को देना शुरु कर देगा तथा परिवार या अपने ही घर मे अचानक हादसो का कारण भी देगा अगर जातक अपने पूर्वजो के प्रति उपाय कर लेता है या करवा लेता है तो जातक को राजकीय सेवा से कोई नही रोक सकता है। (नीचे अपने विचार भी प्रस्तुत करें)
केतु शनि को अक्सर मिलाकर देखा जाये तो जातक को वह भाव और राशि के अनुसार तथा पडने वाले ग्रहो की छाया के अनुसार कार्य करने के लिये दर्जी जैसे पैबन्दो को जोड कर एक नया नाम वाला वस्त्र बनाने जैसा होता है वही हाल अक्सर देखा जाता है जब एक कम्पनी वाला कई प्रकार के कस्टमर को जोड कर एक नई कम्पनी को खडी कर देता है या किसी प्रकार से कई कारको को मिलाकर एक उपयोगी कारकत्व वाली वस्तु को बना देता है। उपरोक्त कुंडली मे केतु शनि का स्थान तीसरे भाव मे है और तुला राशि मे है,तुला राशि एक प्रकार से बेलेन्स बनाने की कला मे भी जानी जाती है और व्यापार के लिये भी देखी जाती है जो व्यक्ति बेलेन्स करने के बाद बोलना जानता है और अन्य लोगो की तुलना मे अपने उत्पादन को प्रदर्शित करने के मामले मे वह अगर कम्पीटर के उत्पादन की विवेचना करने मे माहिर होता है तो वह अपने उत्पादन को कम्पटीटर के उत्पाद के आगे बेच कर आजाता है साथ ही वह अगर वह किसी बहुत ही शक्तिशाली ग्रह के फ़ेर मे होता है तो कम्पटीटर का सामान भले ही बहुत अच्छा हो उसके आगे कोई खरीद भी नही सकता है और इस प्रकार के व्यक्ति से लिया गया सामान ही पसंद करता है। चाहे वह बीच मे अपनी चालाकी से अन्य उत्पादनो को भी उसी की श्रेणी मे बेलेन्स करने के बाद बेचने के बाद ही क्यों न गया हो। केतु शनि को देखने वाले ग्रह बारहवे भाव का मंगल है जो नीच राशि मे है और नीचता का फ़ल देने के लिये भी माना जा सकता है,अक्सर यह भी देखा जाता है कि बारहवे भाव का मंगल अगर नीच का है तो वह पिछले जन्म मे जरूर किसी के द्वारा मारे जाने के बाद दुबारा से जन्मा है और अपनी स्थिति को बनाकर पिछले जन्म के बदले को पूरा करने के लिये अपनी योग्यता आदि से दंड आदि देने के लिये भी अपनी योग्यता को रखने वाला हो सकता है इस मंगल के साथ सूर्य के होने से भी जातक को सरकार का बल मिल जाता है या किसी प्रकार की राजनीति का बल भी मिल जाता है,जो जातक को किसी भी क्षेत्र मे अस्पताली कारणो मे अथवा उन संस्थानो के लिये जो सरकारी रूप से गृह रक्षा के लिये प्रयोग मे लाये जाते है अथवा तब जब जातक जेल संस्थान बडे अस्पताल जैसे संस्थान जनता से जुडे वायु सम्बन्धी संस्थान आदि के लिये भी अपनी युतिको देने वाला होता है यह केतु शनि पर बल देने के कारण तथा शनि की दसवी पूर्ण द्रिष्टि से बेधित होने के कारण भी मंगल के अन्दर एक प्रकार से व्यवसायी नीति का बनना माना जा सकता है।
कर्क राशि का मंगल सूर्य के साथ होने से तब और अधिक कारगर हो जाता है जब वह किसी प्रकार से गुरु से उसे देखा जा रहा हो,इस कुंडली मे एक जातक हरदोई उत्तर प्रदेश से अपने बारे मे जानना चाहता है कि क्या वह सरकारी नौकरी मे सफ़ल हो सकता है,इस बात के लिये पहले उसके कार्य के मालिक को देखने पर पता चलता है कि चन्द्रमा से दसवे भाव का मालिक सूर्य होने से और सूर्य पर मकर के गुरु की नजर होने से जो वक्री है से जातक को सरकारी नौकरी तो मिलेगी लेकिन मंगल के कार्य के बाद,कारण मंगल का होना पुष्य नक्षत्र के दूसरे पाये मे