बाबा फ़कीर तांत्रिक मांत्रिक झाडफ़ूंक करने वाले अपनी साख राख से बना लेते है। राख को भभूत भी कहा जाता है,भभूत को शाब्दिक अर्थ से जोडा जाये तो भ+भूत=भय का भूत,भविष्य का भूत,भचक्र का भूत,पिछले समय के कर्मो का भूत यानी भूतकाल का भूत। वर्तमान मे वृश्चिक राशि मे राहु गोचर कर रहा है,वृश्चिक राशि को शमशानी राशि कहा गया है,यह राहु पिछली मई से आने वाली जनवरी दो हजार तेरह तक अपना असर इस राशि पर डाल रहा है। कहा जाये तो वृश्चिक राशि को इस समय किसी को भी अंडर शेडो करना बडी आसानी का काम है.इस राशि वाले अपने नाम और अपनी क्रियाओं को इसी राहु की बदौलत जनता मे दिखाने का कारण पैदा कर रहे है। मनुष्य आशंकाओ का गुलाम है बाकी उसके सामने के जो कार्य है उन्हे पूरा करता जाये,जो कुछ भी पीछे की गल्ती से बुरा हो रहा है उस बुराई को हटाने का उपक्रम करता जाये तो वह भय से विहीन हो सकता है। लेकिन इस भागमभाग की जिन्दगी मे इस भभूत का प्रयोग बडी आसानी से होता समझ मे आ रहा है।
राहु का स्वभाव होता है कि वह अपने स्थान से अपने तीसरे भाव को पंचम भाव को सप्तम भाव को और नवे भाव को अपना ग्रहण देता है। इस ग्रहण मे जो जो राशिया और ग्रह आते जाते है वह इस राहु की बन्दिस मे आजाते है और इस राहु के द्वारा जो भी कहा जाता है जो भी करवाया जाता है वह करने और कहने के लिये तैयार हो जाते है। वर्तमान मे राहु वृश्चिक राशि मे है,इसलिये इस राशि को ग्रहण दे रहा है,तीसरी निगाह मकर राशि पर है पंचम निगाह मीन राशि पर है,सप्तम की निगाह वृष राशि पर है,और नवी निगाह कर्क राशि पर है। इन राशियों पर अपना प्रभाव देने के कारण वृश्चिक राशि अस्प्ताली कारणो से और अनजानी बीमारियों अक्स्मात मौत होने के कारणो के लिये जानी जाती है मकर राशि काम धन्धे नौकरी और जीवन यापन के लिये किये जाने वाले कामो के लिये मानी जाती है वृष राशि धन दौलत और कुटुम्ब के प्रति मानी जाती है कर्क राशि घर मकान रहने के साधन यात्रा के साधन मानसिक कारणो को बताने वाली होती है। अगर सूक्ष्म रूप से देखा जाये तो लोग इस राहु की नजर से काम धन्धे और सरकारी नौकरी आदि के लिये परेशान है,जो बाते उन्हे सन्तुष्टि दे सकती है जिन कार्यों को करने के बाद मानसिक शांति मिलती है उसके लिये परेशान है,धन और अपने परिवार कुटुम्ब आदि से परेशान है,रहने वाले साधन और जनता से जुडे कामो के लिये परेशान है। इन सभी कारको के लिये उन्हे वृश्चिक का राहु घेरे मे लेकर वह जो उनके बारे मे कहता है वह इन समस्याओ से ग्रसित व्यक्ति कहने भी लगते है और मानने भी लगते है। जब व्यक्ति किसी के भी कहने सुनने और विश्वास करने मे आजाता है तो यह राहु से ग्रसित व्यक्ति अपनी चालाकी के कारण सम्बन्धित व्यक्ति काटने से भी नही चूकता है। वह काटना चाहे धन से हो या किसी प्रकार की शारीरिक कारणो से हो।
