Wednesday, April 4, 2012

कुंडली मे वीणा योग

वीणा माता सरस्वती के कर कमलो मे है,राहु चन्द्र जब पंचम मे विराजमान होते है केतु बुध शनि ग्यारहवे भाव मे होते है गुरु सूर्य बारहवे भाव मे और शुक्र मंगल दूसरे भाव मे होते है तो वीणा योग बन जाता है। इस योग मे पैदा होने वाला जातक संगीत की शिक्षा को देने वाला गाने और वीणा आदि बजाने मे चतुर होता है,लेकिन वह धन या यश दोनो मे से केवल एक कारक को ही प्राप्त कर पाता है। उपस्थिति कुंडली मे चन्द्र राहु पंचम मे वृष राशि के है इसलिये जातक अपनी वीणा बजाने की कला को सिखाने के बाद अपने जीवन को चलाने के लिये माना जा सकता है,बारहवे भाव मे गुरु सूर्य की उपस्थिति से जीवात्मा योग की परिभाषा से भी पूर्ण है यानी पैदा होने के बारहवी साल से ही गुरु की उपाधि प्राप्त कर लेता है। दूसरे भाव मे शुक्र मंगल की उपस्थिति होने से जातक कठोर और मुलायम स्वरो का जानकार होता है वह अपने शोध से वीणा बजाने की नयी कला का सृजन करता है और एक दिन पहुंचा हुआ वीणा वादक बन जाता है।जातक का जन्म 3 जनवरी 1985 को सुबह 9-30 पर जयपुर मे हुआ है। इस जातक का नाम उत्तम माथुर है और यह वीणा बजाने की कला मे प्रवीण है। वर्तमान मे जातक के लाभ भाव मे राहु के गोचर करने से तथा कार्य भाव मे शनि के गोचर करने से जातक अपनी दक्षता को बडी आसानी से प्रस्तुत करने मे तथा सिखाने आदि के काम मे उत्तम स्थान को प्राप्त कर सकता है,जातक से सम्पर्क कर सकते है जातक का मोबाइल नम्बर  +919829377852 है. इस प्रकार के सरस्वती से वरदान को प्राप्त महापुरुष कभी कभी ही इस धरती पर आते है,इस जातक की कुंडली को देखकर ही पता चलता है कि ग्रहों ने खुद ही वीणा का रूप धारण कर रखा है,मेरी शुभकामनाये उत्तम माथुर के साथ है.

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