Sunday, March 25, 2012

जन्म नक्षत्र स्वाति

स्वाति नक्षत्र की ज्योतिष मे बहुत बडी मान्यता है कहा भी जाता है कि स्वाति नक्षत्र की बरसी हुयी पानी की बूंद अगर समुद्री सीप के अन्दर चली जाती है तो वह मोती का रूप ले लेती है। इसी प्रकार से अगर फ़सल मे स्वाति नक्ष्त्र का पानी लग जाता है तो फ़सल के दाने सुडौल और चमकीले हो जाते है उनके अन्दर एक अजीब सी पहिचान बन जाती है। स्वाति नक्षत्र का मालिक राहु होता है और इस नक्षत्र का राहु कुंडली मे कभी भी अपनी खराबी पैदा नही करता है,अगर राहु को कोई कलुषित ग्रह अपनी आभा से खराब नही कर रहा हो। जातक का जन्म एक ऐसे स्थान पर होता है जहां कोई पहले से ही महापुरुष या तो पैदा हो चुका होता है या जातक के पैदा होने के बाद पैदा होता है। स्वाती नक्षत्र तुला राशि के अन्तर्गत आता है इस प्रकार से इस राहु का सम्पर्क तुला राशि के मालिक शुक्र से भी होता है और तुला राशि का सन्सर्ग प्राप्त करने के कारण आशंकाओ के स्वामी राहु का बेलेन्स करने का दिमाग भी बन जाता है इस नक्षत्र मे जन्म लेने वाला जातक किसी भी आशंका से अपने को बुरी बातो से दूर रखता है वह आंख बन्द करने के बाद भरोसा तभी करता है जब उसे कोई भरोसा करने वाला व्यक्ति मिलता है,अन्यथा वह अपने को खराब लोगो से दूर रखता है। जातक के जीवन मे उतार चढाव लाने के लिये राहु ही माना जाता है। राहु की सीमा के बारे मे कहा जाता है कि इस छाया ग्रह की सीमा का आज तक कोई माप नही है कि कितनी दूरी तक यह विस्तार मे है। आसमान के रूप मे यह दिखाई देता है और समुद्र के रूप मे जमीन पर स्थापित होने के कारण भी इस राहु की उपाधि दी गयी है।
राहु को चन्द्रमा और सूर्य का शत्रु बताया जाता है लेकिन बिना राहु के चन्द्रमा की भी औकात नही है कारण जब आसमान ही नही होगा तो चन्द्रमा और सूर्य का स्थान कहां से प्राप्त होगा। राहु जो ग्रहण देता है लोग उसका उल्टा अर्थ निकालते है ग्रहण का मतलब होता है प्राप्त करना,ग्रहण का अर्थ यह नही होता है कि वह किसी बात को खराब कर रहा हो। समय चक्र के अनुसार जब बदलाव का कारण बनता है तो राहु की सीमा जरूर शामिल होती है अन्यथा बदलाव का कारण ही नही बने और जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहे। इस नक्षत्र मे पैदा होने वाला जातक बहुत अधिक कुशल होता है किसी भी तकनीक मे उसे लगा दिया जाये वह अच्छे बुरे और खराब की तकनीक को निकाल कर फ़ौरन ही बता सकता है,स्वाति मे जन्म लेने वाला जातक अपने बारे मे कोई टीका टिपणी सुनना पसंद नही करता है,अगर कोई स्वाति मे जन्म लेने वाले जातक के लिये टीका करना शुरु कर देता है तो जातक के लिये बहुत ही बडा दुश्मन बन जाता है। इसी प्रकार से विरोध करने वाला भी जातक की नजरो से हमेशा दूर ही रहता है,तथा दुश्मनी भी इसी प्रकार के जातको से होती है। अक्सर जो भी जातक का विरोध करता है उससे जातक निपटने की हिम्मत भी रखता है और दुश्मनी को आसानी से निपटाने की हिम्मत भी रखता है। जातक किसी को भी जो उसके बारे मे बुरा सोचता है उससे टकराने की एक भावना को भी रखता है जिससे आसपास वाले या कोई भी व्यक्ति उसके सामने टकराने की कोशिश नही करता है,अगर करता भी है तो जातक के द्वारा अल्प समय मे अपमानित भी हो जाता है। जातक स्वाति नक्षत्र मे चन्द्रमा के होने से जातक के शिक्षा के समय मे कोई कलंक जरूर लगता है भले ही वह कार्य जातक ने किया नही हो लेकिन वह विरोधियों से कलंकित किया जाता है। कभी कभी यह कलंक भाई अथवा भाई की पत्नी के लिये अथवा किसी विधवा स्त्री के बारे मे भी हो सकता है। अक्सर इस प्रकार के जातक दूसरो को वही राय देते है जो उन्होने अपने जीवन मे खुद के द्वारा सीखी या समझी हो अथवा उनके सामने आयी हो। लेकिन अपने परिवार मे अपनी पत्नी के प्रति इस प्रकार के लोग हमेशा ही वफ़ादार रहते है और किसी भी प्रकार की परेशानी अपनी पत्नी के लिये नही आने देते है। कभी कभी साफ़ बोलने के कारण और लोगों से हंसी मजाक करने के कारण लोग गलत समझ बैठते है लेकिन स्वाति नक्षत्र मे पैदा होने वाला जातक अपने मन वचन और कर्म से जिससे भी प्रेम बना लेता है उसके प्रति हमेशा ही समर्पित रहता है। धर्म के प्रति आस्था भी होती है चालाक