प्रस्तुत कुंडली सिंह लगन की है और जातिका का प्रश्न है कि उसे कौन सा कैरियर चुनना है साथ ही धन की उन्नति कब होगी ? मैने अभी बताया था कि जीवन मे कार्य करने के लिये दूसरा छठा और दसवा भाव एक साथ देखा जाता है व्यवसाय के लिये चौथा आठवा और बारहवा भाव देखा जाता है। लेकिन राहु जिस भाव मे अपना असर देता है उस भाव के त्रिकोण का पूरा ध्यान रखकर कैरियर का चुनाव किया जाता है। जातिका के भाग्य के मालिक मंगल है और वह लगन मे जाकर वक्री हो गये है.मंगल को हिम्मत और पराक्रम का कारक माना जाता है लेकिन जब वह बक्री हो जाता है तो हिम्मत और पराक्रम उल्टे कामो मे दिखाने की कोशिश करता है साथ ही जब वक्त पडता है तो वह हिम्मत को तोड देता है। तीसरे भाव मे राहु पराक्रम मे भी है और कमन्यूकेशन मे भी है,साथ ही व्यवसाय की राशि मे भी है,राहु ने अपना बल पंचम के शुक्र को भी दिया है,और राहु ने अपने बल को सप्तम मे विराजमान शनि और चन्द्र को भी दिया है। राहु का बल लेकर केतु ने अपने बल को लगन के मंगल को भी दिया है इस प्रकार से राहु इस कुंडली मे गौढ रूप धारण कर रहा है। जातिका के लिये उन्ही कामो को मुख्य माना जाता है जो प्रदर्श्न के लिये अपनी युति को प्रदान करते हो वह प्रदर्शन चाहे शुक्र से युति लेने से कपडो का हो,शनि चन्द्र से युति लेने के कारण चाहे लोगो को नौकरी और शादिया करवाने से हो,या जमीनी कारको को कागज पर उकेर कर दिखाने का हो,शनि चन्द्र कुम्भ राशि मे शीशे से भी अपना रूप बना लेते है और शीशा जहां अपने कारण को प्रस्तुत करता है वह द्रश्य रूप से मीडिया मे भी जा सकता है और कार्य स्थान को चुनने के लिये शीशे से बनी बिल्डिंग को भी चुन सकता है। यह कारण मन्द बुद्धि से सम्बन्धित लोगो को शिक्षा देने से भी माना जा सकता है।
सूर्य छठे भाव मे है जातिका को पिता की तरफ़ से वह सहायता नही मिली है जो मिलनी चाहिये थी,कारण शिक्षा का स्वामी चौथे भाव मे वृश्चिक राशि का है,और इस भाव मे शिक्षा के स्वामी के आने से जातिका का शिक्षा का जीवन एक बार बाधित होता है,कारण राहु और सूर्य के बीच मे गुरु शुक्र दोनो के आने से हो सकता है। शुक्र की स्थिति धनु राशि मे होने से जातिका के लिये विदेशी परिवेश से सम्बन्धित या किसी विदेशी महिला के सहयोग से बडे शिक्षा संस्थान को बनाना और एन जी ओ जैसे कार्यों को करना भी माना जा सकता है। बुध के छठे भाव मे वक्री होने से भी और मकर राशि मे सूर्य के साथ होने से जातिका सरकारी उपक्रमो से सहायता लेकर या ठेकेदारी लेकर भी कार्य कर सकती है। शनि का जीवन साथी के भाव मे होने से और शनि का चन्द्रमा के साथ होने से दिमाग का बार बार बदलना एक कार्य को छोड कर दूसरे की तरफ़ भाग जाना भी धन को देने के लिये अपने असर को कम करता है। धनेश और लाभेश बुध का वक्री होना भी लोन आदि के काम करना लोगो को लोन आदि दिलवा कर खुद का धन से धन कमाने का कारण पैदा करना,गुरु के वृश्चिक राशि मे होने के कारण धन को विदेशो से लाकर लोगो की सहायता करना और बदले मे मेहनत के रूप मे कमीशन को प्राप्त करना भी माना जा सकता है धन के लिये जातिका को बुध के उपाय करने चाहिये।
सूर्य छठे भाव मे है जातिका को पिता की तरफ़ से वह सहायता नही मिली है जो मिलनी चाहिये थी,कारण शिक्षा का स्वामी चौथे भाव मे वृश्चिक राशि का है,और इस भाव मे शिक्षा के स्वामी के आने से जातिका का शिक्षा का जीवन एक बार बाधित होता है,कारण राहु और सूर्य के बीच मे गुरु शुक्र दोनो के आने से हो सकता है। शुक्र की स्थिति धनु राशि मे होने से जातिका के लिये विदेशी परिवेश से सम्बन्धित या किसी विदेशी महिला के सहयोग से बडे शिक्षा संस्थान को बनाना और एन जी ओ जैसे कार्यों को करना भी माना जा सकता है। बुध के छठे भाव मे वक्री होने से भी और मकर राशि मे सूर्य के साथ होने से जातिका सरकारी उपक्रमो से सहायता लेकर या ठेकेदारी लेकर भी कार्य कर सकती है। शनि का जीवन साथी के भाव मे होने से और शनि का चन्द्रमा के साथ होने से दिमाग का बार बार बदलना एक कार्य को छोड कर दूसरे की तरफ़ भाग जाना भी धन को देने के लिये अपने असर को कम करता है। धनेश और लाभेश बुध का वक्री होना भी लोन आदि के काम करना लोगो को लोन आदि दिलवा कर खुद का धन से धन कमाने का कारण पैदा करना,गुरु के वृश्चिक राशि मे होने के कारण धन को विदेशो से लाकर लोगो की सहायता करना और बदले मे मेहनत के रूप मे कमीशन को प्राप्त करना भी माना जा सकता है धन के लिये जातिका को बुध के उपाय करने चाहिये।
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