राहु जिस भाव या राशि मे जिस ग्रह के साथ गोचर करता जाता है वह भाव राशि या ग्रह कनफ़्यूजन की स्थिति मे आजाता है,जन्म के समय मे राहु जिस राशि भाव ग्रह के साथ होता है आजीवन उस राशि भाव और ग्रह के लिये कनफ़्यूज ही रखता है.पैदा होने के समय प्रस्तुत कुंडली मे राहु धन भाव मे है और वह मंगल के साथ होने से कन्ट्रोल मे है,यह कन्ट्रोल मिथुन राशि मे होने के कारण कमन्यूकेशन धन को कमन्यूकेशन से लेने देने के मामले मे कमन्यूकेशन के मामले मे होस्ट आदि के काम करने से भी माना जा सकता है और इस भाव मे कनफ़्यूजन रखने से लेकिन मंगल के साथ अपनी युति लेकर कन्ट्रोल रहकर काम करने से यह फ़ायदा देने वाला बन जाता है। राहु जब तक मंगल के घेरे मे रहता है वह उचित काम करने के लिये माना जाता है जैसे ही मंगल की सीमा से दूर होता है वह मन मर्जी का अधिकारी बन जाता है और जो राहु के कारक कारण होते है पूरे जोर शोर से होने लगते है। प्रस्तुत कुंडली मे राहु मंगल के साथ है धन के क्षेत्र मे है और केतु के द्वारा कमन्यूकेशन करने के बाद ब्रोकर जैसे काम करने के लिये अपनी शक्ति को दे रहा है,यह कार्य सूर्य के आगे होने से जंगल से सम्बन्धित सामान और सरकारी क्षेत्र से जुडी कम्पनियों के लिये कार्य करना माना जाता है,यह राहु फ़ैसन के लिये भी अपनी युति को देता है और कपडो के काम के लिये भी अपनी महारत देने के लिये माना जा सकता है। पिछले समय मे राहु ने अपना गोचर जन्म के केतु के साथ दिया इस कारण से जातक को विदेशी परिवेश और ब्रोकर जैसे काम के लिये अपनी अच्छी युति दी और इतना काम दिया जो जातक के लिये सुनहरे सपने देखने के लिये सही माना जा सकता है लेकिन जैसे ही यह राहु गुरु के साथ अपने गोचर मे आया जातक के लिये बने हुये सम्बन्ध खटाई मे चले गये और साथ ही धन जो बचत करके रखा जाता है जो जमा पूंजी बचत करने के बाद बीमा आदि कार्यों से इकट्ठी की जाती है उसे बरबाद करने चीटिंग आदि के लिये भी माना जा सकता है। जातक के सप्तम मे राहु का गोचर गुरु के साथ है यह गोचर शादी विवाह के मामले मे कनफ़्यूजन देने के लिये भी माना जा सकता है जातक के लिये एक से एक रिस्ते आयेंगे लेकिन वह सभी किसी न किसी प्रकार के कनफ़्यूजन से दूर हो जायेंगे जब तक यह राहु जातक के गुरु के साथ है सम्बन्धो के मामले मे दिक्कत ही मानी जा सकती है इसके अलावा भी यह भी माना जाता है कि जातक के पिता के कार्यों मे भी यह कनफ़्यूजन पैदा करेगा और पिता की पीठ सम्बन्धी बीमारी भी देने के लिये अपना प्रभाव पैदा करेगा। जातक की माता के परिवार मे यानी ननिहाल मे भी दिक्कत का कारण माना जायेगा और जातक के कार्यों भी लाभ तो बहुत अधिक दिखाई देगा लेकिन इनकम के मामले मे जब राहु उतरेगा तो वही ढाक के तीन पात वाली कहावत का चरितार्थ होना माना जायेगा।
