जब हम जन्म लेते है उस समय आकाशीय प्रभाव हमारे ऊपर होता है,कहने को तो हमारा जन्म पैदा होने के नौ महिना दस दिन पहले शुरु हो गया होता है,लेकिन पैदा होने के समय चन्द्रमा की जो हालत होती है वह हम अपने जीवन मे लेकर चलते है और यही बात हमारी भारतीय ज्योतिष गणना के लिये प्रमुख मानी जाती है,कारण पाश्चात्य सायन प्रक्रिया वर्तमान के लिये अपने प्रभाव को प्रकट करती है जबकि लहरी पद्धति नौ महिना दस दिन का अन्तराल देती है,इसे अधिक जानने के लिये आप मेरी बेव साइट astrobhadauria.wikidot.com को पढ सकते है। जिस समय हमारा जन्म होता है एक लगन जन्म समय को सूचित करती है उसी लगन से हमारा व्यक्तित्व हमारे माता पिता भाई बहिन सगे सम्बन्धी सभी को देखा जाता है सभी की प्रकृति को समझा जाता है और किसके पास क्या है को भावानुसार ग्रहों की उपस्थिति से देखा जाता है।जो ग्रह जिसके पास होता है जिसके कार्य व्यवहार सम्बन्ध को प्रस्तुत करता है उसी का वर्णन करना ज्योतिष का फ़लादेश कहलाता है। जिस व्यक्ति को जितना व्यवहारिक और ग्रह भाव राशि का देश काल परिस्थिति के अनुसार ज्ञान होता है वह उसी के अनुसार फ़लादेश करना शुरु कर देता है,यह सब बाते अनुभव के आधार पर ही कही जाती है।
उपरोक्त कुंडली कर्क लगन की है कर्क लगन का स्वामी चन्द्रमा होता है,चन्द्रमा के अनुसार ही जातक की प्रकृति होती है जैसे चन्द्रमा पानी का कारक है पानी मे हल्की से हरकत करने पर वह हलचल पैदा कर देता है,इसी प्रकार से जातक के स्वभाव मे जरा सी बात को पकड कर सोचने की आदत होती है। चन्द्रमा माता का कारक होता है,इस लिये इस लगन वाला जातक माता के प्रति समर्पित होता है,चन्द्रमा रहने वाले स्थान के प्रति संवेदन शील भी बनाता है,चन्दमा के द्वारा ही जातक का रूप प्रतिरूप बनता बिगडता रहता है इस लगन मे पैदा होने वाला जातक जरा सी देर मे बहुत अच्छा है और जरा सी देर मे रूठ भी जाता है,चन्द्रमा का स्वभाव कोमल है इसलिये जातक का रूप और स्वभाव कोमलता की श्रेणी मे देखा जा सकता है। यह लगन का प्रकार आपने देखा इसके बाद धन भाव आता है धन के लिये सिंह राशि सामने आती है इस लगन मे पैदा होने वाला जातक धन को कमाने के लिये खेल कूद मनोरंजन राजनीति के बारे मे प्रस्तुति देना जातक के परिवार मे इन्ही बातो का सबसे अधिक प्रभाव होना भी देखा जा सकता है,जातक का कुटुम्ब भी इसी भाव से देखा जाता है सिंह राशि जब कुटुम्ब के रूप मे सामने होती है तो जातक का परिवार पढा लिखा भी माना जाता है,और सरकारी क्षेत्र से किसी न किसी रूप मे जुडा भी होता है। इसी प्रकार से यह भाव माता के बडे भाई बहिनो के लिये भी देखा जाता है पिता की प्राथमिक शिक्षा के लिये भी देखा जाता है जब इस भाव मे सिंह राशि होती है तो पिता की प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल मे होनी मानी जाती है। यह भाव बडे भाई बहिनो के रहने का स्थान भी माना जाता है इसलिये देखा जा सकता है कि जातक के बडे भाई बहिन सरकारी क्षेत्र के निवासो मे रहने वाले होते है और सरकार की तरफ़ से कोई न