जब जन्म पत्री देखी जाती है तो एक ग्रह के कई रूप बताये जाते है लोग अपनी अपनी समझ से ग्रह के रूप को समझ भी जाते है और जो अपने दिमाग का प्रयोग नही करना चाहते है वे सीधे से कह देते है कि ज्योतिष से कुछ भी समझ मे नही आ रहा है। वक्ता और श्रोता दोनो ही अपनी अपनी जगह पर सजग है तो ग्रह के रूप को समझा जा सकता है,ग्रह चन्द्रमा का रूप वर्णन करने की कोशिश कर रहा हूँ शायद आपको अच्छा लगे।
चन्द्रमा के बारे मे आप सभी ने पढा होगा सुना होगा और समझा भी होगा। चन्द्रमा को पानी का ग्रह कहा गया है लेकिन चन्द्रमा पर पानी नही है यह भी वैज्ञानिको ने अपने शोध मे प्रकट कर दिया है। जब चन्द्रमा पर पानी नही है तो फ़िर चन्द्रमा से पानी का सम्बन्ध कैसा इस बात को समझना जरूरी है। चन्द्रमा के अर्थ जो अधिक जानने के लिये माता के रूप को समझना होगा,जब तक बच्चा नही होता है माता के स्तन दूध से खाली होते है जैसे ही जीव का आना होता है प्रकृति जीव के लिये पहला आहार भेद देती है,माता को भी चन्द्रमा का रूप बताया गया है। जिस प्रकार से इस धरती पर पानी आग हवा का प्रसार है वैसे ही ब्रह्माण्ड मे भी इस सभी तत्वो का प्रचार प्रसार है। अगर नही होता तो करोडो ग्रहों के प्रति अक्समात तो धारणा बनायी नही जा सकती है। अगर हम केवल एक ही जगह पर रहने वाले है तो अन्य स्थान के बारे मे जानकारी करने के लिये कई साधनो का प्रयोग हमे करना पडेगा। उसी प्रकार से संसार मे जो समर्थ है और जिनकी जिज्ञासा अधिक है वे इस बारे मे अपने पूरे ध्यान और ज्ञान से सहयोग करने के कारणो का विकास भी कर रहे है और खोज के लिये भी अपने प्रयास कर रहे है। कभी चन्द्रमा पर अपने यान को भेजा जा रहा है तो कभी मंगल की परिधि मे यान भेजा जा रहा है कभी बडी बडी खगोलीय दूरबीनो से ग्रहो के वातावरण का पता लगाया जा रहा है बडी बडी सैटेलाइट धरती के चारो तरफ़ घूमने लगी है और यह सब केवल मनुष्य की जिज्ञासा और मनुष्य की उत्तरोत्तर विकास का कारण ही माना जा सकता है,अगर मन मे आगे बढने की आशा ही नही होती तो आज भी हम जानवरों की भांति जैसे है वैसे ही रहते।
चन्द्रमा भी प्रकृति का बनाया हुआ सैटेलाइट है जो अन्य ग्रहो से प्राप्त ऊर्जा को हम तक पहुंचाता है। चन्द्रमा मे चुम्बकीय शक्ति है जो जो जलीय कारको को अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। लेकिन यह अपने समय पर अपने प्रभाव से ही आकर्षण मे लेती है यह नही है कि यह हमेशा ही उतना ही प्रभाव देता रहे जैसा पहले था। यह सब धरती के घूमने के कारण और चन्द्रमा का भी धरती के चारो तरफ़ चक्कर लगाने के कारण है। धरती शुक्र शनि बुध गुरु शनि सभी ग्रह सूर्य की सैटेलाइट है और चन्द्रमा धरती का सैटेलाइट है,चन्द्रमा की तरह से ही अन्य ग्रहो के चारो ओर भी कई उपग्रह चक्कर लगा रहे है इस प्रकार से प्रकृति अपनी चाल को कायम रखकर चल रही है। हमे जितना ज्ञान होता है उतना ही हम विश्लेषण कर लेते है लेकिन जो ज्ञान हमारे पास है उसको भी देने वाला कोई और भी है।
सूर्य को आग का गोला कहा गया है और कहा गया है कि सूर्य पर हाड्रोजन गैस है जो लगातार जलती रहती है,लेकिन यह भी सोचना जरूरी है कि आग का रूप किसी भी कारक को कुछ ही छणो मे जलाकर राख कर देना होता है आग के लिये तीन कारक बहुत जरूरी है एक तो ईंधन दूसरी आक्सीजन और तीसरा ताप,यह सब सूर्य को कौन दे रहा है ? अगर वास्तविक रूप से देखा जाये तो सूर्य को यह तत्व दूसरे ग्रह दे रहे है,जो ग्रह सूर्य की तरफ़ लगागार बढते जा रहे है वे ही ग्रह सूर्य को अपनी तरफ़ से ईंधन को दे रहे है। इन्हे ग्रहो से आक्सीजन जा रही है यही ग्रहों से ईंधन जा रहा है और इन्ही ग्रहो से ताप की पूर्ति की जा रही है यह प्रकृति की लीला अपरम्पार है,हम जरा सा ज्ञान प्राप्त करने के बाद सोचने लगते है कि हम ज्ञान से पूर्ण हो चुके है और अब आगे सोचने की जरूरत नही है,लेकिन हम जितना आगे बढते जाते है उतनी ही आगे कई प्रकार की शाखायें और भी मिलती जाती है।