राहु हमेशा सहायता के लिये केतु का प्रयोग करता है,जिस राशि डिग्री पर राहु होता है उस राशि की विपरीत राशि की उसी डिग्री पर केतु होता है। केतु राहु की सहायता करता है और राहु अपनी कामयाबी मे सफ़ल होता चला जाता है। वृष राशि मे केतु विराजमान है। केतु को संचार से भी जोडा जाता है,केतु को चेले के रूप मे भी देखा जाता है,केतु टेलीफ़ोन से भी है केतु चपरासी से भी है केतु की शिफ़्त सहायक के रूप मे भी है और केतु को कुत्ते के रूप मे भी देखा जाता है। जिनके पूंछ होती है वह भी केतु की श्रेणी मे आते है,जो लोग अपने को सहायको के रूप मे लेकर आगे चलते है वह भी केतु की सहायता को लेने के लिये माने जाते है। वृष राशि का केतु केवल धन के प्रति धन के द्वारा सहायता देने और लेने के लिये माना जाता है,केतु की द्रिष्टि भी राहु की द्रिष्टि पर समान होती है लेकिन केतु राहु के ग्यारहवे भाव को भी देखता है। ग्यारहवा भाव लाभ का होता है राहु बिना केतु के लाभ नही ले सकता है। राहु की अष्टम द्रिष्टि केतु के सामने होती है और केतु की अष्टम द्रिष्टि राहु के सामने होती है। इस प्रकार से राहु अपनी चालाकी मे केतु के बिना सफ़ल नही हो सकता है और केतु अपनी चालाकी मे राहु के बिना सफ़ल नही हो सकता है। अगर किसी का नाम वृश्चिक और वृष राशि से मिला जुला है तो वह और भी अपनी चालाकी मे सफ़ल हो सकता है।
उदाहरण के लिये एक नाम लेते है निरंकारी बाबा। इस नाम मे पहले शब्द मे वृश्चिक राशि और दूसरे शब्द मे वृष राशि है,इस नाम का व्यक्ति वर्तमान मे अपने नाम के पहले शब्द के द्वारा राहु की चालाकी और दूसरे शब्द का प्रयोग धन आदि के लिये प्रयोग करने के लिये माना जायेगा। इस नाम मे निरंकारी शब्द राहु के घेरे मे है और बाबा शब्द केतु के घेरे मे है। लेकिन दोनो की नजर एक दूसरे के लाभ मे होने से जो भी काम होगा वह एक दूसरे शब्द के लाभ के लिये ही माना जायेगा। केतु के लिये मैने पहले ही बताया है कि वह संचार के साधनो का कारक भी है,संचार के साधनो मे टेलीफ़ोन भी आता है तो मीडिया भी आती है,अगर इस नाम का व्यक्ति मीडिया और टेलीफ़ोन से अपने को आगे बढाने के लिये जाना पडता है तो वह एक दूसरे के लाभ को देखकर ही आगे जा सकता है। लाभ का रूप भी आधा आधा होता है,जितना टेलीफ़ोन या मीडिया को मिलेगा उसका आधा निरंकारी बाबा को भी मिलेगा। लेकिन यह भाव राहु के निरंकारी शब्द पर रहने तक ही सीमित है,यह प्रभाव आने वाली जनवरी दो हजार तेरह तक ही है,इसके बाद राहु का असर इस शब्द से हटते ही और राहु का पदार्पण वृश्चिक राशि से बारहवे भाव मे जाते ही वह जेल अस्पताल विदेश अथवा अडर ग्राउंड हो जाने वाली बात को भी सामने कर देगा। इसके पहले भी अगर मंगल इस राहु को चौथी द्रिष्टि से देखने लगता है तो इसे कंट्रोल भी किया जायेगा और यह अपनी की जाने वाली चालाकी की हरकतो को रोक भी सकता है। जैसे वर्तमान मे मंगल सिंह राशि का है और वक्री है,इस वक्री मंगल का प्रभाव यह भी माना जाता है कि जो भी इसकी क्रियायें है वह उल्टी है,सिंह राशि के चौथे भाव की राशि वृश्चिक है,मंगल भी राज्य की राशि मे विराजमान है,आने वाली चौदह अप्रैल तक इस मंगल की नजर राहु पर उल्टी है