कोई जनता से सम्बन्धित काम भी करने को मिलते है यह भाव नानी का अष्टम मे होता है यानी जो बाते जातक के परिवार के लिये उत्तम फ़ल देने वाली होती है वही बाते नानी के लिये यानी माता परिवार के लिये अपमान रिस्क और जान जोखिम देने वाली होती है। यह माता के छोटे भाई बहिनो के लिये ऊंची शिक्षा मे जाने का माना जाता है,उन्हे कायदा कानून और सामाजिक मर्यादा की बाते प्राप्त करने के लिये भी देखा जाता है,जातक के पिता के द्वारा उन्हे प्राथमिक रूप से सहायता देने के लिये भी माना जाता है।
तीसरे भाव मे कन्या राशि आती है इस राशि मे मंगल और शनि के होने से जातक के लिये अपने को प्रस्तुत करने समाज को दिखाने और रोजाना के काम करने के तरीके और जो लोग जातक को जिस रूप मे जानते है की पहिचान के लिये माना जाता है शनि कार्य का कारक है तो मंगल तकनीक का भी कारक है शनि दुर्गम स्थानो के लिये तो मंगल रक्षा सेवा के लिये भी माना जाता है। यह भाव पिता के लिये अपने जीवन यापन और जीवन की लडाइयों को लडने का स्थान भी है माता के लिये यह भाव यात्रा खर्चा करना और अस्पताली दवाइयों के लिये भी माना जाता है। शनि अगर कार्य है तो मंगल रक्षा सेवा है पिता को रक्षा सेवा मे जाना और माता के लिये इसी सेवा से जुडे कार्यों के कारण यात्रा करना भी माना जाता है माता के लिये शनि मंगल की बारहवे भाव मे उपस्थिति से सिर की बीमारिया खून के थक्के जमने की बीमारी आदि के लिये भी माना जा सकता है। सिर मे चोट लगने के लिये भी माना जा सकता है.जातक को लिखने लोगो की भावनाये और उनकी गतिविधिया प्रदर्शित करने के लिये मीडिया समाचार पत्र आदि से जुडने,भोजन बनाने घर की साज सज्जा और तकनीकी जानकारी रखने के लिये भी देखा जा सकता है।इसी बात से जाना जा सकता है कि जातक को इन्टीरियर डिजायन घर को सजाने संवारने की अच्छी कला का आना चाहिये,कारण जिस भाव से जो भाव ग्यारहवां होता है वही भाव लाभ देने वाला होता है। कर्क राशि मे सूर्य के होने से जातक का लाभ कर्क के सूर्य से होना माना जाता है,कर्क राशि का सूर्य जंगली लकडी वन पहाड आदि की सम्पदा से माना जाता है,ग्यारहवां सूर्य बडे भाई के रूप मे भी देखा जा सकता है,इस प्रकार से जातिका का बडा भाई वन सेवा या रक्षा सेवा या इसी प्रकार की तकनीकी सेवाओं मे जाना माना जा सकता है। सूर्य से डाक्टरी सेवा को भी माना जा सकता है,जातिका के लिये और जातिका के बडे भाई के लिये इसी प्रकार की सेवाको के लिये भी जाना जा सकता है।पिता के कार्यों को देखने के लिये भी इसी भाव का रूप सामने आता है जो नौकरी के लिये रक्षा सेवा जो सरकारी रूप से हो तथा इस सेवा से ग्यारहवे भाव मे सूर्य होने से बहुत ऊंची पोस्ट हो,जीवन मे कम से छ: बार बडी दुर्घटनाओ को झेला हो आदि के लिये भी जाना जा सकता है। इस भाव से आगे गुरु के होने से जो भी कार्य या प्रदर्शन किया जाये वह दिमागी रूप से बेलेन्स बनाने के बाद करने के लिये भी जाना जाता है,गुरु का माता के भाव मे होने से माता का भाग्य पूरे परिवार मे उत्तम माना जा सकता है,दिशाओ मे पिता के भाग्य के लिये पैदा होने वाले स्थान से पश्चिम दिशा का फ़लदायी होना माना जा सकता है,यह भाव ही पिता के भाइयों के लिये भी अपना असर देता है पिता का दो भाई होना और जातक के लिये भी दो भाई होना माना जा सकता है। माता पैदा होने का स्थान रहने वाले स्थान के उत्तर-पश्चिम दिशा के लिये भी देखा जा सकता है।