Tuesday, November 1, 2011

रत्न के प्रभाव और दुष्प्रभाव

तीन प्रकार के रत्नो का प्रयोग आमतौर पर लोग करते है,शरीर के लिये परिवार और सन्तान के लिये तथा भाग्य के लिये,यही कारण प्राण रक्षा के लिये बुद्धि के विकास के लिये और समय पर कार्य हो जाने के लिये भी माना जाता है। आमतौर पर एक ही रत्न को लोग पहिनने की राय देते है,और उस रत्न के पहिनने के बाद कुछ सीमा मे फ़ायदा और कुछ सीमा मे नुकसान होने की बात से भी मना नही किया जा सकता है।

यह शरीर पंच भूतों से बना है और इन्ही के अधिकार मे सम्पूर्ण जीवन का विस्तार होता है। इन पंचभूतो मे किसी भी भूत की कमी या अधिकता जीवन के विस्तार मे अपने अपने प्रकार से दिक्कत देने के लिये अपना प्रभाव देने लगते है। ग्रहों के दो प्रकार सूर्य और चन्द्रमा के साथ देखे जाते है,जैसे मेष राशि का स्वामी मंगल है तो वह लगनेश के लिये मूंगा को पहिनने का कारक बनता है जो शरीर और प्राण रक्षा के लिये अपना प्रभाव देता है,लेकिन उसका असर धन के प्रति सही नही माना जा सकता है जैसे मंगल और शुक्र मे आपस मे नही बनती है,उसी प्रकार से बुध के साथ भी मंगल की नही बनती है,चन्द्रमा के साथ बराबर का असर रहता है सूर्य के साथ उसकी बहुत अधिक बढोत्तरी हो जाती है गुरु के साथ होने से अहम की मात्रा बढ जाती है और शनि के साथ मिलने से कसाई जैसी प्रकृति बन जाती है। तो मूंगा मेष लगन वालो के लिये धन व्यवहार कार्य जीवन साथी उन्नति के साधनो मे तो गलत असर देगा और शरीर मन आयु के साथ भलाई करेगा,अहम ज्ञान और शांति के साधनो मे बढोत्तरी करने से दिक्कत देने वाला बनेगा। अगर शनि लगन मे ही विराजमान है तो वह सिर दर्द की बीमारी देगा और जो भी सोचा जाता है उसके लिये अपनी तर्क शक्ति के विकास होने से तर्क वितर्क करने से होते हुये कार्य को भी बिगाडने की कोशिश करेगा। कार्य तकनीकी बन जायेगा और जो भी कार्य होगा वह मनुष्य शक्ति के अन्दर ही माना जायेगा जैसे शरीर विज्ञान मे रुचि,जो भी कार्य किया जायेगा उसके अन्दर नये नये आविष्कार होने के कारण कार्यों के अन्दर कठिनाई आने लगेगी,एक भाई को बहुत ही कठिनाई केवल इसलिये हो जायेगी कि वह परिवार मे सामजस्य बनाने की कोशिश करेगा और तामसी कारण बढ जाने से परिवार मे अशान्ति का माहौल बना रहेगा। युवावस्था मे अपनी ही चलाने के कारण घर के लोगो से दूरिया बन जायेंगी और विरोधी युवावस्था के बाद हावी हो जायेंगे,दुश्मनी अधिक बन जायेगी और जो भला भी करना चाहेंगे वे डर की बजह से दूर होते चले जायेंगे नाक पर गुस्सा होगा,यानी जरा सी बात का बतंगड बनाने में देर नही लगेगी। यही मंगल जब राहु पर गोचर से अपना असर दिखायेगा या जन्म के समय से ही राहु के सानिध्य मे होगा तो मूंगा का असर दिमाग को पहिया की तरह से घुमाने से बाज नही आयेगा,क्या कहना है किससे कैसे बात करनी है यह सोच विचार बिलकुल ही खत्म हो जायेगी,पारिवारिक कारणो मे भी अक्सर पैतृक सम्पत्ति के पीछे नये नये विवाद बनते जायेंगे और घर के सदस्य ही किसी न किसी प्रकार की घात लगाने लगेंगे,व्यवहार भी तानाशाही जैसा बन जायेगा,जो भी बात की जायेगी वह हुकुम जैसी होगी,इस बात का असर भाई पर भी जायेगा और वह अधिक चिन्ता के कारण या आन्तरिक दुश्मनी से दुर्घटना का शिकार भी हो जायेगा,अगर व्यक्ति का बडा भाई भी है तो उसकी चलेगी नही या मूंगा को धारण करने के बाद वह घर से अलग हो जायेगा,अधिक सोच के कारण से व्यक्ति के अन्दर ब्लड प्रेसर की बीमारी पैदा हो जायेगी। किसी प्रकार से मंगल की युति कुंडली मे केतु से है तो स्त्री जातक के लिये परेशानी का कारण बन जायेगा यानी पति का व्यवहार बिलकुल सन्यासी जैसा हो जायेगा,वह अकेला बैठ कर जाने क्या क्या सोचने लगेगा और दूर रहकर ही अपने जीवन को बिताने का कारण सोचने लगेगा,पति का इन्तजार पत्नी को और पत्नी का इन्तजार पति को रहेगा दोनो कभी इकट्ठे नही रह पायेंगे और रहेंगे भी तो जैसे कुत्ते बिल्ली लडते है वैसे आपस के विचारों की लडाई शुरु हो जायेगी,केतु के साथ मंगल के होने से कुंडली में मंगल दोष भले ही नही हो लेकिन मूंगा को पहिनने के बाद जबरदस्ती मे मंगली दोष को पैदा कर लिया जायेगा,शादी मे देरी हो जायेगी,घर मे किसी को भी मानसिक बीमारी पैदा हो सकती है लो ब्लड प्रेसर की बीमारी भी पैदा हो सकती है। अगर दो तीन भाई है तो एक तो किसी प्रकार से अनैतिक कार्यों की तरफ़ भागने लगेगा,और दूसरा किसी प्रकार से घर को त्याग कर ही चला जायेगा,इसलिये मेष लगन मे अगर केतु है और मंगल नीच का प्रभाव दे रहा है तो मूंगा कैसे भी नही पहिने। यहां मेष लगन वाले को शरीर और प्राण रक्षा के लिये हल्का पीला गोमेद पहिनना ही ठीक रहेगा। इसी प्रकार से बुध आदि ग्रहों के लिये कितना फ़ायदा देने वाला और कितना नुकसान देने वाला है उसी के अनुसार ही रत्न को पहिनना उचित माना जा सकता है।

