Friday, March 23, 2012

धनु लगन

लगन मे धनु राशि होने पर व्यक्ति की सबसे अधिक इच्छा स्थाई आमदनी के रास्ते खोजने के लिये अधिक माना जाता है। उसे उन्ही कारणो की जरूरत समझ मे आती है जहां से लगातार कमाई आती रहे और बेकार मे सिरदर्द नही लिया जा सके। कालपुरुष के अनुसार धनु राशि का स्थान नवे स्थान मे है इसलिये यह राशि धर्म न्याय ऊंची शिक्षा पारिवारिक मर्यादा आदि के लिये अधिक जानी जाती है। यह राशि विदेश से सम्बन्ध रखने के कारण अक्सर जब सन्तान पैदा होती है तो वह अपना स्थान शिक्षा आदि विदेशी परिवेश मे ही प्राप्त करना चाहती है और वह अपनी उम्र मे आने के बाद विदेशी नीतियों को ही धीरे धीरे अपना लेती है। अक्सर इस लगन के व्यक्ति बैंक सेवा कर्जा दुश्मनी बीमारी को निपटाने की सेवा जो कार्य समय के अनुसार किये जाते है और समय का मूल्य जहां कीमत रखता है उन विभागो मे कार्य करने के लिये देखे जाते है। इस राशि वालो को कभी न कभी कोर्ट कचहरी की भागदौड मे जरूर शामिल होना पडता है। अक्सर इस राशि के लोग अपने परिवार को अपने जीवन साथी के भरोसे छोड कर अपने कार्य और अपनी कर्त्यव परायण नीति का उल्लेख अधिक दिया करते है। बखान करने मे तो धनु लगन मे पैदा होने वाले लोग खूब अपने परिवार समाज बुजुर्गो की नीतियों का बखान करते है लेकिन उनकी अपने अनुसार अपने ही घर मे चल नही पाती है बच्चो के अन्दर विदेशी नीति आजाने से वे अक्सर अपना मुंह अपने घर के लिये ही बन्द करके बैठ जाते है। दूसरो के लिये वे टीका टिप्पडी करने से नही चूकते है लेकिन अपनी बात आने पर वे एकान्त मे बैठ कर सोचने को मजबूर हो जाते है। उम्र की पचास साल तक का भाग इनके वश मे होता है लेकिन इसके बाद यह जीवन साथी और अपने बच्चो के ऊपर ही निर्भर हो जाते है उम्र की तीसरी सीढी मे जाकर इन्हे दुबारा से कोई काम करने की जरूरत पडती है और अन्त का समय यह अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों मे ही बिताते है। अक्सर इस लगन मे पैदा होने वाले जातक घर से दूर जाकर अपने जीवन को त्यागते है और इनके अन्तिम समय मे इनका खुद का परिवार भी साथ नही होता है। अपने हमेशा समर्थ समझने के कारण अक्सर यह अहम के अन्दर भी आजाते है और जिन लोगो की अपने द्वारा सहायता करनी चाहिये उन्हे यह दुत्कार देते है या वे खुद ही इनके अहम के कारण पास आना नही चाहते है। इस लगन मे पैदा होने वाले जातको के लिये एक विशेष बात और भी मानी जाती है कि यह अपने खास मित्र की सलाह को भी ठ्करा देते है और अपनी ही मर्जी से चलते हुये देखे जाते है। अगर कोई इस लगन के जातक के पास अपनी ख्वाहिस लेकर जाये कि वह उसकी सहायता कर दे या किसी कार्य मे सिफ़ारिस आदि कर दे तो वह अपनी अहम वाली स्थिति के कारण उसकी सहायता नही करते है और एक समय मे इनके खास लोग ही इनसे दूर होते चले जाते है। अक्सर राज्य सेवा राज्य से सम्बन्धित धन बैंक जो सरकारी क्षेत्र से जुडी होती है वित्त विभाग आदि के कार्य यह कर लेते है। जीवन के शुरु मे यह अपने को कार्यों की कुशलता के लिये माहिर भी माने जाते है,इस लगन के जातक अक्सर अपने भाइयों मे बडे होते है और कई वार यह छोटे होकर भी बडे भाइयो या बहिनो पर अपना हुकुम चलाते हुये माने जाते है। विदेशी धन की आवक या जावक के लिये भी इन्हे महरातता हासिल होती है इन्हे कृषि बागवानी या प्रकृति से जुडे क्षेत्र भी अच्छे लगते है। सन्तान का विदेश से जुडे होने या खुद की कार्य प्रणाली विदेश से जुडी होने के कारण या समुद्र के किनारे वाले प्रदेशो मे निवास करने अथवा अधिक पानी से पैदा होने वाले कारको के लिये इनकी कार्य की रुचि भी देखी जाती है।धनु लगन के जातक पैदल चलने पर अधिक विश्वास करते है इन्हे बचपन मे किसी न किसी प्रकार से आंख की चोट या बीमारी जरूर हुयी होती है। धर्म कार्य मे मन्दिर और धर्म स्थानो मे इनकी रुचि अधिक होती है अक्सर सर्वधर्मी भी यह बन जाते है और किसी ऐसे देवता को खोज लेते है जो सभी जातियों या धर्म के लोगो से पूजा जाता है। धनुलगन वाले जातक कपडो के भी शौकीन होते है इनकी शुरु की पसंद बहुत अच्छी मानी जाती है लेकिन ढलती उम्र मे यह कपडो से दूर होते चले जाते है। वकालत का भी ज्ञान होता है न्याय सेवा के लिये भी इनकी योग्यता को देखा जाता है,जो भी इरादा होता है वह अक्सर अटल ही होता है,दिमागी रूप से यह पैदाइसी जासूस होते है। इन्हे अगर प्रशासक बनने का मौका मिलता है तो यह अपने कार्य कुशल से बहुत आगे बढ जाते है। विवाह के बाद ही भाग्य का उदय होता देखा जाता है जीवन साथी भी अपनी योग्यता से समर्थ होता है,जनता के बीच मे रहना,अपने आदेश से काम चलाना,मुंहफ़ट होना भी देखा जाता है। धन की कमी नही होती है लेकिन अगर यह अधिक उम्र मे स्त्री पुरुषों की तरफ़ या पुरुष अन्य स्त्रियों की तरफ़ आकर्षित हो जाये तो यह अपने जीवन की कमाई गयी इज्जत को और धन को बरबाद करने मे कतई नही मान सकते है। अक्सर इस राशि वालो का जन्म पानी के किनारे या अधिक पानी वाले क्षेत्रो मे होता है इनके जन्म के समय मे भले ही वह परिवार गरीब रहा हो लेकिन इनके सामर्थ्य होते होते परिवार की भले ही यह सहायता नही करे लेकिन परिवार उन्नति की तरफ़ जाता हुआ देखा जा सकता है। धनु लगन के जातको की रुचि अपनी संस्कृति और मर्यादा को प्रसारित करने की रुचि होती है लेकिन सन्तान के द्वारा इसी कारण से धनु लगन वालो को अपमान सहना पडता है। उम्र के 22 से 24 वर्ष के बीच मे इनकी स्थिरता का समय शुरु होता है।