यानी वह जो क्रिया करता है करता रहेगा,लेकिन चौदह अप्रैल के बाद जैसे ही मंगल मार्गी होगा वह सरकारी रूप से इस प्रकार के चालाकी करने वाले व्यक्ति पर अपना अंकुश लगा देगा। लेकिन यह अंकुश आगे के लिये अपनी योजना को सफ़ल बनाकर शुरु करने के लिये अपनी गति को प्रदान देगा। इस गति के अनुसार इक्कीस जून को मंगल के कन्या राशि मे जाने के बाद यह मंगल इस राशि के द्वारा प्राप्त धन और जो लोग सहायक रहे है उनके धन पर अपना प्रभाव देकर खुलासा भी करेगा,साथ ही चौबीस जून के आसपास इस प्रकार के व्यक्ति अक्समात ही दक्षिण-पूर्व दिशा के देशो की तरफ़ भूमिगत होने के लिये भी प्रयास करेगा। यह शनि का प्रभाव होगा और इस राशि वाले व्यक्ति को जो चालाकी मे धन कमाने और किसी प्रकार गैर कानूनी कारण वाली मींमांसा मे लिप्त पाया गया है को सजा देने के लिये कार्यवाही भी करेगा।
यह वृश्चिक राशि की साढेशाती की शुरुआत के साथ साथ वृष राशि की साढेशाती भी मानी जा सकती है। बाबा का रूप भी समझना हर आदमी को जरूरी है,जिस नाम के आगे बाबा लगा हुया है या जो नाम वृश्चिक और वृष राशि के सयुंक्त शब्दो मे है उसके लिये यह ही माना जाता है कि जो भी कारण पैदा होगा वह किसी न किसी प्रकार की तकनीक से सम्बन्धित होगा। इन दोनो राशियों के पास एक तकनीक का काम करती है और दूसरी उस तकनीक को प्रयोग मे लेकर अपने जीवन को चलाने वाली होती है। कुंडली का सप्तम भाव जीवन के उद्देश्य और जीवन भर लडाई के लिये माना जाता है,यह स्थान जीवन साथी का भी है साझेदार का भी है और सलाह के लिये भी माना जाता है। वृश्चिक राशि वाला व्यक्ति अपने शरीर को ही तकनीक मे ले जायेगा चाहे वह भौतिक तकनीक का जानकार हो जाये जैसे वह बिगडी हुई इलेक्ट्रोनिक वस्तुओ को ठीक करने का माना जाये या मनुष्य को ठीक करने के लिये माना जाये इसलिये ही इस राशि को अस्पताली राशि की उपाधि दी गयी है,जैसे आदमी बीमार होता है तो अस्पताल जाता है अब यह सब अस्पताल पर निर्भर है कि वह उस आदमी को ठीक करके वापस भेजता है या उसे सीधा शमशान भेजता है। लेकिन जो भी कार्य वृश्चिक राशि का होगा वह केवल धन को भोजन को अपने को संसार मे प्रदर्शित करने को अपने को धनी दिखाने को ही माना जायेगा,जबकि वृष राशि का मतलब भी यही होता है कि वह अपने को लिखकर पढकर अपने को प्रदर्शित करने की भावना को लेकर अपने को संचार के क्षेत्र मे आगे ले जाने और जो है वह खुलासा करने के लिये अपने साथ सहायक इकट्टे करने के लिये माना जायेगा लेकिन इस राशि वालो को आजीवन केवल अस्पताली कारणो की मंत्रणा ही देता हुआ माना जायेगा चाहे वह शमशान से सम्बन्धित हो या उन जानकारियों के लिये जो जन सामान्य की जानकारी मे नही हो,या उन कारको के लिये जो किस प्रकार से गूढ कारणो से धन कमाने आदि के लिये जाने जाते है। वृश्चिक राशि का एक स्वभाव और भी देखा जाता है कि जो सामने है वह होता नही है और जो वह करता है वह सामने दिखाई नही देता है।