जनवरी दो हजार तेरह के बाद राहु का गोचर जन्म के शनि के साथ होग और इस शनि के साथ राहु का गोचर होने के कारण जातक के नौकरी आदि के किये जाने वाले कार्य भी अन्धेरे मे चले जाने का कारण माना जा सकता है जातक की माता के नाम से कोई व्यापारिक सम्पत्ति है उसे भी ग्रहण देने के लिये यह राहु अपना काम करेगा,इसके बाद जैसे जैसे यह मंगल की सीमा मे रहेगा वह अपना काम अच्छा करता जायेगा जैसे ही मंगल की सीमा से दूर होगा वह अपने असर से कनफ़्यूजन और दिक्कत को देने के लिये अपना प्रभाव दिखायेगा। यह राहु पिता के लिये भी दिक्कत का कारण माना जा सकता है पिता को पेट सम्बन्धी बीमारी भी इसी राहु के द्वारा मानी जा सकती है और गैस आदि के लिये भी इसी राहु को माना जा सकता है। जातक की शादी के लिये देरी करने के लिये शनि भी अपनी युति को प्रदान कर रहा है और इस शनि के कारण भी जातक की शादी देरी से होने की बात मिलती है। जून दो हजार तेरह मे जातक की शादी वाली स्थिति को बनना माना जाता है अगर जातक किसी प्रकार के दुर्घटना वाले कारणो से बच जाता है तो जातक की शादी होने का कारण भी बन जायेगा और जातक अपनी तरक्की भी कर लेगा।
जनवरी दो हजार तेरह के बाद राहु का गोचर जन्म के शनि के साथ होग और इस शनि के साथ राहु का गोचर होने के कारण जातक के नौकरी आदि के किये जाने वाले कार्य भी अन्धेरे मे चले जाने का कारण माना जा सकता है जातक की माता के नाम से कोई व्यापारिक सम्पत्ति है उसे भी ग्रहण देने के लिये यह राहु अपना काम करेगा,इसके बाद जैसे जैसे यह मंगल की सीमा मे रहेगा वह अपना काम अच्छा करता जायेगा जैसे ही मंगल की सीमा से दूर होगा वह अपने असर से कनफ़्यूजन और दिक्कत को देने के लिये अपना प्रभाव दिखायेगा। यह राहु पिता के लिये भी दिक्कत का कारण माना जा सकता है पिता को पेट सम्बन्धी बीमारी भी इसी राहु के द्वारा मानी जा सकती है और गैस आदि के लिये भी इसी राहु को माना जा सकता है। जातक की शादी के लिये देरी करने के लिये शनि भी अपनी युति को प्रदान कर रहा है और इस शनि के कारण भी जातक की शादी देरी से होने की बात मिलती है। जून दो हजार तेरह मे जातक की शादी वाली स्थिति को बनना माना जाता है अगर जातक किसी प्रकार के दुर्घटना वाले कारणो से बच जाता है तो जातक की शादी होने का कारण भी बन जायेगा और जातक अपनी तरक्की भी कर लेगा।
मंगल वक्री होकर राहु को कन्ट्रोल नही कर पाता है मार्गी है और मंगल की द्रिष्टि है तो राहु कन्ट्रोल मे रहता है.राहु बिजली है तो मंगल तकनीकी स्विच.
ReplyDeleteगुरूजी मेरी जन्म कुंडली में लग्न से 11 भाव में शनि राहु मंगल के साथ गुरू बैठे है कौन सा योग है
ReplyDeleteमेंरा जन्म यूपी के हरदोई में 25मार्च 1980 को रात 9 से 9:30 के बीच हुआ था कार्य और जीवन काल के लिए शु:मार्ग प्रदान करने की कपा करे
गुरु सम्बन्धो का कारक है शनि सम्बन्धो को मजबूत करता है राहु सम्बन्धो के प्रति फ़ैलाव देता है मंगल सम्बन्धो के प्रति वफ़ादारी देता है,यह कारण मित्र सम्बन्धो के प्रति बडे भाई के प्रति जीवन साथी के परिवार के प्रति पिता की पहिचान के प्रति सन्तान के जीवन साथी के प्रति लाभ के साधनो के प्रति माना जाता है. मंगल के साथ रहने से राहु शरारत नही करता है शनि के साथ रहने के कारण शनि यानी कर्म मे कई प्रकार के रास्ते खुल जाते है गुरु के साथ होने से दैवीय शक्तियों मे विश्वास पैदा हो जाता है आदि बाते मानी जाती है,यहां बडे भाई के जीवन साथी के परिवार में अचानक होने वाले हादसे भी देखे जा सकते है.
