Tuesday, April 3, 2012

परमस्वतंत्र न सिर पर कोई.

यह कुंडली वृश्चिक लगन की है और राशि भी वृश्चिक है,मन का कारक चन्द्रमा शमशानी राशि मे विराजमान है यानी जब सोचे तब मरा हुआ सोचे जब महसूस करे तब मरा हुआ महसूस करे और जब कुछ कार्य करने की कही जाये तो मन यह भावना पैदा हो कि वश की बात नही है। शनि वक्री होकर पंचम भाव मे मीन राशि का है,मार्गी शनि मेहनत करने वाला होता है और वक्री शनि बुद्धि और चालाकी से काम लेने वाला होता बुद्धि के भाव मे इस शनि के बैठ जाने से बुद्धि मे एक प्रकार की चालाकी का भाव पैदा हो गया है इस चालाकी का परिणाम यह है कि किसी भी काम को करने के लिये बुद्धि का प्रयोग किया जाये और जब काम नही हो तो दुबारा से शुरु किया जाये साथ ही मीन राशि मे होने से जब मेहनत का काम पडे तो जगह से दूर हट जाये जब काम हो जाये तो सबसे पहले हाजिर हो जाये। गुरु उच्च का होकर नवे भाव मे है कर्क राशि का है इस गुरु के कारण पिता बहुत ही उन्नत और धार्मिक व्यक्ति है सब की भली सोचने वाले है,कोई साथ देने वाला नही है फ़िर भी अपनी भलाई से सभी के लिये अच्छा सोचने की बात करते है पिता का धर्म स्थानो मे बहुत लगाव है पूरे परिवार और मर्यादा से चलने वाले है। यही बात जातक के अन्दर है कि पिता ने जिन लोगो का भला किया है जातक उन लोगो से अपने निजी फ़ायदे की बात को सोचने वाला है पिता के द्वारा भला जिन लोगो के साथ किया गया है उन लोगो से अपनी भलाई को प्राप्त करना जातक का काम है,मंगल सिंह राशि मे प्लूटो भी है और यूरेनस भी है मंगल तकनीक का कारक है लेकिन सिंह राशि प्रेम प्यार से राजनीति से काम करने वाली है मंगल के बैठ जाने से जातक ऊंची आवाज मे बात करता है काम को मशीनो से करने का कारण बन सकता है लेकिन काम को करने के लिये मशीनी कारण सामने लाये जाते है कन्ट्रोल करने के लिये मशीन का प्रयोग करता है। शुक्र ग्यारहवे भाव मे है कन्या राशि का है जीवन साथी को दोस्तो के भाव से प्राप्त करना माना जाता है लेकिन जो शुक्र जीवन मे साथ चलने के लिये अपनी गति को प्रदान करता है वही शुक नौकरी और सेवा वाले कार्यों को करने के लिये अपनी गति को प्रदान कर रहा है इसके साथ ही बीमारी तथा मशीनी आदेश भी शुक्र के लिये परेशान करने वाले है शुक्र यानी पत्नी पिता के रहते किसी बुरे काम को नही करने वाली है जैसे ही पिता का जाना होगा शुक्र किसी  घर को छोड कर जा सकता है। बुध तुला राशि का है जातक का बाहरी लोगो से प्रेम सम्बन्ध बनाने के लिये देखा जा सकता है तुला का बुध सूर्य के साथ है तुला का सूर्य नीच का होता है जातक कहने को तो सामने बहिन जैसा व्यवहार करेगा लेकिन उसकी मानसिक इच्छा स्त्री की तरह से भोगने की होगी केतु भी साथ है पहले जातक बहुत ही भोले रूप मे लोगो से तकनीकी कमन्यूकेशन से पहिचान बनायेगा किसी भी बात को बेलेन्स करने मे और अपने द्वारा सहानुभूति का प्रयोग करेगा लेकिन समय का इन्तजार करेगा और जैसे ही दाव लगा किसी न किसी राजनीति या गलत डर को पैदा करने के बाद अपने काम को निकालने की बात सोचेगा। राहु छठे भाव मे है यह छुपे हुये भूत की तरह से अपना असर पैदा करेगा जैसे ही दाव लगेगा अक्समात ही झटका मारेगा और जो भी माल असबाब या इज्जत है साफ़ कर देगा। वर्तमान मे राहु का गोचर चन्द्रमा पर चल रहा है जातक का दिमाग बहुत ही भ्रम मे है,अक्सर जातक का लगाव इस समय मे शमशानी शक्तिओ से सहायता प्राप्त करने का होगा वह चाहेगा किसी तंत्र मंत्र से मुफ़्त का माल प्राप्त हो जाये। केतु का गोचर सप्तम मे है वह अपने लिये साधन के रूप मे किसी भी कारण मे धन को सहायता के लिये प्राप्त करने की कोशिश करेगा,वह धन किसी प्रकार से छल से या किसी प्रकार से तकनीकी रूप से प्राप्त करने का कारण दिमाग मे लायेगा। गुरु राहु के साथ गोचर कर रहा है जातक जो सहायता करेगा उसी के लिये काटने की कोशिश करेगा। शनि बुध के साथ है किसी भी व्यवसाय स्थान मे काम करने की सोचेगा लेकिन बुद्धि काम नही करेगी केवल यही होगा कि किस प्रकार से बाहरी कमन्यूकेशन से धन को प्राप्त किया जा सके शनि सूर्य के साथ है पिता के साथ विचारो के नही मिलने से दिमाग मे हमेशा अपने ही परिवार के प्रति भेद रहेगा समय मिलने पर अपने ही परिवार से बिलग भी हो सकता है और अपने ही परिवार का अहित भी कर सकता है। शनि का गोचर केतु के साथ है कार्य मे मन नही लगेगा और जो भी कार्य किया जा रहा होगा वह छूटने के कारण और भी दिमाग कनफ़्यूजन मे जायेगा।

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