वृश्चिक और वृष राशि वाले अगर किसी प्रकार के चालाकी और झूठी बातो से अगर वर्तमान मे अपने को सफ़ल बनाने के कारणो मे जुडे है तो उन्हे सतर्क हो जाना चाहिये कि उनके लिये आने वाले इक्कीस जून से दिक्कत का समय शुरु हो रहा है,साथ ही जून के महिने से ही उनकी दूर गामी साढे सात साल के लिये परिस्थिति का बदलाव भी है,यह बदलाव अगर अच्छे काम किये है तो अच्छा होगा और बुरे काम किये है तो धन शरीर मन रहने वाले स्थान जीवन मे रक्षा करने वाले कारक सभी फ़्रीज होने मे देर नही लगेगी।
राहु का स्वभाव होता है कि वह अपने स्थान से अपने तीसरे भाव को पंचम भाव को सप्तम भाव को और नवे भाव को अपना ग्रहण देता है। इस ग्रहण मे जो जो राशिया और ग्रह आते जाते है वह इस राहु की बन्दिस मे आजाते है और इस राहु के द्वारा जो भी कहा जाता है जो भी करवाया जाता है वह करने और कहने के लिये तैयार हो जाते है। वर्तमान मे राहु वृश्चिक राशि मे है,इसलिये इस राशि को ग्रहण दे रहा है,तीसरी निगाह मकर राशि पर है पंचम निगाह मीन राशि पर है,सप्तम की निगाह वृष राशि पर है,और नवी निगाह कर्क राशि पर है। इन राशियों पर अपना प्रभाव देने के कारण वृश्चिक राशि अस्प्ताली कारणो से और अनजानी बीमारियों अक्स्मात मौत होने के कारणो के लिये जानी जाती है मकर राशि काम धन्धे नौकरी और जीवन यापन के लिये किये जाने वाले कामो के लिये मानी जाती है वृष राशि धन दौलत और कुटुम्ब के प्रति मानी जाती है कर्क राशि घर मकान रहने के साधन यात्रा के साधन मानसिक कारणो को बताने वाली होती है। अगर सूक्ष्म रूप से देखा जाये तो लोग इस राहु की नजर से काम धन्धे और सरकारी नौकरी आदि के लिये परेशान है,जो बाते उन्हे सन्तुष्टि दे सकती है जिन कार्यों को करने के बाद मानसिक शांति मिलती है उसके लिये परेशान है,धन और अपने परिवार कुटुम्ब आदि से परेशान है,रहने वाले साधन और जनता से जुडे कामो के लिये परेशान है। इन सभी कारको के लिये उन्हे वृश्चिक का राहु घेरे मे लेकर वह जो उनके बारे मे कहता है वह इन समस्याओ से ग्रसित व्यक्ति कहने भी लगते है और मानने भी लगते है। जब व्यक्ति किसी के भी कहने सुनने और विश्वास करने मे आजाता है तो यह राहु से ग्रसित व्यक्ति अपनी चालाकी के कारण सम्बन्धित व्यक्ति काटने से भी नही चूकता है। वह काटना चाहे धन से हो या किसी प्रकार की शारीरिक कारणो से हो।
राहु हमेशा सहायता के लिये केतु का प्रयोग करता है,जिस राशि डिग्री पर राहु होता है उस राशि की विपरीत राशि की उसी डिग्री पर केतु होता है। केतु राहु की सहायता करता है और राहु अपनी कामयाबी मे सफ़ल होता चला जाता है। वृष राशि मे केतु विराजमान है। केतु को संचार से भी जोडा जाता है,केतु को चेले के रूप मे भी देखा जाता है,केतु टेलीफ़ोन से भी है केतु चपरासी से भी है केतु की शिफ़्त सहायक के रूप मे भी है और केतु को कुत्ते के रूप मे भी देखा जाता है। जिनके पूंछ होती है वह भी केतु की श्रेणी मे आते है,जो लोग अपने को सहायको के रूप मे लेकर आगे चलते है वह भी केतु की सहायता को लेने के लिये माने जाते है। वृष राशि का