चन्द्रमा के बारे मे आप सभी ने पढा होगा सुना होगा और समझा भी होगा। चन्द्रमा को पानी का ग्रह कहा गया है लेकिन चन्द्रमा पर पानी नही है यह भी वैज्ञानिको ने अपने शोध मे प्रकट कर दिया है। जब चन्द्रमा पर पानी नही है तो फ़िर चन्द्रमा से पानी का सम्बन्ध कैसा इस बात को समझना जरूरी है। चन्द्रमा के अर्थ जो अधिक जानने के लिये माता के रूप को समझना होगा,जब तक बच्चा नही होता है माता के स्तन दूध से खाली होते है जैसे ही जीव का आना होता है प्रकृति जीव के लिये पहला आहार भेद देती है,माता को भी चन्द्रमा का रूप बताया गया है। जिस प्रकार से इस धरती पर पानी आग हवा का प्रसार है वैसे ही ब्रह्माण्ड मे भी इस सभी तत्वो का प्रचार प्रसार है। अगर नही होता तो करोडो ग्रहों के प्रति अक्समात तो धारणा बनायी नही जा सकती है। अगर हम केवल एक ही जगह पर रहने वाले है तो अन्य स्थान के बारे मे जानकारी करने के लिये कई साधनो का प्रयोग हमे करना पडेगा। उसी प्रकार से संसार मे जो समर्थ है और जिनकी जिज्ञासा अधिक है वे इस बारे मे अपने पूरे ध्यान और ज्ञान से सहयोग करने के कारणो का विकास भी कर रहे है और खोज के लिये भी अपने प्रयास कर रहे है। कभी चन्द्रमा पर अपने यान को भेजा जा रहा है तो कभी मंगल की परिधि मे यान भेजा जा रहा है कभी बडी बडी खगोलीय दूरबीनो से ग्रहो के वातावरण का पता लगाया जा रहा है बडी बडी सैटेलाइट धरती के चारो तरफ़ घूमने लगी है और यह सब केवल मनुष्य की जिज्ञासा और मनुष्य की उत्तरोत्तर विकास का कारण ही माना जा सकता है,अगर मन मे आगे बढने की आशा ही नही होती तो आज भी हम जानवरों की भांति जैसे है वैसे ही रहते।
चन्द्रमा भी प्रकृति का बनाया हुआ सैटेलाइट है जो अन्य ग्रहो से प्राप्त ऊर्जा को हम तक पहुंचाता है। चन्द्रमा मे चुम्बकीय शक्ति है जो जो जलीय कारको को अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। लेकिन यह अपने समय पर अपने प्रभाव से ही आकर्षण मे लेती है यह नही है कि यह हमेशा ही उतना ही प्रभाव देता रहे जैसा पहले था। यह सब धरती के घूमने के कारण और चन्द्रमा का भी धरती के चारो तरफ़ चक्कर लगाने के कारण है। धरती शुक्र शनि बुध गुरु शनि सभी ग्रह सूर्य की सैटेलाइट है और चन्द्रमा धरती का सैटेलाइट है,चन्द्रमा की तरह से ही अन्य ग्रहो के चारो ओर भी कई उपग्रह चक्कर लगा रहे है इस प्रकार से प्रकृति अपनी चाल को कायम रखकर चल रही है। हमे जितना ज्ञान होता है उतना ही हम विश्लेषण कर लेते है लेकिन जो ज्ञान हमारे पास है उसको भी देने वाला कोई और भी है।
सूर्य को आग का गोला कहा गया है और कहा गया है कि सूर्य पर हाड्रोजन गैस है जो लगातार जलती रहती है,लेकिन यह भी सोचना जरूरी है कि आग का रूप किसी भी कारक को कुछ ही छणो मे जलाकर राख कर देना होता है आग के लिये तीन कारक बहुत जरूरी है एक तो ईंधन दूसरी आक्सीजन और तीसरा ताप,यह सब सूर्य को कौन दे रहा है ? अगर वास्तविक रूप से देखा जाये तो सूर्य को यह तत्व दूसरे ग्रह दे रहे है,जो ग्रह सूर्य की तरफ़ लगागार बढते जा रहे है वे ही ग्रह सूर्य को अपनी तरफ़ से ईंधन को दे रहे है। इन्हे ग्रहो से आक्सीजन जा रही है यही ग्रहों से ईंधन जा रहा है और इन्ही ग्रहो से ताप की पूर्ति की जा रही है यह प्रकृति की लीला अपरम्पार है,हम जरा सा ज्ञान प्राप्त करने के बाद सोचने लगते है कि हम ज्ञान से पूर्ण हो चुके है और अब आगे सोचने की जरूरत नही है,लेकिन हम जितना आगे बढते जाते है उतनी ही आगे कई प्रकार की शाखायें और भी मिलती जाती है।
सर जी अभी के आप के सभी लेखो पडा और समझने की कोशिस की है
ReplyDeleteजीवन के लिए उपयोगी हो रहै है
धन्यवाद
मेरी जन्म की रशि कर्क लग्न तुला है जबकि टेरा नाम के हिसाब से रशि तुला होती है किस रशि को आधार माना जाए