है जिसका स्वामी शुक्र है और उसी नक्षत्र मे सूर्य के होने से जो तीसरे पाये मे है का स्वामी चन्द्रमा है,शनिका असर दोनो ही ग्रहों पर है और शनि की द्रिष्टि भी है एक तो द्रिष्टि बल से भी है दूसरे नक्षत्र बल से भी है और तीसरे गुरु के द्वारा दिये जा रहे बल से भी मानी जा सकती है। अक्सर यह भी ध्यान मे आना चाहिये कि गुरु वक्री होकर छ्ठे भाव मे है और गुरु को इस स्थान मे कमजोर इसलिये माना जा सकता है कि एक तो कालपुरुष की कुंडली के अनुसार वह बुध के घर मे है दूसरे राशि के अनुसार वह शनि के घर मे है और तीसरे नीच के मंगल की द्रिष्टि है तथा शनि केतु से चौथी और राहु से दसवी द्रिष्टि से भी गुरु को प्रताणित किया जा रहा है लेकिन इन सब कारको के होने के बाद भी गुरु अपने स्थान पर बहुत बली इसलिये हो गया है कि गुरु वक्री अगर नीच राशि मे है तो वह उच्च का फ़ल देने लगता है गुरु अगर बुध या शत्रु के साथ वक्री हो जाता है तो भी वह उच्च का फ़ल देने लगता है साथ ही किसी प्रकार से अगर वह त्रिक स्थान मे भी है तो भी उसके बल के अन्दर कोई कमी नही आती है बल्कि वह जिस भी भाव मे बैठता है उसके लिये विपरीत राजयोग का कारण भी पैदा कर देता है।
चन्द्रमा जब अपने ही भाव मे हो और वह किसी भी राशि मे हो अपने ही भाव का फ़ल प्रदान करेगा,जैसे इस कुंडली मे चन्द्रमा वृश्चिक राशि मे है और वह तरल पदार्थों की उपस्थिति का विवेचन करता है,साथ ही मंगल और सूर्य की नवम पंचम की योगात्मक नजर चन्द्रमा के साथ है इसलिये यह चन्द्रमा गंदा पानी या कुये का पानी नही होकर चिकित्सा मे प्रयोग किया जाने वाला पानी ही माना जायेगा,इस जातक के द्वारा फ़ार्मा की डिग्री भी ली गयी है और यह अपने प्रयास से फ़ार्मा कम्पनी मे सेल्स मे भी काम कर रहा है लेकिन यह सेल्स का काम उसे रास इसलिये नही आ रहा है क्योंकि शनि अपनी कालगति के अनुसार उसी राशि मे आ गया है जहां से उसके जन्म के समय मे था। इस गति मे जातक के लिये अन्य ग्रहो का सहायता देने वाला कारण भी माना जा सकता है मंगल और सूर्य के द्वारा अपने आगे सूर्य की ही रासि और लगन से बजाय किसी कारक के केवल व्यक्ति के शरीर को ही उन्नतशील बनाने का कारण भी माना जा सकता है के लिये अपनी युति को प्रदान करने वाला माना जा सकता है। इस नीच राशि के वक्री गुरु ने अपने प्रभाव से सूर्य को भी बली बना दिया है जो साज सज्जा से पूर्ण और जन सुरक्षा के अधिकारी के रूप मे बैठा कर जातक को उन्नति देने के लिये भी अपनी युति को प्रदान कर रहा है तो मंगल की उम्र मे वह जातक को चिकित्सीय कार्यों के लिये भी अपनी ज्ञान वाली बात को पैदा कर रहा है। सन दो हजार पांच से जातक के लिये इस शनि ने भी अपनी युति को देकर चिकित्सा वाले कारणो मे जाने के लिये अपनी कार्य शक्ति का दिया जाना माना जा सकता है तो जातक को आगे की उन्नति के लिये भी शनि ने सूर्य के साथ अपनी युति बनाकर जातक के मन मे एक सपना बुना है कि वह एक बडा अधिकारी बनकर जनता के लिये उसकी जीवन रक्षा के लिये कोई जिम्मेदारी वाले कामो को करे.यह शनि जातक के लिये आने वाले नवम्बर दो हजार बारह के समय मे सूर्य के साथ युति देकर आगे बढाने का कार्य और पबलिक सर्विस की नौकरी मे ले जाने के लिये अपनी योग्यता को प्रदान करेगा।
