Sunday, December 25, 2011

सुदर्शन चक्र

कुन्डली की तीनो लगनो का मूल्य निकालने के लिये सुदर्शन चक्र की बहुत जरूरत पडती है। लगन चन्द्र लगन सूर्य लगन इन तीन लगनो से सुदर्शन चक्र का निर्माण होता है। तीनो लगने अपनी अपनी विशेषता को अपने अपने भावों के अनुसार कथन प्रसारित करते है। यह कुंडली हमारे भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी की है। हमेशा इस बात को ध्यान में रखकर ही फ़लकथन को मूल्य देना चाहिये,कि सूर्य देखता है,चन्द्र सोचता है और लगन शरीर है जिससे शनि अपने कार्य को करवाता है। बाकी के ग्रह अपने अपने स्थान पर अपने बल को प्रदान करने वाले होते है,कोई ग्रह किसी स्थान पर शत्रु भी होता है तो वही ग्रह किसी स्थान पर मित्र भी बन जाता है और वही ग्रह किसी स्थान पर जाकर अपने बल को समाप्त कर देता है। यह जरूरी नही है कि लगन से जो ग्रह शत्रुता दे रहा हो वह सोच में जाकर अपनी मित्रता को भी दे सकता है और जिस कारक को कार्य मे लिया जा रहा है वही ग्रह जाकर उसके अन्दर अपनी शक्ति को समाप्त भी कर ले। सुदर्शन चक्र में ग्रह गणित का बहुत महत्व होता है। जैसे मंगल और राहु मिलकर चौथे स्थान पर मीठा नशा बन जाते है तो वही मंगल राहु अस्पताल में अपनी शरीर की बीमारी को भी ठीक करवाने के लिये माने जाते है। वही मंगल राहु अगर मीठा पानी बनते है और वही मंगल राहु मीठी दवाई भी बन जाते है। भाव का कथन करना भी उतना जरूरी होता है जितना कि ग्रह का और राशि का मूल्य भी फ़लकथन में सामने रखा जाता है। इस कुंडली में लगन तो मेष है लेकिन चन्द्र लगन वृश्चिक है,सूर्य लगन धनु है। इन तीनो लगनो का अगर मूल्यांकन किया जाता है,तो मेष लगन अकेले रहकर पराक्रम की शक्ति शरीर से मानी जाती है,तो शरीर की सोच और मूल्य को अपने द्वारा प्रसारित करने के लिये अगर वृश्चिक लगन को देखा जाता है तो शरीर को काम में तो खूब लिया लेकिन शरीर से आगे के लिये कुछ भी प्राप्त नही हो पाया,कारण मेष लगन जन्म की राशि है तो वृश्चिक राशि मृत्यु और शमशान की राशि है,उसी स्थान पर सूर्य लगन जो देखने के लिये जिसे लोग देखते है शरीर भी देखता है इतिहास भी देखता है के लिये धनु लगन का स्थान है,यह लगन ऊंची शिक्षा को भी देखती है पिता के व्यवसाय को भी देखती है पिता के द्वारा अर्जित आय को भी देखती है और पिता के द्वारा दिये जाने वाले संस्कार भी देखती है। दूसरा भाव भी राशि के अनुसार अगर देखा जाता है तो यह कुटुम्ब के साथ भौतिक सम्पत्ति का भी कारक है। इस भाव मे वृष राशि है तो मकर राशि भी है और सोचने के लिये धनु राशि भी है। वृष राशि अगर धन को सूचित करती है तो मकर राशि उस धन का प्रयोग कार्य के लिये प्रयोग में लाने की बात भी करती है उस धन का प्रयोग धनु राशि से विदेश में भी किया जाता है और न्याय आदि के कार्यों के साथ साथ जनहित में भी किया जाता है। इसी प्रकार से ग्रह गणित को अगर देखते है, तो वृष राशि में केतु भी है सूर्य भी है गुरु भी है और वक्री बुध भी है.गुरु कहीं पर तो न्याय का कारक है तो वही गुरु जब केतु के साथ होता है तो वह न्याय को देने वाला और दत्तक जैसी भूमिका को निभाने वाला हो जाता है केतु जब वक्री बुध के साथ हो और सूर्य साथ हो तो सूर्य जो शिक्षा को देने वाला होता है वही सूर्य कुटुम्ब भाव मे बुध वक्री जो दत्त्क पुत्री की भूमिका को केतु के सहयोग से निभाने की बात करती है अपने प्रभाव से कुटुम्ब में भी शामिल होती है गुरु और वक्री बुध हमेशा शिक्षक की विवाहित पुत्री के रूप में माने जाते है। इसी प्रकार से जब तीसरे भाव को देखते है तो केतु का उपस्थित होना और ग्यारहवे भाव के शनि और सप्तम भाव के शनि की युति से जो दत्तक की हैसियत से होता है वह कानूनी कारण और बंटवारे के बाद अपनी हैसियत को भी दिखाने के लिये माना जाता है इसी केतु के द्वारा सेवा भी की जाती है और जीवन के प्रति शांति वाले कार्यों को भी किया जाता है,यही केतु जब सामने मंगल और राहु की उपस्थिति को चौथे भाव मे देखता है तो केतु की सीमा केवल अस्पताली कारणो के लिये ही मानी जाती है इसके बाद शनि की मार से आहत केतु अपनी औकात में कहां तो यह सोचता है कि वह सेवा से अपने सम्मान को प्राप्त करेगा कहां उसके लिये पग पग पर चलने के भी दिक्कत आने लगती है यानी यही केतु शरीर के अंगो का जोड बन जाता है और शनि की ठंडक से वह शरीर के जोडो को फ़्रीज करने के लिये भी अपनी शक्ति को देने लगता है। इसी प्रकार से सुदर्शन चक्र की भूमिका को ग्रह गणित भाव गणित और राशि गणित के अनुसार देखा जाता है.
फ़लकथन के लिये प्रयोग गणित
फ़ल कथन के लिये लगन से लेकर बारहवे भाव तक की राशियों की गणना भावों की गणना के साथ जोड कर समझा जाता है,ग्रह जिन जिन भावों में विराजमान होते है उनके गणित को एक दूसरे की आपसी युति का परिणाम करने के लिये भाव और राशियों में ग्रह का प्रकार आदि का गणित करना पडता है। इनके गणित का उपरोक्त कुंडली से विशेल्षण का उदाहरण इस प्रकार से है:-
  1. लगन में राशियों का संयोग ऊपर से नीचे के लिये गणना में लिया जायेगा,जैसे बाद की राशि धनु उसके बाद वृश्चिक फ़िर लगन की मेष राशि की प्रकृति को मिलाना पडेगा.धनु+वृश्चिक+मेष=पूर्वज त्याग शरीर बल.
  2. दूसरे भाव में भी इसी प्रकार से   मकर+धनु+वृष=कार्य पूर्वज धन बल.
  3. तीसरे भाव में भी इसी प्रकार से गणना की जायेगी,कुम्भ+मकर+मिथुन=लाभ कार्य लिखना पढना और बोलने का बल.
  4. चौथे भाव से भी राशियों की गणना की जायेगी,मीन+कुम्भ+कर्क=मोक्ष लाभ रहने वाले स्थान जानपहिचान का बल.
  5. पंचम भाव के लिये मीन+सिंह+मेष=मोक्ष राज्य शरीर बल.
  6. छठे भाव के लिये कन्या+वृष+मेष=सेवा धन शरीर बल.
  7. सप्तम के लिये तुला+मिथुन+वृष=बेलेंस करने की क्षमता,बोलचाल और लिखने पढने में,धन बल.
  8. अष्टम भाव के लिये वृश्चिक+कर्क+मिथुन=पूर्वजों का स्थान जंगल बीहड,पानी के किनारे,केवल नाम के लिये मिलने वाला बल.
इसी प्रकार से अन्य भावों में स्थापित राशियों के लिये गणना की जायेगी.