केतु केवल धन के प्रति धन के द्वारा सहायता देने और लेने के लिये माना जाता है,केतु की द्रिष्टि भी राहु की द्रिष्टि पर समान होती है लेकिन केतु राहु के ग्यारहवे भाव को भी देखता है। ग्यारहवा भाव लाभ का होता है राहु बिना केतु के लाभ नही ले सकता है। राहु की अष्टम द्रिष्टि केतु के सामने होती है और केतु की अष्टम द्रिष्टि राहु के सामने होती है। इस प्रकार से राहु अपनी चालाकी मे केतु के बिना सफ़ल नही हो सकता है और केतु अपनी चालाकी मे राहु के बिना सफ़ल नही हो सकता है। अगर किसी का नाम वृश्चिक और वृष राशि से मिला जुला है तो वह और भी अपनी चालाकी मे सफ़ल हो सकता है।
उदाहरण के लिये एक नाम लेते है निरंकारी बाबा। इस नाम मे पहले शब्द मे वृश्चिक राशि और दूसरे शब्द मे वृष राशि है,इस नाम का व्यक्ति वर्तमान मे अपने नाम के पहले शब्द के द्वारा राहु की चालाकी और दूसरे शब्द का प्रयोग धन आदि के लिये प्रयोग करने के लिये माना जायेगा। इस नाम मे निरंकारी शब्द राहु के घेरे मे है और बाबा शब्द केतु के घेरे मे है। लेकिन दोनो की नजर एक दूसरे के लाभ मे होने से जो भी काम होगा वह एक दूसरे शब्द के लाभ के लिये ही माना जायेगा। केतु के लिये मैने पहले ही बताया है कि वह संचार के साधनो का कारक भी है,संचार के साधनो मे टेलीफ़ोन भी आता है तो मीडिया भी आती है,अगर इस नाम का व्यक्ति मीडिया और टेलीफ़ोन से अपने को आगे बढाने के लिये जाना पडता है तो वह एक दूसरे के लाभ को देखकर ही आगे जा सकता है। लाभ का रूप भी आधा आधा होता है,जितना टेलीफ़ोन या मीडिया को मिलेगा उसका आधा निरंकारी बाबा को भी मिलेगा। लेकिन यह भाव राहु के निरंकारी शब्द पर रहने तक ही सीमित है,यह प्रभाव आने वाली जनवरी दो हजार तेरह तक ही है,इसके बाद राहु का असर इस शब्द से हटते ही और राहु का पदार्पण वृश्चिक राशि से बारहवे भाव मे जाते ही वह जेल अस्पताल विदेश अथवा अडर ग्राउंड हो जाने वाली बात को भी सामने कर देगा। इसके पहले भी अगर मंगल इस राहु को चौथी द्रिष्टि से देखने लगता है तो इसे कंट्रोल भी किया जायेगा और यह अपनी की जाने वाली चालाकी की हरकतो को रोक भी सकता है। जैसे वर्तमान मे मंगल सिंह राशि का है और वक्री है,इस वक्री मंगल का प्रभाव यह भी माना जाता है कि जो भी इसकी क्रियायें है वह उल्टी है,सिंह राशि के चौथे भाव की राशि वृश्चिक है,मंगल भी राज्य की राशि मे विराजमान है,आने वाली चौदह अप्रैल तक इस मंगल की नजर राहु पर उल्टी है यानी वह जो क्रिया करता है करता रहेगा,लेकिन चौदह अप्रैल के बाद जैसे ही मंगल मार्गी होगा वह सरकारी रूप से इस प्रकार के चालाकी करने वाले व्यक्ति पर अपना अंकुश लगा देगा। लेकिन यह अंकुश आगे के लिये अपनी योजना को सफ़ल बनाकर शुरु करने के लिये अपनी गति को प्रदान देगा। इस गति के अनुसार इक्कीस जून को मंगल के कन्या राशि मे जाने के बाद यह मंगल इस राशि के द्वारा प्राप्त धन और जो लोग सहायक रहे है उनके धन पर अपना प्रभाव देकर खुलासा भी करेगा,साथ ही चौबीस जून के आसपास इस प्रकार के व्यक्ति अक्समात ही दक्षिण-पूर्व दिशा के देशो की तरफ़ भूमिगत होने के लिये भी प्रयास करेगा। यह शनि का प्रभाव होगा और इस राशि वाले व्यक्ति को जो चालाकी मे धन कमाने और किसी प्रकार गैर कानूनी कारण वाली मींमांसा मे लिप्त पाया गया है को सजा देने के लिये कार्यवाही भी करेगा।
