Monday, December 19, 2011

अतिचार

वृष लगन की कुंडली है शुक्र नवे भाव मे विराजमान है,स्वामी शुक्र का नवे भाव मे होने का अर्थ साधारण रूप से लगाया जाता है कि जातक भाग्यशाली है और उसके लिये हर कदम पर सहायता मिलती रहेगी। लेकिन जातिका के लगन मे केतु विराजमान है और सप्तम मे बुध और राहु मिलकर विराजमान है मंगल नीच का होकर चौथे भाव मे विराजमान है मंगल की नीचता का असर सीधे से बुध और राहु पर भी है। जातिका की शादी सभ्रान्त परिवार मे हुयी,पति मंगल घर के कामो मे अपने पिता और भाइयों के साथ मिलकर चल रहा था।पति की माँ शनि पति भाव से बारहवे भाव मे है और पति के पिता सूर्य को अपनी तीसरी नजर से देख रही है साथ ही पति की माँ के सप्तम मे गुरु वक्री है,पति की माँ अपने पति को विदेशी रूप से चलाने के लिये अपनी राय देती है लेकिन पति का पिता अपने अनुसार चलता है और चौथे भाव के मंगल के अनुसार वाहन के पार्ट बनाकर अपने व्यवसाय को चलाने के लिये अपनी बुद्धि को प्रयोग में लाता है। शनि से सप्तम मे गुरु के वक्री होने के कारण जातिका की सास के सम्बन्ध अनैतिक भी है जो पति के बाहर रहने पर समय कुसमय पर दूर के रिस्ते के भाई के साथ अपने शारीरिक सम्बन्धो को भी बनाने की बात मिलती है। शनि से दूसरे भाव मे राहु बुध (झूठी बहिन) और राहु से छठे भाव मे वक्री गुरु गुप्त रूप से बने हुये सम्बन्धो के बारे मे भी खुलासा होता है। जातिका की शादी के बाद पति की माँ दहेज में वह सब सामान मांगती है जो जातिका के परिवार वालो के लिये असम्भव भी है और देने मे किसी प्रकार से भी असमर्थ है। जातिका को शादी के बाद से ही प्रताणित किया जाने लगता है,लेकिन पति का लगाव जातिका की तरफ़ होने से वह अपने किसी भी प्रकार के अपमान को सहन कर लेती है सास की मार भी खाती रहती है। पति के पिता को बुरा लगता है कि पत्नी के कर्कश स्वभाव के कारण वह कुछ कह भी नही सकता है। लगन का केतु जातिका को सहायता करता है और नवे शुक्र तथा पन्चम चन्द्र की सहायता से एक पुत्र और एक पुत्री का जन्म भी होता है,जातिका के पति का झुकाव लगातार जातिका की तरफ़ होने लगता है और वह अपनी माता से जातिका के साथ अलग रहने की बात भी करता है। जातिका की सास जातिका पर कई प्रकार के गलत लांछन लगाती है और जातिका को अपने मायके मे जाकर रहना पडता है। जातिका का पति अपने घर मे जातिका के लिये विद्रोह पैदा करता है घर मे लडाई झगडे होने लगते है और जातिका का पति अपनी माता के साथ कुछ समय के लिये बोलचाल भी बन्द कर देता है,साथ ही अपने हिस्से को मांग कर अलग रहने की बात भी करता है।
जातिका की सास के दिमाग मे यह बात बिलकुल भी हजम नही होती है कि वह अपने बेटे को बहू के लिये अलग कर दे,वह पहले जातिका के पति को अपनी झूठी बातो से समझाने की कोशिश करती है लेकिन वह जब नही मानता है तो उसे जहर देकर खुद जातिका की सास उसके पति को मार देती है।(राहु बुध का असर शुक्र पर होने से और शुक्र मंगल का षडाष्टक योग खाने पीने वाली चीजो मे मिलाया जाने वाला जहर),जातिका के पति के मरने के समय जातिका अपने माता पिता के पास होती है,जातिका की सास जातिका के पति के रूप मे नकली सोसाइट नोट बनाती है और पुलिस को जाहिर करती है कि जातिका ही उसके पुत्र को मारने के लिये जिम्मेदार है।
जातिका को पुलिस के द्वारा पुलिस स्टेशन बुलाया जाता है और जातिका को अदालती कानून का सहारा लेकर झूठे अभियोग में जेल में भेज दिया जाता है। बुध राहु दोनो मिलकर वक्री गुरु के षडाष्टक योग की सीमा का पूरा प्रयोग करते है,सप्तम का बुध अगर राहु के साथ है तो जातक को पत्नी या पति के कष्टो से तब और भी प्रताणित करता है जब वह वृश्चिक राशि के हो और अपनी हर बात मे शमशानी घास जैसा बर्ताव करते हो। यह हकीकत की कहानी है और ग्रहों के द्वारा फ़ैलाये जाने वाले जाल का सच्चा रूप।

4 comments:

  1. अद्भुत विवेचन... गुरूजी क्या कुंड़ली इस प्रकार होगी ?

    1--के. 2-- 3-- 4--मं. 5--चं. 6--श. 7--बु.रा.

    8--सूं 9--शु. 12--गु.

    शनि से सप्तम मे गुरु के वक्री होने के कारण जातिका की सास के सम्बन्ध अनैतिक भी है जो पति के बाहर रहने पर समय कुसमय पर दूर के रिस्ते के भाई के साथ अपने शारीरिक सम्बन्धो को भी बनाने की बात....

    गुरुजी.क्या जातिका की सास का 12वां शुक और सातवां मंगल उसके अनैतिक संबंधों का कारण हो सकते हैं ! कुछ प्रकाश ड़ालें..

    प्रणाम

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  2. जोशी जी यह कुण्डली वर्णित ग्रहों के अनुसार ही है,बारहवा शुक्र और सप्तम का मंगल हमेशा अधिक मोटापे के कारण वासनात्मक सोच की बढोत्तरी कर देता है,यह वासनात्मक सोच अक्सर जीवन मे तभी पैदा होती है जब जातक को सभी प्रकार के सुख सुविधा के कारण मिल जाते है और व्यक्ति बजाय अपने शरीर को कार्य आदि मे लगाने के हर समय आराम और शरीर के प्रति शरीर से मिलने वाले सुखों के लिये अपने जीवन को चलाने लगता है,बारहवां शुक्र जीवन की जद्दोजहद को विवाह के बाद जीवन साथी पर डाल देता है,साथ ही कानून के घर से चौथा घर होने के कारण जो भी कानून चलते है वह शुक्र यानी धन सम्पत्ति और शरीर सुख के ही चला करते है.

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  3. धन्यवाद गुरूजी... प्रणाम

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  4. Guru ji mera dob 26.6.1984 hai 18:57 or wife Karen 1983 hai 18:00 place jamshedpur much bataiye

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