धनु लगन वाले जातक जहां भी कार्य करते है वे चलते फ़िरते तो कार्य कर सकते है लेकिन एक जगह स्थिर होकर कार्य करना उनके वश की बात नही होती है। इसका कारण भी है कि जहां भी यह स्थिर होकर कार्य करते है वही पर अपने लिये तमाम तरह के दुश्मन पैदा कर लेते है जो इनके लिये दूर करने के रास्ते निकालने लगते है। किसी भी कार्य का निश्चित होना भी इनके वश की बात नही होती है कभी कभी तो यह बहुत से वादे भी कर लेते है लेकिन वादो पर चलना इन्हे इनके जीवन साथी या परिवार के कारण पूरा नही हो पाता है। जीवन का 20,29,38,40,47,56 वां वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसके बाद इनका जीवन स्थिर होना शुरु हो जाता है और इन्हे अपने जन्म स्थान या पुराने स्थान पर वापस आना पडता है,जहां इनके खुद के लोग इनकी सहायता करने से दूर हो जाते है और दूसरे लोग ही इनकी सहायता करते है। वृश्चिक लगन बारहवे भाव मे होने से यह अक्सर जादू टोने और इसी प्रकार से कारणो से ठगे भी जाते है इनके जीवन साथी की रुचि भी इन्ही क्षेत्रो मे अधिक होती है।मित्र बनाने के लिये इन्हे इनकी कुम्भ राशि बहुत सहायता देती है तीसरे भाव मे कुम्भ राशि होने से यह अपने प्रभाव से लिखने की कला से कई भाषाओ की जानकारी से बहुत से दोस्तो को बना लेते है और उन्ही दोस्तो के कारण अक्सर घर मे कलह भी होनी मानी जाती है। चौथे भाव मे मीन राशि के होने से इन्हे पहाडो पर जाने और पहाडी धर्म स्थानो से विशेष रुचि होती है,ऊंचे स्थानो पर जाकर यह अपने जीवन के कई क्षेत्र छोड भी सकते है और नये रास्ते अपना भी सकते है। पंचम भाव मे मेष राशि होने के कारण इनकी संतान अक्सर तकनीकी क्षेत्र मे ही विकास करती है कई बार रक्षा सेवा या बडी तकनीक से भी सम्बन्ध बनते देखे जा सकते है। पुरुष संतान अक्सर इकलौती ही होती है,लेकिन पुत्री संतान तीन तक हो सकती है। छठे भाव मे वृष राशि के होने से दूसरी संतान या तो धन वाले क्षेत्र मे अपना नाम करती है या बडे संस्थानो मे अस्पतालो मे या धन से सम्बन्धित कामो कमन्यूकेशन के कामो या कम्पनियों मे अपने को आगे ले जाती है। तीसरी संतान के जीवन के लिये बदे बडे आघात इसलिये भी माने जाते है कि सप्तम से आगे की राशि मौत का भाव माना जाता है अक्सर तीसरे नम्बर की संतान या तो पैदा होते समय या जीवन की पहली सीढी पर या तो परलोक सिधार जाती है या इतनी दूर चली जाती है कि वह अपने परिवार को पीछे घूम कर नही देखती है। धनु लगन के जातको को अपने कार्य काल मे जो भी मकान आदि बनवाया गया होता है वह इन्हे अपने जीवन के आखिरी पडाव मे त्यागना पडता है उसके लिये चाहे धर्म से या कानून से या विदेशी कारणो से या सन्तान की बेरुखी से माना जा सकता है। रहने वाले मकान का नाम अक्सर जीवन साथी के परिवार से जोड कर रखा जाता है या जीवन साथी के परिवार की सहायता मिली होती है।