लोगो से अक्सर ठगा भी जाता है,लेकिन ठगी करने वालो को जल्दी पहिचान भी लेता है किसी प्रकार की गलत रीति को पैदा करने वाले के लिये जातक के अन्दर एक प्रकार से बडा आक्रोस भी पैदा होता है। एक परिवार को हमेशा के लिये पालने के लिये विवस भी होता है । राहु का स्वभाव दिलफ़ेंक भी होता है कभी भी किसी पर भी दिल आने की शिकायत अक्सर इस नक्षत्र मे पैदा होने वाले जातक के लिये देखी जाती है। जीवन के बयालीस साल अक्सर यह इच्छा बहुत अधिक पनपती है,और होता भी यही है कि कोई न कोई स्त्री पुरुष के लिये और पुरुष स्त्री के लिये मनबहलाने के लिये मिल जाता है। इस समय जातक अगर अपने को सम्भाल कर चल जाये तो यह भावना धनी बनाने के लिये भी देखी जाती है राहु इस उम्र के बाद दो मे से एक ही सुख देता है या तो मन बहलाव या धन दोनो एक साथ नही देता है। कामुकता के होने के कारण भी राहु अपनी योग्यता को इस नक्षत्र मे दिखाने की योग्यता रखता है जातक के अन्दर कामकला की जानकारी अधिक होती है वह अपने से विपरीत लिंगी को सन्तुष्ट रखने की योग्यता को भी रखता है और जो भी उसके साथ एक बार चल देता है वह उसे किसी प्रकार से भूल भी नही पाता है।
अक्सर स्वाति मे पैदा होने वाले डरते नही है इसलिये भी लोग इनकी तरफ़ आकर्षित हो जाते है। कठिन से कठिन परिस्थितिओ मे रह सकते है किसी भी प्रकार का माहौल यह सौम्य बना सकते है। जहां लोग रो रहे हो वहां यह अपनी कार्य कुशलता से हंसी का फ़व्वारा निकाल सकते है। सांसारिक ज्ञान बहुत ही बारीकी से सीखा जाता है और उस ज्ञान की बजह से यह अपने जीवन के बयालीस साल की उम्र के बाद बहुत ही उन्नति करने मे आगे बढ जाते है। अक्सर इस नक्षत्र मे पैदा होने वाले जातक को एक धार्मिक व्यक्ति की बहुत सहायता मिलती है और उस व्यक्ति की राय से इस नक्षत्र मे पैदा होने वाले जातक उन्नति का मार्ग प्राप्त करते चले जाते है,लेकिन इस नक्षत्र मे पैदा होने वाले जातक के अन्दर एक प्रकार से कंजूसी भी होती है अगर यह अपने को सलाह देने वाले लोगों की सन्तुष्टि मे सहयोग देते जायें तो आगे की जिन्दगी मे उन्हे बिना मांगे सलाह भी मिल जाती है और किसी भी प्रकार की आफ़त भी निकल जाती है।
कार्य करने वाले स्थान पर सहयोगी भी इज्जत करने लगते है उसका एक ही कारण होता है कि जातक बहुत ही मेहनती और मन लगाकर काम करने वाला होता है। उम्र के अनुसार शरीर मे भी बल की पूर्ति होती जाती है और अन्दरूनी ज्ञान की तरह से जैसे समुद्र मे सीप जमीनी सतह पर रहकर अपने मोती को बनाती रहती है वैसे ही जातक अपने जीवन को लोगो के सामने कम लेकिन अन्दरूनी रूप से बहुत ही आगे निकालने मे सफ़ल होते जाते है।
स्वाति मे पैदा होने वाले जातक नाभि के नीचे की बीमारियों से परेशान रहते है इस का कारण एक ही है वह विपरीत लिंगी के प्रति अधिक लगाव और इस कारण से अक्सर भयंकर रोग भी पैदा हो जाते है जो जीवन मे कभी कभी जानलेवा भी होते है। इसलिये जातको को सचरित्र रहकर ही अपने जीवन को बिताना हितकर होगा। धर्म की तरफ़ लगे रहने से भी जातको किसी प्रकार की दिक्कत नही होती है। इस नक्षत्र के पहले चरण मे जन्म लेने वाला जातक व्यापारी होता है और वह शरीर से लिये जाने वाले कार्यों का व्यापारी होता है,दूसरे चरण मे जन्म लेने वाला जातक धन का व्यापार करता है जो धन से धन कमाने के लिये माना जाता है तीसरे चरण मे पैदा होने वाला जातक सोने चांदी और रत्न आदि के व्यवसाय मे अपने जीवन को निकाल कर ले जाता है कभी इस चरण मे पैदा होने वाले जातक प्राइवेट नौकरी करके भी अपनी जीविका को चलाते है चौथे चरण मे जन्म लेने वाला जातक ब्रोकर जैसे काम करता है और खरीद बेच करने शेयर सट्टा कमोडिटी आदि मे अपने मन को लगाकर पहले तो फ़ायदा लेते है कुछ समय बाद उन्हे बहुत घाटा होता है लेकिन यही काम उन्हे अक्समात फ़ायदा देने के लिये तभी माना जाता है जब जातक अपने खराब ग्रहो के बारे मे अपने रहने वाले माहौल मे अपना बदलाव कर ले। 

2 comments:

  1. Guru ji pranam guruji Mera sawal hai makar lagn mein dasham bhav mein Surya chandrama brihaspati shukra Rahu ki yuti ka prabhav jatak par kaisa hoga

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