कालपुरुष की कुंडली के अनुसार सिंह राशि को राज्य की कारक बताया जाता है। सिंह राशि का केतु अगर मंगल चन्द्र बुध शुक्र से युति रखता है तो वह राज्य मे पद दिलवाने के लिये माना जाता है। कारण केतु के पास मेष के मंगल के रूप मे बाहुबल यानी जो कहा वह करके दिखाना साथ ही मंगल अपने साथ मे पराक्रम से अपने को दिखाने वाले लोगों के साथ में चलने के लिये भी हिम्मत और साहस के लिये भी अपने बल को देता है,चन्द्रमा जो केतु से बारहवे भाव का मालिक है वह भी अगर जातक के केतु से नवे भाव मे आजाता है तो वह जातक के लिये न्याय भाव के प्रति अपनी युति को प्रदान करता है,केतु से न्याय भाव मे बुध के होने से भी केतु कानून का कारक बनता है,और कानूनो को जानने वाला भी बनता है। केतु से नवे भाव मे शुक्र होने से जातक के लिये स्त्री जातक भी अपनी स्थिति के अनुसार सहायता करने वाले होते है। जब लगनेश शनि वक्री होकर अष्टम मे होते है तो जातक अन्दरूनी जानकारियों के लिये भी जाना जाता है,वक्री शनि की द्रिष्टि राज्य भाव मे बुध की राशि मिथुन मे होने से भी जातक के अन्दर गूढ कारणो का जानन भी माना जा सकता है। लेकिन वक्री होने के कारण जातक के अन्दर बुद्धि बल अधिक होता है। मीन का गुरु जातक को सन्तुष्टि भी देता है और जातक के सूर्य का जो गुरु के साथ होता है तो जातक को गुरु सूर्य की युति से जीवात्मा संयोग की उपाधि भी देता है।
इस कुंडली मे जातक ने वर्तमान मे चुनाव को जीतने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग किया लेकिन वह हार गया। राहु गोचर से गुरु को देख रहा है सूर्य को भी देख रहा है,गोचर से राज्य के कारक बुध को भी देख रहा है। राहु राज्य के कार्यों की तरफ़ भी देख रहा है,चुनाव स्थान से दक्षिण दिशा को भी देख रहा है,उत्तर पश्चिम दिशा मे विराजमान मुख्य चुनाव की राजनीति को प्रभावित करने वाले कानून के साथ ऊंची पहुंच को भी देख रहा है,राहु की नजर मे राज्य को देने वाला केतु भी है जो चौथे भाव मे खुद की ही हैसियत को साथ लेकर चलने वाला व्यक्ति भी देख रहा है।
मात देने के लिये इस कुंडली मे केतु को जिम्मेदार माना जा सकता है केतु की स्थिति चौथे भाव मे होने से तथा राज्य मे राहु की स्थिति को नजर मे रखने के कारण तथा गुप्त नीति से शनि वकी को अपनी स्थिति को लगातार बताते रहने से भी यह एक बडी साजिस की तरफ़ इशारा करता है,इस केतु को मंगल जो अपनी हैसियत से सम्भालने वाला था वह गोचर से केतु के साथ ही वकी होने से अपने हित के लिये जातक की गुप्त सूचनाओ को देने वाला भी माना जा सकता है यह गुप्त सूचनाये या तो जातक के खास व्यक्ति की जो घर के अन्दर रहता हो या वाहन चलाने वाले व्यक्ति की जिसे पूरी तरह से सभी बाते जातक की पता थी के लिये भी जाना जा सकता है।
इस कुंडली मे जातक ने वर्तमान मे चुनाव को जीतने के लिये अपनी शक्ति का प्रयोग किया लेकिन वह हार गया। राहु गोचर से गुरु को देख रहा है सूर्य को भी देख रहा है,गोचर से राज्य के कारक बुध को भी देख रहा है। राहु राज्य के कार्यों की तरफ़ भी देख रहा है,चुनाव स्थान से दक्षिण दिशा को भी देख रहा है,उत्तर पश्चिम दिशा मे विराजमान मुख्य चुनाव की राजनीति को प्रभावित करने वाले कानून के साथ ऊंची पहुंच को भी देख रहा है,राहु की नजर मे राज्य को देने वाला केतु भी है जो चौथे भाव मे खुद की ही हैसियत को साथ लेकर चलने वाला व्यक्ति भी देख रहा है।
मात देने के लिये इस कुंडली मे केतु को जिम्मेदार माना जा सकता है केतु की स्थिति चौथे भाव मे होने से तथा राज्य मे राहु की स्थिति को नजर मे रखने के कारण तथा गुप्त नीति से शनि वकी को अपनी स्थिति को लगातार बताते रहने से भी यह एक बडी साजिस की तरफ़ इशारा करता है,इस केतु को मंगल जो अपनी हैसियत से सम्भालने वाला था वह गोचर से केतु के साथ ही वकी होने से अपने हित के लिये जातक की गुप्त सूचनाओ को देने वाला भी माना जा सकता है यह गुप्त सूचनाये या तो जातक के खास व्यक्ति की जो घर के अन्दर रहता हो या वाहन चलाने वाले व्यक्ति की जिसे पूरी तरह से सभी बाते जातक की पता थी के लिये भी जाना जा सकता है।
kya iska koi upaaye hai
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