Saturday, December 17, 2011

वर्ल्ड टूर का त्रिकोण

प्रस्तुत कुंडली वृष लगन की है और स्वामी शुक्र मंगल गुरु के साथ सप्तम स्थान मे विराजमान है। जातक भोपाल में पैदा हुआ है। पेशे से इन्जीनियर है। वर्तमान मे जातक नाइजीरिया में कार्य रत है। ज्योतिष के अनुसार जीवन के चार त्रिकोण है और इन त्रिकोणो मे किस किस त्रिकोण को कब पूरा होना यह बात विद्वजन ही जान सकते है। इन चार त्रिकोणो के नाम है धर्म अर्थ काम और मोक्ष। धर्म नाम का त्रिकोण लगन पंचम और नवम भाव को जुड कर बनता है,अर्थ यानी धन का त्रिकोण दूसरा छठा और दसवा भाव जोड कर बना है,काम अर्थात पत्नी नौकरी आदि का त्रिकोण तीसरे सातवे और ग्यारहवे भाव को जोड कर बनता है तथा मोक्ष नामका त्रिकोण चार आठ और बारहवे भाव के त्रिकोण को जोड कर बनता है। जातक के जन्म के समय जो भाव ग्रहों से युक्त होते है वह अपने अपने त्रिकोण को पूरा करते है,वैसे हर किसी के हर त्रिकोण का पूरा होना मिलता है लेकिन कुछ के लिये कभी कभी त्रिकोण पूरा हो पाता है और किसी किसी का जन्म के समय से ही त्रिकोण का पूरा होना मिलता है।गुरु और शुक्र जिस जिस त्रिकोण को बल देते जाते है वह त्रिकोण सर्व सम्पन्न होता जाता है शनि राहु केतु जिस जिस त्रिकोण को देखते जाते है वही त्रिकोण दुख वाला बन जाता है। किसी किसी के जन्म के समय से ही इन त्रिकोणो को यह शनि राहु केतु घेर कर बैठे होते है और किसी के लिये यह अपना रूप बिखेर कर देते है। इस कुंडली में चौथे भाव मे केतु अष्टम भाव मे बुध और बारहवे भाव मे वक्री शनि विराजमान है। इस त्रिकोण को मोक्ष का त्रिकोण कहा जाता है। लेकिन इस त्रिकोण का आधिपत्य केतु को मिला है,राहु सूर्य और शनि के घेरे मे आकर अपनी जाति को भूल गया है। केतु चन्द्रमा और शनि के बीच मे है इसलिये जातक के लिये इस त्रिकोण का पूरा पूरा लाभ केतु ने ही दिया है। शनि वैसे धर्म और कर्म का मालिक है लेकिन बारहवे भाव मे जाकर वक्री होने से वह बजाय दुख देने के सुख देने का कारक बन गया है। इस शनि ने केतु को अपना बुद्धि से काम करने का बल दिया है और इसी शनि ने ही अपनी नवम पंचम द्रिष्टि से बुध को भी कार्य शक्ति जो बुद्धि से प्रयोग होने वाली होती है दी है। वर्तमान मे जातक की गुरु की दशा चल रही है और गुरु के द्वारा वर्तमान मे वक्री शनि को बल दिया जा रहा है। शुक्र मंगल और गुरु जन्म से ही सप्तम स्थान मे बैठ कर नौकरी मे तकनीकी बल को दे रहे है। यह केतु वर्तमान मे लगन मे विराजमान हो गया है और धर्म भाग्य बुद्धि वाला त्रिकोण पूरा कर दिया है। इस केतु के द्वारा चन्द्रमा और सूर्य दोनो को बल दिया गया है,चन्द्रमा जातक की पारिवारिक स्थिति को देख रहा है और सूर्य जातक की विदेश मे रहकर भाग्य बढाने की शक्ति को देख रहा है। राहु का त्रिकोण पूरा नही है इसलिये जातक के साथ कोई दुर्घटना इस प्रकार की नही है कि जातक को लम्बे समय तक किसी प्रकार की उलझन से जूझना पडे। गुरु के प्रभाव के कारण जातक को विदेश मे रहकर बुद्धि से कार्य करने के लिये बल मिल गया है और इस त्रिकोण मे गुरु का असर आने से जो कार्य वह एक स्थान पर रह कर रहा था उसके लिये केतु के बल से चन्द्र यानी रात और सूर्य यानी दिन दोनो के उपस्थिति रहने मे यात्रा का योग और चारो तरफ़ आने जाने का कारण पैदा हो गया है।
इस कुण्डली को अगर साधारण रूप से देखा जाये तो सभी का ध्यान इसमे काल सर्प दोष की तरफ़ भी जायेगा और वर्तमान जन्म के राहु का असर शनि और गुरु के साथ होने से धूर्त और पाखंडी योग का निर्माण भी करेगा लेकिन इस गुरु का केतु से सानिध्य होने से यह दोनो ही योग समाप्त हो गये है और वही काल सर्प दोष कुंडली मे शनि के बाहर होने से और और शनि के वक्री होने से बजाय खराबी पैदा करने के फ़ायदा देने वाला बन गया है। जातक की अगली चार साल तक पूरे विश्व मे घूमने का योग बन गया है और वह भी सम्माननीय द्रिष्टि से भी तथा धन के अथाह भंडार से पूर्ण होकर।

1 comment:

  1. Sri badoriyaji namaste kya astrology Sachi hoti hai kya mai app se kuch janana chati hu ,kya kundaliya hame past,present future ke and rebirth ke baare mai bhi Baata sakti hai

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