माता के छोटे भाई का कानूनी कारणो मे जाना बडे रूप से ठेकेदारी आदि के काम आदि करना और माता के छोटे भाई के भाग्य से पिता के लिये ऊंचे पद पर जाना भी जाना जा सकता है।
यूरेनस भी अपनी स्थिति को पैदा करता है और बताता भी है,जातक के शिक्षा मनोरंजन आदि के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है यही यूरेनस वृश्चिक राशि का होने के कारण तकनीकी और कमन्यूकेशन के प्राथमिक ज्ञान को भी जाना जाता है,संचार सम्बन्धी तकनीकी पढाई के लिये भी जाना जाता है। गूढ विषयों के सम्बन्ध मे भी जाना जा सकता है।यही भाव पिता के लिये भौगोलिक जानकारी नक्शा आदि को पढना बनाना जातक के द्वारा मीडिया कमन्यूकेशन और प्रदर्शन की कला जैसे फ़ैसन डिजायन वेष भूषा आदि के बारे मे अधिक जानकारी रखना कम से कम चार डिग्री डिप्लोमा का होना कहने सुनने लिखने आदि के लिये कम्पयूटर विद्या का पूरी तरह से जानना भी माना जा सकता है। यही भाव माता के भाई बहिनो के लिये भी जाना जा सकता है और कम से कम चार बहिनो के लिये और माता खानदान मे एक भाई के या एक बहनोई के द्वारा जमीन जायदाद को संभालना भी माना जा सकता है,कानूनी लडाइया और परिवार की आपसी रंजिस के कारण कई प्रकार के बनाव बिगाड भी माने जा सकते है। छठे भाव मे केतु के होने से और माता के भाव से तीसरे तथा पिता के भाव से नवे स्थान मे केतु के होने से गजटेड अफ़सर होने के लिये भी यह केतु अपना बल देता है,माता के सहयोगी मे माता का भतीजा या इसी प्रकार के लोग या माता के ननिहाल के लोग भी सहायता के लिये माने जाते है,अदालती काम और कानूनी कामो के लिये भी केतु को समझा जा सकता है। धन आदि के क्षेत्र मे बैंक बीमा फ़ायनेन्स के कामो के लिये और इसी प्रकार की कानूनी जानकारी के लिये भी इस केतु को समझा जा सकता है। जातक के सप्तम भाव का रूप मकर राशि के रूप मे है यह राशि हमेशा दोहरा कार्य करती है किसी भी कारक के लिये दो रूप प्रस्तुत करना एक रूप का बिगाड देना और एक का आगे के लिये बनाकर चलना भी माना जाता है। जातक का यह भाव और राशि एक सम्बन्ध को समाप्त करने के बाद दूसरे समबन्ध को बनाकर चलने के लिये माना जाता है जातक की दो शादिया होना एक का किसी प्रकार से दूर हो जाना चाहे वह विदेश चला जाये या वह किसी पारिवारिक कारण से दूर हो जाये के लिये भी माना जाता है। जातक के सम्बन्ध के लिये सम्बन्ध उम्र की अठारहवी, फ़िर बाइसवी फ़िर उन्तालीसवी साल मे माना जाता है और जीवन पर्यन्त सम्बन्ध उम्र की चवालिसवी साल मे माना जाता है,वैसे शादी का सही सम्बन्ध आने वाले बीस मई दो हजार तेरह मे माना जाना ठीक है,जब गुरु जन्म के मंगल के साथ युति करेगा।