9 comments:

  1. sir, kirpa aur ratan,s ke liy bhi likhe. DHANYAWAD.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आगे आप पढते रहिये जरूर लिखूंगा,धन्यवाद.

      Delete
  2. guru ji,
    mera lagna kumbh he aur budh 2nd bhaav me neech ka he shukra ke saath yuti me..mene panna pahna hua he ...kyaa ye ratna mere liye sahi he ???...shani 10th bhav me chandra ke saath he

    thnx,
    vinay

    ReplyDelete
    Replies
    1. विनय शुक्र के साथ बुध नीच का नही होता है बुध का नियम है कि वह जिस ग्रह के साथ है उसी के अनुसार अपना असर प्रदान करना शुरु कर देता है,कब शुक्र का उच्च का फ़ल देगा तो बुध उसी के अनुसार उच्च का फ़ल देना शुरु कर देगा,उसकी नीचता समाप्त हो जाती है दूसरे नियम के अनुसार बुध लगन दूसरे भाव मे चौथे भाव मे अष्टम भाव में तथा किसी भी स्थान पर मंगल की द्रिष्टि होने मंगल के वास्तविक स्थान पर होने या मंगल के असर से पूर्ण होने पर अथवा मंगल की राशि के सामने होने से नीच फ़ल प्रदान नही कर पाता है,इस बुध का असर केवल इतना गलत मिलता है कि व्यक्ति कभी भी किसी की ऊंची बात को सुनना पसंद नही करता है साथ ही पत्नी और उसकी बहिन या मामी और उसकी बहिन या तो एक ही घर मे होती है या परिवार या आसपास ही होते है जीवन मे बुरे वक्त मे काम आने वाले होते है.

      Delete
  3. guru dev mera lagan mithun h aur maine munga aur panna pehna h
    1st house me surya,aur mangal h
    2nd me budh h
    5 meshani,ketu
    8 jupiter
    11 rahu,moon
    kya ye sahi h
    nahi toh kya pehnu

    ReplyDelete
  4. कुंडली मे बुध की स्थिति दूसरे घर मे है जो चन्द्रमा का भी है और कालचक्र के अनुसार शुक्र का भी है मूंगा और पन्ना पहिनने से बातो की तकनीक ऊंची भाषा मे बोलना बात को काटने की क्रिया को करना बुद्धि को अधिक तकनीक देना तथा खून के रिस्तेदारो से बनाव बिगाड कर लेना होता है गुरु जो जीवन मे धन का भी कारक है और जीव का कारक भी है गुरु अष्टम में नीच का है जो कार्य का भी मालिक है और जीवन साथी तथा साझेदारी का भी मालिक है इस गुरु के प्रभाव को अच्छा बनाकर ही जीवन को सफ़लता की तरफ़ ले जाया जा सकता है इसके अलावा जो भाग्य की बढोत्तरी लगनेश के अनुसार करेगा वह गुरु ही है पुखराज या उपरत्न सुनहला को पहिने बाकी के रत्न केवल उपरोक्त दुष्प्रभाव ही देंगे.

    ReplyDelete
  5. Guruji sadar pranam, muje meri kundali detail me janani hai, har bar naya jyotishi kuch to nayi bat bol deta hai ...... Pls aap meri madat kiniye, aapaki fees mai i d b i bank me deposite karunga

    ReplyDelete
  6. Guru Ji Pranab,
    Mera Lagan Dhanu ha,
    2 House me Rahu, Mangal
    5 House me Chandra
    6 House me Shani
    8 house me ketu
    10 house me Surya, Budha
    11 house me shukra
    12 house me Guru

    Guru Ji please muje bataya kya pahnu, Guru me budha ki Dasha chal rahi ha August 2018 tak.
    Regards,
    Mahipal Sharma

    ReplyDelete
  7. Mera Lagan Kanya hai, Budh 29 Deg ka 12th house me sun ka sath hai , or abhi budh ki he dasha chal rahi hai , kya mai Panna pahan sakta hu ...............Shani (4th house me) Rahu (5th House me) Mars (9th House me) Guru, Venus or Ketu 11th house me hai .

    ReplyDelete