राहु कुंडली के अन्दर गलत फ़ल को देने वाला है और केतु भी राहु क इशारे से अपने कारणो को बदलने के लिये भी माना जा सकता है नवे भाव मे राहु पूर्वजो के आशीर्वाद से ही आगे बढता है साथ ही नवे भाव मे राहु के होने से और जातक के बारहवे भाव मे मंगल सूर्य की युति होने के कारण जातक के पिता परिवार वाले जो एक पिता की संतान होने के बाद किसी प्रकार से अपनी अहम की प्रणाली से दूर होने और किसी धर्म स्थान या इसी प्रकार के कारणो को आधुनिकता की अहम वाली श्रेणी मे आने के बाद राहु को भूल चुके है जो उनके लिये पूर्वजो का कारक माना जाता है,यह राहु अपनी नजर से जातक के लिये आने वाले अगस्त के महिने से अपनी भ्रम वाली नीति को देना शुरु कर देगा तथा परिवार या अपने ही घर मे अचानक हादसो का कारण भी देगा अगर जातक अपने पूर्वजो के प्रति उपाय कर लेता है या करवा लेता है तो जातक को राजकीय सेवा से कोई नही रोक सकता है। (नीचे अपने विचार भी प्रस्तुत करें)
guru ji is jatak ke liye mangal aur rahu ka upay bhi batayen
ReplyDeleteGuru ji mera janma 27-01-1974 ko subah ke 8:45 am Jaunpur UP me hua hai, mai is samay koi naya rojgar ki talash me hun, kya karun samajh me nahi aa raha hai, please guid karen
ReplyDeleteआशू जी मंगल और राहु के लिये सबसे अच्छा उपाय इस प्रकार से है :-
ReplyDeleteजातक साउथ फ़ेस मकान मे नहे रहे.
जब भी जातक भोजन करने बैठे,ग्रास निकाल कर एक तरफ़ रख दे और भोजन के बाद हाथ धोकर ग्रास को मनुष्य कृत जानवरों को खिला दे.
घर की सम्पत्ति मे हस्तांतरण के मामले मे क्लेश नही करे.
अधिक अस्पताली कारण बनने पर अस्पतालो मे ब्ल्ड डोनेट करना शुरु कर दे.
आग लगने या एक्सीडेन्ट के कारण बनने पर गरीबो में मुफ़्त मे भोजन बांटना शुरु कर दे.
गले में लाल मूंगा पहिने और नीले कपडों से परहेज करे.
विश्वास जी आपके पिताजी की कुंडली मे मंगल नीच राशि मे तो है लेकिन वह वक्री हो गया है वक्री मंगल नीच का होकर उच्च का फ़ल देना शुरु कर देता है साथ ही राहु को सम्भालने की हिम्मत इसलिये भी हो जाती है क्योंकि मंगल का स्वभाव तकनीकी होने और राहु को शक्ति के रूप मे मानने के कारण वह तकनीकी रूप से शक्तियों को सम्भालने का आदी हो जाता है साथ ही इस मंगल वाला व्यक्ति हमेशा बोलने मे खरा कार्य मे खरा और कमन्यूकेशन या इंजीनियर वाले कामो अथवा किसी प्रकार से बडे समुदाय का मुखिया भी बन जाता है,जहां पर मुशीबत होती है या पिशाच शक्तियों का कारण बनता है आपके पिताजी को पूर्व आभासित हो जाता है.
ReplyDeleteसंदीप जी आपकी कुंडली के अनुसार मंगल कार्य का भी मालिक है और पराक्रम का भी मालिक है,मंगल को ग्यारहवे भाव का राहु भी बल दे रहा है,लेकिन तकनीकी कारण जानने और वाणी विश्लेषण करने के कारण अथवा मीडिया या किसी नेटवर्किंग का अच्छा ज्ञान होने के कारण ज्योतिष पराशक्ति और लोगों को शिक्षा देने के मामले मे अग्रणी करने के लिये अपनी शक्ति को देता है,वर्तमान मे राहु कार्य भाव मे गोचर कर रहा है,इस भाव मे गोचर करने के करण अक्सर जो भी कार्य होते है वह स्टोर करने वाले होते है और जो भी स्टोर हो जाता है वह कबाडा सा लगता है लेकिन आने वाली जनवरी के महिने से यही राहु मंगल से अपनी युति लेकर बहुत अधिक लाभकारी हो जायेगा.वैसे चौदह अपरैल से भी कोई अच्छी खबर कार्य के मामले मे मिलती है.