इस कुन्डली मे जातक के लिये नौकरी का कारक केतु है और केतु धनु राशि मे है जब भी केतु समान राशियों मे गोचर करेगा जातक के लिये काम धन्धे मे परेशानी आजायेगी,आने वाले तेरह जनवरी दो हजार तेरह से केतु का बदलाव मेष राशि मे होने पर जातक को नौकरी की बात भी शुरु होनी मानी जा सकती है पिछले समय मे केतु का गोचर एक तो समान राशि मे रहा है और दूसरे प्रदर्शन के मामले मे भी रहना माना जा सकता है,जातक के कार्यों मे हवाई यात्राओं से सम्बन्धित काम भी माने जाते है खान पा सम्बन्धी भी काम माने जा सकते है।
उपरोक्त कुंडली कर्क लगन की है कर्क लगन का स्वामी चन्द्रमा होता है,चन्द्रमा के अनुसार ही जातक की प्रकृति होती है जैसे चन्द्रमा पानी का कारक है पानी मे हल्की से हरकत करने पर वह हलचल पैदा कर देता है,इसी प्रकार से जातक के स्वभाव मे जरा सी बात को पकड कर सोचने की आदत होती है। चन्द्रमा माता का कारक होता है,इस लिये इस लगन वाला जातक माता के प्रति समर्पित होता है,चन्द्रमा रहने वाले स्थान के प्रति संवेदन शील भी बनाता है,चन्दमा के द्वारा ही जातक का रूप प्रतिरूप बनता बिगडता रहता है इस लगन मे पैदा होने वाला जातक जरा सी देर मे बहुत अच्छा है और जरा सी देर मे रूठ भी जाता है,चन्द्रमा का स्वभाव कोमल है इसलिये जातक का रूप और स्वभाव कोमलता की श्रेणी मे देखा जा सकता है। यह लगन का प्रकार आपने देखा इसके बाद धन भाव आता है धन के लिये सिंह राशि सामने आती है इस लगन मे पैदा होने वाला जातक धन को कमाने के लिये खेल कूद मनोरंजन राजनीति के बारे मे प्रस्तुति देना जातक के परिवार मे इन्ही बातो का सबसे अधिक प्रभाव होना भी देखा जा सकता है,जातक का कुटुम्ब भी इसी भाव से देखा जाता है सिंह राशि जब कुटुम्ब के रूप मे सामने होती है तो जातक का परिवार पढा लिखा भी माना जाता है,और सरकारी क्षेत्र से किसी न किसी रूप मे जुडा भी होता है। इसी प्रकार से यह भाव माता के बडे भाई बहिनो के लिये भी देखा जाता है पिता की प्राथमिक शिक्षा के लिये भी देखा जाता है जब इस भाव मे सिंह राशि होती है तो पिता की प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल मे होनी मानी जाती है। यह भाव बडे भाई बहिनो के रहने का स्थान भी माना जाता है इसलिये देखा जा सकता है कि जातक के बडे भाई बहिन सरकारी क्षेत्र के निवासो मे रहने वाले होते है और सरकार की तरफ़ से कोई न कोई जनता से सम्बन्धित काम भी करने को मिलते है यह भाव नानी का अष्टम मे होता है यानी जो बाते जातक के परिवार के लिये उत्तम फ़ल देने वाली होती है वही बाते नानी के लिये यानी माता परिवार के लिये अपमान रिस्क और जान जोखिम देने वाली होती है। यह माता के छोटे भाई बहिनो के लिये ऊंची शिक्षा मे जाने का माना जाता है,उन्हे कायदा कानून और सामाजिक मर्यादा की बाते प्राप्त करने के लिये भी देखा जाता है,जातक के पिता के द्वारा उन्हे प्राथमिक रूप से सहायता देने के लिये भी माना जाता है।