यह वृश्चिक राशि की साढेशाती की शुरुआत के साथ साथ वृष राशि की साढेशाती भी मानी जा सकती है। बाबा का रूप भी समझना हर आदमी को जरूरी है,जिस नाम के आगे बाबा लगा हुया है या जो नाम वृश्चिक और वृष राशि के सयुंक्त शब्दो मे है उसके लिये यह ही माना जाता है कि जो भी कारण पैदा होगा वह किसी न किसी प्रकार की तकनीक से सम्बन्धित होगा। इन दोनो राशियों के पास एक तकनीक का काम करती है और दूसरी उस तकनीक को प्रयोग मे लेकर अपने जीवन को चलाने वाली होती है। कुंडली का सप्तम भाव जीवन के उद्देश्य और जीवन भर लडाई के लिये माना जाता है,यह स्थान जीवन साथी का भी है साझेदार का भी है और सलाह के लिये भी माना जाता है। वृश्चिक राशि वाला व्यक्ति अपने शरीर को ही तकनीक मे ले जायेगा चाहे वह भौतिक तकनीक का जानकार हो जाये जैसे वह बिगडी हुई इलेक्ट्रोनिक वस्तुओ को ठीक करने का माना जाये या मनुष्य को ठीक करने के लिये माना जाये इसलिये ही इस राशि को अस्पताली राशि की उपाधि दी गयी है,जैसे आदमी बीमार होता है तो अस्पताल जाता है अब यह सब अस्पताल पर निर्भर है कि वह उस आदमी को ठीक करके वापस भेजता है या उसे सीधा शमशान भेजता है। लेकिन जो भी कार्य वृश्चिक राशि का होगा वह केवल धन को भोजन को अपने को संसार मे प्रदर्शित करने को अपने को धनी दिखाने को ही माना जायेगा,जबकि वृष राशि का मतलब भी यही होता है कि वह अपने को लिखकर पढकर अपने को प्रदर्शित करने की भावना को लेकर अपने को संचार के क्षेत्र मे आगे ले जाने और जो है वह खुलासा करने के लिये अपने साथ सहायक इकट्टे करने के लिये माना जायेगा लेकिन इस राशि वालो को आजीवन केवल अस्पताली कारणो की मंत्रणा ही देता हुआ माना जायेगा चाहे वह शमशान से सम्बन्धित हो या उन जानकारियों के लिये जो जन सामान्य की जानकारी मे नही हो,या उन कारको के लिये जो किस प्रकार से गूढ कारणो से धन कमाने आदि के लिये जाने जाते है। वृश्चिक राशि का एक स्वभाव और भी देखा जाता है कि जो सामने है वह होता नही है और जो वह करता है वह सामने दिखाई नही देता है।
वृश्चिक और वृष राशि वाले अगर किसी प्रकार के चालाकी और झूठी बातो से अगर वर्तमान मे अपने को सफ़ल बनाने के कारणो मे जुडे है तो उन्हे सतर्क हो जाना चाहिये कि उनके लिये आने वाले इक्कीस जून से दिक्कत का समय शुरु हो रहा है,साथ ही जून के महिने से ही उनकी दूर गामी साढे सात साल के लिये परिस्थिति का बदलाव भी है,यह बदलाव अगर अच्छे काम किये है तो अच्छा होगा और बुरे काम किये है तो धन शरीर मन रहने वाले स्थान जीवन मे रक्षा करने वाले कारक सभी फ़्रीज होने मे देर नही लगेगी।
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