जातक का प्रश्न है कि क्या वह व्यवसाय कर सकता है और कर सकता है तो कौन सा व्यवसाय कर सकता है ? ध्यान रखने वाली बात है कि चार आठ और बारह व्यवसाय के लिये देखे जाते है और छ दस और दूसरा भाव नौकरी के लिये देखा जाता है।जन्म कुंडली मे इन छ: भावो मे राहु जिस भाव मे होता है उसी भाव का कारण जातक के जीवन मे बना रहता है और वह उन्ही भावो के अनुसार अपने कार्यों को आगे बढाने के लिये प्रस्तुत करता है। जातक की कुंडली मे राहु दूसरे भाव मे है जो दो छ: और दस को प्रभावित कर रहा है जातक को नौकरी करना ठीक है,अगर जातक व्यवसाय करता है तो बारह मे बैठे सूर्य और मंगल सरकारी धन को बरबाद कर सकते है पिता और चाचा की सम्पत्ति को बरबाद कर सकते है या भाई और खुद के लिये कर्जाई होने का रूप सामने आ सकता है। चौथे भाव मे गुरु शनि के होने से धर्मी मानस बन जाता है दुकानदारी बिना उधारी के नही चलती है और उधार देकर जो वसूलने की हिम्मत रखता है वही दुकानदारी कर सकता है। चौथे भाव से अष्टम भाव पंचम मे होता है जातक को जितना अधिक रिस्क लेने का भाव होगा उतना ही वह दुकानदारी मे आगे भी बढ सकता है और जितना वह डरने वाला या धर्मी यानी किसी की मजबूरी समझ कर सामान या सेवा दे दी लेकिन उसकी परिस्थिति को देखकर वसूलने मे भी रहम आ रहा है,यह बात सामने वाले को बेइमान बनाने मे और खुद को लुटवाने का कारन बन सकता है। इसके अलावा व्यवसाय के लिये जो सबसे बडी बात होती है वह व्यवसाय स्थान को स्थाई कायम करने के लिये और भी देखा जाता है अगर व्यसाय स्थान किराये का है तो जातक व्यवसाय को करने के बाद आगे बढाता चला गया और स्थान की कीमत बढ गयी लेकिन जैसे ही किराये के मकान या दुकान वाले की मर्जी हुयी दुकान या मकान खाली करने के लिये कहा गया उस समय वह स्थान की कीमत और की गयी मेहनत का बेकार होना भी माना जा सकता है,यह बात ब्रांच जो व्यवसाय के लिये बनायी जाती है उसके लिये कोई मायना नही रखता है लेकिन किराये से बनाया गया मुख्यालय हमेशा दिक्कत देने वाला हो जाता है। जातक की कुंडली मे शनि और गुरु कन्या राशि मे विराजमान है कन्या का शनि चौथे भाव मे होने से या तो किराये से लाभ करवाता है या किराये से रहने और व्यापार करने के लिये अपने मन को प्रदान करता है। साथ ही इस गुरु और मंगल की केतु मंगल और सूर्य से युति भी है शनि ने अपनी मारक द्रिष्टि से लगन मे वक्री बुध और शुक्र को भी काटा है इस प्रकार से जातक दूसरे के लिये किये गये काम से तो लाभ ले सकता है लेकिन अपने द्वारा किये गये काम से कभी फ़ायदा लेने वाला नही हो सकता है। खुद का काम करने का मानस बनाने के लिये छठे भाव मे राहु का गोचर असर देने वाला है,राहु नौकरी वाले स्थान पर है और जातक को लगता है कि पता नही कब नौकरी से दूर होना पडे इसलिये खुद का व्यवसाय करना ठीक है लेकिन अष्टम मे बैठा केतु और छठा बैठा राहु जो कारण पैदा कर देता है वह कारण अक्सर साधारण रूप से समझ मे नही आते है। जातक को नौकरी ही करनी चाहिये और आने वाले जनवरी के महिने से दूसरी नौकरी की तलाश भी करनी चाहिये जहां यह राहु अपनी गति से लोगो के लिये पार्ट टाइम मे कमन्यूकेशन लोन आदि के लिये कार्य करने से फ़ायदा देने वाला हो सकता है.
Pranaam guruji.....
ReplyDeleteMe bhi badi duvidha me hu ki mujhe naukri karni chayiye ya business? maine engineering kiya hua hai aur naukri kisi na kisi karan se baar baar chodni pad jaati hai. pareshaan hu kya karu?
guruji thoda margdarshan kariye aapki ati kripa hogi
name - mahendra jain
dob - 11/10/1985
pob - sawaimadhopur
tob - 3:30 pm