तीसरे भाव मे कन्या राशि आती है इस राशि मे मंगल और शनि के होने से जातक के लिये अपने को प्रस्तुत करने समाज को दिखाने और रोजाना के काम करने के तरीके और जो लोग जातक को जिस रूप मे जानते है की पहिचान के लिये माना जाता है शनि कार्य का कारक है तो मंगल तकनीक का भी कारक है शनि दुर्गम स्थानो के लिये तो मंगल रक्षा सेवा के लिये भी माना जाता है। यह भाव पिता के लिये अपने जीवन यापन और जीवन की लडाइयों को लडने का स्थान भी है माता के लिये यह भाव यात्रा खर्चा करना और अस्पताली दवाइयों के लिये भी माना जाता है। शनि अगर कार्य है तो मंगल रक्षा सेवा है पिता को रक्षा सेवा मे जाना और माता के लिये इसी सेवा से जुडे कार्यों के कारण यात्रा करना भी माना जाता है माता के लिये शनि मंगल की बारहवे भाव मे उपस्थिति से सिर की बीमारिया खून के थक्के जमने की बीमारी आदि के लिये भी माना जा सकता है। सिर मे चोट लगने के लिये भी माना जा सकता है.जातक को लिखने लोगो की भावनाये और उनकी गतिविधिया प्रदर्शित करने के लिये मीडिया समाचार पत्र आदि से जुडने,भोजन बनाने घर की साज सज्जा और तकनीकी जानकारी रखने के लिये भी देखा जा सकता है।इसी बात से जाना जा सकता है कि जातक को इन्टीरियर डिजायन घर को सजाने संवारने की अच्छी कला का आना चाहिये,कारण जिस भाव से जो भाव ग्यारहवां होता है वही भाव लाभ देने वाला होता है। कर्क राशि मे सूर्य के होने से जातक का लाभ कर्क के सूर्य से होना माना जाता है,कर्क राशि का सूर्य जंगली लकडी वन पहाड आदि की सम्पदा से माना जाता है,ग्यारहवां सूर्य बडे भाई के रूप मे भी देखा जा सकता है,इस प्रकार से जातिका का बडा भाई वन सेवा या रक्षा सेवा या इसी प्रकार की तकनीकी सेवाओं मे जाना माना जा सकता है। सूर्य से डाक्टरी सेवा को भी माना जा सकता है,जातिका के लिये और जातिका के बडे भाई के लिये इसी प्रकार की सेवाको के लिये भी जाना जा सकता है।पिता के कार्यों को देखने के लिये भी इसी भाव का रूप सामने आता है जो नौकरी के लिये रक्षा सेवा जो सरकारी रूप से हो तथा इस सेवा से ग्यारहवे भाव मे सूर्य होने से बहुत ऊंची पोस्ट हो,जीवन मे कम से छ: बार बडी दुर्घटनाओ को झेला हो आदि के लिये भी जाना जा सकता है। इस भाव से आगे गुरु के होने से जो भी कार्य या प्रदर्शन किया जाये वह दिमागी रूप से बेलेन्स बनाने के बाद करने के लिये भी जाना जाता है,गुरु का माता के भाव मे होने से माता का भाग्य पूरे परिवार मे उत्तम माना जा सकता है,दिशाओ मे पिता के भाग्य के लिये पैदा होने वाले स्थान से पश्चिम दिशा का फ़लदायी होना माना जा सकता है,यह भाव ही पिता के भाइयों के लिये भी अपना असर देता है पिता का दो भाई होना और जातक के लिये भी दो भाई होना माना जा सकता है। माता पैदा होने का स्थान रहने वाले स्थान के उत्तर-पश्चिम दिशा के लिये भी देखा जा सकता है।माता के छोटे भाई का कानूनी कारणो मे जाना बडे रूप से ठेकेदारी आदि के काम आदि करना और माता के छोटे भाई के भाग्य से पिता के लिये ऊंचे पद पर जाना भी जाना जा सकता है।