जीवन साथी का व्यवहार अहम से भरा हुआ होता है और अक्सर उसे पिता का सुख नही मिल पाता है कारण धनु लगन के नवे भाव मे सिंह राशि आती है और इस राशि का प्रभाव सीधा जीवन साथी के नवे भाव मे आने वाली कुम्भ राशि पर आता है,इस राशि का स्वामी पिता को पहले तो अपने परिवार से दूर करता है बात मे वह खुद ही या तो दूर चला जाता है या परिवार मे अकर्मण्य होकर पडा रहता है। आदि बाते धनु लगन के जातको के लिये देखी जाती है।

3 comments:

  1. गुरु जी को प्रणाम ! मैं शक्ति शिरोमणि शुक्ला मेरी जन्म तारीख २८ जुलाई १९८० समय ५:१५ सायं स्थान कानपूर उत्तर प्रदेश हैं. मेरी कुण्डली में द्वितीय भाव में केतु एवं चन्द्र की युति है तथा अष्टम भाव में सूर्य एवं राहू की युति होने से दोनों ही भावों में ग्रहण योग बन रहा है. एवं दशम भाव में मंगल एवं शनि एक साथ बैठे हैं. में व्यापार करता हूँ जो की बंदी की कगार पर हैं. गुरूजी से प्रार्थना हैं की मेरा उचित मार्ग दर्शन करें?

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  2. Guru ji aap ko sadar pardam mera lagan dhanu hai dob 1984 time 18:57 place jamshedpur hai guru ji mujhe nokari karne ka maan nahi karta mujhe bisness karne ka man karta hai or mera contactri chalta hai to kaya mujhe sthai job taraf jana chahiye

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