Deleteगुरूजी
ReplyDeleteमेंरा जन्म यूपी के हरदोई में 25मार्च 1980 को रात 9 से 9:30 के बीच हुआ था कार्य और जीवन काल के लिए और इस समय में हम एक दैनिक समाचार में पत्रकार का कार्य कर रहा हू सफलता नही मिल रही क्या करे
बुध ग्रह से सम्बन्धित उपाय करो,साथ मे दी गयी जुबान पर कायम रहो सफ़लता मिलने लगेगी.कनफ़्यूजन मे जाना और तुरत जबाब नही खोज पाना अपने को समय और स्थान के अनुसार प्रस्तुत नही कर पाना ही असफ़लता के कारण है.
Deleteसर जी आप का बहुत 2 धन्यवाद लेकिन कुंडली में तो सूर्य और गुरू भी शुभ नही है उनका कोई उपाय करना है या नही
Deleteराम मिश्र
सूर्य और गुरु के लिये किये जाने वाले उपायों में पिता की मर्यादा और पिता के सम्मान की चिन्ता करना ही सबसे बडा उपाय है,वैसे वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा और गुरु को जीव कहा गया है इसलिये जातक खुद ही अगर अपने मान सम्मान को बनाने के लिये हमेशा तत्पर रहे और झूठ चालाकी मदिरापान फ़रेब आदि से दूर रहे तो दोनो ग्रहो का सम्मान होता रहता है और जातक के साथ कोई बुरा नही हो पाता है,साथ ही सूर्य अगर खराब भी होता है तो छ: महिने अपने आप ही सही फ़ल देता है साथ ही गुरु भी खराब होने पर बारह साल के बाद खुद ब खुद सही फ़ल देने लगता है.
Deleteसर जी क्या हमारे लिए समाचार पत्र का काम ठीक है या नही
Deleteदूसरा जानकार लोग हमारी कुंडली में में वाणी दोष पित्त दोष बताते है आप के अनुसार क्या है अगर है तो उपाय बताने की कृपा करे
राम मिश्र जन्म 25 मार्च 1980 रात करीब 9;30 यूपी के हरदोई लिले में हुआ था
बुध वाणी का कारक है और बुध ही समाचार पत्र मे काम करने का मालिक है पित्त दोष सूर्य से मिलता है और सूर्य दोष तभी पैदा होता है जब बडे भाई या पिता के प्रति कोई पूर्व मे दुर्व्यवहार किया गया हो,इसलिये इन बातो पर ध्यान देना और अपने बुद्धि बल का सहारा नही लेना मेरे ख्याल से खुद के कनफ़्यूजन के कारण है इस दोष से बचने के लिये जो सामने काम है उसे करने से खुद की और अन्य लोगो की भविष्य कल्पना साकार हो सकती है.
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ReplyDeleteसर जी
ReplyDeleteआप के 。द्धारा पूर्व कई बार हमारी शंकाओं का समाधान किया है
मेरा जन्म हरदोई hardoi up जिले में 25 march मार्च 1980 को समय करीब
9;30 माना गया है
महोदय आप से जीवन के लिए मार्ग दर्शन की चाह है
आशा है कि आप हमारी मदद करेगे
धन्यवाद
आपका .........?
राम मिश्र
शाहजहांपुर यूपी
आप अपने बारे मे जो भी प्रश्न करे वह www.astrobhadauria.com मे बने फ़ार्म मे जन्म विवरण देकर भेजे जिससे जो भी आपके प्रति जीवन से सम्बन्धित जानकारी है वह आप तक ही सीमित रहे.
DeleteVery good namaskar guru ji
ReplyDeleteGuru ji date ha 26/01/2011.07.20.pm.delhison ki ha iske father ka kam chalne ka upai bataye non sa kam kare
ReplyDeleteGuru ji date ha 26/01/2011.07.20.pm.delhison ki ha iske father ka kam chalne ka upai bataye non sa kam kare
ReplyDeleteVery good namaskar guru ji
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