Sunday, November 6, 2011

राहु के साथ वाले भी वक्री !

राहु के देवता भैरोंजी
एक कहावत बहुत ही मशहूर है,-"संगति ही गुण ऊपजे संगति ही गुण जाय,बांस फ़ांस और मीशरी एकहि भाव बिकाय",संगति का असर बडा ही अनौखा है,एक बांस की लकडी मिश्री के साथ तौल में मिश्री के भाव मे ही बिकती है.यह बात राहु की संगति के लिये भी मानी जाती है जिस भाव मे जाये उसका उल्टा फ़ल देने लगता है और जिस ग्रह को द्रिष्टि दे दे वही ग्रह वक्री का फ़ल देने लगे.गुरु के साथ आते ही अच्छा भला विद्वान आदमी छिछोरे काम करने लगे और शनि के साथ आने से अच्छा भला सेवा करने वाला आदमी हुकुम चलाने लगे.बुध के साथ आजाये तो बजाय बोलने के प्रदर्शन करने लगे,मंगल के साथ आजाये तो बजाय मेहनत करके शक्ति को पैदा करके दवाई खाकर या शराब पीकर शक्ति को बताने लगे,चन्द्रमा के साथ आजाये तो अच्छी भली सोच बदल कर कन्फ़्यूजन पैदा कर दे और सूर्य के साथ आजाये तो पिता को बेटे की हुकूमत मे चलना पडे और राज्य करने वाला बेईमान का रूप धारण करले यह सब राहु की संगति का परिणाम देखा जाता है.मतलब सीधे को उल्टा करना और उल्टे को सीधा करना इसका काम है.कई बार देखा है कि मारक अपनी शक्ति लेकर मारने के लिये जातक को अपना असर देता है लेकिन राहु की संगति मिलते ही मारने वाला बचाने के लिये भागने लगता है और बचाने वाला मारने के लिये अपने प्रयास करने लगता है।
भाव का असर भी देखने मे बहुत ही अजीब सा लगता है अगर राहु लगन मे बैठ जाये तो उल्टा काम और बोलने चालने मे प्रदर्शन मे सभी कार्यो मे उल्टा फ़ल प्रदान करने लगता है आदमी है तो औरत वाली हरकते करने लगता है और औरत है तो आदमी वाले व्यवहार करने लगता है.राहु धन मे बैठ जाता है तो बजाय देने के लेने लगता है तीसरे भाव मे आजाये तो समझ कर चलने बोलने आदि की कला को बदल कर लडने झगडने और अपने को छुपाकर चलने मे अपना रूप प्रदर्शित करने लगे,चौथे भाव मे आजाये तो बजाय सोचकर बोलने और सोचकर चलने के कनफ़्यूजन को पैदा करदे,जो कुछ सीखा जा रहा था उसे करना शुरु कर दे और जब भी मौका मिले तो बजाय पानी के शराब के लिये अपना रुख जाहिर करने लगे,जो घर बरबाद हो गया था उसे आबाद करने लगे और जो आबाद है उसे बरबाद करने लगे,पंचम मे जाकर बजाय सीखने और याद करने के लोगो को याद करवाने लगे और छठे भाव मे जाकर जब कर्जा लेने की युति बने तो लोगो को कर्जा देने लगे,बजाय दुश्मनी की घात को पास लाने के दुश्मनो का ही विनाश करने लगे,सप्तम मे आजाये तो पत्नी का रूप पति की तरह हो जाये और पति महोदय बजाय शेर के बिल्ली होकर म्याऊँ की आवाज मे बोलने लग जायें आठवे भाव मे जाने से मौत को बचाने के बजाय मौत को ही गले लगाने लग जाये,नवे भाव मे जाते ही बजाय भाग्य को दूसरे से पूंछने के खुद ही भाग्य को बताने लग जाये दसवे भाव मे जाकर जैसे ही राहु अपनी गति को शुरु करे तो बजाय काम करने के सोने लग जाये और जो सो रहे हो उन्हे जगाकर काम करवाना शुरु कर दे,लाभ के भाव मे जाते ही जहां लाभ होता है वहां से लाभ की बजाय हानि देने के लिये तैयार हो जाये और जहां पर काम के बदले मे काम का मेहनताना मिलना था वहां अपनी जेब से भरना पड जाये यही हाल बारहवे भाव का है जब शांति का समय आये तो डर दिमाग मे भर जाये और जब कोई अपनी आत्मा को संतुष्टि देने लग जाये तो भूत प्रेत का असर सामने आने लग जाये किसी ने जीवन भर मेहनत करने के बाद पूजा पाठ करने से लोगो का भला करने के बाद गति प्राप्त करने के लिये धर्म किये थे लेकिन मरने के समय राहु का गोचर अगर बारहवे भाव मे हो गया तो अंत समय मे कोई ऐसा काम हो जाये कि अधोगति को प्राप्त करने के बाद नरक योनि मे भटकने के लिये मजबूर होना पडे.
यही बात राशि के अनुसार भी मानी जाती है,मेष मे राहु के होने से बजाय शरीर की शक्ति के दिमागी शक्ति का प्रयोग करने लगे या मानसिक सोच से काम करने लगे वृष राशि मे जाते ही बजाय चुप रहने के बकर बकर करने लग जाये मिथुन राशि मे जाने से बजाय बोलने के दिखाने लग जाये कर्क राशि मे जाकर बजाय पानी के शराब का आदी बना दे और सिंह राशि मे जाकर बजाय राज्य करने के झाडू लगवाने की कला को पैदा करदे,कन्या राशि मे जाकर सेवा करने की बजाय लोगो से सेवा करवाने लग जाये तुला राशि का होने पर बजाय तौल कर बोलने के अनर्गल बोलना शुरु कर दे,वृश्चिक राशि मे जाकर बजाये दवाई देने के भभूत देने लग जाये,अस्पताल मे बजाय जीवन दान देने के जीवन को खरीदना बेचना शुरु कर दिया जाये,धनु मे जाते ही बाप दादा की औकात को दूर रखकर मन के अनुसार काम कर लिये जाये,मकर मे जाने के बाद बजाय काम करने के सोने और खाली बैठ कर जीवन को गुजार दिया जाये,कुम्भ मे जाने से मित्रता को स्वार्थ की भावना से देखा जाये और बजाय बडे भाई की सहायता लेने के देनी पड जाये,मीन राशि का होने पर धर्म स्थान की बजाय पाप स्थान मे जाने का मन करने लगे।
वह तो मंगल की फ़ेरी जीवन मे अच्छी मानी जाती है जैसे ही राहु अपनी हरकतो को उल्टा करना शुरु कर देता है वह अपनी तकनीक से राहु की हरकत से अपने अनुसार फ़ायदा वाली बातो को करने लगता है.इसी लिये कहा है कि राहु हाथी है तो मंगल हाथी को संभालने वाला अंकुश और आज के जमाने मे राहु बिजली है तो मंगल उसका तकनीकी बटन.

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