6 comments:

  1. धन्यवाद गुरूजी,

    इतना शीघ्र जिज्ञासा शांत करने के लिये बहुत बहुत आभार

    मतलब या तो तीनों लग्नों से राशि, भाव, ग्रहों को अलग अलग पढ़ें और फिर संयुक्त फलादेश किया जाये, या सुदर्शन चक्र में एक साथ ही तीनों लग्न कुंडली, हर भावगत 3 राशियां और उनमें पड़े ग्रहों को combinedly पढ़ लिया जाये.
    यह तो नि:संदेह सुविधाजनक है, पर उतना ही complicated भी.

    सादर प्रणाम

    ReplyDelete
  2. Guruji mai grahonka nawmansh bhraman pe study kar raha hu ,to rashise bhi jyada parinam nawmansh me dikhta hai/ jaise maine shani vakri hoke tula se kanya me janese May end se 3 Aug 2012 tak market nichye jayega bataya tha / lekin mujhe nawmansh ke bareme jyada jankari nahi mil rahi hai / aur aaj meri halat ke bareme bhi mai aapko bata chuka hu/

    ReplyDelete
  3. नितिन जी नवमांश का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब समय का पूरा पूरा पता हो,कुंडली तो सवा दो घंटे तक अपना असर रखती है लेकिन नवमांश का घटना बढना लगभग सवा दो घंटे के नवे हिस्से तक ही सीमित है.

    ReplyDelete
  4. सुदर्शन चक्र में बुध शुक्र साथ हो तो बहुत से धन प्राप्ती होगी

    ReplyDelete
  5. Sir
    Please detail mein sudarshan chakra ki jankari ke liye link forward karein.

    ReplyDelete