ReplyDeleteguru ji agar moonga ki ring pehni jaye
ReplyDeleteis jatak ko kaun se gemstones helpful honge
ReplyDeleteविश्वास जी राहु मंगल की युति चार आठ बारह मे जेल जैसा माहौल भी देती है और बन्धन योग भी जेल जैसे कारणो से बनता है,कारण राहु जब अष्टम मे होता है और वह बारहवे भाव मे शनि या मंगल से अपनी युति को लेता है तो पिछले समय में राहु ने गोचर से नवे भाव की मर्यादा को कनफ़्यूजन से कैसे भी तोडा होता है इसलिये यह बन्धन योग को देकर जो गल्ती की है उसके लिये सोचने और आगे से भूल नही करने के लिये अपने मार्ग दर्शन को देता है.
ReplyDeleteआशू जी मूंगा मंगल के कमजोर होने पर पहिना जाता है मंगल जब मजबूत होता है तो शनि का उपाय किया जाता है और शनि का रत्न पहिना जाता है.
ReplyDeleteविश्वास घर के मामले मे रहने वाले स्थान के मामले मे यात्रा के मामले मे यात्रा से सम्बन्ध रखने के समय मे ठहरने के मामले मे अस्पताली मामले मे पैत्रिक जायदाद में हिस्सा आदिके मामले मे ध्यान रखना जरूरी है.इसी प्रकार से बिजली पेट्रोल आदि के मामले मे ध्यान रखना जरूरी है.
ReplyDeleteto is jatak ko moonga dharan karna hai?
ReplyDeleteतत्व की कमी को पूरा करने के लिये रत्न का सहारा लिया जाता है,मंगल के साथ सूर्य भी है और मंगल का साथ उसकी ही राशि से चन्द्रमा भी नवम पंचम का योग बनाकर दे रहा है.इसलिये मंगल बहुत बली हो गया है,साथ ही बारहवे भाव मे जाकर जो राहु का घर भी मंगल की शाखाओं मे भी वृद्धि हो गयी है,जातक को सीने की गर्मी से बचने के लिये लगातार की सोच मे कमी करनी है,घरेलू कलह से बचने के लिये अपने को निर्माण कार्यों मे लगाना है,अपनी स्थिति को ठंडा करने के लिये शनि को साथ मे लेना है.
ReplyDeleteto guru ji is jatak ko kya karna chahiye..............please short me batayen...........kaun sa gemstone ?,,,,,,,,,, please
ReplyDeleteआशू जी जातक को नीलम को पहिनना ठीक होगा,इसी के साथ आपसे विश्वास जी और सन्दीप जी से भी निवेदन है कि इस ब्लाग के "नेट्वर्क फ़ोलोअर भी बने जिससे यह अपने आप ही अन्य सोसियल साइट के साथ जुड सके.धन्यवाद
ReplyDeleteNAMSTE GURUJI,
ReplyDeleteMERA NAME KAMLESH HAI, MERI DOB 7 DEC 1987, TIME -11.15 AM MORNING,PLACE BARODA,GUJARAT.
ACHARYA JI MUJE JANNA HAI KI MERI KUNDLI ME GOVERNMENT JOB KE YOG HAI? AUR MERI KUNDLI ME SHANIDEV 11TH HOUSE ME HAI AUR SHATRU RASI ME HAI, LEKIN UNKI 3RD DRASTI MAKAR RASI PAR HI PADTI HAI TO ISS TIME SHANI DEV KE KYA FAL HOGA. MUJE SHANI DEV KE RELATED DAN KARNA CHAHIYE KE NAHI? PLEASE GURUJI MUJE BATAYE?? DHANYVAD.
aur muje kon sa ratan pahenna chahiye?
DeleteGuru ji agar ye jatak koi business Karna chahe to success hone ke liye kya kare
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ReplyDeleteRamendra Sir mujhe apke Jawab Bahaut sateek lage... Please mere bare mein bhi baatayein. DOB 15.09.1979...TIME 7.34 AM... PLACE JALANDHAR.... SIR KAFI MUSHKIL TIME CHAL RHA HAI.... PLEASE KOI UPAY BATAYEIN...5 GREH 12th HOUSE MEIN HAI AUR MANGAL AUR SHUKRA DONE NEECH Ke Hai... Please abhi ke Tym ke like KOI UPAY BATAYEIN sir
ReplyDeleteगुरु जी प्रणाम मेरी एक बेटी है जिसका नाम मानसी शुक्ल है
ReplyDeleteजनम दिन 13 अक्टूबर २००८ है
समय ५बज्कर ४५ मिनट है
दिन सोमवार
इस के बारे में कुछ बताये
गुरु जी प्रणाम मेरी बच्चाराम शुक्ल है मै अपना काम करना चाहता हूँ मेरा मार्ग दर्शन करे
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