यूरेनस भी अपनी स्थिति को पैदा करता है और बताता भी है,जातक के शिक्षा मनोरंजन आदि के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है यही यूरेनस वृश्चिक राशि का होने के कारण तकनीकी और कमन्यूकेशन के प्राथमिक ज्ञान को भी जाना जाता है,संचार सम्बन्धी तकनीकी पढाई के लिये भी जाना जाता है। गूढ विषयों के सम्बन्ध मे भी जाना जा सकता है।यही भाव पिता के लिये भौगोलिक जानकारी नक्शा आदि को पढना बनाना जातक के द्वारा मीडिया कमन्यूकेशन और प्रदर्शन की कला जैसे फ़ैसन डिजायन वेष भूषा आदि के बारे मे अधिक जानकारी रखना कम से कम चार डिग्री डिप्लोमा का होना कहने सुनने लिखने आदि के लिये कम्पयूटर विद्या का पूरी तरह से जानना भी माना जा सकता है। यही भाव माता के भाई बहिनो के लिये भी जाना जा सकता है और कम से कम चार बहिनो के लिये और माता खानदान मे एक भाई के या एक बहनोई के द्वारा जमीन जायदाद को संभालना भी माना जा सकता है,कानूनी लडाइया और परिवार की आपसी रंजिस के कारण कई प्रकार के बनाव बिगाड भी माने जा सकते है। छठे भाव मे केतु के होने से और माता के भाव से तीसरे तथा पिता के भाव से नवे स्थान मे केतु के होने से गजटेड अफ़सर होने के लिये भी यह केतु अपना बल देता है,माता के सहयोगी मे माता का भतीजा या इसी प्रकार के लोग या माता के ननिहाल के लोग भी सहायता के लिये माने जाते है,अदालती काम और कानूनी कामो के लिये भी केतु को समझा जा सकता है। धन आदि के क्षेत्र मे बैंक बीमा फ़ायनेन्स के कामो के लिये और इसी प्रकार की कानूनी जानकारी के लिये भी इस केतु को समझा जा सकता है। जातक के सप्तम भाव का रूप मकर राशि के रूप मे है यह राशि हमेशा दोहरा कार्य करती है किसी भी कारक के लिये दो रूप प्रस्तुत करना एक रूप का बिगाड देना और एक का आगे के लिये बनाकर चलना भी माना जाता है। जातक का यह भाव और राशि एक सम्बन्ध को समाप्त करने के बाद दूसरे समबन्ध को बनाकर चलने के लिये माना जाता है जातक की दो शादिया होना एक का किसी प्रकार से दूर हो जाना चाहे वह विदेश चला जाये या वह किसी पारिवारिक कारण से दूर हो जाये के लिये भी माना जाता है। जातक के सम्बन्ध के लिये सम्बन्ध उम्र की अठारहवी, फ़िर बाइसवी फ़िर उन्तालीसवी साल मे माना जाता है और जीवन पर्यन्त सम्बन्ध उम्र की चवालिसवी साल मे माना जाता है,वैसे शादी का सही सम्बन्ध आने वाले बीस मई दो हजार तेरह मे माना जाना ठीक है,जब गुरु जन्म के मंगल के साथ युति करेगा।इस कुन्डली मे जातक के लिये नौकरी का कारक केतु है और केतु धनु राशि मे है जब भी केतु समान राशियों मे गोचर करेगा जातक के लिये काम धन्धे मे परेशानी आजायेगी,आने वाले तेरह जनवरी दो हजार तेरह से केतु का बदलाव मेष राशि मे होने पर जातक को नौकरी की बात भी शुरु होनी मानी जा सकती है पिछले समय मे केतु का गोचर एक तो समान राशि मे रहा है और दूसरे प्रदर्शन के मामले मे भी रहना माना जा सकता है,जातक के कार्यों मे हवाई यात्राओं से सम्बन्धित काम भी माने जाते है खान पा सम्बन्धी भी काम माने जा सकते है।
Guru ji date of birth 26/01/2011.7.20.pm Delhi ki ha isle pita ka kam chalne ka upai bataye non sa kam kare
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